Dastanbu
Author:
Mirza GhalibPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 159.2
₹
199
Unavailable
मिर्ज़ा असद-उल्लाह ख़ाँ ग़ालिब का नाम भारत ही नहीं, बल्कि विश्व के महान कवियों में शामिल है!</p>
<p>मिर्ज़ा ग़ालिब ने 1857 के आन्दोलन के सम्बन्ध में अपनी जो रूदाद लिखी है, उससे उनकी राजनीतिक विचारधारा और भारत में अंग्रेज़ी राज के सम्बन्ध में उनके दृष्टिकोण को समझने में काफ़ी मदद मिल सकती है! अपनी यह रूदाद उन्होंने लगभग डायरी की शक्ल में प्रस्तुत की है। और फ़ारसी भाषा में लिखी गई इस छोटी-सी पुस्तिका का नाम है—‘दस्तंबू’। फ़ारसी भाषा में 'दस्तंबू' शब्द का अर्थ है पुष्पगुच्छ, अर्थात् बुके (Bouquet)।</p>
<p>अपनी इस छोटी-सी किताब 'दस्तंबू' में ग़ालिब ने 11 मई, 1857 से 31 जुलाई, 1857 तक की हलचलों का कवित्वमय वर्णन किया है।</p>
<p>'दस्तंबू' में ऐसे अनेक चित्र हैं जो अनायास ही पाठक के मर्म को छू लेते हैं। किताब के बीच-बीच में उन्होंने जो कविताई की है, उसके अतिरिक्त गद्य में भी कविता का पूरा स्वाद महसूस होता है। जगह-जगह बेबसी और अन्तर्द्वन्द्व की अनोखी अभिव्यक्तियाँ भरी हुई हैं।</p>
<p>इस तरह 'दस्तंबू' में न केवल 1857 की हलचलों का वर्णन है, बल्कि ग़ालिब के निजी जीवन की वेदना भी भरी हुई है।</p>
<p>‘दस्तंबू’ के प्रकाशन को लेकर ग़ालिब ने अनेक लम्बे-लम्बे पत्र मुंशी हरगोपाल ‘तफ़्त:’ को लिखे हैं। अध्येताओं की सुविधा के लिए सारे पत्र पुस्तक के अन्त में दिए गए हैं।</p>
<p>भारत की पहली जनक्रान्ति, उससे उत्पन्न परिस्थितियाँ और ग़ालिब की मनोवेदना को समझने के लिए ‘दस्तंबू’ एक ज़रूरी किताब है। इसे पढ़ने का मतलब है सन् 1857 को अपनी आँखों से देखना और अपने लोकप्रिय शाइर की संवेदनाओं से साक्षात्कार करना।</p>
<p>—भूमिका से
ISBN: 9788119028832
Pages: 103
Avg Reading Time: 3 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Yaadon Ki Roshni Mein
- Author Name:
Harishankar Parsai
- Book Type:

-
Description:
‘यादों की रोशनी में’ परसाई के भाषणों, संस्मरणों, रेखाचित्रों और निबन्धों का संकलन है। वर्ष 1989 में पहली बार प्रकाशित इस पुस्तक में लेखक की जीवन-दृष्टि और सामाजिक सरोकारों का परिचय तो मिलता ही है, उस समय के बारे में भी हमें कई सूचनाएँ प्राप्त होती हैं।
पुस्तक के तीन खंड हैं जिनमें भिन्न-भिन्न प्रकृति की रचनाओं को विभाजित किया गया है। पहले हिस्से में ‘मतवाला और उसकी भूमिका’ जैसा आलेख जहाँ बीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध की साहित्यिक-राजनीतिक पृष्ठभूमि से परिचित कराता है, वहीं ‘लेखकों का सचेत और सतर्क दायित्व’ शीर्षक उनका अभिभाषण प्रगतिशील लेखकों और संगठनों की सामाजिक भूमिका को रेखांकित करता है। दहेज की समस्या को लेकर लिखे गए दो व्यंग्यात्मक आलेख बताते हैं कि परसाई अपने लेखकीय दायित्व को लेकर कितने सजग थे।
इनके अलावा श्रीकांत वर्मा, ताज भोपाली और बाबा नागार्जुन पर उनके दिलचस्प संस्मरण भी इस पुस्तक का हिस्सा हैं। कुछ और रचनाओं के अलावा ग़ालिब को लेकर चुटीले अन्दाज में लिखा गया एक व्यंग्य भी इस संकलन में शामिल है जिसमें वे अपने प्रिय शायर को अपने ही ढंग से याद करते हैं।
Ek Oonchi Udaan
- Author Name:
Seetha +1
- Book Type:

- Description: द एस्कॉर्ट्स ग्रुप भारत के जाने-माने औद्योगिक घरानों में से एक है। इसने अपने पचहत्तर वर्षों के इतिहास में कई दुरूह असफलताओं का सामना किया। सन् 1944 में एच.पी. नंदा ने लाहौर में एस्कॉर्ट्स की स्थापना की, जिसे विभाजन का शिकार होना पड़ा। यह फिर से अपने पैरों पर खड़ी हुई, दिल्ली के निकट फरीदाबाद में अपना निर्माण बेस तैयार किया। आनेवाले वर्षों में यह फोर्ड, जे.सी.बी. और यामहा जैसे शीर्षस्थ वैश्विक खिलाडि़यों से जुड़ी। 80 के दशक में इसकी ‘राजदूत बाइक्स’ ने हलचल मचा दी थी, परंतु वही दशक ब्रिटेन के टाइकून स्वराज पॉल की ओर से टेकओवर करने की साजिश का भी साक्षी रहा, जो कंपनी के जीवन में किसी स्तब्धकारी प्रसंग से कम न था। 1991 के आर्थिक उदारीकरण के बाद राजन नंदा ने अनेक पहलों के साथ व्यवसाय की बागडोर सँभाली। वे एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट और टेलीफोनी बिजनेस के साथ सेवा क्षेत्र में आगे आए। परंतु कुछ गलत कदम उठाने के कारण ग्रुप को इन क्षेत्रों से बाहर आना पड़ा। एक समय पर वित्तीय संकट इतना अधिक हो गया था कि बिजली के बिलों का भुगतान न हो पाने के कारण कार्यालय की बिजली काट दी गई थी। तब से अब तक कंपनी ने निखिल नंदा के नेतृत्व में उल्लेखनीय प्रदर्शन कर शानदार वापसी की है। एग्री-मशीनरी, निर्माण और रेलवे उपकरण के क्षेत्रों में भारी सफलता के साथ एस्कॉर्ट्स ने 2019 में अपने उच्चतम लाभ दर्ज किए, जो 400 करोड़ का कर चुकाने के बाद हुए थे। अब यह इनोवेशन विद्युत् विकास, ऑटोनोमस और हाइब्रिड टैक्टर्स व ट्रैक्सी (किसानों के लिए उबर) जैसी सेवाओं का नेतृत्व कर रही है। ‘एक ऊँची उड़ान’ नामक पुस्तक बताती है कि यह सब कैसे संभव हुआ। श्रेष्ठ व्यावसायिक अभ्यास अपनाए गए, सही लोगों को उचित भूमिका दी गई, डीलरों, सप्लायरों और ग्राहक-किसानों के साथ संबंधों पर कार्य किया गया। यह व्यवसाय प्रबंधन का आँखें खोल देनेवाला एक ऐसा दस्तावेज है, जिसमें इस क्षेत्र से जुड़े लोगों, पेशेवरों व प्रबंधन छात्रों के लिए कई सबक छिपे हैं, ताकि वे समझ सकें कि कैसे सबकी चहेती विशिष्ट भारतीय कंपनी को पुनर्जीवित कर इसे सफलता की एक ऊँची उड़ान दी गई।
Hashiye Ki Ibaraten
- Author Name:
Chandrakanta
- Book Type:

-
Description:
चन्द्रकान्ता की कृतियाँ जहाँ सामयिक व्यवस्था के विद्रूपों एवं स्त्री-विमर्श की जटिलताओं की तहें खोलती हैं, वहीं सम्बन्धों के विघटन और मनुष्य के यांत्रिक होते जाने की विडम्बनाओं के बावजूद मूल्यों और विश्वासों की सार्थकता को नए आयाम देती हैं।
कश्मीर पर तीन महत्त्वपूर्ण उपन्यास लिखने के बावजूद चन्द्रकान्ता का लेखन समय के ज्वलन्त प्रश्नों एवं वृहत्तर मानवी सरोकारों से जुड़ा है।
प्रस्तुत है, स्त्रियों की सोच, आकांक्षाओं, स्वप्नों और संघर्षों की सच्चाइयों से साक्षात्कार करवानेवाली चन्द्रकान्ता की सद्य:प्रकाशित पुस्तक : ‘हाशिए की इबारतें’। अपने आत्मकथात्मक संस्मरणों के बहाने चन्द्रकान्ता ने स्त्री-मन के भीतर रसायन को खँगाला है। वहाँ अगर अँधेरे तहख़ाने हैं, तो रोशनी के गवाक्ष भी हैं; चाहों का हिलोरता सागर भी है और प्यास से हाँफता रेगिस्तान भी।
बकौल लेखिका : “मैंने इन संस्मरणों में स्त्री-समीक्षा नहीं की है, स्त्री-जीवन की भौतिकी, भीतरी कैमिस्ट्री की दख़लन्दाज़ी से बने गुट्ठिल व्यक्तित्व की कुछ गुत्थियों को खोलने की चेष्टा की है। बेटी, माँ, बहन, पत्नी, दादी, नानी के रोल निभाती स्त्री की सोच, आकांक्षाओं और स्वप्नों में सेंध लगाकर जानना चाहा है कि कई दशकों को पीछे ठेलते, प्रगति के तमाम सोपान पार करने के बाद, स्त्री से जुड़ी परिवर्तनकारी रीति-नीतियों और पुरुष वर्चस्व के अहम् पूरित सोच में कितना कुछ सार्थक बदलाव आ पाया है। घर-परिवार की धुरी स्त्री क्यों केन्द्र में क़दम जमाने से पहले ही बार-बार हाशिए पर धकेल दी जाती है? भूमंडलीकरण के इस दौर में भी क्या स्त्री के लिए कसाईघर मौजूद नहीं, जहाँ ख़ामोश, अपढ़ और बोलनेवाली तेज़-तर्रार, दोनों मिज़ाज की स्त्रियाँ, गाहे-बगाहे शहीद की जाती हैं?”
Main Jahan-Jahan Chala Hun
- Author Name:
Dr. Gyaneshwar Muley
- Book Type:

-
Description:
मैं जहाँ-जहाँ चला हूँ पारम्परिक अर्थ में न सिर्फ़ यात्रा-वृत्त है, न सिर्फ़ संस्मरण, यह इन दोनों का मिला-जुला रूप है। हम इसे लेखक का प्रवास-वृत्त कह सकते हैं; वे स्वयं इन्हें ‘मेरे पड़ाव’ कहते हैं। गहरी उत्सुकता, जिज्ञासा, सहज ग्रहणशीलता और उत्फुल्ल हास्यबोध के साथ लेखक ने इन संस्मरणात्मक निबन्धों में उन स्थानों का वर्णन किया है, जहाँ-जहाँ उन्हें कुछ समय रहने का मौक़ा मिला जैसे जापान, मॉरीशस व पाकिस्तान और जहाँ-जहाँ उनका मन रुका, जैसे रेलवे स्टेशन, दिल्ली की सड़कें और देश-विदेश के नाई।
ज्ञानेश्वर मुले भारतीय विदेश सेवा में अधिकारी रहे हैं और मराठी के चर्चित लेखक, कवि तथा स्तम्भकार हैं। इस पुस्तक में वे हमें सूचनाओं और संवेदनाओं में सन्तुलित एक सुग्राह्य और आकर्षक गद्य उपलब्ध कराते हैं। जापान के लोगों का ‘साकुरा-प्रेम’ हो, या मॉरीशस के नागरिकों का ‘भारत-प्रेम’, पाकिस्तान के सरकारी तंत्र का सशंक बर्ताव हो या दिल्ली में फैला भारतीय इतिहास, उलझी सड़कें और अपने वंशजों को सीधी चुनौती देने वाले बन्दर, हर चीज़ और स्थान को वे एक रचनात्मक उछाह के साथ देखते हैं और उसी उछाह के साथ उसे पाठक तक पहुँचाते हैं। जहाँ ज़रूरत हो वहाँ व्यंग्य करते हैं, जहाँ ज़रूरत हो वहाँ संवेदना का भीना वितान बुन देते हैं और जहाँ ज़रूरत हो प्राकृतिक दृश्यों के सजीव-सचल चित्र खींच देते हैं।
Mohan Gata Jayega
- Author Name:
Vidya Sagar Nautiyal
- Book Type:

-
Description:
‘लेकिन इन पहाड़ों में मानव जीवन विकट है।...मैं इस विकट पहाड़ में रच-बस गया। इसे छोड़कर कहीं भाग जाने की बात नहीं सोची। अपनी रचनाओं में मैं इस पहाड़ की सीमाओं के अन्दर घिरा रहा। टिहरी से बाहर नहीं निकला। निकलूँगा भी नहीं।’ (इसी पुस्तक में लेखक के वक्तव्य का अंश)।
‘मोहन गाता जाएगा’ में कथा-शिल्पी विद्यासागर नौटियाल ने पहाड़ के जीवन, टिहरी की ज़िन्दगी के दर्द, उससे लगाव, अपने छात्र-जीवन, जन-आन्दोलन, राजनीतिक सक्रियता, मानवीय सम्बन्धों और मित्रता की ऊष्मा को अपनी सृजनात्मक प्रतिभा, व्यापक अनुभव, सजग दृष्टि के साथ टुकड़े-दर-टुकड़े, हरफ़-ब-हरफ़ अद्भुत सांगीतिक गद्य में कहने का सहज प्रयास किया है। उन्नीस सौ छप्पन से दो हज़ार तक चार दशक से ऊपर के समय में टिहरी, काशी, लखनऊ, देहरादून में लिखी और उपलब्ध ये रचनाएँ महज़ ‘यत्र-तत्र’ टिप्पणियाँ, वक्तव्य, वृत्तान्त या आत्मपरक रचना-अंश नहीं हैं बल्कि अपने समय के सामाजिक जीवन का अलग-अलग प्रसंगों में निजी स्पर्श भी हैं।
‘मो०हन गाता जाएगा’ दरअसल विद्यासागर नौटियाल का ‘आदमीनामा’ है, जिसमें वे रचनाकार की संवेदना और उसकी चेतना, उसकी ज़िन्दगी में आए लोगों, पढ़ी-लिखी गई रचनाओं, राजनीतिक गतिविधियों, यात्राओं, डायरी और सम्बोधनों आदि के माध्यम से अपने विलक्षण मित-कथनों में अपनी स्मृतियों, विचारों और आकांक्षाओं को बेहद जीवन्त, आत्मीय, रोचक और प्रामाणिक ढंग से अतिरिक्त प्रासंगिकता देते हैं।
—मुहम्मद हम्माद फ़ारूक़ी
Dilli Shahar Dar Shahar
- Author Name:
Nirmala Jain
- Book Type:

-
Description:
एक वक़्त के बाद कोई भी शहर वहाँ रहने वालों के लिए सिर्फ़ शहर नहीं, जीने का तरीक़ा हो जाता है। जिस तरह हम धीरे-धीरे शहर को बनाते हैं, बाद में उसी तरह शहर हमें बनाने लगता है और हम ‘दिल्ली वाले’, ‘मुम्बई वाले’ या ‘आगरा वाले’ कहे जाने लगते हैं।
सुपरिचित आलोचक निर्मला जैन की यह कृति एक दिल्ली वाले की तरफ़ से अपने शहर को दिया गया उपहार है। बराबर सजग और चुस्त उनकी लेखनी से उतरी हुई यह किताब बीसवीं शताब्दी की दिल्ली के स्याह-सफ़ेद और ऊँचाइयों-नीचाइयों के साथ न सिर्फ़ उसके विकास-क्रम को रेखांकित करती है, बल्कि उन दिशाओं की तरफ़ भी इशारा करती है जिधर यह शहर जा रहा है, और जिन्हें सिर्फ़ वही आदमी महसूस कर सकता है जिसे अपने शहर से प्यार हो।
सांस्कृतिक ‘मेल्टिंग पॉट’ बनी आज की दिल्ली के हम बाशिन्दे, जिन्हें अपने मतलब-भर से ज़्यादा दिल्ली को न देखने की फ़ुरसत है, न समझने की जिज्ञासा, नहीं जानते कि आज से मात्र 60-70 साल पहले यह शहर कैसा था, कैसी ज़िन्दगी पुरानी और असली दिल्ली की गलियों में धड़कती थी। हममें से अनेक यह भी नहीं जानते कि आज जिस नई दिल्ली की सत्ता देश को नियंत्रित करती है उसकी कुशादा, शफ़्फ़ाफ़ सड़कें कैसे वजूद में आईं, और दोनों दिल्लियों के बीच हमने क्या खोया और क्या पाया!
निर्मला जी की यह किताब 40 के दशक से सदी के लगभग अन्त तक की दिल्ली का देखा और जिया हुआ लेखा-जोखा है। इसमें साहित्य और शिक्षा के मोर्चों पर आज़ादी के बाद खड़ा होता हुआ देश भी है, और वे तमाम राजनीतिक और सामाजिक प्रक्रियाएँ भी जिन्हें हमारे भवितव्य का श्रेय दिया जाना है।
Shishir Samagra
- Author Name:
Sabitri Badaik
- Book Type:

- Description: शिशिर टुडू सबके आत्मीय थे। उनके व्यक्तित्व की जो सबसे बड़ी खूबी सबको आकर्षित करती थी, वह थी उनके आदिवासियत से लबरेज होने के बावजूद हमारे-आपके जैसे सामान्य ‘इनसान’ होना। उनमें न आदिवासी होने की हीनता थी और न दंभ। एक निहायत विनम्र, सहृदय और जिंदादिल इनसान थे वे, जिन्हें किसी ने कभी भी तीखा होते नहीं देखा, न सुना। आदिवासियत का सबसे बड़ा गुण यह कि वह समभाव से जीवन के सुख-दुख को ग्रहण करता है। अपनी भवनाओं को संयत रूप में प्रकट करता है। शिशिर टुडू इसके मूर्त रूप थे। कला, संस्कृति और संघर्ष से जुड़ा उनका लंबा जीवनानुभव था। हिंदी, अंग्रेजी सहित कई आदिवासी भाषाओं पर उनका समान अधिकार था। वे एक संवेदनशील व्यक्ति थे और लिखते वक्त उनकी भाषा-शैली जीवंत हो उठती थी। वे फिल्मकार भी थे। लेकिन उन्होंने कभी भूले से भी अपने व्यक्तित्व की इन खूबियों का प्रदर्शन नहीं किया। वे बस जरूरत के हिसाब से उसका यथा समय उपयोग करते थे। उन्होंने अपने ज्ञान का, यश और आर्थिक क्षमता बढ़ाने में दुरुपयोग नहीं किया। वे अपने मूल से गहरे जुड़े, देश-दुनिया के अद्यतन ज्ञान से संपन्न आदिवासी थे। वे हमें हमेशा याद रहेंगे, एक संपूर्ण व्यक्ति के रूप में।
Glory Beyond Dreams
- Author Name:
Sanjay Sharma
- Rating:
- Book Type:

- Description: Ten brilliant stories of ten bravehearts who have brought endless glory to India, our motherland, under unbelievable circumstances. Each braveheart has been shot down with obstacles unfathomable yet written their fate rather than letting life write it for them—and their fate has been to hail the Indian tricolour across various sports scenes in various countries. Glory Beyond Dreams is home to these unstoppable para-heroes who have brought success and pride to our country time and again: Yuvraj Singh; Arvind Prabhoo; Palak Kohli; Gaurav Khanna; Pranav Desai; Aryan Joshi; Suyash Jadhav; Ajay Kumar Reddy; Sandeep Singh Dhillon; Rajinder Singh Rahelu, and chronicled in this book is a collection of their jaw-dropping life stories; stories of grit, strength, guts, and glory.
The Diary of a Young Girl
- Author Name:
Anne Frank
- Book Type:

- Description: Discovered in the attic in which she spent the last years of her life, Anne Frank's remarkable diary has since become a world classic—a powerful reminder of the horrors of war and an eloquent testament to the human spirit. The Diary is a lot of things all at once. It is an amusing, enlightening, and often moving account of the process of adolescence, as Anne describes her thoughts and feelings about herself and the people around her, the world at large, and life in general. It is an accurate record of the way a young girl grows up and matures, in the very special circumstances in which Anne found herself throughout the two years during which she was in hiding. And it is also a vividly terrifying description of what it was like to be a Jew — and in hiding— at a time when the Nazis sought to kill all the Jews of Europe.
Samarnanjali
- Author Name:
Ramdhari Singh Dinkar
- Book Type:

-
Description:
युगदृष्टा रामधारी सिंह ‘दिनकर’ अपने समकालीनों की चर्चा करना बहुत नाजुक काम मानते थे, लेकिन समकालीनों पर लिखने पर उनको सुखद अनुभूति भी होती थी।
‘स्मरणांजलि’ दिनकर जी के मित्रों और समकालीन महापुरुषों, जिन्होंने उनके हृदय पर अमिट छाप छोड़ी, के विषय में निबन्धों और यात्रा–संस्मरणों की अनूठी कृति है।
इस पुस्तक में देश के प्रख्यात विद्वानों–साहित्यकारों और राजनेताओं के अन्तरंग जीवन की झाँकियाँ हैं तथा उनके अनजाने रूप, देश की राजनीति को प्रभावित करनेवाले प्रसंगों और उन मानवीय गुणों का भी इसमें उद्घाटन हुआ है जिन्होंने इन विभूतियों को सबका श्रद्धास्पद बना दिया।
यह पुस्तक जहाँ एक तरफ़—राजर्षि टंडन, राजेन्द्र प्रसाद, काका साहब कालेलकर, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन्, लालबहादुर शास्त्री, लोहिया साहब, डॉ. जाकिर हुसेन, श्रीकृष्ण सिंह, पुण्यश्लोक जायसवाल, राहुल सांकृत्यायन, पंडित बनारसीदास चतुर्वेदी, आचार्य रघुवीर, पंडित किशोरीदास वाजपेयी, आचार्य शिवपूजन सहाय, रामवृक्ष बेनीपुरी, डॉ. लक्ष्मीनारायण ‘सुधांशु’, पंडित वंशीधर विद्यालंकार, नलिन विलोचन शर्मा, मैथिलीशरण गुप्त, माखनलाल चतुर्वेदी, सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’, सुमित्रानन्दन पंत, महादेवी वर्मा, बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’, हरिवंश राय ‘बच्चन’—इन विभूतियों का परिचय देती है, वहीं राष्ट्रकवि दिनकर की यूरोप, जर्मनी, चीन और मॉरिशस यात्रा का रोचक वर्णन भी करती है।
संस्मरणात्मक निबन्धों और महत्त्वपूर्ण यात्रा–वृत्तान्तों से सुसज्जित, सरस भाषा–शैली में लिखित यह पुस्तक अमूल्य है।
Atal Jeevangatha
- Author Name:
Dr. Rashmi
- Book Type:

- Description: राजनीति के क्षेत्र से जुड़े व्यक्तियों में एक महत्त्वपूर्ण गुण होता है—उनकी नेतृत्व क्षमता। जननायक ‘भारत रत्न’ अटलजी में यह गुण अद्भुत था, उनके भीतर नेतृत्व की क्षमता कूट-कूटकर भरी हुई है। ग्वालियर के साधारण अध्यापक के घर जनमे अटलजी अपनी प्रतिभा के दम पर विश्व भर में विख्यात हुए। उन्हें माँ सरस्वती का अपार आशीर्वाद प्राप्त था, यह उनकी वाणी का ही प्रताप था कि सभी मंत्रमुग्ध होकर उन्हें सुना करते थे। एक बहुत बड़ा जन समुदाय उनकी वाणी को सुनने के लिए खिंचा चला आता था। अटलजी बहुविधि प्रतिभा के धनी रहे हैं। उनमें विदेश-नीति की जबरदस्त समझ रही है। वे एक बेजोड़ राजनेता हैं, जो हर आनेवाली पीढ़ी के लिए स्तुत्य एवं अनुकरणीय रहेंगे। अटलजी पर केंद्रित अनेक पुस्तकें आ चुकी हैं और भविष्य में भी आती रहेंगी। किंतु यह पुस्तक अटलजी के जीवन पर केंद्रित पहला आत्मकथात्मक उपन्यास है। इस पुस्तक में अटलजी का अब तक का जीवन और उनकी उपलब्धियाँ उनकी ही विशेष रोचक भाषा शैली में प्रस्तुत की गई हैं। दलगत राजनीति से ऊपर उठकर प्रखर राष्ट्रवाद की अलख जलानेवाले श्रद्धेय अटलजी के प्रेरणाप्रद जीवन और कर्तृत्व की विहंगम अंतर्दृष्टि देनेवाला आत्मकथात्मक उपन्यास।
Aachaarya Badarinath Verma
- Author Name:
Kunal Kumar
- Book Type:

- Description: आचार्य बदरीनाथ वर्मा ऐसे महापुरुष थे, जो अपनी आख़िरी साँस तक राष्ट्र और राष्ट्रभाषा का सौभाग्य सँवारने के लिए सतत समुद्यत और सचेष्ट रहे। गांधी-युग के हिन्दी-सेवी देशभक्तों में बदरी बाबू का स्थान बहुत ऊँचा है। उनका निरहंकार व्यक्तित्व, उनकी सदाशयता, सहृदयता, सादगी और सर्व-हित-कामना सचमुच मनुष्य-जाति के लिए गौरव का विषय है। राष्ट्रीय एकता की उद्बोधिका राष्ट्रभाषा हिन्दी की जो आकार-कल्पना की गई है, बदरी बाबू मनसा-वाचा-कर्मणा उसके मूर्त रूप थे। गांधीवाद के अनन्य आग्रही बदरी बाबू हिन्दी के लिए ही जिए और हिन्दी के लिए ही मरे। वे गहन सात्त्विकता के साधु-पुरुष थे। विकट व्यस्तताओं में भी वे तुलसी के 'रामचरितमानस' और वेदव्यास की 'गीता' के पारायण तथा भक्ति-संगीत के श्रवण का समय निकाल ही लेते थे। संस्कृत, हिन्दी, बांग्ला, उर्दू और अंग्रेज़ी के गम्भीर ज्ञाता बदरी बाबू को सम्पूर्ण 'गीता' कंठस्थ थी। निस्सन्देह, जो कोई भी बदरी बाबू के जीवन-वृत्त का अनुशीलन करेगा, उसे उसमें सरलता, स्वच्छता, सच्चरित्रता, साहस और परम सत्ता के प्रति प्रपन्नता के उदात्त उदहारण उपलब्ध होंगे। जब महापुरुषों की बातें आती हैं, तब हमारा चित्त उनके उन जीवनादर्शों की ओर हठात् उन्मुख हो उठता है, जो मनुष्य के यथार्थ उत्थान के आधारभूत उपादान हैं। उनके वे गुण सामने आ जाते हैं जिनके मनन से लोक-जीवन सार्थक और समुन्नत होने को कटिबद्ध होता है। उनके उन सत्कर्मों के दर्शन होते हैं जो हमारे भीतर साहस, स्वस्थता, शान्ति, प्रकाश, प्राण तथा शक्ति का संचार करते है।
Aur Babasaheb Ambedkar Ne Kaha : Vols. 1-6
- Author Name:
DR. B.R. Ambedkar
- Book Type:

- Description: वह अम्बेडकर ही थे जिनके सिद्धान्तों ने दलित वर्ग को नई चेतना प्रदान की। और बाबासाहेब अम्बेडकर ने कहा...उन्हीं के 1920 से लेकर 1956 तक के लेखों, अभिलेखों और अभिभाषणों का संकलन है। पाँच खंडों में विभाजित इस रचनावली में डॉ. अम्बेडकर की उसी सामग्री को लिया गया है जो अभी तक केवल मराठी में उपलब्ध थी। हमें खुशी है कि हम इस सामग्री को पहली बार सीधे हिन्दी में उपलब्ध करा रहे हैं। पहले खंड में बाबासाहेब के 1920 से 1928 तक के लेख व अभिभाषण प्रस्तुत हैं। अपने भाषणों में डॉ. अम्बेडकर ने जहाँ ब्राह्मणवाद पर कड़ा प्रहार किया, वहीं उन्होंने दलितों को भी नया दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित किया। प्रथम खंड में प्रस्तुत सामग्री बताती है कि किस तरह से हजारों सालों से दलितों पर हो रही जुल्म-ज्यादतियों के खिलाफ लडऩे के लिए बाबासाहेब ने दलित वर्ग को मानसिक रूप से सुदृढ़ किया और उन्हें उनके उद्धार का रास्ता भी दिखाया। इसमें कोई सन्देह नहीं कि यह खंड दलित वर्ग ही नहीं बल्कि सामाजिक क्रान्ति में विश्वास रखनेवाले सभी महानुभावों की जिज्ञासाओं को तुष्ट करेगा।
Gautam Buddh Aur Unke Updesh
- Author Name:
Anand Shrikrishna
- Book Type:

- Description: इस पुस्तक में न सिर्फ़ भगवान बुद्ध के जीवन की झलकियाँ, उनके विचार व जीवमात्र के प्रति उनकी करुणा का वर्णन है, बल्कि लेखक ने भगवान बुद्ध के बारे में गहन अध्ययन के पश्चात् अपने मौलिक विचारों और कई तथ्यों से भी पाठकों को अवगत कराया है। पुस्तक में इन तथ्यों के कई प्रमाण हैं कि दुःख, हिंसा और ग़रीबी से तड़पते लोगों की समस्याओं के हल के लिए भगवान बुद्ध ने आख़िर त्याग पर बल क्यों दिया। उनका मानना था कि एक प्रसन्न व्यक्ति ही इस जगत को सुखमय बना सकता है। बुद्ध युद्ध के विरोधी थे और उनका मानना था कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता। पुस्तक में अंगुलिमाल का एक लुटेरे से सन्त बन जाना, सम्राट बिम्बिसार, सम्राट प्रसेनजित सहित अनेकों राजपुरुषों की धम्म दीक्षा और चिंचाया द्वारा बुद्ध के ख़िलाफ़ किए गए षड्यंत्र पर भी प्रकाश डाला गया है। वर्तमान युग में बुद्ध के उपदेशों की प्रासंगिकता की विस्तृत विवेचना की गई है। बुद्ध के जीवन, उनके अनुयायियों, उनके विरोधियों, उनकी शिक्षा, उनके उपदेश देने का ढंग, प्रतीत्यसमुत्पाद, विपस्सना, विपस्सना केन्द्रों की जानकारी, बौद्ध साहित्य और बुद्ध से सम्बन्धित तीर्थस्थलों की विस्तृत जानकारी सात अध्यायों में दी गई है। धम्म के अनुयायियों के लिए यह पुस्तक पथ-प्रदर्शक का काम करेगी।
Nindak Niyare Rakhiye
- Author Name:
Surendra Mohan Pathak
- Book Type:

-
Description:
लोकप्रिय फिक्शन के जादूगर कथाकार सुरेन्द्र मोहन पाठक की आत्मकथा के इस खंड में उनके जीवन के उस दौर का वर्णन है, जब वे पाठकों में व्यापक स्वीकृति और प्रसिद्धि पा चुके थे। यह उनका लेखकीय जीवन है जिसमें प्रकाशकों से उनके रिश्ते और प्रशंसकों-पाठकों की बातें आई हैं।
गम्भीर और साहित्यिक हिन्दी समाज, लेखकों और पाठकों के लिए इस आत्मकथा से गुजरना निश्चय ही एक समानान्तर संसार में जाना होगा, लेकिन यह यात्रा लगभग जरूरी है। खास तौर पर यह जानने के लिए कि लेखन की वह प्रक्रिया कैसे चलती है जिसमें पाठक की उपस्थिति बहुत ठोस होती है।
Sansamaran Aur Shradhanjaliyan
- Author Name:
Ramdhari Singh Dinkar
- Book Type:

-
Description:
संस्मरण और श्रद्धांजलियाँ' रामधारी सिंह ‘दिनकर’ के संस्मरणात्मक निबन्धों का संकलन है। यह संग्रहणीय इसलिए है कि इन संस्मरणों और श्रद्धांजलियों में देश के प्रख्यात विद्वानों, साहित्यकारों और राजनेताओं के अन्तरंग जीवन की भी झाँकियाँ हैं। उनके व्यक्तित्व के अनेक अनजाने रूप, देश की राजनीति को प्रभावित करनेवाले प्रसंग और वे मानवीय गुण भी उद्घाटित हुए हैं, जिन्होंने इन विभूतियों को सबका श्रद्धास्पद बना दिया।
डॉ. काशीप्रसाद जायसवाल, महापंडित राहुल सांकृत्यायन, राजर्षि टंडन, राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त, पं. माखनलाल चतुर्वेदी, महाप्राण निराला, पं. बालकृष्ण शर्मा 'नवीन', महादेवी जी, पं. बनारसीदास चतुर्वेदी, पं. किशोरीदास वाजपेयी, आचार्य शिवपूजन सहाय, आचार्य रघुवीर के अतिरिक्त कवि दिनकर के और भी अनेक समकालीन साहित्यकार, जिनके संस्मरण रोमांचित ही नहीं करते, मानवीय मूल्यों के प्रति आस्था भी जगाते हैं।
इस संग्रह में समाविष्ट हैं डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन्, डॉ. जाकिर हुसैन, श्री लालबहादुर शास्त्री, श्रीकृष्ण सिन्हा जैसे राजनेताओं के प्रति राष्ट्रकवि दिनकर की विनम्र श्रद्धांजलि और प्रेरक संस्मरण।
उल्लेखनीय है कि ये संस्मरण, ये श्रद्धांजलियाँ औपचारिकता नहीं, अपनत्व से भरी हैं। इन्हें पढ़ना देश के अतीत में जाना है। एक ऐसा अतीत जो वर्तमान ही नहीं, भविष्य के लिए भी प्रेरणा का स्रोत सिद्ध होगा।
Devi Ke DPT Banane Ki Kahani
- Author Name:
Pushpesh Pant
- Book Type:

-
Description:
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में देवी प्रसाद त्रिपाठी के रूप में छात्र सक्रियतावादी का अपना सफ`र शुरू करनेवाले डीपीटी ने जे.एन.यू छात्रसंघ के इतिहास में सबसे लम्बी अवधि तक अध्यक्ष-पद पर बने रहने का गौरव प्राप्त किया। उन्होंने 1973 में श्रीमती इन्दिरा गांधी द्वारा थोपे गए बदनाम आपातकाल के दौरान इस विश्वविद्यालय में एक गौरवपूर्ण प्रतिरोध-आन्दोलन का नेतृत्व किया। परिसर में आज भी उनकी एक नायक की छवि बनी हुई है। डीपीटी भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री राजीव गांधी के विश्वासपात्र और घनिष्ठ सहयोगी थे। मीडिया उनका उल्लेख मानव कम्प्यूटर के रूप में करता था। डीपीटी ने विदेशों में पचास से अधिक विश्वविद्यालयों में व्याख्यान दिए हैं और कुछ समय इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाया भी।
राज्यसभा के सदस्य रहे डीपीटी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के महासचिव और प्रमुख प्रवक्ता रहे। वह विचार न्यास के संस्थापक और विचार प्रधान पत्रिका ‘थिंक इंडिया क्वार्टरली’ के मुख्य सम्पादक भी थे।
Cyber Encounters
- Author Name:
Ashok Kumar, IPS::O.P. Manocha
- Book Type:

- Description: जैसे-जैसे तकनीक विकसित हुई, वैसे-वैसे अपराध ने भी तरक्की कर ली। डिजिटल तकनीकें अपने साथ ऑनलाइन किए जानेवाले अनेक अपराधों को लेकर आई हैं, जिनमें भोले-भाले लोगों से करोड़ों रुपए ठगे जाते हैं, नकली वेबसाइटों पर झूठे विज्ञापनों का झाँसा दिया जाता है, पेमेंट गेटवे के माध्यम से संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने के लिए उकसाया जाता है, और उन ऐप्स को डाउनलोड कराया जाता है, जिससे दूर बैठे अपराधी उनके उपकरण तक अपनी पहुँच बना लेते हैं। क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी से लेकर फिशिंग तक की यह सूची अंतहीन है। ‘साइबर एनकाउंटर्स’ पुस्तक साइबर अपराध की गहराइयों में जाकर बारह रोचक कहानियाँ आपके समक्ष प्रस्तुत करते हैं। उत्तराखंड पुलिस के डीजीपी अशोक कुमार राज्य में साइबर अपराध के विरुद्ध योजनाबद्ध लड़ाई लडऩे का अनुभव रखते हैं, और ओ.पी. मनोचा डी.आर.डी.ओ. के पूर्व वैज्ञानिक हैं। दोनों हर कहानी में एक खास किस्म के साइबर अपराध के बारे में बताते हैं, जो एक सच्ची घटना पर आधारित होती है। अपराध, उसकी जाँच और अपराधियों की गिरफ्तारी के बारे में जानकारी से भरपूर, आँखें खोल देनेवाली यह पुस्तक सभी को अवश्य पढऩी चाहिए।
Tiger Hill Ka Hero : Param Vir Chakra Vijeta Ki Atmakatha (Hindi Translation of The Hero of Tiger Hill)
- Author Name:
Yogendra Singh Yadav
- Book Type:

- Description: 3 जुलाई, 1999 की रात, मात्र 19 साल के योगेंद्र सिंह यादव को 18 ग्रेनेडियर्स की 'घातक प्लाटून' के साथ एक बेहद महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई थी। यह जिम्मेदारी अभेद्य टाइगर हिल पर कब्ज़ा जमाने की थी। तोलोलिंग हिल पर कब्ज़ा हो जाने से उत्साहित यूनिट का जोश हाई था, लेकिन उसने भारी नुकसान भी झेला था। दुर्गम इलाके, जमा देनेवाली सर्दी और दुश्मन की भयंकर गोलाबारी का सामना करते हुए, 'घातक प्लाटून' में सबसे पहले वही चोटी पर पहुँचे थे। भले ही कई गोलियाँ और ग्रेनेड के टुकड़े उनके शरीर को भेद चुके थे, फिर भी उन्होंने दुश्मन के बंकरों पर धावा बोला और रेजिमेंट के लिए रास्ता साफ किया, ताकि वे टाइगर हिल की ऊँची चोटियों पर फिर से कब्ज़ा जमा सकें। कारगिल युद्ध के दौरान उन्होंने अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितियों में असाधारण वीरता, अद्भुत शौर्य, अदम्य साहस और संकल्प का परिचय दिया, जिसके कारण वे भारतीय सेना के सर्वोच्च सम्मान, 'परमवीर चक्र' को प्राप्त करनेवाले सबसे कम उम्र के सैनिक बने।
Boskiyana
- Author Name:
Gulzar
- Rating:
- Book Type:

- Description: गुलज़ार से बातें...'माचिस' के, 'हू-तू' के, 'ख़ुशबू', 'मीरा' और 'आँधी' के बहुरंगी लेकिन सादा गुलज़ार से बातें...फ़िल्मों में अहसास को एक किरदार की तरह उतारनेवाले और गीतों-नज़्मों में ज़िंदगी के जटिल सीधेपन को अपनी विलक्षण उपमाओं और बिम्बों में खोलनेवाले गुलज़ार से उनकी फ़िल्मों, उनकी शायरी, उनकी कहानियों और उस मुअम्मे के बारे में बातें जिसे गुलज़ार कहा जाता है। उनके रहन-सहन, उनके घर, उनकी पसंद-नापसंद और वे इस दुनिया को कैसे देखते हैं और कैसे देखना चाहते हैं, इस पर बातें...यह बातों का एक लम्बा सिलसिला है जो एक मुलायम आबोहवा में हमें समूचे गुलज़ार से रू-ब-रू कराता है। यशवंत व्यास गुलज़ार-तत्त्व के अन्वेषी रहे हैं। वे उस लय को पकड़ पाते हैं जिसमें गुलज़ार रहते और रचते हैं। इस लम्बी बातचीत से आप उनके ही शब्दों में कहें तो 'गुलज़ार से नहाकर' निकलते हैं।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...