Cyber Encounters
Author:
Ashok Kumar, IPS::O.P. ManochaPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 240
₹
300
Available
जैसे-जैसे तकनीक विकसित हुई, वैसे-वैसे अपराध ने भी तरक्की कर ली। डिजिटल तकनीकें अपने साथ ऑनलाइन किए जानेवाले अनेक अपराधों को लेकर आई हैं, जिनमें भोले-भाले लोगों से करोड़ों रुपए ठगे जाते हैं, नकली वेबसाइटों पर झूठे विज्ञापनों का झाँसा दिया जाता है, पेमेंट गेटवे के माध्यम से संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने के लिए उकसाया जाता है, और उन ऐप्स को डाउनलोड कराया जाता है, जिससे दूर बैठे अपराधी उनके उपकरण तक अपनी पहुँच बना लेते हैं। क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी से लेकर फिशिंग तक की यह सूची अंतहीन है।
‘साइबर एनकाउंटर्स’ पुस्तक साइबर अपराध की गहराइयों में जाकर बारह रोचक कहानियाँ आपके समक्ष प्रस्तुत करते हैं। उत्तराखंड पुलिस के डीजीपी अशोक कुमार राज्य में साइबर अपराध के विरुद्ध योजनाबद्ध लड़ाई लडऩे का अनुभव रखते हैं, और ओ.पी. मनोचा डी.आर.डी.ओ. के पूर्व वैज्ञानिक हैं। दोनों हर कहानी में एक खास किस्म के साइबर अपराध के बारे में बताते हैं, जो एक सच्ची घटना पर आधारित होती है।
अपराध, उसकी जाँच और अपराधियों की गिरफ्तारी के बारे में जानकारी से भरपूर, आँखें खोल देनेवाली यह पुस्तक सभी को अवश्य पढऩी चाहिए।
ISBN: 9789390372409
Pages: 216
Avg Reading Time: 7 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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- Description: यह अपने देश के लिए फाँसी का फन्दा चूम लेने वाले एक क्रान्तिकारी की आत्मकथा है। आप इसे भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के एक प्रामाणिक दस्तावेज की तरह भी पढ़ सकते हैं। बिस्मिल को काकोरी कांड में फाँसी की सजा मिली थी। यह आत्मकथा उन्होंने गोरखपुर जेल की कालकोठरी में बैठकर लिखी थी। क्रान्तिकारी आन्दोलन में कूदने से पहले भी उन्होंने कठिन जीवन जिया था और क्रान्तिकारी जीवन अपनाने के बाद तो संघर्ष ही उनका जीवन हो गया था। इसकी स्पष्ट झलक इस पुस्तक में दिखाई देती है। बिस्मिल ने इसमें अपने ऊपर पड़े आर्य समाजी प्रभावों और उसकी प्रेरणा से आर्य समाज में किए गए अपने कार्यों के बारे में भी बताया है। कांग्रेस के प्रति आकर्षण और आखिरकार क्रान्तिकारी विचारों को अपने अनुकूल पाकर उस राह पर आगे बढ़ने का संक्षेप में ही लेकिन मानीखेज विवरण दिया है। पुस्तक में 1918-19 के मैनपुरी मामले का भी हवाला है जिसमें बिस्मिल भी शामिल थे। उत्तर भारत में यह एक महत्त्वपूर्ण क्रान्तिकारी कार्रवाई थी जिसमें बंगाल के क्रान्तिकारियों की भूमिका नहीं थी। इस मामले में काफी समय तक भूमिगत रहने के बाद बिस्मिल जब बाहर आए तब हिन्दुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन की स्थापना में उन्होंने अग्रणी भूमिका निभाई। इसके बाद ही काकोरी कांड हुआ, जिसमें उन्हें फाँसी की सजा मिली। ये सभी प्रसंग इस पुस्तक में वर्णित हैं। इससे जो सबसे महत्त्वपूर्ण बात स्पष्ट होती है, वह एक क्रान्तिकारी का विकास ही नहीं है, बल्कि उसके विचारों का विकास भी है, जिसमें वह अपने संघर्ष को जन-आन्दोलन बनते देखना चाहता है और उसके लिए साहस के साथ-साथ साहित्य की भूमिका को भी महत्त्वपूर्ण मानता है। आश्चर्य नहीं कि बिस्मिल ने क्रान्तिकारी कार्रवाइयों के साथ-साथ कलम चलाना भी आजीवन जारी रखा। यह आत्मकथा तो उन्होंने अपनी फाँसी के दो दिन पहले पूरी की जो अपने देश से प्यार करने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए पठनीय और संग्रहणीय है।
Vishweshwaraiah
- Author Name:
Dinkar Kumar
- Book Type:

- Description: "मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया महान् भारतीय इंजीनियर, विद्वान्, शिक्षाविद्, राजनेता और मैसूर के दीवान रहे। विश्वेश्वरैया को दीर्घायु का स्वस्थ जीवन मिला। 15 सितंबर, 1860 को जनमे विश्वेश्वरैया को सन् 1955 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ मिला। उन्होंने ब्रिटिश राज के मातहत भी अनेक उच्च राजपदों पर कार्य किया और सदैव जनहित को सर्वोच्च रखा। मैसूर के कृष्ण राज सागर बाँध का निर्माण उन्हीं की देखरेख में हुआ और हैदराबाद के बाढ़ सुरक्षा तंत्र के प्रमुख डिजाइनर वे ही रहे। इसके अलावा उन्होंने अनेक प्रमुख भवन, बाँध व सड़क निर्माण परियोजनाओं का कार्यान्वयन किया। उनके उत्कृष्ट आभियांत्रिक कार्यों के लिए उन्हें ‘ऑर्डर ऑफ दि इंडियन एंपायर’, ‘भारत रत्न’ जैसे दो दर्जन से अधिक प्रतिष्ठित देशी-विदेशी पुरस्कारों और मानद उपाधियों से सम्मानित किया गया। उनकी जन्मतिथि 15 सितंबर को सम्मानस्वरूप ‘अभियंता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। छात्रों, युवाओं तथा सभी आयुवर्गों के पाठकों के लिए पठनीय एक महान् विभूति की उत्कृष्ट जीवनी। "
Lohia : Ek Pramanik Jivani
- Author Name:
Omkar Sharad
- Book Type:

- Description: डॉ. लोहिया के चालीस साल के राजनीतिक जीवन में कभी उन्हें सही मायने में नहीं समझा गया। जब देश ने उन्हें समझा, लोगों की उनके प्रति चाह बढ़ी और उनकी ओर आशा की निगाहों से देखना शुरू किया तो अचानक ही वे चले गए। हाँ, जाते-जाते अपना महत्त्व लोगों के दिलों में जमा गए। लोहिया का महत्त्व! उन्हें गए इतना समय बीत गया, देश की राजनीति में कितना परिवर्तन आ गया, फिर भी आज नए सिरे से लोहिया की ज़रूरत महसूस की जा रही है। यह तो भावी इतिहास ही सिद्ध करेगा कि देश में आए आज के परिवर्तन में लोहिया की क्या भूमिका रही है। लगता है कि लोहिया ऐसे इतिहास-पुरुष हो गए हैं, जैसे-जैसे दिन बीतेंगे, उनका महत्त्व बढ़ता जाएगा। किसी लेखक ने ठीक ही लिखा है—“डॉ. राममनोहर लोहिया गंगा की पावन धारा थे, जहाँ कोई भी बेहिचक डुबकी लगाकर मन और प्राण को ताज़ा कर सकता है।” एक हद तक यह बड़ी वास्तविक कल्पना है। सचमुच लोहिया जी गंगा की धारा ही थे—सदा वेग से बहते रहे, बिना एक क्षण भी रुके, ठहरे। जब तक गंगा की धारा पहाड़ों में भटकती, टकराती रही, किसी ने उसकी ओर ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब मैदानी ढाल पर आकर वह तीव्र गति से बहने लगी तो उसकी तरंगों, उसके वेग, उसके हाहाकार की ओर लोगों ने चकित होकर देखा, पर लोगों को मालूम न था कि उसका वेग इतना तीव्र कि समुद्र से मिलने में उसे अधिक समय न लगा। शायद उस वेगवती नदी को ख़ुद भी समुद्र के इतने पास होने का अन्दाज़ा न था। यह इस देश, समाज और आधुनिक राजनीति का दुर्भाग्य है कि वह महान चिन्तक इस संसार से इतनी जल्दी चला गया। यदि लोहिया कुछ वर्ष और ज़िन्दा रहते तो निश्चय ही सामाजिक चरित्र और समाज संगठन में कुछ नए मोड़ आते। —ओंकार शरद
Alaukik Yogini
- Author Name:
Shambhuratna Tripathi
- Book Type:

- Description: विद्रोह, वैराग्य, विद्वत्ता की विलक्षण विभूति योगिनी राधाबाई रूसी योगिनी मदाम एच.पी. ब्लावतस्की रूसी योगिनी राधाबाई (मदाम एच.पी. ब्लावतस्की) विश्व-इतिहास की अप्रतिम महिला हैं। रूस में जन्म लिया, लेकिन भारतीय योग और ब्रह्मविद्या के लिए जीवन अर्पित किया; सामंती परिवार की सदस्य थीं, लेकिन वैराग्यपूर्ण जीवन अपनाया; अल्पशिक्षित थीं, लेकिन पांडित्यपूर्ण ग्रंथ लिखे; महिला थीं, लेकिन तिब्बत में रहकर योग-साधना द्वारा अलौकिक शक्तियों पर अधिकार किया। लगभग एक शताब्दी पूर्व उनके तेज और ओज से संसार का प्रबुद्ध जगत् आंदोलित हो उठा था। महात्मा गांधी, महाकवि डब्ल्यू.वी. यीट्स, वैज्ञानिक डॉ. सी. कार्टर ब्लैक, कांग्रेस के संस्थापक सर ओ.ए. ह्यूम, दार्शनिक लीड बीटर आदि उनसे बहुत प्रभावित हुए थे तथा डॉ. एनी बेसेंट ने उनको अपना गुरु बनाकर अपने को धन्य माना था। उनका संपूर्ण जीवन साहस और संघर्ष, अलौकिकता और विलक्षणताओं, विद्रोह और वैराग्य, तप और त्याग से आपूरित रहा है। भारतीय संस्कृति की इस अनन्य सेविका और संपोषिका के जीवन का प्रत्येक पृष्ठ उपन्यास से अधिक रोचक, कविता से अधिक सम्मोहक तथा नीति-ग्रंथ से अधिक उद्बोधक है। हिंदी के पाठक इस विराट् व्यक्तित्व के महान् जीवन का पहली बार विस्तृत परिचय प्राप्त करेंगे।
Milkha Singh
- Author Name:
R B Gurubasavaraj
- Book Type:

- Description: DESCRIPTION AWAITED
Gandhi Ki Mezbani
- Author Name:
Muriel Lester
- Book Type:

-
Description:
महात्मा गांधी के अपने विपुल साहित्य और लेखन के अलावा उन पर लिखी गई सामग्री भी विपुल है। फिर भी उन्हें और नज़दीक से जानने-समझने की इच्छा भी शिथिल नहीं पड़ती। उनके समकालीनों के अनेक संस्मरणों में गांधी जी जब-तब सजीव होते रहते हैं। ऐसी ही एक पुस्तक बीसवीं शताब्दी के चौथे दशक में एक अंग्रेज़ महिला ने प्रकाशित की थी जिन्होंने कुछ समय के लिए गांधी जी की मेज़बानी की थी। उसमें इस अनोखे व्यक्ति की सहज मानवीयता, आत्मविश्वास, अपनी दृष्टि और मूल्यों पर हर हालत में अड़े रहने के प्रसंग सहज प्रवाह में आए हैं। एक ऐसे समय में जब हम पश्चिम के आतंक और अनुकरण में मुदित मन लगे हैं, यह पुस्तक उस आतंक से सर्वथा मुक्त एक भारतीय आत्मा को एक बार फिर सामने लाती है और उसका हिन्दी अनुवाद प्रकाशित करते हुए हमें प्रसन्नता है।
—अशोक वाजपेयी
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