Parsi Dharmshala
Author:
Pankaj SwamyPublisher:
Antika Prakashan Pvt. Ltd.Language:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Ratings
Price: ₹ 176.3
₹
215
Available
कहानी में पुराना स्वर्णिम युग अपनी समस्त शक्तियों को व्यय कर समाप्त हो चुका है। अब नया युग अपनी तमाम संभावनाओं के साथ उपस्थित है। पंकज स्वामी नये समय के कारीगर हैं और उनकी दस्तक सुनी गई है। कहानी-लेखन में उन्हें कुल दस वर्ष ही हुए हैं और उनका पर्याप्त स्वागत हुआ। वे अपने कथानकों के लिए दूर नहीं गए, अपने आसपास स्थानीय जीवन में ही कथा सरोकारों की जगहें खोज ली हैं। समाज के सीमांतों पर भटकते, बहिष्कृत, एकाकी पात्र उनकी कहानियों में हैं, ऐसे नागरिक भी हैं जो शोषण की सुरंगों में फँसे हैं। पंकज की हर कहानी का कथानक नया है, और शुक्र है कि वे कहानी को कल्पना लोक या बौद्धिक बुनावट की तर$फ नहीं ले गए। सर्वोपरि है कि कहानी का पाठक हर समय में ठोस कथानक चाहता है। इस पुरानेपन को पंकज ने छोड़ा नहीं है, इसे नया प्रकाश दिया है। 'पारसी धर्मशाला’ एक गुम होती, डूबती मासूम नस्ल और संस्कृति की बेजोड़ कहानी है। इस बिछुड़ती और समय के गर्त में जाती 'पारसी धर्मशाला’ की जि़न्दगी में एक बहादुर व्यक्ति नायक की तरह अब भी जीवित है जो मु$काबला करना भूला नहीं है। पंकज की दूसरी कहानियों में भी अंधेरे हैं पर एक चिरा$ग बराबर जल रहा है। पंकज स्वामी उसी विषय का चयन करते हैं जहाँ वे पहुँच सकते हैं या पहुँच चुके हैं। —ज्ञानरंजन
ISBN: 9788196981501
Pages: 128
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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