Maxim Gorki Ki Lokpriya Kahaniyan
Author:
Maxim GorkiPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 159.2
₹
199
Available
मैक्सिम गोर्की की गणना विश्व के श्रेष्ठ साहित्यकारों में की जाती है। उन्होंने साहित्य की सभी विधाओं—नाटक, कविता, निबन्ध, कहानी आदि—में योगदान दिया, किन्तु वे विशेष रूप से अपने उपन्यास ‘माँ’ एवं अन्य उपन्यासों एवं कहानियों के लिए जाने जाते हैं।</p>
<p>गोर्की की प्रारम्भिक कहानियाँ दो भिन्न-भिन्न शैलियों—रोमांटिक (स्वच्छन्दतावादी) और यथार्थवादी—में लिखी गई हैं। अपनी रोमांटिक कहानियों में उन्होंने जीवन के प्रेरणादायक और उदात्त चित्र प्रस्तुत कर अपने अभावों और दरिद्रता से भरे जीवन की परिस्थितियों को भूलने का प्रयत्न किया है। इसलिए उन्होंने अपनी कल्पना की रंगीनियों से उन्हें सजाया है। ये कहानियाँ मनुष्य के शौर्य, साहस और स्वतंत्रता की भावनाओं से अनुप्राणित हैं और इनमें ऐसे स्वप्नों की अभिव्यक्ति है जो आज की यथार्थता को बेधकर आगामी कल की यथार्थता को देखते हैं। यथार्थवादी कहानियों के कथानक, घटनाएँ और पात्र वास्तविक जीवन से लिए गए हैं। ऐसी समस्याएँ प्रस्तुत की गई हैं, जो हर दिन के जीवन में सामने आ रही थीं, जिनका लेखक को अपने इर्द-गिर्द के जीवन में अनुभव हुआ था और जो तत्कालीन रूस के पुराने सामन्तवादी-पितृसत्तात्मक ढाँचे के टूटने और पूँजीवाद की ओर तीव्र संक्रमण के फलस्वरूप जन्म लेते हुए नए सामाजिक सम्बन्धों, नए रिश्तों का परिणाम था। इनमें जहाँ मध्यम वर्ग के लोगों की कूपमंडूकता, उनके बौद्धिक दैन्य, उनकी उदासीनता, उनकी क्रूरता और संकीर्णता पर ज़ोरदार चोट की गई है, वहीं बुद्धिजीवियों तथा साहित्यकारों पर भी प्रहार किया गया है।</p>
<p>गोर्की ने जीवन के स्वामियों अर्थात् साधन-सम्पन्न शोषक वर्ग के लालच, स्वार्थपरता और उसके मुक़ाबले में ऐसे पात्रों को भी प्रस्तुत किया है जो क्रूर परिस्थितियों के परिणामस्वरूप जीवन के गर्त या तल में पहुँच गए थे। उनमें से कुछ अपने मानवीय लक्षणों को भी खो बैठे थे, किन्तु अधिकांश की आत्मा में उनका मानव जीवित रहा था। गोर्की ने उन सामाजिक परिस्थितियों पर प्रकाश डाला है, उनका विश्लेषण किया है, जो लोगों को पतन की ओर ले जाती हैं, किसी नारी को वेश्या बनने के लिए विवश करती हैं, बच्चों से भीख मँगवाती हैं।
ISBN: 9788183612128
Pages: 172
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Rangeya Raghav
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- Description: रांगेय राघव के कहानी-लेखन का मुख्य दौर भारतीय इतिहास की दृष्टि से बहुत हलचल-भरा विरल कालखंड है, कम मौक़ों पर भारतीय जनता ने इतने स्वप्न और दुःस्वप्न एक साथ देखे थे—आशा और हताशा ऐसे अड़ोस-पड़ोस में खड़ी देखी थी। और रांगेय राघव की कहानियों की विशेषता यह है कि उस पूरे समय की शायद ही कोई घटना हो, जिसकी गूँजें-अनुगूँजें उनमें न सुनी जा सकें। सच तो यह है कि रांगेय राघव ने हिन्दी-कहानी को भारतीय समाज के उन धूल-काँटों-भरे रास्तों, आवारे-लफंडरों-परजीवियों की फक्कड़ ज़िन्दगी, भारतीय गाँवों की कच्ची और कीचड़-भरी पगडंडियों की गश्त करवाई, जिनसे वह भले ही अब तक पूर्णतः अपरिचित न रही हो पर इस तरह हिली-मिली भी नहीं थी; और इन ‘दुनियाओं’ में से जीवन से लबलबाते ऐसे-ऐसे क़द्दावर चरित्र प्रकट किए, जिन्हें हम विस्मृत नहीं कर सकेंगे। ‘गदल’ को क्या कोई भूल सकता है...?
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