Bhoogol Ke Darwaje Par

Bhoogol Ke Darwaje Par

Author:

Tarun Bhatnagar

Language:

Hindi

Category:

Short-story-collections

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Price: ₹ 200

250

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Book Details

तरुण भटनागर हिन्दी के उन थोड़े से रचनाकारों में से हैं जिन्होंने पूर्वग्रहों को तोड़ने तथा नए क्षेत्रों में क़दम रखने का साहस किया, साथ ही अनूठी भाषा से और कहानी में प्रयोग के स्तर पर अपनी सशक्त पहचान बनाई। हिन्दी के समकालीन रचना-संसार में तरुण भटनागर की कहानियों की प्रभावी उपस्थिति की एक माकूल वजह यही है। इन कहानियों में एक तरह का वैविध्यपूर्ण रचना-संसार है जो थोड़ा अलग है और चौंकाता है। नए आस्वाद से भरी-पूरी ये कहानियाँ न सिर्फ़ रोचक हैं, बल्कि पाठक पर अपना सशक्त प्रभाव छोड़ती हैं। विदेशी और अछूती भूमि पर घटती कथाओं से लेकर लोक और मिथकों के गिर्द बुनी गई रचनाओं तक एक विस्तृत फलक इन कहानियों में दीखता है। यह संग्रह भी, जिसमें लेखक की आठ कहानियाँ हैं, इसी तरह से अपनी मुकम्मल जगह बना रहा लगता है। पर इसकी कई आन्तरिक परतें हैं। कुछ ऐसे प्रयोग भी लेखक ने इन कहानियों में किए हैं, जिनसे इनकी एक सुस्पष्ट पहचान बनती है।</p>
<p>ये कहानियाँ कई-कई बार उन जगहों पर पहुँचती हैं, दस्तक देती हैं जो हिन्दी कहानी लेखन में लगभग वर्जित रहे हैं। निश्चय ही यह सायास नहीं है। यह स्पष्टत: असहमति और प्रतिरोध का स्वर ही है जो अन्तत: मनुष्यता के पक्ष में है। ‘पतलून में जेब’, ‘द रॉयल घोस्ट’, ‘भूगोल के दरवाज़े पर’ तथा ‘चाँद चाहता था कि धरती रुक जाए’ इसी तरह की कहानियाँ हैं। इन कहानियों का हिन्दी साहित्य जगत में चर्चित होना भी इसी तरह से यानी लगभग वर्जित से क्षेत्र में सृजनात्मक दख़ल की प्रतिक्रिया के रूप में देखा जाना चाहिए। असहमति और प्रतिक्रिया का जो स्वरूप इन रचनाओं में है, वह एकदम से लाउड न होकर बेहद संवेदनात्मक है। यह बात ख़ासकर जंगलों पर लिखी गई कहानियों के साथ-साथ ‘सब्जेक्ट फ़्लैट नम्बर थर्टी वन’, ‘लॉर्ड इर्विन ने इग्नोर किया’ तथा ‘द रॉयल घोस्ट’ में दीखती है जहाँ अपने फ़ार्म और कंटेंट दोनों स्तरों पर ज़बरदस्त क़िस्म के प्रयोग किए गए हैं। इन प्रयोगों में इतिहास तथा समय के अतिक्रमण हैं तथा दो-तीन कथानकों को उनके धुर विरोधाभासी होने के बावजूद लम्बे क़िस्से में गूँथने की प्रभावकारी युक्ति भी। बावजूद इसके कहानियों की तरलता पर इसका प्रभाव नहीं है। ‘दादी, मुल्तान और टच एंड गो’ एक ऐसे विषय पर आख्यान के रूप में लिखी गई है जिस पर इधर कहानियाँ देखने को नहीं मिलीं।</p>
<p>इन कहानियों में कई तरह के मैटाफ़र हैं, कहने का अनोखापन है और एक भिन्न भाषा विन्यास है जो इकहरा न होकर कई-कई बार बदलता है। संवाद, वृत्तान्त, पात्र और घटनाओं की बेहद कल्पनात्मक और रोचक जुगलबन्दी से लबरेज ये कहानियाँ बेहद रोचक और पठनीय हैं। अपने कहन और असहमति के स्तर पर प्रगतिशील संवेदनात्मक चेतना की ये कहानियाँ जीवन और आम आदमी के संकटों का दस्तावेज़ हैं। काव्यात्मकता से युक्त अत्यन्त सुन्दर भाषा में लिखी गईं ये कहानियाँ हमारे समय के कई अनछुए पहलुओं को सामने लाती हैं। सुख, दु:ख, प्रेम, यातना, संकट, करुणा, त्रासदी, अकेलेपन और हास्य के जिन विविध रंगों को इसके पात्र जी रहे हैं, वे आधुनिक इनसान के अनुभवों और समय का जीवन्त चित्रण करते हैं। ये कहानियाँ अपने कथ्य की सार्थकता, वैविध्य, असहमतियाँ, सरल और प्रवाहपूर्ण भाषा तथा विस्तृत फलक पर मानवीय संवेदनाओं की पड़ताल की कहानियाँ हैं जो नि:सन्देह रोचक हैं और पाठक के अन्तर्मन में इन तमाम वजहों से गूँजती हैं। यह संग्रह निश्चय ही न सिर्फ़ पाठकों को पसन्द आएगा बल्कि अपनी एक प्रभावकारी उपस्थिति भी दर्ज करेगा।

ISBN: 9788126726080

Pages: 116

Avg Reading Time: 4 hrs

Age : 18+

Country of Origin: India

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