Rocket Ki Kahani
Author:
Gunakar MuleyPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Science0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
आतिशबाज़ी में या त्योहारों के अवसरों पर जिन ‘राकेटों’ को उड़ाया जाता है, उनका आविष्कार सदियों पहले हुआ था। मनोरंजन करनेवाले इन छोटे राकेटों में और आदमी को चन्द्रमा तक पहुँचानेवाले आज के भीमकाय राकेटों में सिद्धान्तत: कोई अन्तर नहीं है। आतिशबाज़ी के ‘राकेट’ भी निर्वात में यात्रा कर सकते हैं लेकिन वह इतना शक्तिशाली नहीं होते, इसलिए कुछ मीटर ऊपर जाकर नीचे आ गिरते हैं, परन्तु अब ऐसे राकेट बन चुके हैं जो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र को लाँघते हुए बाह्य अन्तरिक्ष तक पहुँच जाते हैं। यही एक राकेट-यान है जो अन्तरिक्ष में यात्रा कर सकता है। इसी मानव-निर्मित यान ने अन्तरिक्ष-यात्रा के युग का उद्घाटन किया है।
राकेट-यान ने धरती के मानव को चन्द्रमा तक पहुँचाया है। निकट भविष्य में यह यान आदमी को सौर-मंडल के सभी ग्रहों तक पहुँचा देगा, और आगे यही यान आदमी को दूसरे तारों के ग्रहों तक या आकाशगंगाओं की दूरस्थ सीमाओं तक भी लेकर जा सकता है। श्री मुळे ने पी.एस.एल.वी. राकेट-यान शृंखला तक के विकास, निर्माण और उन्हें अन्तरिक्ष में छोड़े जाने की कहानी को इस पुस्तक में बड़ी ही रोचक और सरल भाषा में लिखा है और राकेट विज्ञान के तमाम सैद्धान्तिक तथा व्यावहारिक पहलुओं से पाठकों को अवगत कराया है।
ISBN: 9789381863350
Pages: 108
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: विख्यात वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन (1879-1955 ई.) द्वारा प्रतिपादित आपेक्षिता-सिद्धान्त को वैज्ञानिक चिन्तन की दुनिया में एक क्रन्तिकारी खोज की तरह देखा जाता है। क्वांटम सिद्धान्त के आरम्भिक विकास में भी उनका बुनियादी योगदान रहा है। इन दो सिद्धान्तों ने भौतिक विश्व की वास्तविकता को समझने के लिए नए साधन तो प्रस्तुत किए ही हैं, मानव-चिन्तन को भी बहुत गहराई से प्रभावित किया है। इन्होंने हमें एक नितान्त नए अतिसूक्ष्म और अतिविशाल जगत के दर्शन कराए हैं। अब द्रव्य, ऊर्जा, गति, दिक् और काल के स्वरूप को नए नज़रिए से देखा जाने लगा है।< आपेक्षिता-सिद्धान्त से, विशेषज्ञों को छोड़कर, अन्य सामान्य जन बहुत कम परिचित हैं। इसे एक ‘क्लिष्ट’ सिद्धान्त माना जाता है। बात सही भी है। भौतिकी और उच्च गणित के अच्छे ज्ञान के बिना इसे पुर्णतः समझना सम्भव नहीं है। मगर आपेक्षिता और क्वांटम सिद्धान्त की बुनियादी अवधराणाओं और मुख्य विचारों को विद्यार्थियों व सामान्य पाठकों के लिए सुलभ शैली में प्रस्तुत किया जा सकता है—इस बात को यह ग्रन्थ प्रमाणित कर देता है। न केवल हमारे साहित्यकारों, इतिहासकारों व समाजशास्त्रियों को, बल्कि धर्माचार्यों को भी इन सिद्धान्तों की मूलभूत धारणाओं और सही निष्कर्षों की जानकारी अवश्य होनी चाहिए। आइंस्टाइन और उनके समकालीन यूरोप के अन्य अनेक वैज्ञानिकों के जीवन-संघर्ष को जाने बग़ैर नाजीवाद-फासीवाद की विभीषिका का सही आकलन क़तई सम्भव नहीं है। आइंस्टाइन की जीवन-गाथा को जानना, न सिर्फ़ विज्ञान के विद्यार्थियों-अध्यापकों के लिए, बल्कि जनसामान्य के लिए भी अत्यावश्यक है। आइंस्टाइन ने दो विश्वयुद्धों की विपदाओं को झेला और अमरीका में उन्हें मैकार्थीवाद का मुक़ाबला करना पड़ा। वे विश्व-सरकार के समर्थक थे, वस्तुतः एक विश्व-नागरिक थे। भारत से उन्हें विशेष लगाव था। हिन्दी माध्यम से आपेक्षिता, क्वांटम सिद्धान्त, आइंस्टाइन की संघर्षमय व प्रमाणिक जीवन-गाथा और उनके समाज-चिन्तन का अध्ययन करनेवाले पाठकों के लिए एक अत्यन्त उपयोगी, संग्रहणीय ग्रन्थ—विस्तृत ‘सन्दर्भो व टिप्पणियों’ तथा महत्तपूर्ण परिशिष्टों सहित।
Energy & Humanity
- Author Name:
Dr.Sanjay Rout
- Book Type:

- Description: In Energy & Humanity, author Dr.Sanjay Rout explores the critical intersection between energy and the future of our planet. Through a masterful combination of cutting-edge research, expert analysis, and captivating storytelling, Dr.Sanajy Rout provides readers with a compelling and inspiring vision for a sustainable future. From the history of energy production to the latest developments in renewable energy technologies, Energy & Humanity covers it all. With a keen eye for detail and a deep understanding of the complexities of the energy industry, Dr.Sanjay provides readers with a comprehensive overview of the challenges facing humanity - and offers practical solutions for a more sustainable future. Whether you're an industry expert, an environmentalist, or simply someone who wants to learn more about the critical issues facing our planet, Energy & Humanity is the perfect book for you. So pick up a copy today and discover the incredible power of sustainable energy - for the benefit of both our planet and humanity as a whole.
Pracheen Bharat Mein Vigyan
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: विज्ञान की दृष्टि से प्राचीन भारत विश्व के अग्रणी देशों में रहा है। चिकित्सा के क्षेत्र में ‘चरक-संहिता’ और ‘सुश्रुत-संहिता’ के साथ-साथ संसार-भर में प्रचलित शून्य पर आधारित दाशमिक स्थानमान अंक-पद्धति इसका प्रमाण है। धातुकर्म के क्षेत्र में, दिल्ली में कुतुब मीनार के निकट स्थित सोलह सौ वर्ष पुराना लौह-स्तम्भ भी प्राचीन भारत की वैज्ञानिक चेतना का ज्वलन्त उदाहरण है। यह पुस्तक विज्ञान-विषयों के अग्रणी लेखक गुणाकर मुळे की ओर से भारतीय वैज्ञानिक चेतना के प्रति एक कृतज्ञता-ज्ञापन है। विज्ञान की जटिल गुत्थियों को सरल शब्दों में जन-जन तक पहुँचाने की मुहिम में जीवन-भर कटिबद्ध रहे श्री मुळे ने इस पुस्तक में वेदों में वैज्ञानिक अवधारणाओं से लेकर प्राचीन भारत में गणित के विकास, आयुर्वेद के उद्भव और उन्नयन के साथ-साथ वराहमिहिर और नागार्जुन आदि वैज्ञानिकों के अवदान पर प्रकाश डाला है। भारत में प्लास्टिक सर्जरी के इतिहास पर पुस्तक में एक स्वतंत्र अध्याय रखा गया है। इसके अलावा परिशिष्ट में प्राचीन भारत से सम्बन्धित प्रमुख तिथियों का संकलन किया गया है, जिनसे इस देश की वैज्ञानिक चेतना के विकास का एक समग्र मानचित्र हमारे सामने आ जाता है।
Brahmanda Parichaya
- Author Name:
Gunakar Muley
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- Description: अपने अस्तित्व के उषःकाल से ही मानव सोचता आया है—आकाश के ये टिमटिमाते दीप क्या हैं? क्यों चमकते हैं ये? हमसे कितनी दूर हैं ये? सूरज इतना तेज़ क्यों चमकता है? कौन-सा ईंधन जलता है उसमें? आकाश का विस्तार कहाँ तक है? कितना बड़ा है ब्रह्मांड? कैसे हुई ब्रह्मांड की उत्पत्ति और कैसे होगा इसका अन्त? क्या ब्रह्मांड के अन्य पिंडों पर भी धरती जैसे जीव-जगत् का अस्तित्व है? इस विशाल विश्व में क्या हमारे कोई हमजोली भी हैं, या कि सिर्फ़ हम ही हम हैं? इन सवालों के उत्तर प्राप्त करने के लिए सहस्राब्दियों तक आकाश के ग्रह-नक्षत्रों की गति-स्थिति का अध्ययन किया जाता रहा। विश्व के नए-नए मॉडल प्रस्तुत किए गए। परन्तु विश्व की संरचना और इसके विविध पिंडों के भौतिक गुणधर्मों के बारे में कुछ सही जानकारी हमें पिछले क़रीब दो सौ वर्षों से मिलने लगी है। इसमें भी सबसे ज़्यादा जानकारी पिछली सदी के आरम्भ से और फिर अन्तरिक्ष-यात्रा का युग शुरू होने के बाद से मिलने लगी है। खगोल-विज्ञान हालाँकि सबसे पुराना विज्ञान है, परन्तु ब्रह्मांड की संरचना और इसके विस्तार के बारे में सही सूचनाएँ पिछले क़रीब सौ वर्षों में ही प्राप्त हुई हैं। इस समूची जानकारी का ग्रन्थ में समावेश है। अगस्त 2006 में अन्तरराष्ट्रीय खगोल-विज्ञान संघ ने ‘ग्रह’ की एक नई परिभाषा प्रस्तुत की। इसके तहत सौरमंडल के ‘प्रधान ग्रहों’ की संख्या 8 में सीमित हो गई और प्लूटो, एरीस तथा क्षुद्रग्रह सीरेस अब ‘बौने ग्रह’ बन गए हैं। इस नई व्यवस्था का ग्रन्थ में समावेश है, विवेचन है। यह ‘ब्रह्मांड-परिचय’ ग्रन्थ सम्पूर्ण ज्ञेय ब्रह्मांड का वैज्ञानिक परिचय प्रस्तुत करता है—भरपूर चित्रों, आरेखों व नक़्शे सहित। ग्रन्थ के 12 परिशिष्टों की प्रचुर सन्दर्भ सामग्री इसे खगोल-विज्ञान का एक उपयोगी ‘हैंडबुक’ बना देती है। हिन्दी माध्यम से ब्रह्मांड के बारे में अद्यतन, प्रामाणिक जानकारी चाहने वाले पाठकों के लिए एक अनमोल ग्रन्थ।
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