Kaal Ki Vaigyanik Avdharna

Kaal Ki Vaigyanik Avdharna

Authors(s):

Gunakar Muley

Language:

Hindi

Pages:

172

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

344 mins

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Book Description

काल को किसी सरल व्याख्या में समेटना लगभग असम्भव है। प्रकृति की जिन शक्तियों ने मानव-मन को सबसे ज्‍़यादा आतंकित-विचलित किया है, काल अर्थात् समय उनमें सबसे प्रबल और रहस्यमय है। इसी काल को समझने के क्रम में कैलेंडरों, पंचांगों, तिथियों आदि का विकास हुआ। कल्पों, युगों, सदियों, वर्षों, महीनों, दिनों और घंटों की इकाइयों का आविर्भाव हुआ। लेकिन काल क्या है, इसका कोई बहुत सरल तथा अन्तिम उत्तर आज भी किसी के पास नहीं होता है। हम काल में जीते हैं, उसे अनुभव करते हैं, लेकिन वह है क्या, इसको व्याख्यायित नहीं कर सकते।</p> <p>लोकप्रिय विज्ञान-लेखक गुणाकर मुळे की इस पुस्तक में संगृहीत काल की वैज्ञानिक अवधारणा से सम्‍बन्धित उनके निबन्धों में काल को अलग-अलग आयामों से समझने का प्रयास किया गया है, साथ ही काल-सम्बन्धी चिन्तन के इतिहास तथा कैलेंडरों और पंचांगों के अस्तित्व में आने का वैज्ञानिक ब्यौरा भी दिया गया है। 'काल क्या है?', 'काल का इतिहास', 'कैलेंडरों की कहानी', 'प्राचीन काल के कैलेंडर', 'काल की वैज्ञानिक अवधारणा' तथा 'काल मापने के अन्तरराष्ट्रीय तरीक़े' जैसे समय की सत्ता को अलग-अलग दिशा से जानते-समझते अठारह आलेख इस पुस्तक को हर वर्ग के पाठक के लिए पठनीय तथा संग्रहणीय बनाते हैं।

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