Vigyan, Prakriti Aur Satya
Author:
Deviprasad ChattopadhyayPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Science0 Reviews
Price: ₹ 396
₹
495
Available
विज्ञान, प्रकृति को समझने का एक साधन है, जो सत्य की खोज में लगा रहता है, और यह ज्ञान को अवलोकन, प्रयोग और तर्क पर आधारित करता है, जो समय के साथ विकसित और बदल सकता है।
ISBN: 9788190270958
Pages: 128
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Ankon Ki Kahani
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: प्राचीन काल में हमारा देश ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में संसार के किसी भी दूसरे सभ्य देश से पीछे नहीं था। मध्ययुग में अरब देशों ने और यूरोप के देशों ने भारतीय विज्ञान की बहुत-सी बातें सीखीं। लेकिन यदि पूछा जाए कि विज्ञान के क्षेत्र में संसार को भारत की सबसे बड़ी देन कौन-सी है, तो उत्तर होगा—आज की हमारी अंक-पद्धति। आज की हमारी अंक-पद्धति में केवल दस संकेत हैं—शून्य और नौ अंक-संकेत। इन दस अंक-संकेतों से हम बड़ी-से-बड़ी संख्या लिख सकते हैं। इन दस अंक-संकेतों के अपने स्वतंत्र मान हैं। इसके अलावा, हर अंक-संकेत का, संख्या में उसके स्थान के अनुसार, मान बदलता है। स्थानमान और शून्य की यह धारणा ही इस अंक-पद्धति की विशेषता है। हमें गर्व है कि इस वैज्ञानिक अंक-पद्धति की खोज भारत में हुई है। सारे संसार में आज इसी भारतीय अंक-पद्धति का इस्तेमाल होता है। लेकिन यह अंक-पद्धति मुश्किल से दो हज़ार साल पुरानी है। उसके पहले हमारे देश में और संसार के अन्य देशों में भिन्न-भिन्न अंक-पद्धतियों का इस्तेमाल होता था। आज की इस वैज्ञानिक अंक-पद्धति के महत्त्व को समझने के लिए उन पुरानी अंक-पद्धतियों के बारे में भी जानना ज़रूरी है। इस पुस्तक में मैंने देश-विदेश की पुरानी अंक-पद्धतियों की जानकारी दी है। तदनन्तर, इस शून्य वाली नई अंक-पद्धति के आविष्कार की जानकारी। यह भारतीय अंक-पद्धति पहले अरब देशों में और बाद में यूरोप के देशों में कैसे फैली, इसका भी रोचक वर्णन इस पुस्तक में है निस्सन्देह, हिन्दी में यह अपनी तरह की पहली पुस्तक है जो विद्यार्थियों एवं सामान्य पाठकों के लिए बहुत ही उपयोगी है।
Mendeleev
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: आज यदि हम किसी स्कूल-कॉलेज में रसायन-विज्ञान की प्रयोगशाला या कक्षा में जाएँ, तो वहाँ दीवार पर टँगा हुआ एक चार्ट अवश्य देखने को मिलेगा। यह है—तत्त्वों की ‘आवर्त्त-तालिका’ का चार्ट, जिसकी खोज रूस के महान वैज्ञानिक दिमित्री मेंडेलीफ (1834-1907 ई.) ने 1869 ई. में की थी। इस आवर्त्त-तालिका को देखने से ही तत्त्वों के परमाणु-भार और उनके अन्य कई गुणधर्मों के बारे में तत्काल जानकारी मिल जाती है। मेंडेलीफ के पहले तत्त्वों के अध्ययन में कोई तारतम्यता नहीं थी। मेंडेलीफ ने तत्त्वों को उनके परमाणु-भार के अनुसार सात स्तम्भों की एक तालिका में सजाया, तो उनमें एक नियमबद्धता दिखाई दी। वस्तुजगत में जहाँ पहले अनेकरूपता दिखाई देती थी, उसके मूल में यह अद्भुत एकसूत्रता प्रकट हुई। मेंडेलीफ ने जब आवर्त्त-तालिका की खोज की, तब वैज्ञानिकों को 63 मूलतत्त्व ही मालूम थे। उस समय आवर्त्त-तालिका में कई स्थान अभी ख़ाली थे। लेकिन मेंडेलीफ के जीवनकाल में 86 तत्त्व खोजे जा चुके थे। आज यदि हम आवर्त्त-तालिका को देखें, तो उसमें 110 के आसपास तत्त्व दिखाई देंगे। उसमें आप यह भी देखेंगे कि 101 नम्बर के तत्त्व का नाम ‘मेंडेलेवियम’ है—मेंडेलीफ की महान खोज ‘आवर्त्त-तालिका’ में स्वयं उनके नामवाला एक तत्त्व। मेंडेलीफ का जीवन परिश्रम, लगन, त्याग और सेवाभाव की एक लम्बी कथा है। वे अपने स्वभाव में ही नहीं, वेश-भूषा में भी एक ऋषि-मुनि जैसे दिखते थे। वे एक सफल अध्यापक थे। उनके विद्यार्थी उन्हें बेहद प्यार करते थे। उनकी शवयात्रा में उनके विद्यार्थी एक लम्बे-चौड़े बोर्ड को ऊपर उठाए आगे-आगे चल रहे थे। उस बोर्ड पर अंकित थी मेंडेलीफ की महान खोज-तत्त्वों की आवर्त्त-तालिका। आशा है, विज्ञान के विद्यार्थी, और अध्यापक ‘मेंडेलीफ’ के इस नए संशोधित संस्करण को प्रेरणाप्रद और उपयोगी पाएँगे।
Bhaskaracharya
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: भास्कराचार्य प्राचीन भारत के सबसे महत्त्वपूर्ण गणितज्ञ-खगोलविद् हैं। ईसा की बारहवीं सदी में (1114 ई.), आज से लगभग नौ सौ साल पहले जन्मे भास्कराचार्य ने भारतीय गणित व ज्योतिष को लगभग चरम पर पहुँचा दिया था। विद्वानों का मानना है कि उसके बाद भारत में गणित व ज्योतिष का विकास बहुत कम हुआ। उनकी ‘लीलावती’ पुस्तक के बारे में आज भी गाँवों में बुज़ुर्ग लोग बात करते मिल जाते हैं। इस प्रसंग में एक दिलचस्प घटना का उल्लेख लेखक ने पुस्तक के शुरू में किया भी है। भारत की देशीय वैज्ञानिक चेतना के पैरोकार तथा अन्वेषक गुणाकर मुळे ने गहन अध्यवसाय तथा शोध के बाद भास्कराचार्य के जीवन, व्यक्तित्व तथा कृतित्व से सम्बन्धित कुछ दुर्लभ तथ्यों की खोज कर इस पुस्तक की रचना की, और गणित के क्षेत्र में सदियों पहले किए गए उनके कार्यों को सरल-सुगम भाषा में प्रस्तुत किया है। पुस्तक का एक महत्त्वपूर्ण पक्ष यह है कि इसमें केवल भास्कराचार्य ही नहीं, बल्कि उनके आविर्भाव से पहले भारत में गणित के विकास और उनके बाद की स्थिति की भी विस्तृत विवेचना की गई है जिससे यह पुस्तक भारतीय गणित ज्योतिष के इतिहास का एक विस्तृत सूचनात्मक ख़ाका भी हमें देती है। पुस्तक में भास्कराचार्य की जीवनगाथा के सूत्रों को जोड़ने के अलावा उनकी उपलब्ध पुस्तकों—‘लीलावती’, ‘बीजगणित’, ‘सिद्धान्त शिरोमणि’ तथा ‘करण कुतूहल’—पर विस्तृत अध्याय हैं जिनसे हमें इन पुस्तकों की विषय-वस्तु की सम्यक् जानकारी मिलती है और साथ में है विस्तृत परिशिष्ट। जिससे हमें भारतीय गणित-ज्योतिष के बारे में अद्यतन सूचनाएँ तथा गणित-ज्योतिष के आधुनिक इतिहासकारों आदि का परिचय प्राप्त होता है। मसलन परिशिष्ट के एक अध्याय में बताया गया है कि राजा सवाई जयसिंह द्वारा बनवाई वेधशालाओं के बाद भारत में आकाश के अध्ययन अवलोकन के लिए निर्मित साधनों में कितनी प्रगति हुई है। कहना न होगा कि भारत में गणित-ज्योतिष के विकास-क्रम पर यह एक सम्पूर्ण-ग्रन्थ है। साथ ही यह भी उल्लेखनीय है कि यह स्वर्गीय गुणाकर जी की उन कुछ पुस्तकों में एक है, जिन पर वे अपने अन्तिम दिनों में काम कर रहे थे; हमारा सौभाग्य कि यह पुस्तक उनके ही हाथों पूरी हो चुकी थी।
Antariksh: Ek Nayi Duniya, Ek Naya Bhavishya
- Author Name:
K. Siddhartha
- Book Type:

- Description: अंतरिक्ष हमारी सारी समस्याओं का समाधान कर रहा है। मोबाइल और इंटरनेट उसी के अंश हैं। भारत में चंद्रयान कौ सफलता भारत की अब तक की सबसे बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि है। इसने विज्ञान अर्थव्यवस्था और राजनीतीकरण के बिल्कुल नए आयाम खोल दिए हैं। अंतरिक्ष विज्ञान पर हिंदी में बहुत पुस्तकें नहीं हैं और आसान भाषा में आम पाठकों को समझ में आने लायक शायद ही किसी पुस्तक का नाम स्मृति में आता है। इस पुस्तक की सबसे बड़ी विशेषता इसकी सहज, सरल, आकर्षक और आसानी से कठिन वैज्ञानिक विषय को समझाने की खूबी है। प्रस्तुत पुस्तक में प्रयास किया गया है कि कठिन-से-कठिन अंतरिक्ष शब्दावली को आसान-से-आसान भाषा में किस तरह से पिरोया जाए, जिससे कि उनका मूल अर्थ भी प्रभावित न हो और साधारण पाठक को उसके बारे में पूरी और सही जानकारी भी हासिल हो सके। यह पुस्तक उन सभी उद्यमियों के लिए है, जो अंतरिक्ष को एक अवसर के रूप में देख रहे हैं, जो इस नवीन आयाम का सुख उठाना चाह रहे हैं। यह पुस्तक उन सभी के लिए भी लाभदायक और संग्रहणीय है, जो अंतरिक्ष विज्ञान को जानना चाहते हैं।
Aapeshikta Siddhant Kya Hai
- Author Name:
Lev Landau & yuri Rumer
- Book Type:

- Description: महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन (1879-1955 ई.) द्वारा प्रतिपादित आपेक्षिकता-सिद्धान्त को वैज्ञानिक चिन्तन की दुनिया में एक क्रान्तिकारी खोज की तरह देखा जाता है। इस सिद्धान्त ने विश्व की वास्तविकता को समझने के लिए एक नया साधन तो प्रस्तुत किया ही है, मानव चिन्तन को भी गहराई से प्रभावित किया है। अब द्रव्य, गति, आकाश और काल के स्वरूप को नए नज़रिए से देखा जा रहा है। सन् 1905 में ‘विशिष्ट आपेक्षिकता’ का पहली बार प्रकाशन हुआ, तो इसे बहुत कम वैज्ञानिक समझ पाए थे, इसके बहुत-से निष्कर्ष पहेली जैसे प्रतीत होते थे। आज भी इसे एक ‘क्लिष्ट’ सिद्धान्त माना जाता है। लेकिन इस पुस्तक में आपेक्षिकता के सिद्धान्त को, गणितीय सूत्रों का उपयोग किए बिना, इस तरह प्रस्तुत किया गया है कि इसकी महत्त्वपूर्ण बातों को सामान्य पाठक भी समझ सकते हैं। संसार की कई प्रमुख भाषाओं में अनूदित इस पुस्तक के लेखक हैं, ‘नोबेल पुरस्कार’ विजेता प्रख्यात भौतिकवेत्ता लेव लांदाऊ और उनके सहयोगी यूरी रूमेर। परिशिष्ट में इनका जीवन-परिचय भी दिया गया है। इतिहास-पुरातत्त्व और वैज्ञानिक विषयों के सुविख्यात लेखक गुणाकर मुळे ने सरल भाषा में इस पुस्तक का अनुवाद किया है। कई वैज्ञानिक शब्दों और कथनों को स्पष्ट करने के लिए अनुवादक ने पाद-टिप्पणियाँ भी दी हैं। साथ ही, परिशिष्ट में ‘विशिष्ट शब्दावली’ तथा ‘पारिभाषिक शब्दावली’ के अलावा अल्बर्ट आइंस्टाइन की संक्षिप्त जीवनी भी जोड़ी गई है, चित्रों सहित। हिन्दी माध्यम से ज्ञान-विज्ञान का अध्ययन करनेवाले पाठकों के लिए आपेक्षिकता सिद्धान्त के शताब्दी वर्ष में यह पुस्तक एक अनमोल उपहार की तरह है।
Brahmanda Parichaya
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: अपने अस्तित्व के उषःकाल से ही मानव सोचता आया है—आकाश के ये टिमटिमाते दीप क्या हैं? क्यों चमकते हैं ये? हमसे कितनी दूर हैं ये? सूरज इतना तेज़ क्यों चमकता है? कौन-सा ईंधन जलता है उसमें? आकाश का विस्तार कहाँ तक है? कितना बड़ा है ब्रह्मांड? कैसे हुई ब्रह्मांड की उत्पत्ति और कैसे होगा इसका अन्त? क्या ब्रह्मांड के अन्य पिंडों पर भी धरती जैसे जीव-जगत् का अस्तित्व है? इस विशाल विश्व में क्या हमारे कोई हमजोली भी हैं, या कि सिर्फ़ हम ही हम हैं? इन सवालों के उत्तर प्राप्त करने के लिए सहस्राब्दियों तक आकाश के ग्रह-नक्षत्रों की गति-स्थिति का अध्ययन किया जाता रहा। विश्व के नए-नए मॉडल प्रस्तुत किए गए। परन्तु विश्व की संरचना और इसके विविध पिंडों के भौतिक गुणधर्मों के बारे में कुछ सही जानकारी हमें पिछले क़रीब दो सौ वर्षों से मिलने लगी है। इसमें भी सबसे ज़्यादा जानकारी पिछली सदी के आरम्भ से और फिर अन्तरिक्ष-यात्रा का युग शुरू होने के बाद से मिलने लगी है। खगोल-विज्ञान हालाँकि सबसे पुराना विज्ञान है, परन्तु ब्रह्मांड की संरचना और इसके विस्तार के बारे में सही सूचनाएँ पिछले क़रीब सौ वर्षों में ही प्राप्त हुई हैं। इस समूची जानकारी का ग्रन्थ में समावेश है। अगस्त 2006 में अन्तरराष्ट्रीय खगोल-विज्ञान संघ ने ‘ग्रह’ की एक नई परिभाषा प्रस्तुत की। इसके तहत सौरमंडल के ‘प्रधान ग्रहों’ की संख्या 8 में सीमित हो गई और प्लूटो, एरीस तथा क्षुद्रग्रह सीरेस अब ‘बौने ग्रह’ बन गए हैं। इस नई व्यवस्था का ग्रन्थ में समावेश है, विवेचन है। यह ‘ब्रह्मांड-परिचय’ ग्रन्थ सम्पूर्ण ज्ञेय ब्रह्मांड का वैज्ञानिक परिचय प्रस्तुत करता है—भरपूर चित्रों, आरेखों व नक़्शे सहित। ग्रन्थ के 12 परिशिष्टों की प्रचुर सन्दर्भ सामग्री इसे खगोल-विज्ञान का एक उपयोगी ‘हैंडबुक’ बना देती है। हिन्दी माध्यम से ब्रह्मांड के बारे में अद्यतन, प्रामाणिक जानकारी चाहने वाले पाठकों के लिए एक अनमोल ग्रन्थ।
Suraj Chand Sitare
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: ‘सूरज चाँद सितारे’ गुणाकर मुळे की पहली पुस्तक है जो उन्होंने 1962 में अपने विद्यार्थी जीवन के दौरान लिखी थी। पुस्तक का केन्द्रीय विषय खगोलीय संसार है और इसमें सूर्य, पृथ्वी, चन्द्रमा आदि ग्रहों के अलावा ब्रह्मांड की संरचना, ग्रहों की उत्पत्ति, धूमकेतु और उल्काओं आदि की जानकारी देते हुए हमारे लिए हमेशा रहस्यमय रहे आकाश को जानने-समझने की आधार-पीठिका तैयार की गई है। आकाश में चमकनेवाले असंख्य तारे, सूर्य, चन्द्रमा और आकाशगंगाएँ हमेशा से मनुष्य के मन में कौतूहल और आश्चर्य की सर्जना करते रहे हैं। यह पुस्तक सहज-ग्राह्य भाषा में विज्ञान की जटिल अवधारणाओं की जानकारी देते हुए इस विषय में पाठकों की अनेकानेक जिज्ञासाओं का समाधान प्रस्तुत करती है। वैज्ञानिक चेतना के व्यापक सामाजिक प्रसार-प्रचार की दिशा में गुणाकर जी का यह आरम्भिक प्रयास आज भी जिज्ञासु किशोरों के साथ इस विषय में जानने को उत्सुक पाठकों के लिए अमूल्य उपहार है।
Chemical Innovations
- Author Name:
Dr.Sanjay Rout
- Book Type:

- Description: Chemical Innovations is a book written by Dr. Sanjay Rout, an expert in the field of chemical engineering and technology. In this book, he explores the history of chemical innovations and their impact on modern society. He provides insight into how these advances have shaped our lives today and what potential they hold for our future as well. Dr. Sanjay research focuses on both historical events that brought about significant chaanges in chemistry as well as current topics such as nanotechnology, renewable energy sources, artificial intelligence (AI) technologies and synthetic biology applications to everyday life problems like water purification or drug development processes . His writing style is engaging yet informative; readers can easily understand his explanations while learning something new at the same time! Additionally ,he has included interviews with leading scientists from around the world who offer their perspectives on various aspects of innovation within chemistry . Overall , Chemical Innovations offers an exciting look into one of humanity’s most important fields: Chemistry! With its comprehensive coverage ranging from past achievements to present-day advancements , it serves not only those interested in science but also anyone looking for a deeper understanding about how we use chemicals every day - no matter if you are a student or professional scientist alike ! Whether you want to learn more about some specific topic related to chemistry or just get inspired by stories behind great inventions - this book will certainly be worth your time!
Aakash Darshan
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: धरती का मानव हज़ारों सालों से आकाश के टिमटिमाते दीपों को निहारता आया है। सभी के मन में सवाल उठते हैं—आकाश में कितने तारे हैं? पृथ्वी से कितनी दूर हैं? कितने बड़े हैं? किन पदार्थों से बने हैं? ये सतत क्यों चमकते रहते हैं? तारों के बारे में इन सवालों के उत्तर आधुनिक काल में, प्रमुख रूप से 1920 ई. के बाद, खोजे गए हैं; इसलिए भारतीय भाषाओं में सहज उपलब्ध भी नहीं हैं। प्रख्यात विज्ञान-लेखक गुणाकर मुळे ने इस भारी अभाव की पूर्ति के लिए ही प्रस्तुत ग्रन्थ की रचना की है। आधुनिक खगोल-विज्ञान में आकाश के सभी तारों को 88 तारामंडलों में बाँटा गया है। गुणाकर मुले ने हर महीने आकाश में दिखाई देनेवाले दो-तीन प्रमुख तारामंडलों का परिचय दिया है। साथ में तारों की स्पष्ट रूप से पहचान के लिए भरपूर स्थितिचित्र भी दिए हैं। बीच-बीच में स्वतंत्र लेखों में आधुनिक खगोल-विज्ञान से सम्बन्धित विषयों की जानकारी है, जैसे—आकाशगंगा, रेडियो-खगोल-विज्ञान, सुपरनोवा, विश्व की उत्पत्ति, तारों की दूरियों का मापन आदि। तारामंडलों के परिचय के अन्तर्गत सर्वप्रथम इनसे सम्बन्धित यूनानी और भारतीय आख्यानों की जानकारी है। उसके बाद तारों की दूरियों और उनकी भौतिक स्थितियों के बारे में वैज्ञानिक सूचनाएँ हैं। ग्रन्थ में तारों से सम्बन्धित कुछ उपयोगी परिशिष्ट और तालिकाएँ भी हैं। अन्त में तारों की हिन्दी-अंग्रेज़ी नामावली और शब्दानुक्रमणिका है। संक्षेप में कहें तो ‘आकाश-दर्शन’ एक ओर हमें धरती और इस पर विद्यमान मानव-जीवन की परम लघुता का आभास कराता है, तो दूसरी ओर विश्व की अति-दूरस्थ सीमाओं का अन्वेषण करनेवाली मानव-बुद्धि की अपूर्व क्षमताओं का भी परिचय कराता है। ‘आकाश दर्शन’ वस्तुतः विश्व-दर्शन है।
Bharat Mein Vigyan Aur Takneeki Pragati
- Author Name:
A. Rahman
- Book Type:

- Description: पाश्चात्य विद्वान ऐसा बताते रहे हैं कि विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी पाश्चात्य वस्तु है। इस दृष्टिकोण के अन्तर्गत यह ग्रीस में शुरू हुई और कुछ समय बाद पुन: यूरोप में प्रकट हुई, तब से जो उन्नति हुई वह मानव इतिहास में अद्वितीय है। उनके अनुसार, इस उन्नति से बाक़ी विश्व को लाभ हुआ है। वह आगे बताते हैं कि इस समय यूरोप इस ज्ञान को उन देशों में प्रसारित कर रहा है जिनमें इसे जज़्ब करने की क्षमता है। लेकिन आज हमें जो ऐतिहासिक साक्ष्य उपलब्ध हैं, वह इसके विरुद्ध हैं। इतिहास पर एक सरसरी नज़र दौड़ाने से यह स्पष्ट हो जाता है कि विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी भारतीय संस्कृति के अंश और उसकी सभ्यता का आधार रहे हैं। अपने इतिहास के हर काल में भारतीयों ने विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी में उल्लेखनीय योगदान दिया। यह ज्ञान पूर्णत: उपलब्ध था और विश्व के भिन्न भागों में और भिन्न संस्कृतियों में फैला। पूर्व में चीन और इंडोनेशिया, पश्चिमी एशिया, केन्द्रीय एशिया और यूरोप ने भारत से जो कुछ ग्रहण किया, उससे पर्याप्त लाभ उठाया। अन्धकार युग में और 12वीं से 18वीं सदी के सात सौ वर्षों की अवधि में भारत में संस्कृत, अरबी और फ़ारसी में विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी पर दस हज़ार ग्रन्थ लिखे गए। यह फ़ेहरिस्त अन्तिम नहीं है। इसके अलावा इन भाषाओं और अन्य भारतीय भाषाओं में अनेक ग्रन्थ थे। इसलिए जो अब किया जा रहा है, वह उसी परम्परा का पुनरुद्धार है जिसे औपनिवेशिक राज में भंग कर दिया गया था। आज़ादी के विगत वर्षों ने देश को, जो कभी सिर्फ़ यूरोप को कच्चा माल देता था, विश्व की तीसरी सबसे बड़ी वैज्ञानिक और तकनीकी शक्ति के रूप में रुपान्तरित किया है। भारत आणविक, अन्तरिक्ष, सागरीय और अटलांटिक क्लब में प्रवेश कर चुका है। विज्ञान के विख्यात अध्येता ए. रहमान की यह पुस्तक स्वतंत्र भारत में विज्ञान और तकनीकी प्रगति के विभिन्न आयामों को रेखांकित करती हुई हमें इस प्रगति का एक सम्पूर्ण तथ्यात्मक विवरण उपलब्ध कराती है।
Bhartiya Ank-Paddhati Ki Kahani
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: विश्व संस्कृति को भारत की एक महानतम देन है—दस अंक-संकेतों पर आधारित स्थानमान अंक-पद्धति। आज सारे सभ्य संसार में इसी दशमिक स्थानमान अंक-पद्धति का इस्तेमाल होता है। न केवल यह अंक-पद्धति बल्कि इसके साथ संसार के अनेक देशों में प्रयुक्त होने वाले 1, 2, 3, 9...और शून्य संकेत भी, जिन्हें आज हम ‘भारतीय अन्तरराष्ट्रीय अंक’ कहते हैं, भारतीय उत्पत्ति के हैं। देवनागरी अंकों की तरह इनकी व्युत्पत्ति भी पुराने ब्राह्मी अंकों से हुई है। ‘भारतीय अंक-पद्धति की कहानी’ में भारतीय प्रतिभा की इस महान उपलब्धि के उद्गम और देश-विदेश में इसके प्रचार-प्रसार का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया गया है। साथ ही, अपने तथा दूसरे देशों में प्रचलित पुरानी अंक-पद्धतियों का भी संक्षिप्त परिचय दिया गया है। अन्त में, आजकल के इलेक्ट्रॉनिक गणक-यंत्रों में प्रयुक्त होनेवाली द्वि-आधारी अंक-पद्धति को भी समझाया गया है। इस प्रकार, इस पुस्तक में आदिम समाज से लेकर आधुनिक काल तक की सभी प्रमुख गणना-पद्धतियों की जानकारी मिल जाती है। विभिन्न अंक-पद्धतियों के स्वरूप को भली-भाँति समझने के लिए पुस्तक में लगभग चालीस चित्र हैं। न केवल विज्ञान के, विशेषतः गणित के विद्यार्थी, बल्कि भारतीय संस्कृति के अध्येता भी इस पुस्तक को उपयोगी पाएँगे। हमारे शासन ने ‘भारतीय अन्तरराष्ट्रीय अंकों’ को ‘राष्ट्रीय अंकों’ के रूप में स्वीकार किया है। फिर भी, बहुतों के दिमाग़ में इन ‘अन्तरराष्ट्रीय अंकों’ के बारे में आज भी काफ़ी भ्रम है—विशेषतः हिन्दी-जगत् में। इस भ्रम को सही ढंग से दूर करने के लिए हमारे शासन की ओर से अभी तक कोई पुस्तक प्रकाशित नहीं हुई है। ‘भारतीय अन्तरराष्ट्रीय अंकों’ की उत्पत्ति एवं विकास को वैज्ञानिक ढंग से प्रस्तुत करनेवाली यह हिन्दी में, सम्भवतः भारतीय भाषाओं में, पहली पुस्तक है। ‘भारतीय अंक-पद्धति की कहानी’ एक प्रकार से लेखक की इस माला में प्रकाशित भारतीय लिपियों की कहानी की परिपूरक कृति है। अतः इसे भारतीय इतिहास और पुरालिपि-शास्त्र के पाठक भी उपयोगी पाएँगे।
Adbhut Brahmand
- Author Name:
Chandramani Singh
- Book Type:

- Description: यह पुस्तक ब्रह्माण्ड के बनने की जिज्ञासा, उसके बने रहने की उम्मीद और एक दिन उसके ख़त्म होने की आशंकाओं को तमाम वैज्ञानिक साक्ष्यों और आयामों के परिप्रेक्ष्य में सहज-सरल तरीक़े से प्रस्तुत करती है। ब्रह्माण्ड के रहस्यों, खोजों और उसके क्रिया-कलापों तथा घटनाओं में उलझने और उलझाने के बजाय उनको सुलझाने की दृष्टि का यह एक उत्कृष्ट उदाहरण है. लेखक ने न्यूटन, आइन्स्टीन से लेकर आज के वैज्ञानिकों तक के नियमों, सिद्धान्तों और खोजों के परिप्रेक्ष्य में ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति एवं विकास-क्रम, उसके विशाल होने की सम्भावना, आकाशगंगाओं में घटनाओं के चक्र आदि को काल के भीतर और बाहर देखने के लिए कैनवस की सफल रचना की है। साथ ही, यह पुस्तक ब्रह्माण्ड में कृष्ण पदार्थ और कृष्ण ऊर्जा के अस्तित्व तथा महत्त्व; सममिति और दिक् का स्वरूप; महाविस्फोट की पुनर्रचना; बहुब्रह्माण्डीय परिकल्पना; क्वाण्टम-सिद्धान्त; प्रकृति के मौलिक सिद्धान्तों का एकीकरण; सूत्रिका-सिद्धान्त की भूमिका; ब्रह्माण्डीय संयोग; सौन्दर्यमयी ज्यामिति; गुरुत्व एवं ब्रह्माण्ड आदि पाठों के अन्तर्गत विज्ञान-सम्मत सूत्रों को विश्लेषित और परिभाषित करने की अभिनव दृष्टि प्रदान करती है। 'अद्भुत ब्रह्माण्ड’ ब्रह्माण्ड की अन्तर्गुम्फित सत्ताओं के रहस्य के विपरीत उसके अन्वेषण की एक यथार्थवादी भूमिका रेखांकित करती है जो ब्रह्माण्डिकी में अभिरुचि रखनेवाले पाठकों को अपने वर्तमान और भविष्य के प्रति चेतना-सम्पन्न तो बनाती ही है, हिन्दी में विज्ञान विषयक पुस्तकों की कमी की भरपाई भी करती है।
Disruptive Geology Science
- Author Name:
Dr.Sanjay Rout
- Book Type:

- Description: In Disruptive Geology Science: A Global Perspective ,Dr .Sanjay Rout explains his findings through vivid descriptions of case studies from all over the world where he has studied different types of disruptive events related to geologic changes occurring within regions affected by them first hand including Japan’s 2011 Fukushima Daiichi nuclear disaster resulting from seismic activity causing catastrophic damage throughout its surrounding areas; India’s 2004 tsunami event triggered off Indian Ocean coasts due to shifts along tectonic plates beneath sea levels; USA's Yellowstone National Park experiencing frequent earthquakes since 2017 leading up towards potential volcanic eruption scenarios near future dates etc., just some examples among many others included inside this book providing readers with comprehensive overview regarding current state affairs when it comes down dealing with disruptive phenomena associated Earth Sciences field work nowadays worldwide! Overall , Disruptive Geology Science is an essential read for anyone interested in understanding more about what causes geological disturbances on planet Earth - whether naturally occurring ones (such volcanoes) man made ones (like fracking), & their implications upon nearby communities living close proximity sites where these events take place – so we may better prepare ourselves against any risks posed them time goes one way direction only forward cannot go back ! The author does excellent job presenting complex topics easy understand manner allowing readers gain valuable insight into realm earth sciences critical importance sustainable development global scale going further ahead next century beyond.
Kaisi Hogi 21vin Sadi
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: आज के बालकों को ही 21वीं सदी की ज़िम्मेदारियाँ सँभालनी हैं। 21वीं सदी की परिस्थितियों का सामना करने के लिए ही हमें आज के बच्चों को तैयार करना है। हमारी आज की विविध योजनाएँ भी 21वीं सदी को ध्यान में रखकर ही बननी चाहिए। लेकिन कौन बताएगा हमें 21वीं सदी का भविष्य? फलित-ज्योतिष की पोथियाँ यह भविष्य नहीं बता सकतीं। विज्ञान और टेक्नोलॉजी के नए-नए आविष्कार दुनिया को बड़ी तेज़ी से बदल रहे हैं। इसलिए वैज्ञानिक ही कुछ यक़ीन के साथ हमें भविष्य की परिस्थितियों की जानकारी दे सकते हैं। भविष्य की दुनिया की जानकारी देने के लिए पिछले कुछ दशकों में कुछ गणितीय तरीक़े भी खोजे गए हैं। सबके लिए, विशेषकर आज के बच्चों और तरुणों के लिए, यह जानना ज़रूरी है कि भविष्य में हमें किन संकटों का सामना करना होगा, और इनके क्या हल खोजे जा सकते हैं। पुस्तक में सरल भाषा में बढ़ती आबादी और भोजन की समस्या, ऊर्जा के नए स्रोत, ज्ञान-भंडार का विस्फोट, भविष्य की अन्तरिक्ष-यात्राओं, संचार के साधनों, प्रदूषण के फैलाव आदि के बारे में वैज्ञानिक जानकारी देकर 21वीं सदी में इनसे पैदा होनेवाली परिस्थितियों पर प्रकाश डाला गया है। हर उम्र के लिए एक पठनीय पुस्तक।
Nakshatra Lok
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: हमारी आकाश-गंगा में क़रीब 150 अरब तारे हैं और ज्ञात ब्रह्मांड में हैं ऐसी अरबों आकाश-गंगाएँ। तो क्या अखिल ब्रह्मांड में नक्षत्रों या तारों की संख्या का अनुमान भी लगाया जा सकता है? असम्भव। फिर भी अनजाना नहीं है हमसे हमारा यह नक्षत्र-लोक। पिछले क़रीब डेढ़ सौ वर्षों की खगोल-वैज्ञानिक खोजों ने नक्षत्रों के बारे में अभूतपूर्व तथ्यों का पता लगाया है—उनकी सबसे कम और अधिक की दूरियाँ, तात्त्विक संरचना, ज्वलनशीलता और उनके हृदय में लगातार होती उथल-पुथल—कुछ भी तो रहस्यमय नहीं रह गया है। उनका एक जीवन है और अपने आपसे जुड़ी ‘दुनिया’ में एक सार्थक भूमिका भी। लेखक के शब्दों में तो “ये जन्म लेते हैं, तरुण होते हैं, इन्हें बुढ़ापा आता है और अन्त में इनकी ‘मृत्यु’ भी होती है।” अपने विषय के प्रख्यात विद्वान और सुपरिचित लेखक गुणाकर मुळे ने पूरी पुस्तक को परिशिष्ट के अलावा छह अध्यायों में संयोजित किया है। ये हैं—‘तारों-भरा आकाश’, ‘नक्षत्र-विज्ञान का विकास’, ‘आकाशगंगा : एक विशाल तारक-योजना’, ‘तारों का वर्गीकरण’, ‘तारों का विकास-क्रम’ तथा ‘प्रमुख तारों की पहचान’। परिशिष्ट में उन्होंने आकाश में सर्वाधिक चमकनेवाले बीस तारों की विस्तृत जानकारी दी है और कुछ प्रमुख आँकड़े भी। तारों के इस वैज्ञानिक अध्ययन की मूल्यवत्ता और उद्देश्य के बारे में यदि लेखक के ही शब्दों को उद्धृत करें तो तारों की “एक वैज्ञानिक भाषा है। इस भाषा को आज हम समझ सकते हैं। यह भाषा है—तारों की किरणों की भाषा। अपनी किरणों के माध्यम से तारे स्वयं अपने बारे में हम तक जानकारी भेजते रहते हैं। यह जानकारी हमें फलित-ज्योतिषियों की पोथियों में नहीं, बल्कि वेधशालाओं की दूरबीनों, वर्णक्रमदर्शियों और कैमरों आदि से ही प्राप्त हो सकती है।” साथ ही “मानव-जीवन पर नक्षत्रों के प्रभाव को जन्म-कुंडलियों से नहीं, बल्कि वैज्ञानिक उपकरणों से जाना जा सकता है।” कहने की आवश्यकता नहीं कि यह पुस्तक न केवल हमारे ज्ञान-कोष को बढ़ाती है, बल्कि हमारा वैज्ञानिक संस्कार भी करती है।
Vanodeya
- Author Name:
Maruti Chitampalli
- Book Type:

- Description: वनोदेय वनसम्पदा प्रकृति का अनोखा उपहार है| वर्षा-पानी, कृषि, पशुपालन आदि अन्य उद्योग भी जंगलों के साथ अभिन्न रूप से जुड़े हैं। प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से कई प्रकार के लाभ जंगलों से हमें प्राप्त होते हैं। भारतीय आध्यात्मिक जीवन-दर्शन एवं चिन्तन के पवित्र तथा उदात्त केन्द्र माने जाते हैं ये। इन्हीं सब विशेषताओं के मद्देनज़र अनादि काल से वनांचल बहुमूल्य धरोहर माने जाते रहे हैं। किन्तु विगत कुछेक दर्शकों से हमने इस धरोहर की रक्षा की और पर्याप्त ध्यान नहीं दिया और अभी भी हम इस ओर अनदेखी ही कर रहे हैं। हम जंगलों की निरन्तर नोच-खसोट और हत्या इतनी निर्ममता से कर रहे हैं कि इससे हमारी सहृदयता पर बड़े-बड़े प्रश्नचिन्ह लगते ही जा रहे हैं। प्रकृति के प्रति यह कृतघ्नता अन्ततः समूची मानवता के विनाश का कारण बन सकती है। दुनिया पर मँडरा रहे इन्हीं ख़तरों के बादलों की ओर ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास इस पुस्तक के ज़रिए किया गया है।
Earth Science Progress
- Author Name:
Dr.Sanjay Rout
- Book Type:

- Description: Introducing "Earth Science Progress: Discovering the Wonders of Our Planet", the definitive guide to understanding the Earth's dynamic systems and the cutting-edge research that is driving the field forward.Authored by renowned scientist, Dr.Sanjay Rout, this book takes readers on a journey through the fascinating world of Earth science. With a focus on the latest developments in the field and practical applications, Dr. Rodriguez provides a comprehensive overview of the Earth's geological, atmospheric, and oceanic systems. Some of the topics covered in the book include: The Earth's structure and geological processes The role of plate tectonics in shaping the planet's surface The Earth's atmosphere and climate system The oceanic and coastal environments and their importance for life on Earth The latest advances in remote sensing and geospatial technologies Through clear explanations and real-world examples, this book will inspire readers to develop a deeper appreciation for the wonders of our planet and the complex interplay between its many systems. Whether you are a student, researcher, or simply a curious reader, "Earth Science Progress" is an essential resource for anyone interested in gaining a deeper understanding of the Earth's dynamic processes. Get your copy today and start your journey towards discovering the wonders of our planet!
20vin Sadi Mein Bhautik Vigyan
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

-
Description:
सभी वैज्ञानिक विषयों का मूल भौतिकी है, इसी से जैव-भौतिकी, रसायन-भौतिकी और आनुवंशिकी जैसी विज्ञान-सरणियों का उदय हुआ। भौतिक तकनीकी से ही लेसर और कम्प्यूटर जैसे साधनों की खोज हुई। कहा जाता है कि व्यापक आपेक्षिकता का सिद्धान्त आज तक का सबसे सुन्दर सिद्धान्त रहा है।
आइंस्टाइन के इस क्रान्तिकारी सिद्धान्त के बाद परमाणु का विखंडन सम्भव हुआ और अपार ऊर्जा का स्रोत मनुष्य के हाथ लगा। पिछले नौ दशकों में भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में असाधारण प्रगति हुई है जिसके चलते हम विज्ञान की नई क्रान्ति के द्वार पर खड़े हैं।
हिन्दी में विज्ञान को सरल भाषा में जनसाधारण तक सफलतापूर्वक पहुँचाने वाले गुणाकर मुळे की यह पुस्तक मूलतः 1972 में ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’ में प्रकाशित उनकी लेखमाला का संकलित रूप है। इन लेखों को चित्रों तथा हिन्दी-अंग्रेज़ी पारिभाषिक शब्दावली से समृद्ध कर, और उपयोगी रूप में इस पुस्तक में प्रस्तुत किया गया है।
कहने की ज़रूरत नहीं कि मुळे जी की अन्य पुस्तकों की तरह यह पुस्तक भी न सिर्फ़ विज्ञान में रुचि रखनेवाले पाठकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी, बल्कि साधारण पाठकों में वैज्ञानिक विषयों के प्रति नई रुचि भी जाग्रत करेगी।
भौतिकी के जिन विषयों को इस पुस्तक में समाहित किया गया है, उनमें प्रमुख रूप से सापेक्षवाद और क्वांटम सिद्धान्त, परमाणु ऊर्जा और प्राथमिक कणों की दुनिया के साथ-साथ भौतिक विज्ञानों के भविष्य पर एक सामग्री विश्लेषण भी शामिल है।
Mahan Vaigyanik
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: विज्ञान विषयों के सुप्रसिद्ध लेखक गुणाकर मुळे ने प्रस्तुत पुस्तक में संसार के इक्कीस महान वैज्ञानिकों के जीवन और कर्म का तथ्यपरक शब्दांकन किया है। यहाँ आर्किमीदिज़, कोपर्निकस, गैलिलियो, न्यूटन, मैडम क्यूरी, आइंस्टाइन जैसे वैज्ञानिकों के अतिरिक्त भारत के तीन महान विभूति—सुब्रह्मण्यन् चंद्रशेखर, रामानुजन्, चन्द्रशेखर वेंकट रामन् की जीवन-साधना का भी रोचक आख्यान है। रामानुजन् निस्संदेह एक महान गणितज्ञ थे। बीसवीं शताब्दी के गणितज्ञों में न केवल भारत के अपितु संसार के महान गणितज्ञों में उनका प्रमुख स्थान है। जिस कठिनाई से और अल्पायु में रामानुजन् ने गणितशास्त्र की सेवा की है, वह हमारे लिए एक आदर्श है। इसी प्रकार वेंकट रामन् ने प्रकाश-किरणों के गुण-धर्म से सम्बन्धित अद्भुत खोज की। इस नियम को ‘रामन्-प्रभाव’ के नाम से जाना गया। प्रस्तुत पुस्तक में इन्हीं सब तथ्यों को अत्यंत प्रामाणिक और रोचक तरीके से रखा गया है। भाषा-शैली इतनी सरल और सहज है कि कोई भी पाठक इसे आद्योपांत पढ़े बिना नहीं रहेगा।
Ganit Se Jhalakti Sanskriti
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

- Description: गणित और संस्कृति का अन्योन्याश्रित सम्बन्ध रहा है। अतीत की कौन सी संस्कृति कितनी उन्नत रही है, यह उसकी गणितीय उपलब्धियों से पहचाना जा सकता है। किसी आदिम जनजाति की भौतिक अवस्था इस बात से भी जानी जा सकती है कि वह कहाँ तक गिनती कर सकती है। यूनानियों ने मिस्र से ज्यामितीय जानकारी हासिल करके उसका आगे विकास किया और उसे निगमनात्मक तर्कशास्त्र का इतना सुदृढ़ जामा पहनाया कि यूक्लिड (300 ई.पू.) की ज्यामिति आज भी सारी दुनिया के स्कूलों में पढ़ाई जाती है। ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में संसार को भारत की सबसे बड़ी देन है—शून्य सहित सिर्फ़ दस संकेतों से सारी संख्याएँ लिखने की अंक-पद्धति, जिसका आज सारी दुनिया में व्यवहार होता है। गणित अब एक व्यापक विषय बन गया है। आज गणित के बिना किसी भी विषय का गहन अध्ययन सम्भव नहीं है। भौतिकी, रसायन, आनुवंशिकी आदि अनेक वैज्ञानिक विषयों के लिए गणित का बुनियादी महत्त्व है। इस पुस्तक के लेखक गुणाकर मुळे आजीवन हिन्दी भाषा-भाषी समाज को वैज्ञानिक चेतना से सम्पन्न बनाने का सपना देखते रहे। इसी उद्देश्य को ध्यान में रख उन्होंने अनेकानेक ग्रन्थों की रचना की। गणित और संस्कृति के अन्तर्सम्बन्धों को रेखांकित करनेवाली यह पुस्तक भी उनकी इसी साधना का फल है जिसे पाठक निश्चय ही अत्यन्त उपयोगी पाएँगे।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...