Hadapada Appanna-Lingam

Hadapada Appanna-Lingam

Language:

Hindi

Category:

Religion-spirituality

0 Reviews

Price: ₹ 240

300

Available

Format:

Quantity

-

1

+
About
Book Details

ध्यान करना चाहूँ तो क्या ध्यान करूँ।</p>
<p>मन तेजोहीन धुँधला पड़ गया था, तन शून्य हो गया था।</p>
<p>कायक गुण गल चुका। देह से अहं मिट गया था।</p>
<p>अपने आपसे प्रकाश में झूमते मैं सुखी बनी</p>
<p>अप्पण्णाप्रिय चन्नबसवण्णा॥</p>
<p> </p>
<p>मन याद कर रहा है।</p>
<p>बुरी विषय वासना की ओर मन बहक रहा है।</p>
<p>डाली की चोटी की ओर जा रहा है मन</p>
<p>मन किसी भी नियम में बँधता नहीं,</p>
<p>छोड़ देने पर मन जाता भी नहीं।</p>
<p>अपनी इच्छा पर मनमानी करते मन को नियम में बाँधकर</p>
<p>लक्ष्य में स्थिर करके शून्य में विहरनेवाले</p>
<p>शरणों के चरणों में मैं समा रही</p>
<p>अप्पण्णाप्रिय चन्नबसवण्णा॥</p>
<p>—लिंगम्मा</p>
<p> </p>
<p>घास-फूस-कचरा निकालकर स्वच्छ किए</p>
<p>हुए खेत में कूड़ा-करकट बोनेवाले पागलों की तरह</p>
<p>विषय-सुखों के झूठे भ्रम में लोलुप होकर</p>
<p>तकलीफ़ में पड़नेवाले मनुष्य कैसे जान सकते</p>
<p>महाघन गुरु के स्वरूप को?</p>
<p>मरण बाधा में पड़नेवाले आपको कैसे जान सकते हैं</p>
<p>बसवप्रिय कूडल चन्नबसवण्णा? ॥</p>
<p> </p>
<p>भूख मिटाने अन्न स्वीकार करते हैं,</p>
<p>विषय के मोह में झूठ बोलते हैं,</p>
<p>नए-नए व्यसन में पड़कर</p>
<p>भस्म धारण करके सारा विश्व घूमते हैं।</p>
<p>इस मिथ्या को छोड़कर, माया के धुँधलेपन को दूर किए बिना</p>
<p>नहीं समा सकता हमारा बसवप्रिय कूडल चन्नबसवण्णा॥    </p>
<p>—अप्पण्‍णा

ISBN: 9789389742015

Pages: 96

Avg Reading Time: 3 hrs

Age : 18+

Country of Origin: India

Customer Reviews

0 out of 5

Book

Offers

Best Deal

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat.

whatsapp