Sare-Wadiye-Seena
Author:
Faiz Ahmed 'Faiz'Publisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 159.2
₹
199
Available
ग़मे-ज़माना के गहरे अहसास से पगी नज़्मों-ग़ज़लों और क़तआत के इस संग्रह में फ़ैज़ की 1965 से 1971 के दौरान लिखी रचनाएँ शामिल हैं। ‘लहू का सुराग़’ और ‘ज़िन्दाँ-ज़िन्दाँ शोरे-अनल-हक़’ शीर्षक वे नज़्में भी इसी संकलन में शामिल हैं जिन्हें फ़ैज़ ने कराची में विरोध-प्रदर्शन कर रहे लोगों पर हुई फायरिंग के बाद लिखा था। युद्ध की पृष्ठभूमि में लिखी गई दो प्रसिद्ध नज़्में भी इस किताब का हिस्सा हैं—‘ब्लैक आउट’ और ‘सिपाही का मर्सिया’। शीर्षक कविता ‘सरे-वादिए-सीना’ का विषय तो है ही अरब-इसरायली युद्ध। साल 1967 में पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस पर लिखी गई उनकी बेहद चर्चित नज़्म ‘दुआ’ इस संकलन को ख़ासतौर पर आकर्षक बनाती है जिसमें फ़ैज़ ने मुल्क के अवाम की पीड़ा और स्वप्नों को शब्द दिए थे—‘जिनके सर मुंतज़िरे-तेग़े-जफ़ा हैं उनको/दस्ते-क़ातिल को झटक देने की तौफ़ीक़ मिले।’ हार्ट अटैक शीर्षक कविता उन्होंने 1967 में पड़े दिन के दौरे के बाद लिखी थी। रसूल हम्ज़ातोव की कुछ कविताओं के उनके द्वारा किए गए अनुवाद भी इसी संकलन में आप पढ़ेंगे। उनके व्यक्तित्व और रचनाधर्मिता पर लिख गए दो आलेख भी आप यहाँ पाएँगे जिन्हें उनके नज़दीक रहे विदेशी आलिमों ने लिखा है। इनमें से एक आलेख अलेक्जेंडर सरकोफ़ का भी है जो 1962 में फ़ैज़ की कविताओं के रूसी अनुवाद की भूमिका के रूप में छपा था।
ISBN: 9789360868574
Pages: 112
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Sudhanshu Upadhyaya
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- Description: सुधांशु उपाध्याय की ये कविताएँ भविष्य को जिस रूप में वर्तमानित करती हैं, उससे वर्तमान और भविष्य और व्यतीत का चेहरा त्रिशिरा की तरह दिखाई पड़ने लगता है। वैसे तो कविता अपने समय की संवेदन शून्यता को पहचानने और उसे पूरने का काम करती ही है, बल्कि ऐसा करके ही वे कविताएँ बनती हैं। सुधांशु की इन कविताओं में यह तत्त्व जिस मुहावरे में व्यक्त हुआ है, उसे भाषा की सहज लाक्षणिकता कहा जा सकता है। सुधांशु की विशेषता यह है कि वे ‘घटना’ को काव्य वस्तु में बदलते समय उसकी वास्तविकता का निषेध नहीं करते हैं, बल्कि उसके ‘देश’ को कभी-कभी काल के आयाम से मुक्त कर देते हैं। फलत: मनुष्य की पीड़ा, बेचैनी, खीज, कुढ़न आदि चिन्तनशीलता से भावित होकर ही कविता का रूप ग्रहण करती है। यह संकलन इसका प्रमाण है। गीतों की प्रमुख विशेषता मुहावरों का निर्माण और विकास है। इस संकलन में कवि ने नए मुहावरों को अन्वेषित किया है। मुहावरों का प्रयोग कविता नहीं बनाता, बल्कि मुहावरों का विकास कविता बनाता है। सामान्य शब्द जब अपना कोशीय अर्थ छोड़कर, ‘संकेत बन जाते हैं तो गीत की निर्वचन क्षमता ग्रहीता प्रति ग्रहीता बदलती रहती है। इस संग्रह की कविताओं को काव्य-रूढ़ियों से मुक्त होकर इस अर्थ में पढ़ा जाना चाहिए। ‘वाह’ और ‘आह’ के तत्त्वों से रहित होने के कारण इन कविताओं का महत्त्व बढ़ जाता है। लगभग सभी गीतों में मनुष्य के प्रति गहरी संसक्ति है और इसीलिए मार्मिक चिन्ता भी। सुधांशु अपने पहले संग्रह से ही निरर्थक शब्दों के प्रयोग-प्रवाह से बचते रहे हैं। इस संग्रह में अब वह कवि की आदत हो गया है। इसलिए मैं मानता हूँ कि उनकी कविताओं में ‘उक्तिवैचित्र्य या अनूठापन’ के बजाय बिम्बविधान की क्षमता है। इस अर्थ में वे क़तार से कुछ भिन्न हैं और इसे उनके इस संग्रह से भली-भाँति समझा जा सकता है। —सत्यप्रकाश मिश्र
Clouds and Curses
- Author Name:
Amayraa Sahatiya
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- Book Type:

- Description: a 20-year-old woman makes her debut as an author with clouds and curses, which contains a few sensitive topics. while hoping that the book holds you like the hugs you have been craving for, the poems are the unspoken words of the small-town girl, amayraa. she says, ‘this book is a cathartic attempt for me to get it all out. the things i have experienced, observed and heard are the poems in this book. “clouds and curses” is my medium of expression. i live for art, and it’s the purest way to unfold the essence of who i am.’
Prem Politics
- Author Name:
Prasanna Soni
- Book Type:

- Description: Book
Bhoomija
- Author Name:
Nagarjun
- Rating:
- Book Type:

- Description: राम-कथा में सीता सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पात्र हैं। कथा-विस्तार के केन्द्र में वही प्रमुख हैं। सीता नारी के उद्दाम स्वाभिमान की प्रतीक हैं। सीता का परित्याग जहाँ नारी-शोषण की व्यथा-कथा है, वहीं भूमि से उत्पन्न उस पुत्री का अपनी पवित्रता व शुचिता के प्रमाण हेतु दिव्य आवाहन—जिसके बाद धरती फटती है और वह भू-समाधि ले लेती है—उस शोषण से मुक्ति का चरम है। आज के सर्वाधिक लोकप्रिय एवं वरिष्ठ कवि नागार्जुन ने प्राचीन कथा-प्रसंगों को आधुनिक सन्दर्भों में बड़े ही मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया है। इस प्रबन्धकाव्य में प्रकृति के उद्दीपन रूप के यत्र-तत्र बड़े ही विलक्षण चित्र मिलते हैं। भावों की सहजता तथा यथार्थ से निकटता तो आकर्षित करती ही है, साथ ही छन्द, लय और गति इसे मुग्धकारी पठनीयता प्रदान करते हैं। रचनाकार का विस्तृत परिचय, कथा-प्रसंग, चर्चित पात्र-प्रसंग तथा शब्दार्थों के दिए जाने से ‘भूमिजा’ एक अधिक उपयोगी काव्यकृति बन गई है।
Mere Rashk-E-Qamar
- Author Name:
Fanah Buland Shehri Shoaib Shahid
- Book Type:

- Description: फ़ना बुलन्दशहरी का मूल नाम हनीफ़ मोहम्मद था। आपका बुनियादी ताल्लुक़ उत्तर प्रदेश सूबे के बुलन्दशहर से था। आपकी पैदाइश का वक़्त मुस्तनद तौर बता पाना मुमकिन है, न ही बुलन्दशहर में आपकी पैदाइश की जगह और शिजरा। इसकी वाहिद वजह यही है कि फ़ना साहब एक सूफ़ी शायर थे। और सूफ़ी शायर अपना कलाम सिर्फ़ अपने महबूब के लिए लिखते हैं और ख़ुद को दुनिया से छुपा कर गुमनाम कर लेना उनका तरीक़ा रहा है। आपकी पैदाइश के कुछ बरस बाद ही आप हिजरत करके पाकिस्तान चले गए। शायरी का शौक़ बचपन से था। उस दौर के मशहूर शायर क़मर जलालवी के शागिर्द हो गए। आपका सूफ़ियाना ताल्लुक़ मोहम्मद शरीफ़ मियाँ क़ादरी नक़्शबंदी पीलीभीत से था और आपका आख़िरी वक़्त गुजराँवाला और लाहौर की ख़ानक़ाहों में गुज़रा। यहीं 1 नवम्बर 1986 को आपका इन्तिक़ाल हो गया।
Kavita Ji Kar Dekho
- Author Name:
Ambrish Kumar Singh
- Book Type:

- Description: इस रचना में निराशा की मनोदशाएँ हैं तो आशा का समुचित संचरण भी है। आकर्षण के उन्नत शिखर है तो यत्र-तत्र विकर्षण की विलम्बित घाटियाँ भी हैं। युद्ध उन्माद की विश्रान्ति है तो शान्ति की अथाह गहराई भी है। दीन-हीन निःशक्तता है तो शक्ति का स्वरचित संसार भी है। यहाँ दुःख द्रवित अश्रुपूरित व्यष्टि है तो हर्षोल्लासित सुख समष्टि भी है। यहाँ शाश्वत सत्य जन्म है तो यथार्थ सत्य मृत्यु भी है। प्रथमतः यह रचना इसी द्वैत भाव से सम्पूरित लगती है किन्तु गहन अनुशीलन-परिशीलन के साथ भाव-प्रवण अन्तर्यात्रा में यह द्वैत भाव तिरोहित हो जाता है और तत्त्वमसि का अनन्त भाव एकत्व में समाहित हो जाता है। यहाँ सर्वदा कल्याणकारी नित नूतन सौन्दर्य से अभिप्रेरित शाश्वत सत्य स्थापित है, वामन से विराट, यथार्थ और आदर्श का समन्वय समुपस्थित है जो अन्ततः आनन्द से ब्रह्मानन्द-सहोदर की ओर प्रयाण है। यह रचना स्व से पर की यात्रा में श्रेय और प्रेय से मंडित मौक्तिक खोज है। कवि का यह प्रथम प्रयास श्लाघ्य, वरेण्य और स्तुत्य भी है।
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