Beautiful Poem (Series-1)
Author:
Dr.Sanjay RoutPublisher:
ISL PUBLICATIONSLanguage:
EnglishCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 170
₹
200
Available
Beautiful Poem (Series-1) is a book written by Dr.Sanjay Rout published by ISL Publicaions. It is a collection of poetry based on the theme of 'Love'. It is helpful for all age group people who want to make their life more meaningful and meaningful through nature poetry.
ISBN: 8222665222
Pages: 34
Avg Reading Time: 1 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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Krishnamohan Jha 'Mohan'
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- Description: कृष्णमोहन झा 'मोहन' जीवनक जाहि मोड़ पर अपन बेस अनुभवी कनहा पर कविता केँ उठाक' मैथिली साहित्यक दुनिया मे प्रवेश कयलनि ओइ उमेर तक अबैत-अबैत सामान्य कवि हाँफ' लगैत अछि आ बेसी सँ बेसी अपना केँ दोहराब' लगैत अछि; मुदा मोहन जीक पहिल संग्रह 'ग्लोबल गाम सँ अबैत हकार' पढ़िक' बुझायल जे अपन युगक प्रश्न सँ गाँथल एवं राजनीतिक रूप सँ सचेत ओ एक टा एहेन प्रश्नाकुल कवि छथि जिनक चेतना ग्लोबल सँ ल'क' लोकल धरिक गूँज-अनुगूँज सुनबा लेल उत्सुक छनि।... ओइ दृष्टि सँ ई दोसर संग्रह हिनक पहिल संग्रहक विस्तार एवं पूरक प्रतीत होइत अछि। आइ कविता आ ओकर परिसर मे जे नाना प्रकारक विमर्शक हल्ला सुनाय पड़ैत अछि ओकर अइ संग्रह मे अनुपस्थिति एवं तकरा जगह पर भूमण्डलीकृत दुनिया मे गाम-घरक करुण नियति केँ अनुरेखित करब कृष्णमोहन जीक राजनीतिक समझ छियनि। एकैसम शताब्दीक तेसर दशकक आरंभ मे जीवन-स्थिति तँ एहेन विकट बनि गेल छै जे हिनका सदति 'सोहारीक त'र सँ बजार हुलकी' दैत देखार दै छनि। अइ विध्वंसक वास्तविकताक आगू हिनक कवि बेसी आशावादी बन' मे समर्थ नइँ छनि, मुदा किछु बरख पहिने हकार बनिक' जे दुख लोकक जीवन मे प्रवेश कयने छल ओकर चाँगुर सँ दकचल समय पर अपन रेख खिंचबाक प्रयत्न अइ संग्रहक कविता मे लक्षित कयल जा सकैत अछि। दूरसंचारक विस्फोटक कारणें आइ जीवनक सब क्षेत्र मे एक टा अरुचिकर एकरूपता व्याप्त अछि, जइ सँ कवितो बचल नहि अछि। बिनु अनुभवक एक टा रेडीमेड काव्यबोध प्राय: कविक रचना मे हेलैत देखार दैत अछि। खुशीक बात ई जे कृष्णमोहन झा 'मोहन' अनुभूत संसार सँ अपन अभिव्यक्ति केँ मार्मिक ओ प्रामाणिक बनबैत छथि एवं समकालीन मैथिली कविता केँ अपना तरहें समृद्ध करैत छथि। —कृष्णमोहन झा, सिलचर
Hindi Ki Janpadiya Kavita
- Author Name:
Vidhyaniwas Mishra
- Book Type:

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Description:
जनपदीय कविताओं के इस संकलन को प्रस्तुत करने का एक उद्देश्य यह भी समझा जा सके कि सहज होना कठिन तो है और कृत्रिम होकर सहज होना तो और कठिन है, पर हिन्दी में सहजता उसके भीतर ही अनेक रूपों में पुरइन-पात की तरह पसरी हुई है। उससे अपरिचित होना हिन्दी के लिए गौरव की बात नहीं है। हिन्दी पाठ्यक्रम में लोग तर्क देते हैं कि हिन्दीतर भाषियों के लिए हिन्दी के इतने रूप देना उचित नहीं। यह तर्क लचर है। साहित्य, कोश रखकर नहीं लिखा जाता, न कोई निर्धारित साँचा रखकर लिखा जाता है। साहित्य की भाषा साँचों को तोड़ती है, नए साँचे बनाती है। साहित्य की भाषा ही जीवन्त मानकों का नक़्शा देती है। यह तभी सम्भव होता है जब साहित्य की भाषा में आदान-प्रदान भीतर-बाहर से हो। यदि हिन्दी अपनी अभ्यन्तर शक्ति से अपरिचित रह जाए तो केवल बाहरी प्रभाव को लेकर वह चल नहीं सकती, चलेगी भी तो एक छोटे से वर्ग की भाषा रह जाएगी। हिन्दी की इस अभ्यन्तर शक्ति के विस्तार का निदर्शन इस संकलन में है। इसके संकलनकर्त्ता इन भाषाओं के रचनाकार भी हैं और इनके सुप्रसिद्ध अध्येता भी हैं। प्रत्येक ने अपने-अपने ढंग से भूमिका भी लिखी है।...
हर संग्रह की अपनी सीमा होती है, इसकी भी है, पर यह एक शुरुआत है। मुझे विश्वास है कि महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय का यह आरम्भ शुभ होगा।
—विद्यानिवास मिश्र
Amma Se Batein Aur Kuch Lambi Kavitayan
- Author Name:
Bhagwat Rawat
- Book Type:

- Description: भगवत रावत का काव्य-संसार विविधवर्णी और बहुआयामी है। वे हिन्दी के ऐसे कवि हैं जिन्होंने अपने आत्मीय देसी मुहावरे में कविता को सम्भव किया। छोटी कविताओं से लेकर अनेक लम्बी और प्रयोगमूलक कविताओं तक फैला हुआ उनका काव्य-फलक अत्यन्त व्यापक है। उनकी कविताओं का संसार हमारे समाज के निम्नवर्ग से लेकर मध्यवर्ग तक के उन अति साधारण लोगों की जीवन छवियों का ऐसा रचनात्मक दस्तावेज है जो दुनिया में बची हुई मनुष्यता का जीवन्त साक्ष्य है। यथार्थ की ठोस जमीन पर खड़ी उनकी कविता न तो किसी छद्म क्रान्ति का शंखनाद है, न सबकुछ के नष्ट हो जाने की उदासी और अवसाद। उनमें करुणा की ऐसी ऊर्जा है जिसमें जीवन की महक और उसकी खनक छिपी हुई है। भगवत रावत की कविता रूप और कथ्य के अनेक स्तरों से गुज़रती हुई अपना संसार रचती है। इस दृष्टि से उनकी लम्बी कविताएँ विशेष रूप से द्रष्टव्य हैं। इन कविताओं में उन्होंने बौद्धिकता और आधुनिक जीवन की जटिलताओं को आत्मसात् कर जो सहजता और आत्मीयता अर्जित की है, वह समकालीन हिन्दी कविता की विरल उपलब्धि है। ‘अम्मा से बातें’, ‘नकद उधार’, ‘जो भी पढ़ रहा या सुन रहा है इस समय’, ‘लड़का अजूबा’ से लेकर ‘सुनो हिरामन’ और ‘अथ रूपकुमार कथा’ आदि कविताएँ अपनी तरह के अकेले उदाहरण हैं। उनकी लम्बी कविता ‘कहते हैं कि दिल्ली की है कुछ आबोहवा और’ ने भी न सिर्फ़ साहित्यिक समाज बल्कि व्यापक पाठक समुदाय को आन्दोलित किया है। इन कविताओं को जाने-समझे बिना भगवत रावत के कवि स्वभाव को सम्पूर्णता में पहचानना शायद सम्भव नहीं होगा। यह संग्रह इस दृष्टि से भी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।
SAMUDRA KO BANDHANA ABHI SHESH HAI
- Author Name:
Ghanshyam Tripathi
- Book Type:

- Description: Poems
Rab - O - Nirat Ki Inayat Hai
- Author Name:
Bhuwan Bhaskar
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- Description: Book
Prarthnaye Kuchh is Tarah se Karo
- Author Name:
Mukesh Nirvikar
- Book Type:

- Description: मुकेश निर्विकार की कविताओं में एक जागृत प्रतिरोध के साथ-साथ असीम जिजीविषा प्रतिबिम्बित होती है जो कवि और उसकी कविताओं की शक्ति है। —अश्वघोष, ('निकट' पत्रिका से) मुकेश निर्विकार की कविताओं की विशेषता है कि वह दार्शनिक धरातल पर चीज़ों को देखते हैं, मगर उससे कविता में कहीं भी उलझाव नहीं आने देते। बल्कि, दर्शन विसंगतियों को संघनित कर देखने के काम आता है। उनकी कविताएँ गूढ़ यथार्थ को बहुत पारदर्शी ढंग से सामने लाती हैं। कविताएँ कभी सृष्टि के रहस्यों पर बातें करती हैं तो कभी रोटी की मुश्किलों पर। कवि पूरे जीवन-जगत का सीधा मुकाबला करता है। —मनोज कुमार झा, ('पाखी' पत्रिका से) 'हत्यारी सदी में जीवन की खोज' की कविताओं के ज़रिए कवि ने अंधेरों की पुनर्रचना करते हुए निरन्तर अराजक हो रहे समय के क्रूर-यथार्थ को उजागर किया है। समग्र रूप में सभी कविताएँ जीवन के उजास की कविताएँ हैं। इनमें सर्वत्र एक गहरी आशावादिता के युगबोध का 'अंडर-करेन्ट' है। कई कविताओं का कथ्य तो विचलित कर देने वाला है। विलक्षण काव्य-भाषा के ज़रिए कवि ने ढेरों मौलिक बिम्ब रचे हैं, जिनकी सतरंगी छवियाँ किसी पाठक को सहज ही सम्मोहित कर देती है। मानवीय सरोकारों से जुड़ी और उनके कोमल भावों को दीमक की तरह चाटती क्रूर विसंगतियों का कवि ने सहज ही चित्रण किया है। रोज़ी-रोटी की तलाश में भटकता कामगार हो या महानगरीय जीवन के संत्रास को भोगता आम आदमी, कवि की नज़र हर तरफ है। जनसत्ता कुछ लोग कविता में जीवन की तलाश करते हैं। कुछ लोग कविता में जीवन को ढूँढ़ लेते हैं। मुकेश निर्विकार ने जि़न्दगी को कविता में इस तरह उतारा है कि उनकी कविताएँ दोनों तरह के लोगों के काम आती है। सरल और सहज शब्दों के ज़रिये भी उनकी कविताओं में कटाक्ष का स्वर बुलन्द है। अमर उजाला
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