
Chaand Mein Bhi Daag Hai
Author:
Dilip Kumar Chauhan 'Baaghi'Publisher:
Author'S Ink PublicationsLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 153
₹
180
Available
The title "Chaand Mein Bhi Daag Hai" is written by Dilip Kumar Chauhan "Baaghi" which is a Hindi Poetry Book
ISBN: 978-8194924449
Pages: 100
Avg Reading Time: 3 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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‘पिता की आँख में परायी औरत’, ‘उधारीलाल’, ‘स्कूटर’ और ‘मुझ नातवाँ के बारे में : पाँच प्रेम कविताएँ’ इस संग्रह में शामिल ये कुछ ही कविताएँ पवन करण के कवि की गहराई और ऊँचाई, दोनों का प्रमाण दे देती हैं। ये कविताएँ एक व्यक्ति के रूप में उनकी विस्तृत चेतना और कवि के रूप में उस चेतना को शब्दों में बाँधने, साधने और जन-मन की धारा में प्रवाहित कर देने की क्षमता की साक्षी हैं।
यह विस्मयकारी है कि अक्सर मुख्यधारा की चर्चा में बने रहनेवाले पवन करण कविता के प्रचलित मुहावरों से बिलकुल भी प्रभावित न होते हुए, जीवन के जिस भी इलाक़े में जाते हैं, एक क़तई अपनी तरह की कविता लेकर आते हैं। विषय के चुनाव में भी वे किसी रूढ़ि को आगे नहीं बढ़ाते, न ही किसी धारा का अनुकरण करते; जीवन का सब कुछ उनके लिए कविता है, और हर क्षण वे कवि हैं, हर सम्भव विषय उनके लिए कविता का विषय है। बाज़ार हो, राजनीति हो या सरकारी पाखाना-घर, चाँद हो, वकील हो या अस्पताल के बाहर लगा एक अदना-सा टेलीफ़ोन, वे हर कहीं एक लय तलाश कर लेते हैं जिसमें ये चीज़ें पुनः, और इस बार एक कविता के रूप में, हमारे सामने से गुज़रती हैं। संग्रह की लगभग प्रत्येक कविता इसका सबूत है।
ये कविताएँ उन्हीं लोगों के शब्दों और मुहावरों में बात करती हैं जिनकी ये कविताएँ हैं यानी हम और आप। यहीं हमारे सामने से शुरू होकर और हमारे देखते-ही-देखते हमारी दृष्टि-सीमा से ऊँचे, कहीं अबूझ और अपार होती व्यवस्था के प्रति हमारी प्रतिक्रिया भी इन कविताओं में है, और विषाद भी। हमारे जीने का उछाह भी इनमें है और अवसाद भी। इनमें हमारा बड़ा होना भी है और छोटा होना भी, हमारी हिंसा भी और हमारी करुणा भी।
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