Pukarti Hain Smritiyan
Author:
Anand PachauriPublisher:
Shivna PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 140
₹
175
Available
Book
ISBN: 9788194426691
Pages: 120
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Swapn Samay
- Author Name:
Savita Singh
- Book Type:

-
Description:
‘स्वप्न समय’ सविता सिंह की महत्त्वपूर्ण कविताओं का संग्रह है। इस संग्रह में सविता अपने चिन्तन, सरोकारों, सौन्दर्यबोध व भाषा के विशिष्ट उपकरणों के साथ नए इलाक़ों का सन्धान करती हैं, जोखिम उठाती हैं और आख़िरकार जो मुमकिन करती हैं, वह दुर्लभ है। इन कविताओं की विरलता उस धरातल पर है जहाँ अतीत कवयित्री के अनुभव और अभिप्राय में एक जीवित कारक सरीखा प्रकट होता है; स्मृति एक उद्द्दाम प्रवाह की तरह गहरे अन्तर्संघर्षों से संपृक्त है और सारे रूपाकारों और बिम्बों को सहेजकर एक अनूठी वसुधा को सिरजती है। इन कविताओं में वास्तव-वर्तमान स्वप्न के जिन धागों, रंगों व रंगतों से आच्छादित है वे हिन्दी के सांस्कृतिक बोध को निश्चय ही सम्पन्नतर बनानेवाले हैं।
‘स्वप्न समय’ में हिंसा और करुणा, यथार्थ और कल्पना तथा सार्वजनिक और एकान्तिक की अन्तर्क्रिया का एक द्वन्द्वात्मक रचाव है जो कभी एक प्रगाढ़ और अर्थ-गम्भीर मौन रचता है तो कभी एक संश्लिष्ट निनाद जिसके आशय में स्थायी अनुगूँजों का वास है। यह स्त्री के अस्तित्व और यथार्थबोध की ऐसी समग्र दुनिया है जहाँ यातना, पीड़ा तथा अवसाद के बरक्स आशा-आकांक्षा, स्वप्न और नई निर्मितियों की तृप्ति और उल्लास भी सहज सहजीविता में उपस्थित है। अस्मिताओं की मुक्ति की छटपटाहट और अभिव्यक्ति की उत्कट आकांक्षा के बीच स्त्री-मुक्ति की सार्वभौम आवाज़ ने समाजों और संस्कृतियों में जो जगह बनाई है वह हिन्दी कविता में भी महसूस की जा सकती है। सविता सिंह ने इस नई ज़मीन पर सर्वाधिक सामर्थ्य के साथ अपने काव्य व्यक्तित्व को निर्मित किया है।
‘अपने जैसा जीवन’ और ‘नींद थी और रात थी’ के बाद ‘स्वप्न समय अब उनकी नैसर्गिक शक्तिमत्ता के विलक्षण आख्यान के समान हमारे सम्मुख है। इस संग्रह की कविताओं में अनेक ऐसी कविताएँ हैं जिनमें स्त्री के चेतन, उप-चेतन या अवचेतन की वह अप्रकाशित और नीम-अँधेरी दुनिया है जो ‘प्रकट होकर विकट हो’ जाने को आतुर है। यह दीगर है कि सविता ने इस दुनिया को असीम स्वप्नों में ढालकर स्त्री के कई-कई जन्मों और पुनर्जन्मों की वाहिका, भोक्ता और साक्षी बनने का अभूतपूर्व और सफल उद्यम किया है। स्वप्न समय की कवयित्री का यह काव्य उद्यम इस अर्थ में अप्रतिम है कि यहाँ स्वप्नमयता, फन्तासी और सघन बिम्ब मालाएँ, सब उसी यथार्थ का विस्तार हैं जिसमें ‘अपने जैसा जीवन’ जीते हुए रचना की नवोन्मेष-भरी समृद्धि उपलब्ध की गई है। यही वह कारण है जिससे ‘स्वप्न समय’ की ऊर्जस्वित प्राणवत्ता नितान्त मौलिक है—कालातीत गरिमा से दीप्त और अक्षुण्ण।
Adhunik Rajasthani Kavya
- Author Name:
Rameshwar Dayal Shrimali
- Rating:
- Book Type:

- Description: विद्वान संपादक आज़ादी रै आंदोलण अर आज़ादी आयां पछै रै बिग्साव रै वेला री कोई आधी सदी रै ४० कवियां री टाळवीं कवितावां भेली कर र इण संग्रै नै कविता प्रेमियां सारू ग्रै जोग बनयो है।
Noor Ka Dastoor Ho Tum
- Author Name:
Rameshraaj
- Book Type:

- Description: रमेशराज का ग़ज़ल संग्रह
Kavya Chayanika
- Author Name:
Pramod Kovaprath
- Rating:
- Book Type:

- Description: बिगड़ते पर्यावरण की समस्या आज मनुष्य के लिए भूख के बाद दूसरी सबसे बड़ी समस्या है। भूख जिस तरह एक देह के अस्तित्व के लिए आसन्न ख़तरा होती है, उसी तरह पर्यावरण-विनाश सृष्टि के अस्तित्व के लिए होता है। एक-एक व्यक्ति के रूप में जी रहे हम लोगों की आँखों से वह ख़तरा भले ही इतने स्पष्ट और ठोस रूप में न दिखाई देता हो, और भले ही हम बीच-बीच में प्रकृति द्वारा दी जानेवाली चेतावनियों को नज़रअन्दाज़ करने की ढीठता भी जुटा लेते हों, लेकिन जल, ज़मीन, हवा और हरियाली का सतत क्षरित होता जीवन उन निगाहों से अनचीन्हा नहीं रह जाता जो प्रस्तुत उल्लास की झीनी चदरिया के पार दूर क्षितिज के धुँधलके में लिखी जा रही नाश-विनाश की पटकथाओं की पंक्तियाँ पढ़ लेती हैं, यानी कवियों और रचनाशील हृदयों की निगाहें। यह पुस्तक प्रकृति और कवि के इसी अपने, और समाज की रिश्तेदारियों के धोखादेह प्रपंच से परे, उनके निहायत पवित्र और निजी रिश्ते का दस्तावेज़ है। पाठकगण इस किताब को सरकारों और संस्थाओं के रस्मी पर्यावरण-प्रेम और शुष्क रुदन के काव्यानुवाद के रूप में न लें। यह समष्टि-मन के रचनाकुल और ईमानदार स्नायुओं की पीड़ाजनित प्रतिक्रियाओं का संकलन है जिसमें हिन्दी के नए-पुराने, वरिष्ठ, श्रेष्ठ और सजग रचनाकारों ने प्रकृति के साथ अपनी सम्बन्ध-यात्रा के सबसे चिन्तित क्षणों को वाणी दी है। संग्रह में एक सौ एक समकालीन कविताएँ और पैंतालीस कवि शामिल हैं। कौन छोटा है, कौन बड़ा है, यह सवाल अप्रासंगिक है। क्योंकि कविता का विषय महत्त्वपूर्ण है, समस्याओं की भयंकरता प्रासंगिक है। एक ही त्रासदपूर्ण मुद्दा सबके लिए महत्त्वपूर्ण है। सब में आशंकाएँ हैं तो साथ ही आशाएँ भी हैं। प्रकृति की आसन्न मृत्यु पर चीख़ने के बजाय प्रतिरोध खड़ा करना ये रचनाकार अपना दायित्व समझते हैं।
Ek Jeevan Alag Se
- Author Name:
Rupam Mishra
- Book Type:

- Description: रूपम मिश्र की कविता का वैशिष्ट्य यह है कि वह किसी और की तरह नहीं लिखतीं। हम सभी जानते हैं कि साधारण-सी लगने वाली इस बात की क्या असाधारणता है। कहन की यह मौलिकता उन्हें अपनी अन्तर्वस्तु से मिलती हैं जिसका उत्स वह जनक्षेत्र है जिसके वृत्तान्त उनकी कविता का रूप-रंग तय करते हैं। रूपम अवध के पुरुषवाची लैंडस्केप में औरतों के दुखों और दुविधाओं और द्वन्द्व को मरोड़, उत्ताप और विकलता से कहती तो हैं लेकिन इस कहन में विडम्बना अनुपस्थित नहीं होती। इस तरह वह स्त्री के सन्ताप और उसके संकट का भाववाद नहीं निर्मित करतीं और वजह भी यही होगी कि वह न तो राज्य को बख्शती हैं और न प्रतिगामी मूल्यों को बनाए रखने वाले सामाजिक ढाँचे को, जो सामन्ती सोच-समझ का प्रतिफलन, विस्तार और विद्रूप है। वह उन बहुत कम स्त्री कवियों में हैं जिन्होंने नारी स्वातंत्र्य के बुनियादी प्रत्ययों पर कायम रहते हुए उसकी मुक्ति को भारतीय नागरिकता की बृहत्तर मुक्ति के कार्यभार से अलगाकर नहीं देखा। हिन्दी कविता की समकालीनता में वह लगभग अकेली हैं जो अपनी कविता में अपने इलाके के मनुष्य और मनुष्यता ही नहीं उस भूभाग के सांस्कृतिक पराभव के वर्णन के लिए इलाकाई जबान का बहुत नैसर्गिक और निहितार्थवान उपयोग करती हैं। उनकी कविता को पढ़ना अवध की स्त्रियों की कितनी ही कथाओं और आत्मकथाओं में गूँजते कैद और स्वातंत्र्य, कायरता और प्रतिकार, गलित और नैतिक, परम्परित और अग्रगामी, जड़ीभूत और गतिशील की द्वन्द्वात्मक स्थितियों में पैदा होते सवालों से आप्लावित, विचलित और उत्प्रेरित होना है जहाँ पुरुष वर्चस्व और स्त्री मुखरता का परिपार्श्व अलक्षित नहीं रह पाता। विषम अवस्थितियों में लिखी जाती रूपम मिश्र की कविता और बेहद प्रतिकूल हालात में निर्मित होता और नित निखरता उनका काव्य व्यक्तित्व किसी दन्तकथा से कम नहीं। —देवी प्रसाद मिश्र
Sach, Samay Aur Saakshay
- Author Name:
Shailendra Sharan
- Book Type:

- Description: Book
Dakchal Samay Par Rekh
- Author Name:
Krishnamohan Jha 'Mohan'
- Book Type:

- Description: कृष्णमोहन झा 'मोहन' जीवनक जाहि मोड़ पर अपन बेस अनुभवी कनहा पर कविता केँ उठाक' मैथिली साहित्यक दुनिया मे प्रवेश कयलनि ओइ उमेर तक अबैत-अबैत सामान्य कवि हाँफ' लगैत अछि आ बेसी सँ बेसी अपना केँ दोहराब' लगैत अछि; मुदा मोहन जीक पहिल संग्रह 'ग्लोबल गाम सँ अबैत हकार' पढ़िक' बुझायल जे अपन युगक प्रश्न सँ गाँथल एवं राजनीतिक रूप सँ सचेत ओ एक टा एहेन प्रश्नाकुल कवि छथि जिनक चेतना ग्लोबल सँ ल'क' लोकल धरिक गूँज-अनुगूँज सुनबा लेल उत्सुक छनि।... ओइ दृष्टि सँ ई दोसर संग्रह हिनक पहिल संग्रहक विस्तार एवं पूरक प्रतीत होइत अछि। आइ कविता आ ओकर परिसर मे जे नाना प्रकारक विमर्शक हल्ला सुनाय पड़ैत अछि ओकर अइ संग्रह मे अनुपस्थिति एवं तकरा जगह पर भूमण्डलीकृत दुनिया मे गाम-घरक करुण नियति केँ अनुरेखित करब कृष्णमोहन जीक राजनीतिक समझ छियनि। एकैसम शताब्दीक तेसर दशकक आरंभ मे जीवन-स्थिति तँ एहेन विकट बनि गेल छै जे हिनका सदति 'सोहारीक त'र सँ बजार हुलकी' दैत देखार दै छनि। अइ विध्वंसक वास्तविकताक आगू हिनक कवि बेसी आशावादी बन' मे समर्थ नइँ छनि, मुदा किछु बरख पहिने हकार बनिक' जे दुख लोकक जीवन मे प्रवेश कयने छल ओकर चाँगुर सँ दकचल समय पर अपन रेख खिंचबाक प्रयत्न अइ संग्रहक कविता मे लक्षित कयल जा सकैत अछि। दूरसंचारक विस्फोटक कारणें आइ जीवनक सब क्षेत्र मे एक टा अरुचिकर एकरूपता व्याप्त अछि, जइ सँ कवितो बचल नहि अछि। बिनु अनुभवक एक टा रेडीमेड काव्यबोध प्राय: कविक रचना मे हेलैत देखार दैत अछि। खुशीक बात ई जे कृष्णमोहन झा 'मोहन' अनुभूत संसार सँ अपन अभिव्यक्ति केँ मार्मिक ओ प्रामाणिक बनबैत छथि एवं समकालीन मैथिली कविता केँ अपना तरहें समृद्ध करैत छथि। —कृष्णमोहन झा, सिलचर
My Odyssey
- Author Name:
Apoorva Ravi
- Rating:
- Book Type:

- Description: Every human being traverses through the different stages of life experiencing love, loss, and loneliness. The book, ‘My Odyssey’ speaks about the author's tryst with life, learning to love, encountering loss, and experiencing loneliness. There are instances where the author ‘sees light and hope' in different forms. The book talks about the author’s mental health journey, relationships with people, and herself coupled with her lyrical reflections on life through poems. The author hopes that her book will help people embrace the love that they receive, accept the loss that they encounter, experience the inevitable loneliness with grace, and find hope in the little things of life.
Kabir Granthawali : Parimarjit Paath
- Author Name:
Kabir
- Book Type:

-
Description:
कबीर-पंथियों में जो स्थान ‘बीजक’ का है, अकादमिक हलक़ों में वही स्थान श्यामसुन्दर दास द्वारा सम्पादित ‘कबीर-ग्रंथावली’ का है। तमाम विवादों और असहमतियों के बावजूद आज भी कबीर के प्रामाणिक पाठ के लिए अध्येता ‘ग्रंथावली’ का ही सहारा लेते हैं।
ऐसे में अगर यह पता चले कि ‘ग्रंथावली’ में संकलित कबीर भले ही अन्य संग्रहों के मुक़ाबले ज़्यादा पूरे हों, लेकिन जो पाठ यहाँ प्रकाशित है, उसमें अनेक ऐसी भूलें हैं, जो अर्थ का अनर्थ ही नहीं कर रहीं, बल्कि कवि के मंतव्य को ही उलट दे रही हैं, तो क्या हो...
आश्चर्य नहीं कि लगभग एक सदी से अनेक संस्करणों में व्यवहृत ‘ग्रंथावली’ के इस पक्ष पर प्रो. पुरुषोत्तम अग्रवाल की निगाह रुकी और उन्होंने अपने विशद अध्ययन और कबीर के प्रति अपने असाधारण प्रेम के चलते इसके परिमार्जन का बीड़ा उठाया।
यह संस्करण उसी परिमार्जित एवं शुद्धतम पाठ की प्रस्तुति है जिसका आरम्भ उनकी एक सुदीर्घ भूमिका से होता है। इस भूमिका में प्रो. अग्रवाल ने पाठ-परिमार्जन की इस पूरी श्रम-साध्य प्रक्रिया पर तो प्रकाश डाला ही है, कबीर पर अपने अब तक के अध्ययन से प्राप्त अद्यतन धारणाओं को भी सूत्र रूप में दे दिया है।
पाठकों को ज्ञात ही है कि ‘अकथ कहानी प्रेम की : कबीर की कविता और उनका समय’ (2009) में उन्होंने कबीर के बहाने उस मध्यकाल में भारत की आधुनिकता की पहचान की थी, जो औपनिवेशिक आधुनिकता से पहले ही भारत के लोकवृत्त में प्रकट हो चुकी थी।
‘कबीर-ग्रंथावली’ की इस प्रस्तुति में वे न सिर्फ़ कबीर की वाणी को शुद्धतम रूप में हमें दे रहे हैं, बल्कि कबीर-अध्ययन के इतिहास की गुत्थियों को सुलझाते हुए उन्हें ठीक से पढ़ने-जानने की समझ भी हमें प्रदान कर रहे हैं।
Kya-Kya Toot Gaya Bheetar
- Author Name:
Manoj Kumar Sharma
- Book Type:

-
Description:
जीवन की छोटी-छोटी घटनाओं, विचारों, अपनी विवशता और व्यवस्था की अच्छी-बुरी चीज़ों को आधार बनाकर लिखी गई कविताओं का संग्रह है—‘क्या-क्या टूट गया भीतर’। कवि मनोज कुमार शर्मा ने सामाजिक टूटन की अन्तर्व्यथा को बड़ी सादगी से दर्ज किया है इन कविताओं में।
इनकी प्रतिभा इनके ‘अढ़ाये’ में परिलक्षित होती है जिसमें दो-टूक शब्दों में इन्होंने सामाजिक विद्रूपताओं और विडम्बनाओं पर व्यंग्य किया है। पाठक स्वयं पढ़कर इस बात का अन्दाज़ा लगा सकते हैं। निश्चय ही यह कविता-संग्रह पठनीय और संग्रहणीय कृति है।
Awaz-Beawaz
- Author Name:
Ashok Kumar Pandey
- Book Type:

- Description: ‘आवाज़-बेआवाज़’ की कविताएँ मानवीय और राजनीतिक सरोकारों का एक विशाल वितान रचती हैं। ये एक ऐसे हस्सास मन का प्रतिबिम्ब हैं, जिसकी चिन्ताएँ अपने अध्ययन-कक्ष से लेकर संसार के हर उस कोने तक व्यापती हैं जहाँ मनुष्यता संकट में है, जहाँ सर्वसत्तावादी राजनीति मानव-जीवन को अपना चारा बनाने को उद्यत है। ये एक चिन्तनशील और सजग मस्तिष्क के वे हार्दिक उद्गार हैं जो केवल कविता में ही व्यक्त हो सकते थे। कश्मीर से लेकर फ़लस्तीन और प्रेम की सान्द्र अनुभूतियों से लेकर व्यक्ति के तीक्ष्ण व्यर्थताबोध तक ये कविताएँ अपने सघन शिल्प में एक लम्बी सड़क बनाती हैं जिस पर आप वर्तमान समय की वास्तविकताओं के एक बहुरूपदर्शी सफ़र पर निकलते हैं। राजनीति की मौजूदा भंगिमाओं को ये कविताएँ अकसर ही अचूक ढंग से निडरतापूर्वक रेखांकित करती हैं, और उनके फलितार्थों के प्रति हमें आगाह करती हैं। ‘आवाज़ें पहले से रिकॉर्ड हैं’—यह एक वाक्य ही हमारे इस काल की सर्वाधिक भयावह परिस्थिति को समझने के लिए पर्याप्त है, जहाँ वे तमाम चीज़ें जिनसे जनतंत्र को उम्मीद थी, भीतर से ख़ाली हो गई प्रतीत होती हैं। इन कविताओं के असंख्य बिम्ब और उनका आन्तरिक तनाव देर तक आपके साथ रहता है।
Kavita Ji Kar Dekho
- Author Name:
Ambrish Kumar Singh
- Book Type:

- Description: इस रचना में निराशा की मनोदशाएँ हैं तो आशा का समुचित संचरण भी है। आकर्षण के उन्नत शिखर है तो यत्र-तत्र विकर्षण की विलम्बित घाटियाँ भी हैं। युद्ध उन्माद की विश्रान्ति है तो शान्ति की अथाह गहराई भी है। दीन-हीन निःशक्तता है तो शक्ति का स्वरचित संसार भी है। यहाँ दुःख द्रवित अश्रुपूरित व्यष्टि है तो हर्षोल्लासित सुख समष्टि भी है। यहाँ शाश्वत सत्य जन्म है तो यथार्थ सत्य मृत्यु भी है। प्रथमतः यह रचना इसी द्वैत भाव से सम्पूरित लगती है किन्तु गहन अनुशीलन-परिशीलन के साथ भाव-प्रवण अन्तर्यात्रा में यह द्वैत भाव तिरोहित हो जाता है और तत्त्वमसि का अनन्त भाव एकत्व में समाहित हो जाता है। यहाँ सर्वदा कल्याणकारी नित नूतन सौन्दर्य से अभिप्रेरित शाश्वत सत्य स्थापित है, वामन से विराट, यथार्थ और आदर्श का समन्वय समुपस्थित है जो अन्ततः आनन्द से ब्रह्मानन्द-सहोदर की ओर प्रयाण है। यह रचना स्व से पर की यात्रा में श्रेय और प्रेय से मंडित मौक्तिक खोज है। कवि का यह प्रथम प्रयास श्लाघ्य, वरेण्य और स्तुत्य भी है।
Arambh Hai Prachand
- Author Name:
Piyush Mishra
- Book Type:

-
Description:
हिन्दी फ़िल्मों के गाने अब हिन्दी कविता और उर्दू शायरी का विस्तार-भर नहीं रह गए, अब वे अपने आप में एक स्वतंत्र विधा हैं। उनके लिखने का ढंग अलग है। वे अपनी बात भी अलग ढंग से कहते हैं। उनकी बिम्बों की योजना, शब्दों का चयन और संगीत के साथ उनकी हमक़दमी उन्हें पढ़ी जानेवाली कविता से अलग बनाती है। इसलिए उनको पाठ में देखना भी उन्हें जैसे नए सिरे से जानना होता है।
और ये पीयूष मिश्रा के गाने हैं। पीयूष मिश्रा जो अभिनेता हैं, संगीतकार हैं, और थियेटर के एक बड़े नाम ही नहीं, एक मुहावरा रहे हैं। ये गाने उन्होंने या तो फ़िल्मों के लिए ही लिखे या अपने लिए लिखे और फ़िल्मों ने उन्हें ले लिया। पीयूष मिश्रा की बिम्ब-चेतना का विस्तार बहुत व्यापक है। वे समाज से, देश-विदेश की राजनीति से, व्यक्ति और समाज के आपसी द्वन्द्व से विचलित रहते हैं, उन पर सोचते हैं। और इसलिए जब वे किसी दिए गए फ़िल्म-दृश्य को अपने गीत की लय में विजुअलाइज करते हैं तो उनकी कल्पना उसकी सीमाओं को लाँघकर दूर-दूर तक जाती है। वे सामने मौजूद पात्रों के परिवेश को व्यापक सामाजिक-राजनीतिक सन्दर्भों में रूपायित करते हैं और पर्दे पर मौजूद दृश्य की साक्षी आँखों को सोचने का एक बड़ा परिदृश्य देते हैं। पीयूष मिश्रा के गीत चरित्रों के संवाद नहीं होते, उनकी नियति की व्याख्या होते हैं। ‘गैंग्स ऑफ़ वासेपुर’ और ‘गुलाल’ जैसी फ़िल्मों के गाने हिन्दी फ़िल्म गीतों के इतिहास का एक अलग अध्याय हैं।
Titliyon Ko Udte Dekha Hai
- Author Name:
Madhu Arora
- Book Type:

- Description: Book
Suraj Chand Sitare, Naksh-A-Paa Hain Saare
- Author Name:
Syed Ali Kazim
- Book Type:

-
Description:
अली काज़िम उर्दू के जवाँ-साल और जवाँ-फ़िक्र शायर हैं। शायरी उन्हें विरासत में मिली है। मशहूर शायर और उस्ताद-ए-फ़न सैयद हसन काज़िम उरूज़ की तीसरी नस्ल में हैं। उनके वालिद महमूद काज़िम साहब ख़ुद एक अच्छे शायर और माहिर उरूज़ हैं। अली काज़िम की परवरिश एक ऐसे माहौल में हुई, जहाँ दिन-रात शेर-ओ-अदब की चर्चा थी। उन्हें अदब का बहुत गहराई से मुतालअ करने का मौक़ा तो नहीं मिला, लेकिन घर की गुफ़्तगू और शोअरा की सोहबतों में अदब और शायरी का जो इल्म और शौक़ मिला, वो कम लोगों को नसीब होता है।
शायरी की दुनिया में अली काज़िम की ग़ज़लें तवातुर के साथ उर्दू अख़बारात और रेसायल में शाये होती रही हैं, जिससे उनकी ज़ूदगोई का अन्दाज़ा होता है। अली काज़िम की ग़ज़लों में एक ताज़गी और नयापन है, जिसे पढ़कर मुसर्रत का एहसास होता है :
“वो अकेला रात पर भारी पड़ा कल भी ‘अली’
शम्अ तारे चाँद सब रौशन रहे बेकार में।”
भारी पड़ने और बेकार में रौशन रहने में जो नजाकत, एहसास और ज़बान का लुत्फ़ है, वो बहुत ख़ूबसूरत है। इस तरह आम तौर पर उनके यहाँ इज़हार-ओ-बयान में कोई तसन्ना नहीं है। वो बड़ी सादगी और बेतक़ल्लुफ़ी से अपने जज़्बात और महसूसात को नज़्म कर देते हैं :
“रुसवाई हर क़दम पे मेरे साथ साथ थी
आवाज़ दे के तुम को बुला भी नहीं सका।”
(प्राक्कथन से)
Swadhinata, Pyar : Sándor Petőfi Ki Kavitayein
- Author Name:
Sándor Petőfi
- Book Type:

-
Description:
हंगरी में बच्चे माँ-पिता, खाना-पीना आदि शब्दों के बाद जो शब्द सबसे पहले सीखते हैं, वह है पैतोफ़ी–कवि। उनकी भाषा में शान्दोर पैतोफ़ी, कवि एवं कवि-कर्म के पर्याय हैं। हंगरी के यह अमर कवि हंगरी को आस्ट्रियाई साम्राज्य से मुक्त कराने का आह्वान करते हुए स्वयं रणभूमि में कूद पड़े थे और मात्र 26 वर्ष की आयु में शहीद हो गए थे। वह 1848 का दौर था, जब लगभग सारे यूरोप में राष्ट्रीय स्वाधीनता के लिए क्रान्तियाँ हो रही थीं।
2022 में पैतोफ़ी के जन्म के 200 बरस पूरे हो रहे हैं। इतनी कम उम्र में और लगभग सात साल की अवधि में ही, पैतोफ़ी ने हंगारी साहित्य को कविता, लोकगीत, नाट्य रूपक, पत्र और अनेक महाकाव्यों की जो भेंट दी, उसने हंगारी भाषा और साहित्य में भी अनेक क्रान्तियों की नींव रख दी।
‘स्वाधीनता, प्यार’ में संकलित कविताएँ दर्शाती हैं कि इस आधुनिक कवि ने मूलत: लोकवाणी और लोकगीतों की शैली में निजी, सामाजिक, राजनीतिक, पारिवारिक और सौन्दर्य-प्रेम-मस्ती के कितने-कितने आयामों में प्रवेश किया था। पैतोफ़ी का रचना संसार नृत्य, संगीत, फ़िल्म, काव्य आदि की अजस्र धाराएँ आज भी प्रवाहित कर रहा है।
इन कविताओं में अनुभूति, कल्पना, विचार, आशा-निराशा आदि अनेक भावनाओं का समागम है। विनोद, कटाक्ष, खिलन्दड़ापन, दीवानगी-मस्ती के साथ-साथ, स्वाधीनता के अडिग सेनानी की दृष्टि सामाजिक विषमताओं को उघाड़ती चलती है–दुनिया को एक बेहतर, मानवीय दुनिया बनाने का आह्वान करते हुए।
Kahin Koi Darwaja
- Author Name:
Ashok Vajpeyi
- Book Type:

-
Description:
अशोक वाजपेयी की 2009 से 2012 के दौरान लिखी गई कविताओं का यह संग्रह फिर उनकी अथक जिजीविषा, सयानी और संयत परिवर्तनशीलता, कविता तथा शब्द की सम्भावना और सीमा को स्पष्टता और निर्भीकता से अंकित करने का सशक्त साक्ष्य है। उनका अदम्य जीवनोल्लास और उतना ही उनके अन्तर में बसा अवसाद फिर शब्द-प्रगट है।
वे अपनी लगभग अकेली और अद्वितीय राह नहीं छोड़ते। उस पर आत्मविश्वास से चलते हुए वे कई अप्रत्याशित मानवीय अभिप्राय और दृश्य उकेरते-खोजते हैं। हमारे समय में अन्तःकरण की विफलता, नागरिकों के लहू-रिसते घाव, सदियों से हिलगी हताश प्रार्थनाएँ, अपने निबिड़ शून्य में सिसकता ब्रह्मांड, चकाचौंध के फिसलन-भरे गलियारों में अनसुना विलाप आदि सभी उनकी कविता में दर्ज हैं पर यह उम्मीद भी कि कहीं कोई दरवाज़ा खुलता है। यह कविता नाउम्मीद अँधेरे से इनकार नहीं करती पर उम्मीद का दामन भी नहीं छोड़ती। यह संग्रह एक वरिष्ठ कवि की एक अधसदी से लम्बी कविता-यात्रा का एक नया और भरोसेमन्द मुकाम है।
Nepathy Mein Hansi
- Author Name:
Rajesh Joshi
- Book Type:

- Description: ये कविताएँ पिछले सात आठ बरसों में लिखी गई है । हमारे आसपास इस बीच बहुत तेजी से परिवर्तन हुए हैं । घटनाओं की गीत इतनी तेज और अप्रत्याशित बल्कि कहना चाहिये कि विस्मित कर देने वाली है कि उसे अव- धारणाओं में पकड़ना अगर असंभव नहीं तो कठिन अवश्य हो गया है । दृश्य गहरी मानवीय तकलीफों और बेचैनियों से भरा है । इन कविताओं में .शायद इसके कुछ संकेत मिलें । शायद इसीलिए इन कविताओं में 'मूड्स' की बहुत भिन्नताएं हैं । निराशा, उदासी और उन्माद के इस दृश्य के बीच भी उम्मीद बची है । और यह उम्मीद है, इस देश की विराट श्रमशील जनता-जों बहुत थोड़े में अपना गुजर-बसर करते हुए भी, ज्यादा से ज्यादा जगह को मनुष्य के रहने लायक और सुंदर बनाने में जुटी हैं । ये कविताएँ उस धुँधले उजाले को देख और दिखा सकें ऐसी मेरी इच्छा है ।
Udte Hain Ababeel
- Author Name:
Sushma Naithani
- Book Type:

- Description: Poems
Avalamban
- Author Name:
Manish Shrivastav
- Book Type:

-
Description:
किसी नए कवि की रचना से गुज़रते हुए अक्सर उम्मीद की जाती है कि उसमें कुछ नया होगा लेकिन मनीष श्रीवास्तव की कविताओं के साथ केवल नए होने का भाव नहीं है, यहाँ विविधता है। अपने होने में पूरी विनम्रता के साथ लेकिन रचनात्मक रूप से लगभग अतार्किक। ये कविताएँ कोई नई ज़मीन तोड़ने का दावा नहीं करतीं, कोई नारेबाज़ी नहीं करतीं, चौंकाती भी नहीं—बस, अपने कविता होने को आश्वस्त करती हैं और यह भी कि इन रचनाओं में पुरखे शामिल हैं।
सांस्कृतिक तत्सम शब्दावली और मीर, ग़ालिब, पंत की भाषा परम्परा के रास्ते से ये रचनाएँ ग्लोबल कविता की अवधारणा में प्रवेश पाती हैं। यहाँ हर रचना के साथ कोई एक छाया चलती है—भाषा, काल और कहन के एक ऐसे पृष्ठ-तनाव को फिर-फिर उजागर करती हुई, अपने पूरे संस्कार और संवेदना के साथ, जो किसी एक रचनाकार के लिए इन दिनों असम्भव है।
मनीष पूरे विस्तार के साथ शब्दों को बरतते हैं, एक चौकन्नेपन के साथ, कहीं-कहीं अतिरिक्त सावधानी के साथ भी, लेकिन बाज़ार की माँग के अनुसार तो कुछ भी नहीं। रचना का होना बचा रहे, इसका निर्वाह तो हरेक रचनाकार स्वाभाविक रूप से करता है, लेकिन यह
होना यहाँ किसी अनुशासन की तरह नहीं है।
इन रचनाओं में शब्दों का पड़ोस है जीवन और अन्ततः प्रेम जहाँ ये कविताएँ सहज रूप से खुलती चली जाती हैं।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...