Gujrat Ke Baad
Author:
Jagannath Prasad DasPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
कविता संवेदना और विचार के सहमेल से यथार्थ को उसकी समग्र सम्भावना के साथ व्यक्त करती है। जगन्नाथ प्रसाद दास की कविताओं को पढ़ते हुए निरन्तर अनुभव होता है कि कविता समकालीन यथार्थ के साथ परम्परा के संघर्ष को भी प्रकट करती है। ‘गुजरात के बाद’ की कविताएँ गहन आत्मानुभूति से उपजी हैं। परिवेश का प्रभाव तो है ही, कवि ने स्मृतियों को टटोलते हुए अर्थ की पूँजी सहेजी है।</p>
<p>इन कविताओं में उम्मीद का उजाला है। यह उजाला विषाद के क्षणों में भरोसा दिलाता है। कवि ने हमारे समय के संकटों को कई जगह संकेतित किया है। ‘अरण्य’ की पंक्तियाँ हैं : “वनस्पति की सघनता को भेदकर/लकड़हारे की पदचाप सुनाई पड़ती है/सहज कलरव का अविरल छन्द/हठात् थम जाता है/इतिहास की अन्तिम कथा-सा।”</p>
<p>जगन्नाथ प्रसाद दास की इन मूलत: ओड़िया कविताओं का अनुवाद करते समय राजेन्द्र प्रसाद मिश्र ने कविता की बहुअर्थी प्रकृति का ध्यान रखा है।
ISBN: 9788126726165
Pages: 80
Avg Reading Time: 3 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: मैथिली साहित्यक आधुनिक काल जहिया सँ प्रतिष्ठापित भेल, मैथिलीक साहित्यकार-समाज सेहो एहि मर्मान्तक दृश्य सब केँ साहित्य मे मूर्त करैत रहला अछि। दुनिया जें कि प्रौद्योगिक विकास पर चढ़ैत आइ ग्लोबल विलेज भ' गेल अछि, कोविड-19 नामक अइ महामारीक प्रकोप सेहो मनुष्यक नक्शे-कदम पर चलैत ग्लोबल जटिलता सँ भरल-पुरल साबित भ' रहल अछि। भारत सहित दुनियाक तमाम भाषा मे साहित्यकार लोकनि अइ अभूतपूर्व परिस्थिति केँ शब्दांकित करैत देखल गेला अछि। मैथिली अइ मे पाछू नहि रहल अछि। तारानंद वियोगीक ई संग्रह कविता मे कोरोना-काल केँ दृश्यांकित करबाक चेष्टा थिक। महामारीक फैलाव, एकर चुनौती, मानव-संबंध पर पड़ल एकर असर, व्यवस्था आ विज्ञानक लाचारगी, प्रभावित लोकनिक हाहाकार—सब कथू अइ कविता सब मे जगह-जगह आयल अछि। प्रकृति सँ दूर हटैत उत्तर आधुनिक मनुष्यक सभ्यता केँ ल' क' कतेको ठाम वियोगी कइएक मूलभूत प्रश्न सब उठबैत छथि। प्रकृतिक स्वयं मे की संकेत अछि, आ विकासक पैमाना कोना अपूर्ण अछि, इहो सब प्रसंग ठाम-ठाम आयल अछि। कवि अपने सेहो कोरोना सँ संक्रमित भेला, कठिन परिस्थिति सँ जूझैत स्वास्थ्य-लाभ केलनि। घोर आदंकक दौर मे सेहो ओ रोगग्रस्त अवस्था मे प्रतिदिन कविता-डायरी लिखलनि, सेहो अइ संग्रह मे संगृहीत अछि। ई मनुष्यक जिजीविषाक ज्वलंत निदर्शन बनि क' सोझा आयल अछि। वियोगीक काव्य के सर्वाधिक उल्लेखनीय विशेषता ओकर लोकधर्मिता अछि। हुनक काव्य भाषाक सहजता, सरलता आ बिम्बधर्मिता ओकरा अत्यधिक व्यंजक बनबैत अछि। ओ मर्मस्पर्शी काव्य शिल्पक रचनाकार तँ छथिहे, सब सँ रोचक अछि वियोगीक काव्यभाषा, जकरा लेल ओ सब दिन स्मरण कयल जेता। —केदार कानन
Kaun Hai Aisa Poojari Dair Mein
- Author Name:
Maikash Akbarabadi
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- Description: हिंदी पाठकों के लिए मयकश अकबराबादी के फ़ारसी और उर्दू कलाम का इन्तिख़ाब पहली बार प्रकशित हो रहा है. किताब के संपादक सुमन मिश्र हैं.
Kamayani : Moolpath Evam Teeka
- Author Name:
Vishvambhar 'Manav'
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- Description: ‘कामायनी’ एक महाकाव्य है। इसकी प्रधान पात्र श्रद्धा है। काम की पुत्री होने के कारण उसका दूसरा नाम कामायनी भी है। प्रसाद जी ने इस गरिमामयी नारी को सम्मान देने के लिए ही अपने महाकाव्य का नाम ‘कामायनी’ रखा है। इसकी कथा का आधार ‘ऋग्वेद’, ‘छांदोग्य’ ‘उपनिषद्’, ‘शतपथ ब्राह्मण’ और ‘श्रीमद्भागवत’ है। घटनाओं का चयन प्रसाद ने मुख्यत: ‘शतपथ ब्राह्मण’ से किया है। उसमें मनु, श्रद्धा, इड़ा, किलात और आकुलि के नाम आए हैं। जल-प्लावन की घटना का उसमें कुछ विस्तार से वर्णन है। मनु देव-जाति में उत्पन्न होने पर भी मानवों के आदि पुरुष हैं। इसी से उनमें देवत्व और मानवत्व के सम्मिलित संस्कार पाए जाते हैं। इस पात्र की महत्ता इस बात में निहित है कि उसके माध्यम से देव-संस्कृति के विनाश के उपरान्त मानव-सभ्यता के विकास की कहानी कही गई है। ‘कामायनी’ में मनु, श्रद्धा और इड़ा, मन, हृदय और बुद्धि के प्रतीक हैं। इस दृष्टि से यह कृति अन्त:करण में वृत्तियों के विकास की गाथा भी कहती है। ‘कामायनी’ में सर्गों का नामकरण इन्हीं वृत्तियों के आधार पर हुआ है। यह मानवीय मनोविकारों का विराट रूपक है।
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