Katha Sunate Baalgeet
Author:
RameshraajPublisher:
Rachnaye FulfilledLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 42.5
₹
50
Available
पत्नी को लेने चले मेंढ़कजी ससुराल,
सर से अपने बांधकर एक हरा रूमाल,
एक हरा रूमाल, हाथ में लेकर डंडा,
दिखने में लगते जैसे मथुरा के पंड़ा...
छोटे बच्चों के लिए छोटे, सुंदर बाल गीत
ISBN: RFRRKSBG
Pages: 25
Avg Reading Time: 1 hrs
Age: 0-11
Country of Origin: India
Recommended For You
Digant
- Author Name:
Trilochan
- Book Type:

-
Description:
‘दिगंत’ में कवि त्रिलोचन के कुछ सॉनेट संकलित हैं। हिन्दी में सॉनेट तो प्रसाद, पन्त, निराला आदि अन्य कवियों ने भी लिखे हैं, लेकिन त्रिलोचन ने सॉनेट के रूप में विविध प्रकार के नए प्रयोग कर सॉनेट को हिन्दी कविता में मानो अपना लिया है। जीवन के अनेक प्रसंगों की मार्मिक और व्यंग्यपूर्ण अभिव्यंजना इन कविताओं में हुई है।
त्रिलोचन के सॉनेटों की भावभूमि छायावाद नहीं है, और न प्रयोगवादी ही, यद्यपि भाषा, लय और विन्यास सर्वथा नवीन और चमत्कारपूर्ण हैं। जीवन के वैषम्यों की गहरी चेतना होने के कारण ही त्रिलोचन का दृष्टिकोण आशावादी है और उन्होंने अपनी अनुभूतियों को नई भाषा में ढालकर तीखी अभिव्यक्ति दी है जो सीधे हृदय पर चोट करती है।
—शिवदान सिंह चौहान
Abhi, Bilkul Abhi
- Author Name:
Kedarnath Singh
- Book Type:

-
Description:
'बिकल मन/ठहरो/हम उपेक्षा नहीं करते/किसी की आवाज़ की/और फिर वह/गली/सागर पार/निर्जन, कहीं से भी आए!’
केदार जी सबकी आवाज़ सुनते हैं। प्रकृति का कण-कण। घर का कोना-कोना, मन का रेशा-रेशा; जहाँ भी स्पन्दन है, केदार जी की कविता अपनी पूरी संवेदना के साथ वहाँ पहुँच जाती है। हर स्वर की प्रतिध्वनि को व्यक्त करने को उनके शब्दों का रोम-रोम खुला है। खुलते दिन, उतरती साँझें, गहराती रातें—सभी बिम्ब यहाँ उपस्थित हैं और साथ में है रचने को कवि के आतुर हाथ...
'खोल दूँ यह आज का दिन/जिसे/मेरी देहरी के पास कोई रख गया है/एक हल्दी रँगे/दूरदेशी पत्र-सा...इस सम्पुटित दिन के सुनहले पत्र को/जो द्वार पर गुमसुम पड़ा है/खोल दूँ।’
प्रकृति केदार जी की कविताओं का विषय नहीं, उनकी सहचरी है। वे प्रकृति को देखते भी हैं, उससे उजास भी लेते हैं और उसकी पुनर्रचना भी करते हैं। इसी तरह लोक और उसमें रचा-बसा घर, और घर में बुने हुए रिश्ते—इन सबकी इयत्ता उनके शब्दों के साथ-साथ चलती है, उनसे अपना नया रूप पाती है, एक नई परिभाषा जो हमें नए सिरे से जीने का भरोसा और उम्मीद देती है। घर के रूप में एक ख़ाली कमरा भी उन्हें अपनी पूरी भयावहता में अन्तत: एक सकारात्मक बिन्दु दिखाई देता है जहाँ से वे और हम अपनी नई यात्रा शुरू कर सकते हैं...
'आज भी खड़ा है वह/...मेरी प्रतीक्षा में/बड़े-बड़े डैनों वाला कमरे का दानव...उसे सब ज्ञात है/...इसीलिए कभी कुछ पूछता नहीं है/जब बाहर से आता हूँ/चुपके से क्षत-विक्षत डैने उठाकर/मुझे जगह दे देता है/मानो कहता हो : अब बहुत थक गए हो तुम/योद्धा, विश्राम करो!’
Kavya Chayanika
- Author Name:
Pramod Kovaprath
- Book Type:

- Description: बिगड़ते पर्यावरण की समस्या आज मनुष्य के लिए भूख के बाद दूसरी सबसे बड़ी समस्या है। भूख जिस तरह एक देह के अस्तित्व के लिए आसन्न ख़तरा होती है, उसी तरह पर्यावरण-विनाश सृष्टि के अस्तित्व के लिए होता है। एक-एक व्यक्ति के रूप में जी रहे हम लोगों की आँखों से वह ख़तरा भले ही इतने स्पष्ट और ठोस रूप में न दिखाई देता हो, और भले ही हम बीच-बीच में प्रकृति द्वारा दी जानेवाली चेतावनियों को नज़रअन्दाज़ करने की ढीठता भी जुटा लेते हों, लेकिन जल, ज़मीन, हवा और हरियाली का सतत क्षरित होता जीवन उन निगाहों से अनचीन्हा नहीं रह जाता जो प्रस्तुत उल्लास की झीनी चदरिया के पार दूर क्षितिज के धुँधलके में लिखी जा रही नाश-विनाश की पटकथाओं की पंक्तियाँ पढ़ लेती हैं, यानी कवियों और रचनाशील हृदयों की निगाहें। यह पुस्तक प्रकृति और कवि के इसी अपने, और समाज की रिश्तेदारियों के धोखादेह प्रपंच से परे, उनके निहायत पवित्र और निजी रिश्ते का दस्तावेज़ है। पाठकगण इस किताब को सरकारों और संस्थाओं के रस्मी पर्यावरण-प्रेम और शुष्क रुदन के काव्यानुवाद के रूप में न लें। यह समष्टि-मन के रचनाकुल और ईमानदार स्नायुओं की पीड़ाजनित प्रतिक्रियाओं का संकलन है जिसमें हिन्दी के नए-पुराने, वरिष्ठ, श्रेष्ठ और सजग रचनाकारों ने प्रकृति के साथ अपनी सम्बन्ध-यात्रा के सबसे चिन्तित क्षणों को वाणी दी है। संग्रह में एक सौ एक समकालीन कविताएँ और पैंतालीस कवि शामिल हैं। कौन छोटा है, कौन बड़ा है, यह सवाल अप्रासंगिक है। क्योंकि कविता का विषय महत्त्वपूर्ण है, समस्याओं की भयंकरता प्रासंगिक है। एक ही त्रासदपूर्ण मुद्दा सबके लिए महत्त्वपूर्ण है। सब में आशंकाएँ हैं तो साथ ही आशाएँ भी हैं। प्रकृति की आसन्न मृत्यु पर चीख़ने के बजाय प्रतिरोध खड़ा करना ये रचनाकार अपना दायित्व समझते हैं।
Chautha Shabda
- Author Name:
Parmanand Srivastav
- Book Type:

-
Description:
‘उजली हँसी के छोर पर’ (1960) और ‘अगली शताब्दी के बारे में’ (1981) संग्रहों के बाद परमानंद श्रीवास्तव की कविताओं का तीसरा संग्रह ‘चौथा शब्द’ एक दशक से कुछ अधिक के अन्तराल पर प्रकाशित हो रहा है। कविता के इतिहास में यह बीता हुआ दशक कविता के लिए ही कठिन समय बनकर उपस्थित नहीं हुआ, शब्द या अभिव्यक्ति के सभी रूपों और माध्यमों के लिए और सबसे अधिक मानवीय अस्तित्व के लिए, मनुष्य द्वारा अर्जित समस्त मूल्य सम्पदा के लिए चुनौती बनकर उपस्थित हुआ। यह दौर बीता नहीं है बल्कि आज और अधिक भयावह प्रश्नों और शंकाओं से घिरा है। परमानंद श्रीवास्तव ने कविता के बाहर भी शब्द के पक्ष में, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्ष में, मानवीय मूल्यों के पक्ष में लगातार संघर्ष किया है और कविता के भीतर भी धीमी शान्त ऐन्द्रिकता, राग संवेदना और जीवन के प्रति सहज आसक्ति मात्र से सन्तुष्ट न होकर ऐसा उत्तेजक नाटकीय
शिल्प विकसित किया है जो कविता के पाठकों के रूप में अपने समाज के प्रति सीधा सम्बोधन है।
परमानंद श्रीवास्तव के इस संग्रह में ‘इन दिनों’, ‘साध्वियों’, ‘बटोर’ जैसी कविताएँ अपने कठिनतम समय के मुख्य संकट को न किसी शब्द-छल से छिपाती हैं, न ख़तरनाक ताक़तों को सीधे लक्ष्य करने से बचती हैं। इसके बाद भी परमानंद श्रीवास्तव कविता के अपने विन्यास या रूप-तंत्र के प्रति कितने सजग हैं, इसका अनुमान सहज ही किया जा सकता है। ‘चौथा शब्द’ में उनका अनुभव-संसार अधिक विस्तृत है और स्थितियों, चरित्रों तथा समय की त्रासदियों को देखने-समझने की दृष्टि भी अधिक विकसित और सचेत है। ‘वह अघाया हुआ आदमी‘, ‘फ़ुर्सत में’, ‘अपरिचित', ‘सहपाठी मिले एक दिन’ जैसी कविताएँ एक तरह के कथातन्तु का आश्रय लेती हैं जबकि ‘स्त्री सुबोधनी’ जैसी कविता मानवीय अनुभव और भाषा के स्रोतों तक जाने के लिए एक विलक्षण लोकरंग प्राप्त करती है। स्त्री की यातना के अनुभव प्रत्यक्ष कई कविताओं मे दर्ज हैं। यह कविता भी उसी अनुभव को अतीत की यातनापूर्ण यादों में जोड़कर देखने की सार्थक कोशिश है। परिप्रेक्ष्य-सम्पन्न कविताओं के लिए यह संग्रह ज़रूर ही पाठकों के बीच देर तक चर्चा में रहेगा और शायद आनेवाली कविता का संकेत भी देगा।
O RANGREJ
- Author Name:
Anuradha Chandel 'OS'
- Book Type:

- Description: Poems
Gangatat
- Author Name:
Gyanendrapati
- Book Type:

-
Description:
आज के महत्त्वपूर्ण हिन्दी कवियों की पंक्ति में ज्ञानेन्द्रपति का होना कविता की कुछ विरल क़िस्में ईजाद करनेवाले एक ऐसे कवि का होना है जिसे दुनिया की हर वस्तु काव्य-सम्भावना से युक्त लगती है। ज्ञानेन्द्रपति की कविताओं में जनपदीय आभा है, स्थानीयता का गौरव है, आंचलिकता का उजास है तथा जीवन और जगत को मथने-भेदनेवाले समकालीन मुद्दों की अनिवार्य अनुगूँज है। वे अपने पसन्दीदा कवियों के यहाँ जिस जीवन-द्रव्य की मौज़ूदगी की बात करते हैं, उनकी कविताओं में उसकी भरपूर उपस्थिति महसूस की जा सकती है। वस्तुनिष्ठता की शर्तों पर कविता की एकरस रीतिबद्धता से अलग राह बनाते हुए ज्ञानेन्द्रपति ने अपने जीवनावलोकनों से बहुधा मनुष्य को केन्द्र में रखते हुए अनेक चरित्रों, पदार्थों, स्थितियों एवं मानवीय उपस्थितियों में परकाया-प्रवेश किया है।
एक दौर में जहाँ राजनीतिक तेवर वाली कविताएँ ही विशेषकर कवियों की पहचान के लिए रेखांकित की जाती थीं, ज्ञानेन्द्रपति ने कविता को निरे राजनीतिक प्रवाह में बहने न देकर उसे अपनी कवि-प्रतिभा से अपने समय की मानवीय कार्रवाई में बदलने का आह्वान किया। ज्ञानेन्द्रपति के लिए कविता कवि की कथनी नहीं, करनी है। इस सदी की कालांकित और कालजयी-सिद्ध होनेवाली कविता लिख रहे ज्ञानेन्द्रपति वस्तुत: निराला और मुक्तिबोध की सजग कवि-चेतना के प्रातिनिधिक कवि के रूप में उभरे हैं।
ज्ञानेन्द्रपति के कवि की विशिष्टता इस बात तक सीमित नहीं है कि उन्होंने वस्तुनिष्ठता के साथ अपने समय के अनुभवों को कविता में साधा-सिरजा और बहुवस्तुस्पर्शी बनाया है, बल्कि इसलिए भी है कि किसी अलौकिक या धार्मिक सत्ता पर आस्तिकता/आस्था का कंधा टिकाए बग़ैर भारतीय जीवन-संस्कृति के मूलाधारों को कवितालोकित कर उन्होंने हमारे इस विश्वास को ही पुख़्ता किया है कि भारतीयता से छिन्नमूल होकर एक भारतीय कवि का अपना रचनाधार जैसे-तैसे भले ही बन जाए, किन्तु उसका जनाधार व्यापक नहीं हो सकता। इस संक्रान्ति-वेला में अपने समय-समाज की चिन्हारी के लिए ही नहीं, बल्कि उद्वेलित करनेवाले उरा आनन्द के लिए भी, जो भाषिक सृजनात्मकता के बल पर कविता के ही दिए-किए सम्भव है, इस संकलन की कविताएँ हिन्दीभाषी जनता द्वारा पीढ़ी-दर-पीढ़ी पढ़ी जाएँगी।
Tumhari Hansi Sadaneera
- Author Name:
Mukesh Nema
- Book Type:

- Description: अपने बारे में क्या बताऊँ! दस सितंबर चौसठ के दिन केसली ज़िला सागर म.प्र. में पैदा हुआ। पिताजी सरकारी नौकरी में थे, उनकी देखा-देखी पढ़ने में दिलचस्पी जगी। बचपन की हर शाम खंडवा में माणिक्य वाचनालय में गुज़री। किताबें पढ़ने के अलावा कुछ किया ही नहीं मैंने। कॉलेज की पढ़ाई नरसिंहपुर में हुई। इक्कीस का होने पर बैठे-ठाले पीएससी दी और तेईस साल में सरकारी अफ़सर हो गया और फिर एक बेहद सुंदर, शिष्ट और भद्र लड़की मेरे जीवन में आई, राजेश्वरी। दो बच्चे हैं, रोहित और राधा। आजकल एडिशनल कमिश्नर एक्साइज़ मध्यप्रदेश हूँ और जीवन ठीक-ठीक बीत रहा है। अपनी लिखी कविताओं के बारे में क्या कहूँ... इनमें से अधिकांश प्रेम के आसपास रक़्स करती हैं और वह इसलिये कि प्रेम मेरे जीवन का सबसे चमकदार रंग है। ये कविताएँ सप्रयास लिखी गई रचनायें नहीं, बस मेरे अंदर ये बह निकली हैं। आप इनमें बौद्धिकता तलाशेंगे तो शायद निराश हों। ये बस प्रेम जानती हैं और उसी का प्रशस्ति गान करती हैं। मेरी कविताओं में मेरा सुंदर परिवार है, भरोसेमंद रिश्ते हैं, बचपन के दोस्त हैं, आकाश अपने नीले रंग के साथ मौजूद है और साफ़-सुथरी नदियाँ भी बहती हैं। ये उम्मीदों से भरी हैं और रोने-पीटने में भरोसा नहीं करतीं। ये ऐसी इसलिये हैं क्योंकि, ये वही कहती हैं, जो मैंने जिया है। मैं आशा करता हूँ, ये आपको भी अच्छी लगेंगी... मुकेश नेमा
Chahne Ki Adat Hai
- Author Name:
Parul Singh
- Book Type:

- Description: This book has no description
Kavi ka shahar
- Author Name:
Rakesh Mishra
- Book Type:

-
Description:
ग्राम, शहर, प्रकृति और प्रेम इन कविताओं में बराबर-बराबर मात्रा में है और उनकी अपनी-अपनी पीड़ाएँ भी। यानी कवि की आँख हर कहीं खुली है और कोई भी ऐसा दृश्य जो मानवीय विडम्बना को धारण किए हुए है—उनकी कलम से अछूता नहीं रहता। दुख हर कहीं है, देह में भी और धरती में भी। जितना खोदो, जहाँ तक खोदो, दुख ही दुख। ये कविताएँ इसी खुदाई में निकला खनिज हैं।
कवि अगर इस दुनिया में उन लोगों को देख पाता है जो ‘मरने के काम पर हैं’ तो कहना चाहिए कि उन्हें मौजूदा सभ्यता के बहुत भीतर की किसी व्याधि का भी पता है, जिसने जीवन और संसार को यातना और मृत्यु की एक मशीन-भर बना छोड़ा है। ‘पुताई वाले लड़के’ कविता में भी उनकी यह तीक्ष्ण दृष्टि दिखाई पड़ती है। बेहद चित्रात्मक इस कविता में वे जब बताते हैं कि ‘घड़ी किसी के पास नहीं/पुताई के क्षेत्रफल से नापते हैं/समय’ तो यह जैसे हमारे इस समय की तमाम विद्रूपताओं पर एक टिप्पणी मालूम पड़ती है।
‘जब तक हम जान पाते/क्यों हुआ था पिछला युद्ध/उससे पहले ही शुरू हो जाता है। अगला युद्ध’—‘युद्ध’ शीर्षक कविता की ये पंक्तियाँ सभ्यता-समीक्षा की इसी प्रक्रिया को ही आगे बढ़ाती हैं जो राकेश मिश्र के इस नए संग्रह की लगभग सभी कविताओं का उद्देश्य है।
ये कविताएँ अपनी विषयवस्तु में जीवन और सभ्यता के एक बड़े फलक को समेटती हैं, और हर बिन्दु से मानवीय मूल्यों के अभाव को रेखांकित करती हुईं हमें आत्मनिरीक्षण के लिए उकसाती हैं। एक कविता में वे चेताते भी हैं कि ‘नहीं बोलने की आदत/धीमे से छीन लेती है/सुनने की शक्ति भी।’
Pratinidhi Kavitayein: Navin Sagar
- Author Name:
Navin Sagar
- Book Type:

- Description: नवीन सागर की कविताओं को पढ़ते हुए आप हिन्दी कविता की दुनिया में अपनी मौजूदा रिहायश से उठकर कहीं और जाने के लिए चल पड़ते हैं—एक ज़्यादा गहरी, ज़्यादा परतदार, ज़्यादा नाज़ुक और ज़्यादा ठोस जगह की तरफ़। वह जगह जहाँ आपको अपने न समझ में आनेवाले लेकिन मारक दुख की सहज, स्पष्ट और चित्र जैसी अभिव्यक्ति मिलती है। हमारी भाषा ने कम ही ऐसी कविताएँ पाई हैं, जैसी ये सारी हैं। नवीन सागर की कविता-पुस्तकें लम्बे समय से अनुपलब्ध हैं। हालाँकि इस बीच उनकी कविताओं की तरफ़, ख़ासतौर पर नई पीढ़ी का ध्यान उल्लेखनीय ढंग से गया है। ऐसे में उनके देहान्त के लगभग पच्चीस वर्ष बाद उनकी कविताओं से यह प्रतिनिधि चयन प्रकाशित हो रहा है। उम्मीद है कि यह पुस्तक लगभग भूले हुए, लेकिन अत्यन्त महत्त्वपूर्ण एक कवि को विचार के केन्द्र में लाएगी।
Ichchaon Ke Jivashm
- Author Name:
Usman Khan
- Book Type:

- Description: उस्मान ख़ान की कविता उखड़े हुए नागरिक के एलिएनेशन की कविता है। आततायी राज्य, अन्याय, सत्तात्मक दम्भ, लूट, निर्बुद्धिकरण और कुबुद्धिकरण, राजनीतिक पतन, सामाजिक विषमता और विभाजन ने उस्मान को आन्दोलित कर रखा है। वे बेज़ार हैं। यह मामूली मोहभंग नहीं है। लेकिन यह ग़ैरमामूली असन्तोष उन्हें न तो निरुपाय बनाता है और न ही असंयत। उनके यहाँ भाषा एक बड़े उपाय में बदल जाती है। लोकतंत्र, सत्ता और समाज के स्लम को वर्णित करने के लिए उस्मान को ‘स्ट्रीट लैंग्वेज’ उपलब्ध होती जाती है जो हिन्दुस्तानी विपन्नता, दारिद्र्य, असहमति और बेदखली की अस्ल अभिव्यंजना है। इस जन भाषा, जो नई हिन्दुस्तानियत की द्रोह-भाषा सरीखी है, को पाने के बाद उस्मान ख़ान समकालीन हिन्दी के मध्यवर्गीय टकसाली भाषिक रूप-बन्ध को आहिस्ता से परे हटा देते हैं और अपने निहंग अनुभवों और देखन को किसी निचाट ज़बान के हवाले कर देते हैं। इसीलिए उस्मान को पढ़ना काफ़ी कुछ ख़ुसरो की याद दिलाता है। तब यह बात भी खुल जाती है कि कविता के अपने कारोबार में वह ला-सानी हैं। कोई उन जैसा नहीं, वह किसी जैसे नहीं। फिर भी मुक्तिबोध की चिन्ताओं और राजकमल की उखड़ी हुई साँसों वाली कविता का यदि कोई काव्याकार देखना हो तो उस्मान ख़ान की बेचैन चहलक़दमियों में वह दिख जाएगा। और अपनी इस बेचैनी में वह मुक्तिबोध की तरह एक बडे भूभाग में नहीं भटकते—उनकी दुविधाएँ और द्वन्द्व बेहद संघनित और आन्तरिक होने के साथ ही प्रतिरोधात्मक और वैचारिक होते जाते है। जीवन के नष्ट होने की वजह यदि जनविरोधी तंत्र है तो इसका विकल्प ढूँढ़ना पड़ेगा जो तुरत-फुरत तो हासिल नहीं हो सकता। कह लीजिए कि उस्मान सामूहिक आत्मन् के निर्माण को किसी सतत् धीरज का परिणाम मानने से विरत नहीं होते। विपत्तियों को देखने-समझने का जो हुनर उन्होंने हासिल किया है और फ़कीरी बेबाक़ी, बाँकपन और तंज़ के साथ कहने की जो शैली उन्होंने पा ली है, हिन्दी कविता के समकाल में वह बड़ी रचनात्मक उपलिब्ध है जो उस्मान की क़द-काठी को नायाब और अप्रतिम बनाती है और अपनी पीढ़ी का सबसे निराला राजनीतिक काव्य-व्यक्तित्व। -देवी प्रसाद मिश्र
Tum Meri Jaan Ho Raziya B
- Author Name:
Piyush Mishra
- Book Type:

-
Description:
इस किताब में अभिनेता, गीतकार, संगीतकार, रंगकर्मी पीयूष मिश्रा की कविताएँ हैं। बकौल पीयूष ये कविताएँ उन्होंने अपने जीवन के एक ख़ास दौर में लिखीं और इनका अपना एक ख़ास मक़सद था। ये अपने आप से, अपनी आत्मा के सच से साक्षात्कार की कविताएँ हैं। अपने आप और अपने परिजन-लोक को सम्बोधित। विपश्यना ध्यान के दौरान जब उन्हें अपने अब तक के जीवन पर दृष्टिपात करने का अवसर मिला तब उन्होंने इन कविताओं को लिखना शुरू किया।
लेकिन जैसा कि लिखी जाने के बाद हर कविता करती है, वह अपने सर्जक-भर की नहीं रह जाती। ये भी नहीं हैं। हम भी इनमें अपने आप को देख सकते हैं। मन के एकाकी कोनों से झरीं ये पंक्तियाँ कभी अपनी एक लय लेकर आती हैं तो कभी असम्बद्ध-सा दिखने वाला आत्मालाप। हममें से हर किसी को किसी न किसी मौक़े पर अपने आप से रू-ब-रू होना होता है। उन क्षणों में ये कविताएँ हमें ज़रूर याद आएँगी।
Mook Bimbon Se Bahar
- Author Name:
Aarti
- Book Type:

-
Description:
‘यह समय मेरा समय नहीं है फिर भी मैं इस समय में हूँ’, इस द्वन्द्व के चलते अपने समय के सच को पाने के लिए आरती समय के अन्तर्द्वन्द्वों और अन्तर्विरोधों को समझने-परखने के लिए, उसकी अनेक अन्दरूनी परतों में झाँकती हैं। इस समय को कहने के लिए वो मिथकों, स्मृतियों और इतिहास के स्मृत-विस्मृत संदर्भों को खँगालती हैं। लेकिन उनकी नज़रें मिथकीय आख्यान को मिथक की तरह या इतिहास की तरह नहीं वर्तमान की तरह देखती हैं। ऐसा करते हुए वह बार-बार मिथक और इतिहास के सन्दर्भों से बाहर अपने समय की सच्चाई से रूबरू होने की जद्दोजहद से गुजरती हैं। इस संग्रह की कविताओं को पढ़ते हुए इस द्वैत और द्वन्द्व को लगातार महसूस किया जा सकता है।
क्या ये कविताएँ सिर्फ़ स्त्री की आँख से देखा हुआ समय हैं? अगर ऐसा है भी तो भी ये उन सीमा रेखाओं का अतिक्रमण करती हैं। इनमें पुरुष वर्चस्व और स्त्री के संघर्ष की दीर्घ परम्परा की ध्वनियों और उसके अनुरणन को तो सुना ही जा सकता है, लेकिन संघर्ष के वर्तमान दृश्यों को भी लक्ष्य किया जा सकता है। इन दृश्यों में—सिरफिरे और आवारा समझे जाने वाले लेखक-कलाकार बैनर, पोस्टर लिये राजमार्गों पर खड़े युद्ध के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी कर रहे हैं और दूसरी तरफ़ हमारे समय की लोकतान्त्रिक सत्ताएँ जेल की दीवारों को मज़बूत करने में लगी हैं।
‘विधवा उत्सव मनाती मेरे गाँव की औरतें’ एक लम्बी कविता है। आरती की कविता मिथकों और इतिहास के सन्दर्भों में ही नहीं जाती वह उन कर्मकाण्डों को भी लक्ष्य करती है जो आज भी ज़ारी हैं। आत्यन्तिक परिणितियाँ अब कर्मकाण्डों से अलग कर दी गई हैं। ‘औरतों को ज़िन्दा मार सकने के नए तरीक़े समाज ने अपने विकास के साथ ईजाद कर लिए हैं’ लेकिन कर्मकाण्डों का स्वरूप बहुत नहीं बदला है। धर्मग्रन्थों के पास अपने तर्क हैं जिनके आगे ज्ञान-विज्ञान के सारे तर्क और धाराएँ झूठी पड़ जाती हैं। इस समय समाज के एक हाथ में मनुस्मृति है और दूसरे में संविधान—संविधान सबके लिए है लेकिन स्त्रियों के लिए मनुस्मृति सुरक्षित है।
आरती की इन कविताओं में विशेषरूप से ‘विधवा उत्सव मनाती मेरे गाँव की औरतें’ लम्बी कविता के शिल्प और भाषा में पूरा नाटकीय विधान मौजूद है। बल्कि इस लम्बी कविता में तो आरती ने नाटक की अनेक प्रविधियों का भी जगह-जगह इस्तेमाल किया है।
—राजेश जोशी
Likhane Ka Nakshhatra
- Author Name:
Malay
- Book Type:

-
Description:
मलय की कविता एक सृष्टि रचने की तरह लगती है। इसलिए उसके पाठ को पूरी तरह समझकर अर्थवस्तु की संगति खोजी जा सकती है। उसका पाठ पेचीदा है। यह एक पूरा नाट्य-व्यापार है जो चाक्षुष माध्यमों के मुक़ाबले अपनी ध्वनियों से टक्कर लेता है। कविता के इस पाठ का वस्तु की संश्लिष्टता से गहरा सम्बन्ध है। यह सामान्य कथन की कविता है भी नहीं। इस कविता का ठाठ जटिल है। यह गहरी और मज़बूत जड़ों वाली, व्यापक प्रशाखाओं में विकसित होनेवाली अनन्त संघर्षों से युक्त परम्परा का विनम्र स्वीकार भी है। यह स्वीकार पंच महाभूतों और इन्द्रियों के चर-अचर तक व्यापक है। संवाद की ललक का ऐसा व्यापक विस्तार कविता में कम ही देखने को मिलता है। एक अर्थ में मलय की कविता दृश्य बिम्बात्मक है। चाक्षुष प्रत्यय फंतासी बनकर खड़ा होता है।
आज के युग-सत्य कविता को वाचाल नहीं बनाते। मलय का काव्य-विवेक तमाम जीवनानुभूतियों से एक साथ टकराता है। अनुभव की चिनगारियाँ इस कविता में साफ़-साफ़ चमकती हैं। छोटे-छोटे दृश्य-बिम्ब व्यापक धरातल पर अपनी गतिशीलता में इतने क्रियाशील होते हैं कि निरन्तरता का एक नया द्वन्द्व उभरता है। मलय की कविता एक स्पन्दनशील जगत् की कविता है। यहाँ प्रत्येक शब्द सक्रिय है, उसकी क्रियाशीलता उसके व्यवहार से जानी जाती है। इस कविता में कुछ भी आरोपित नहीं है : न प्रगति, न प्रयोग। कवि अपनी कविता का स्रोत जीवन को मानता है। जहाँ भी, जैसा भी वह है, कविता का विषय है। अपनी सुदीर्घ रचना-यात्रा में मलय की कविता भटकी नहीं है। मलय की कविताओं की यह छठी पुस्तक है।
मलय की ये कविताएँ बन्धनों से मुक्ति के लिए सामूहिक प्रयासों की सार्थकता का स्वीकार हैं। कवि के सामने मेहनतकश समाज की अपार दु:ख-गाथाएँ हैं। इन गाथाओं के दु:ख को इन कविताओं में सुना जा सकता है।
—वीरेन्द्र मोहन
Samay Samete Sakshy
- Author Name:
Madan Mohan Samar
- Book Type:

- Description: Book
Ek Khushboo Tahalti Rahee
- Author Name:
Monika Hathila
- Book Type:

- Description: This book has no description
Streemughal
- Author Name:
Pawan Karan
- Book Type:

- Description: स्त्रीमुग़ल की कविताएँ इस अर्थ में विशेष हैं क्योंकि इन्हें लिखने के क्रम में हिन्दी के किसी कवि के द्वारा दो सौ वर्षों के साम्राज्य-इतिहास का विस्तृत और वेधक शोध-अध्ययन किया गया है। कवि ने इसके लिए मुग़ल इतिहास का प्रतिनिधित्व करती पुस्तकों, उपन्यासों, टीपों, लेखों और समीक्षाओं को संवेदित मानस से पढ़ा। दुनिया-भर के साम्राज्यों में उल्लिखित स्त्रियों की तरह मुग़ल इतिहास में भी स्त्रियों की विशेषता कमतर नहीं। अध्ययन के दौरान मुग़ल स्त्रियों में से किसी-किसी स्त्री का कविता में ढलते जाना रोचक रहा। बरास्ते-कवि कई महत्त्वपूर्ण मुग़ल स्त्रियाँ इस वजह से स्वयं को कविता में नहीं बदल सकीं, क्योंकि वहाँ उनसे जुड़ी कोई घटना अथवा कहानी मौजूद नहीं थी। किंतु कई साधारण आनुषंगिक स्त्रियाँ स्वयं को कविता में बदलने में इसलिए कामयाब हो गईं क्योंकि मुग़ल इतिहास में वे किसी ख़ास घटना की गवाह थीं। दो सौ से अधिक वर्षों के मुग़लकाल में मुग़ल स्त्रियों ने मुग़ल बादशाहों, शहज़ादों, सेनापतियों और सूबेदारों के साथ उत्तर और दक्षिण की कठिनतम यात्राएँ कीं। क़िलों के साथ-साथ उनका जीवन यात्रा-शिविरों में शहज़ादों और शहज़ादियों को जनते, उनके निकाह-विवाह होते देखते बीत गया। कोई मुग़ल बेगम अपनी छाप छोड़ने में सफल हो सकी तो कई बेगमें बादशाहों के हरम में खोकर रह गईं। कोई शहज़ादी अपने मन की कर सकी, तो कोई शहज़ादी मात्र सत्ता के सूत्र छूने में कामयाब हो सकी। मगर किसी मुग़ल स्त्री को सुल्तान रज़िया की तरह हिन्दुस्तान की बादशाहत नहीं मिली। क़िलों की अभेद्य और ऊँची दीवारें, हाथियों की चिंघाड़, नक़्क़ारों की आवाज़ें, बादशाहों की रत्नजड़ित पोशाकें-टोपियाँ, तोप-तलवारें, मुग़ल स्त्रियों को हरम और हरम के भीतर पलते षड्यंत्रों तक सीमित रखने में कामयाब हो गईं। मुग़ल स्त्रियों की बिजली-सी कौंध से हमारा परिचय इस संग्रह की कविताओं में होता है। मुग़ल स्त्रियों की पीड़ा, रुदन, तड़प, बेचैनी और समझ जो मुग़ल इतिहास से एक हद तक ग़ायब है, स्त्रीमुग़ल की कविताएँ उससे हमारा परिचय कराने की कोशिश करती हैं। पवन करण इससे पहले भी प्राचीन भारतीय साहित्य से खोजकर स्त्रीशतक (खंड-एक एवं दो) में भी दो सौ स्त्रियों के परिचय, पीड़ा और प्रतिरोध का अद्यतन आख्यान रच चुके हैं, इन कविताओं में मुग़ल इतिहास की एक सौ मुग़ल स्त्रियों ने नवजीवन पाया है।
Daste-Tahe-Sang
- Author Name:
Faiz Ahmed 'Faiz'
- Book Type:

- Description: नज़्मों, ग़ज़लों, क़तआत और कुछ अन्य रचनाओं के इस संकलन में फ़ैज़ की बेहद मशहूर नज़्मों में से एक ‘आज बाज़ार में पा-ब-जौलाँ चलो’ भी शामिल है। इस नज़्म को उन्होंने 1959 में लिखा था। लाहौर की गलियों से उन्हें मय ज़ंजीरों के घोड़ागाड़ी से क़िला लाहौर की टॉर्चर सेल ले जाया गया था। इस नज़्म के पीछे उनका वही अनुभव है। हर हाल में आज़ादी के शैदाई फ़ैज़ की यह नज़्म उनकी शख़्सियत और शायरी दोनों की ऊँचाई को बयान करती है। 1960 के दशक के शुरुआती सालों में प्रकाशित ‘दस्ते-तहे-संग’ में उस दौर में लिखी हुई अन्य नज़्में, ग़ज़लें और क़तआत भी संकलित हैं जिनमें से कुछ मास्को, बम्बई और लन्दन में भी लिखी गईं। कविताओं के अलावा इस संकलन का ख़ास आकर्षण फ़ैज़ की एक तक़रीर है जो उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय लेनिन शांति पुरस्कार ग्रहण करते हुए उर्दू में दी थी। ‘फ़ैज़... अज़ फ़ैज़’ शीर्षक से उन्हीं का लिखा हुआ एक और आलेख भी यहाँ आप पाएँगे जिसमें वे अपने शुरुआती दिनों के बारे में बताते हैं और उस दौरान लिखी गई कविताओं की पृष्ठभूमि से भी हमें अवगत कराते हैं।
Oak Mein Boonden
- Author Name:
Zabir Hussain
- Book Type:

-
Description:
जाबिर हुसेन की कथा डायरियाँ अपने समय की बेरहमी से रू-ब-रू कराती हैं। सच्चाई की परतें खोलती हैं। उसी प्रकार, उनकी कविताएँ भी समाज की विसंगतियों से तकरार करती हैं। वो अपने कथ्य, लहज़े और डिक्शन से पाठकों को सम्मोहित करने की कोशिश नहीं करते।
उनकी तहरीरों में वर्तमान समय अपनी बारीकियों के साथ उभरता है। लेकिन, वो इसे किसी कटुता के दबाव से गम्भीर नहीं बनाते। सहजता उनकी कविताओं की वास्तविक पहचान है।
‘ओक की बूँदें’ उनका चौथा काव्य-संग्रह है। एक प्रकार से, यह संग्रह हाल ही में प्रकाशित उनकी काव्य-पुस्तक ‘कातर आँखों ने देखा’ का सृजनात्मक विस्तार है।
जाबिर हुसेन कविताओं में अपने दीर्घ सामाजिक सरोकारों के प्रति सम्मान का जो सूक्ष्म और मर्मस्पर्शी अहसास भरते हैं, वो बेहद अनोखा है। वर्तमान संग्रह की कविताएँ इस कथन पर मुहर लगाती हैं।
You Only Live Once (Hindi Translation of You Only Live Once)
- Author Name:
Stuti Changle
- Book Type:

- Description: अगर आप अपनी जिम्मेदारियों से पीछा छुड़ाकर भागे तो क्या होगा? बीस साल बाद, तीन लोग आपकी तलाश कर रहे हैं। एक, आपसे दोबारा मिलने की आस लिये दम तोड़ रहा है। दूसरा, यह सोचता है कि काश, आप उनसे कभी मिले ही न होते। तीसरा, चाहता है कि काश वे आपसे एक बार मिल लेते। आप एक ही व्यक्ति हैं। हैं न? लेकिन उनमें से हर एक के लिए वही व्यक्ति नहीं हैं। प्यार की तलाश और खुद को ढूँढऩे पर आधारित इस कहानी में अपने जीवन से जुड़े सवालों के जवाब हासिल कीजिए। मिलिए एक टूटे दिलवाली, मगर यूट्यूब की उभरती स्टार अलारा से। एक संघर्षरत लेकिन उम्मीदों से भरे स्टैंडअप कॉमेडियन आरव से, और समुद्र तट पर बीच शैक के सनकी मालिक रिकी से। ये सब एक साथ गोवा के गहरे समंदर के किसी तट पर से मशहूर गायिका एलिशा के गायब होने के सच का पता लगाने निकल पड़ते हैं
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...