Patliputra Ki Kahani Patna Ki Zubaani
Author:
Urmila Singh, Sitasaran SinghPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
History-and-politics0 Reviews
Price: ₹ 240
₹
300
Available
मेरा प्राचीन नाम पाटलिपुत्र है। मैं विश्वविख्यात नगर हूँ। मैं जितना पुराना हूँ, मेरी दास्तान भी उतनी ही मनोरंजक एवं पुरानी है। मैं करीब एक हजार वर्षों तक प्राचीन भारत की राजधानी रहा। मैंने समय-समय पर अनेक कालजयी सम्राटों, राजाओं, योद्धाओं, चिंतकों, विद्वानों, विचारकों, संतों, समाज-सुधारकों एवं राजनीतिज्ञें को पनपाया, जिनकी अमिट छाप संपूर्ण भारत पर ही नहीं, देश के बाहर विदेशों में भी देखी गई।
मैं मौर्य तथा गुप्त साम्राज्यों की राजधानी बना। गंगा नदी के तट पर अवस्थित होने के कारण पाटलिपुत्र के बाहर के नगरों, अरब एवं यूरोपीय देशों के साथ मेरे व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध विकसित हुए। मैं बौद्ध एवं जैन धर्मों का प्रमुख केंद्र तो था ही, साथ ही दसवें सिख गुरु, ‘खालसापंथ’ के प्रवर्तक, गुरु गोविंद सिंह की जन्मभूमि रहा। आज मैं सिखों का प्रमुख तीर्थस्थान हूँ।
इतिहास के पन्नों को पलटें तो पाएँगे कि अपना उत्थान-पतन मैंने जितनी बार देखा, उतना शायद और किसी नगर ने नहीं देखा होगा। अनेक बार मैं उजड़ा, बना, बसा और पुनः धराशायी हो गया। आज भी मेरे यहाँ की पुरानी भव्य इमारतें, मंदिर, मसजिद, मजार तथा भग्नावशेष बिन बोले मेरी कथा सुना रहे हैं।
सत्ता के लिए महलों में होती साजिशोें, सत्ता परिवर्तनों, समय-समय पर विदेशी शासकों के मगध पर आधिपत्य जमाने के प्रयासों के पश्चात् पार्टी व्यवस्था की उथल-पुथल ने उद्वेलित किया। इसी का परिणाम है पुस्तक ‘पाटलिपुत्र की कहानी, पटना की जुबानी
ISBN: 9789352661381
Pages: 160
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौर में लिखे गए साहित्य को पढ़कर ज्ञात होता है कि आजादी के दीवानों तथा राष्ट्राभिमानियों ने ब्रिटिश सरकार के कितने क्रूरतम अत्याचार सहे। कितने ही राष्ट्र-प्रेमियों ने अपना जीवन राष्ट्रहितार्थ बलिदान कर दिया। आज की नई पीढ़ी को स्वाधीनता संग्राम और उन बलिदानियों के विषय में से परिचित कराना आवश्यक है। आज की भागमभागवाली जीवन-चर्या में व्यक्ति के पास समय का अभाव है, दूसरे आज हम प्रतियोगिता के युग में रह रहे हैं। इसी तथ्य को ध्यान में रखकर यह पुस्तक वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के रूप में अत्यंत सरल-सुबोध भाषा में लिखी गई है। इस कृति को पढ़कर भारत के स्वाधीनता संग्राम के प्रति अंतर्दृष्टि का विकास होता है। प्रस्तुत पुस्तक में ब्ल्यू वाटर पॉलिसी, 1857 के स्वातंत्र्य समर, क्रांतिकारियों, देशभक्तों कांग्रेस का गठन विभिन्न ऐक्ट, कमीशन आदेश, उस काल के समाचार पत्र-पत्रिका-पुस्तकों आदि से संबंधित एक हजार प्रश्न संकलित हैं। भारतीय स्वाधीनता संग्राम का विहंगम दृश्य प्रस्तुत करनेवाली; विद्यार्थियों, अध्यापकों, शोधार्थियों एवं सभी आयु वर्ग के पाठकों के लिए समान रूप से पठनीय एवं प्रेरणादायी पुस्तक।
Bharat Ke Pradhanmantri : Desh, Dasha, Disha
- Author Name:
Rasheed Kidwai
- Book Type:

- Description: तकनीक और संचार के अभूतपूर्व विस्तार तथा राजनीति में लोगों की बेहिसाब दिलचस्पी के मेल से हैरतअंगेज़ नतीजे सामने आए हैं। इसका एक चिन्ताजनक पहलू हैइतिहास के निर्माताओं समाज के नेतृत्वकर्ताओं और उनके कार्यों के बारे में सचाई से परे मनगढ़ंत बातों का बड़े पैमाने पर प्रसार। यह स्थिति आम जनता को भ्रमित करती है। उन्हें अपने देश और समाज की वास्तविकता से दूर करती है सही और तथ्यसंगत राय बनाने में अक्षम बनाती है। ऐसे में भारत के सभी प्रधानमंत्रियों के व्यक्तित्व कार्यों नीतियों और उनके प्रभावों पर केन्द्रित इस किताब का महत्त्व असंदिग्ध है। आज़ादी के 75वें साल में प्रकाशित यह पुस्तक पहले प्रधानमंत्री से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री तक हमारे शीर्ष नेतृत्वकर्ताओं के विचारों और कार्यों का निष्पक्ष मूल्यांकन करती है तथा एक लोकतंत्र के रूप में भारत की प्रगति और उसके रास्ते में खड़े अवरोधों के बारे में सोचने का सूत्र देती है। व्हाट्सएप्प यूनिवर्सिटी के दौर में यह किताब तथ्यपरक ढंग से बतलाती है कि जब कभी देश के विकास की ज़रूरतों पर शीर्षस्थ नेतृत्व की राजनीतिक महत्त्वाकांक्षा हावी हुई भारतीय लोकतंत्र प्रभावित हुआ। एक अनुभवी पत्रकार की क़लम से देश के सभी प्रधानमंत्रियों का निष्पक्ष आकलन पेश करती यह कृति भारतीय लोकतंत्र में दिलचस्पी रखनेवाले प्रत्येक नागरिक के लिए एक ज़रूरी दस्तावेज़ साबित होगी।
Aahuti
- Author Name:
Ed.Sanju Sadanandan +1
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Vikas Ki Rajneeti
- Author Name:
Vinay Sahasrabuddhe
- Book Type:

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Bundelkhand Ke Agradoot
- Author Name:
Rakesh Kumar Agrawal
- Book Type:

- Description: "आज हर क्षेत्र में इज्जत, शोहरत और पैसा है लेकिन अतीत में ऐसा नहीं था। फिर भी ऐसे समय में भी कुछ लोगों ने साहित्य, कला और खेल के क्षेत्र में पूर्ण निष्ठा से जी-जान लगाकर काम किया। यह उनका जुनून समझ लें या उनकी लगन, जिसकी वजह से उन्होंने अपनी आखिरी साँस तक मिट्टी के लगाव को वृद्ध नहीं होने दिया। आजकल सोशल मीडिया और इलैक्ट्रॉनिक मीडिया के जमाने में कोई भी बात या खबर बिजली की रफ्तार से फैलती है। लेकिन हम कल्पना कर सकते हैं कि उस दौर में कैसे बुंदेलखंड के अग्रदूतों—मुंशी प्रेमचंद, मैथिलीशरण गुप्त, बाबू केदारनाथ अग्रवाल, वृंदावनलाल वर्मा, हॉकी के जादूगर दद्दा ध्यानचंद, बाबू श्यामलाल ‘इंदीवर’, महारानी लक्ष्मीबाई, मिर्जा गालिब, रायप्रवीण और मस्तानी ने अपनी यशकीर्ति की पताका पूरी दुनिया में फहराई होगी? हर क्षेत्र का अपना एक एवरेस्ट होता है। स्टार और सुपरस्टार केवल सिनेमा में ही नहीं होते। वर्तमान समय में हर क्षेत्र में काम करनेवाले लोगों के पास अकूत संपत्तियाँ हैं। लेकिन उन लोगों के कला प्रेम का कोई मूल्य नहीं लगाया जा सकता जिन्होंने जिंदगी के उतार-चढ़ाव और फाकाकशी के चलते भी अपने कर्म से समझौता नहीं किया। इसलिए लेखक को अपनी जन्मभूमि बुंदेलखंड के ये अग्रदूत मिथकीय पात्रों से बिल्कुल भी कम नहीं लगते। बुंदेलखंड की प्रमुख महान् विभूतियों को एक पुस्तक में सहेजने का यह पहला अभिनव प्रयास है। निश्चित तौर पर छात्रों, शोधार्थियों एवं अन्य पाठकों को यह पुस्तक लाभान्वित करेगी। "
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