Kaha-Suni
Author:
Doodhnath SinghPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
General-non-fiction0 Reviews
Price: ₹ 716
₹
895
Available
‘इस किताब में दूधनाथ सिंह के चार साक्षात्कार और चार आलोचनात्मक निबन्ध संकलित हैं। साक्षात्कार एक तरह का विशिष्ट शास्त्रार्थ होता है। प्रश्नों के आलोक में यह शास्त्रार्थ लेखक तरह-तरह से करता है। कभी आत्म-मन्थन, आत्म-प्रकाश, कभी अपने समय, समाज, इतिहास, साहित्य, कला आदि पर टिप्पणियाँ और प्रतिक्रियाएँ, कभी मतभेद-सहमति और सौमनस्य, कभी अपनी क्षुब्धता, उदासी या ख़ुशी का इज़हार, कभी अपनी ही आस्थाओं पर प्रश्नचिह्न, कभी कलह, वैमनस्य और फिर प्रेम; कभी गहन विश्लेषण और आत्म-स्वीकृति—एक अच्छे साक्षात्कार में एक कलाकार के विविधवर्णी छटाओं वाले रूप के दर्शन पाठक को होते हैं। इस तरह ‘साक्षात्कार’ तर्क-वितर्क की असमंजसपूर्ण, वक्र भाषा में लिपटा हुआ कलाकार के औचक पकड़े गए चिन्तन का निचोड़ है, एक नए क़िस्म का भाष्य है, आलोचना का एक खिलंदरा राग है।
‘कहा-सुनी’ के चारों आलोचनात्मक निबन्ध लेखक के उपर्युक्त साक्षात्कारों के शास्त्रार्थों का ही फैलाव और वितान हैं। बातों और विचारों की अन्तिम तर्क-सिद्धि, परिणति और समापन हैं। फिर भी आलोचना की विधागत माँग के कारण उनमें तटस्थ और निर्वैयक्तिक विश्लेषण, तर्क-वितर्क के आघात-प्रतिघात, नियमन-अनुशासन यहाँ अधिक हैं। आशा है, यह किताब एक नए बौद्धिक आस्वाद के साथ पढ़ी-गुनी जाएगी।
ISBN: 9788183610261
Pages: 196
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Guntavnuk Darala Mahit Asayalacha Havya Ashya Sharebajarachya Yuktichya Goshti
- Author Name:
Swaminathan Annamalai +1
- Book Type:

- Description: शेअर बाजारात नवोदित आणि अनुभवी असलेल्यांसाठीही हे पुस्तक आहे. भारतीय शेअर बाजाराबद्दल फारशा माहीत नसलेल्या गोष्टी लेखकाने अत्यंत सोप्या, तरीही रोचक पद्धतीने सांगितलेल्या आहेत.’ - फिरोज व्ही. आर. वैश्विक सेवाप्रमुख, उपाध्यक्ष ‘एस.ए.पी.’ आणि इंडिया इन्क्ल्यूजन फाउंडेशनचे संस्थापक हे पुस्तक तुम्ही का वाचायला हवे? हे पुस्तक वाचून झाल्यानंतर तुम्हाला खालील गोष्टींबद्दल समजेल : 1. शेअर बाजार जितका वेळ चालू असतो तितका वेळ संगणकासमोर बसला नाहीत, तरीही पैसे कमावता येतात. 2. भरपूर नफा मिळवून देणारे शेअर्स पटकन ओळखून आपला फायदा करून घेता येतो. 3. शेअर बाजारात ज्या शेअर्सचे व्यवहार आता होत नाहीत अशा अ-सूचीबद्ध शेअर्सची हाताळणी. 4. भीडभाड न बाळगता ऑप्शन्स विकून टाकणे आणि नफ्याची टक्केवारी वाढवणे. 5. आयपीओबद्दल आणि आयपीओकरिता पैसे कसे उभे करावेत याबद्दल माहिती. 6. कागदी शेअर्सचे रूपांतरण इलेक्ट्रॉनिक शेअर्समध्ये (डिमटेरिअलायझेशन) कसे करावे. 7. बीईईएस (इशएड) म्हणजे काय, तो गुंतवणुकीचा जोखीममुक्त पर्याय आहे का? 8. स्टॉक स्क्रीनर्सशी ओळख. 9. शेअर बाजाराला कोणत्या प्रकारच्या घोटाळ्यांमुळे फटका बसू शकतो. 10. हिंदू अविभक्त कुटुंबाची (कणऋ) स्थापना करून आयकर वाचवता येऊ शकतो. Guntavnuk Darala Mahit Asayalacha Havya Ashya Sharebajarachya Yuktichya Goshti - Swaminathan Annamalai गुंतवणूकदाराला माहित असायलाच हव्या अश्या शेअरबाजारच्या युक्तीच्या गोष्टी - स्वामिनाथन अन्नामलाई
Sagar Vigyan
- Author Name:
Shyam Sunder Sharma
- Book Type:

- Description: पढ़ने या सुनने में यह बात भले ही अटपटी लगे, पर यह सत्य है कि अब वह समय आ गया है जब हमें खाद्य, आवास, ऊर्जा, प्रदूषण आदि की बढ़ती हुई समस्याओं के समाधान के लिए थल के सीमित संसाधनों से हटकर सागर की ओर उन्मुख होना चाहिए। सागर पृथ्वी के केवल 71% भाग को ही घेरे हुए नहीं है, उसमें कुल जल का 97% भाग ही नहीं हैं, वरन् उसमें अपार खनिज संपदा, असंख्य जीव-जंतु और ऊर्जा का असीम भंडार भी है।
Bhartiya Sanskriti Aur Sex
- Author Name:
Geetesh Sharma
- Book Type:

- Description: जहाँ तक 'हिन्दू संस्कृति' का प्रश्न है, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पुरोधाओं ने जिस रूप में इसकी व्याख्या की, पहले भी लिखा जा चुका है कि वह बहुत ही संकुचित और विकृत व्याख्या है, जो लोगों में इस संस्कृति के प्रति एक भ्रम पैदा करती है। जिन विद्वानों ने वास्तविकता पर आधारित तथ्यपरक व्याख्या की, उनको यह कहकर सिरे से ख़ारिज कर दिया गया कि उन पर पश्चिम के विद्वानों का प्रभाव है और वे एकांगी दृष्टि से संस्कृति को देखते हैं। जबकि सच्चाई यह है कि वेदों से प्रारम्भ कर भारतीय संस्कृति का समग्र रूप मनुष्य की समस्त जीवन-शैली के अच्छे-बुरे पक्ष को ज़ाहिर करता है, जो समय के अनुसार बदलती रही है। हमारे देश में एक प्रचलन यह भी रहा है कि हम प्राचीन धार्मिक ग्रन्थों पर तिलक-चंदन चढ़ाते हैं, उनकी पूजा करते हैं, पर उन्हें पढ़ते नहीं हैं। पढ़ते तो संस्कृति के नाम पर जो दुष्प्रचार किया जाता रहा है, वह सम्भव नहीं था।
Prakashwata
- Author Name:
Dattaprasad Dabholkar
- Book Type:

- Description: नानाजी देशमुख यांचा गोंडा प्रकल्प आणि शंभर ग्रामदानी खेड्यांचा कारभार पाहणारा गोविंदपूर आश्रम यांची शोधयात्रा म्हणजे प्रकाशवाटा- हे पुस्तक होय. या पुस्तकाची समीक्षा करणारी अनेक पाने दुर्गा भागवतांनी आपल्या रोजनिशीत लिहिली होती. त्यानंतर आपले जीवन आणि जीवनविषयक तत्त्वज्ञान आडपडदा न ठेवता सांगणारी एक दीर्घ मुलाखत नानाजी देशमुख यांनी दिली होती. त्याचा समावेश असलेलं हे पुस्तक पस्तीस वर्षांपूर्वी प्रकाशित झालं होतं. नानाजी देशमुखांचे हे दोन्ही प्रकल्प जे प्रश्न सोडवण्यासाठी कार्यरत होते, तेच प्रश्न आज अधिक गंभीर स्वरुपात आपल्यासमोर उभे आहेत. ते सोडवण्यासाठी जे आज अंधारात चाचपडत आहेत, नवे मार्ग शोधत आहेत, त्यांना हे दोन्ही प्रकल्प आणि नानाजी देशमुख व दुर्गा भागवत यांचे विचार यांचा अभ्यास करावा लागेल. म्हणूनच पस्तीस वर्षानंतर पुन्हा एकदा हे पुस्तक वाचकांच्या हाती देत आहोत. कारण ‘यशाहूनही प्रयत्न सुंदर' असे सांगत दीपस्तंभाप्रमाणे हे दोन प्रकल्प आणि या दोघांचे विचार उभे आहेत. Prakashwata | Dattaprasad Dabholkar प्रकाशवाटा | दत्तप्रसाद दाभोळकर
1000 MODI PRASHNOTTARI
- Author Name:
Anita Gaur
- Book Type:

- Description: "राष्ट्र को सर्वोपरि माननेवाले कोटिकोटि भारतीयों की जनाकांक्षाओं के केंद्रबिंदु भारत के जनप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सबके मानस में हैं। लोग उनको जाननेसमझने की तीव्र जिज्ञासा रखते हैं। भारत हो या विश्व का कोई भी कोना—जहाँ नरेंद्र मोदी जाते हैं, वहाँ उनका अपूर्व स्वागत होता है। परंतु अहंकार भाव उन्हें छू भी नहीं गया है। वे कहते हैं—‘जब विदेश में मैं किसी राजनेता से उनके समकक्ष बात करता हूँ तो मेरे पीछे मेरे सवा अरब भारतीयों की शक्ति का संबल होता है।’ ऐसे राष्ट्रनायक के अनेक रूप हैं—एक सामाजिक कार्यकर्ता, राष्ट्रनिष्ठ राजनेता, कर्तृत्वशील प्रधानमंत्री, ओजस्वी वक्ता, प्रखर चिंतक, प्रभावी लेखक। ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मूलमंत्र के साथ समाज के विभिन्न वर्गों के समुचित विकास हेतु अनेक कल्याणकारी योजनाएँ बनानेवाले नरेंद्र मोदी के सभी आयामों को संकलित किया है इस पुस्तक में। प्रश्नोत्तर के रूप में नरेंद्र मोदी के जीवन को जानने का अवसर उपलब्ध कराती एक पठनीय पुस्तक।"
Dalit, Alpsankhyak Sashaktikaran
- Author Name:
Santosh Bhartiya
- Book Type:

-
Description:
भारत से लेकर सम्पूर्ण विश्व के शक्तिहीन, दबे-कुचले, सामाजिक रूप से पिछड़े और सताए हुए
लोग और उनके समूह जब आपस में मिलकर शक्ति-सम्पन्न होने का संकल्प लें, तो इसे बड़े बदलाव के भावी संकेत
के रूप में लिया जाना चाहिए। इतिहास बनने की शुरुआत ऐसे ही होती है। जो इसकी अगुआई करते हैं, उन्हें
इतिहास अपने सिर-माथे बैठाता है, क्योंकि अगर वे आगे नहीं बढ़ते तो यात्रा अपने अन्तिम चरण पर पहुँचती ही
नहीं। दलित, अल्पसंख्यक सशक्तीकरण की यात्रा शुरू हो चुकी है। इस यात्रा का ध्येय है शक्तिहीन, दबे-कुचले, और
सामाजिक रूप से भेदभाव के शिकार दलितों और अल्पसंख्यकों को शक्ति-सम्पन्न करना व उनके सामाजिक आधार
को मज़बूत करते हुए उन्हें नेतृत्व के लिए तैयार करना।
पुस्तक का महत्त्वपूर्ण अंश है डॉ. मनमोहन सिंह का कथन। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने शक्तिहीनों
को शक्ति-सम्पन्न बनाने तथा दलित, अल्पसंख्यक सशक्तीकरण के प्रयास को अपना पूरा समर्थन देने की घोषणा की।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने साफ़ कहा कि अब सहूलियत देने से काम नहीं चलेगा, वंचितों
को शिरकत भी देनी होगी। बाबा साहेब अम्बेडकर ने ग़रीबों, दलितों, अल्पसंख्यकों के सशक्तीकरण की लड़ाई को
वैज्ञानिक विचार का आधार दिया तथा उसे हथियार बनाया। उसी कड़ी में यह एक प्रयास है ताकि आज दलित,
अल्पसंख्यक सशक्तीकरण के लिए लड़नेवाले लोग न केवल अपना वैचारिक आधार मज़बूत कर सकें, बल्कि उसे
हथियार के रूप में भी इस्तेमाल कर सकें।
यह पुस्तक उन सबके लिए उपयोगी होगी जो ग़रीबों और वंचितों की लड़ाई में या तो शामिल होना चाहते हैं या
उन्हें सहयोग देना चाहते हैं। राजनीति और समाजशास्त्र के विद्यार्थियों के लिए यह पुस्तक भारत के परिवर्तन की इस
लड़ाई को समझने का आधार बनेगी।
Manusmriti
- Author Name:
Dr. Ramchandra Verma Shastri
- Rating:
- Book Type:

- Description: मनुष्य ने जब समाज व राष्ट्र्र के अस्तित्व तथा महत्त्व कौ मान्यता दी, तो उसके कर्तव्यों और अधिकारों की व्याख्या निर्धारित करने तथा नियमों के अतिक्रमण करने पर दण्ड व्यवस्था करने की भी आवश्यकता उत्पन्न हुई । यही कारण है कि विभिन्न युगों में विभिन्न स्मृतियों की रचना हुई, जिनमें मनुस्मृति को विशेष महत्व प्राप्त है । मनुस्मृति में बारह अध्याय तथा दो हज़ार पांच सौ श्लोक हैं, जिनमें सृष्टि की उत्पत्ति, संस्कार, नित्य और नैमित्तिक कर्म, आश्रमधर्म, वर्णधर्म, राजधर्म व प्रायश्चित्त आदि अनेक विषयों का उल्लेख है। ब्रिटिश शासकों ने भी मनुस्मृति को ही आधार बनाकर ' इण्डियन पेनल कोड ' बनाया तथा स्वतन्त्र भारत की विधानसभा ने भी संविधान बनाते समय इसी स्मृति को प्रमुख आधार माना । व्यक्ति के सर्वतोमुखी विकास तथा सामाजिक व्यवस्था को सुनिश्चित रूप देने व व्यक्ति की लौकिक उन्नति और पारलौकिक कल्याण का पथ प्रशस्त करने में मनुस्मृति शाश्वत महत्त्व का एक परम उपयोगी शास्त्र मथ है । वास्तव में मनुस्मृति भारतीय आचार-संहिता का विश्वकोश है, जो भारतीय समाज के लिए अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगा।
Digital Revolutionaries Who Have Change The World
- Author Name:
Kalyani Mookherji
- Book Type:

- Description: The invention of the transistor, the earliest computing machines, the World Wide Web and its evolution into the internet marked the high points of this part of the digital revolution. These inventions changed the way people worked, studied, and sought information and entertainment. These inventions transformed entertainment, socialising, commerce, politics, and studies in ways that would hardly have been conceivable a generation ago. The following central stage in the digital revolution was the arrival of mobile devices, beginning with the cellphone in 1973. Eventually, this led to the development of tablets and smartphones, which feature significant integration with the internet and online products and services. This has, in turn, opened up the scope for business, networking – both social and professional – and entertainment as never before. Not surprisingly, a new breed of technology experts and entrepreneurs has sprung up to take advantage of this dynamic new medium. Greatest Digital Revolutionaries offers a brief glimpse into the work, achievements, and plans of individuals who have made significant contributions to e-commerce, information technology, and related fields.
Samay Ka Sankshipt Itihas
- Author Name:
Stephen Hawking
- Book Type:

- Description: स्टीफेन हॉकिंग की यह पुस्तक विज्ञान-लेखन की दुनिया में अपनी लोकप्रियता के कारण अतिविशिष्ट स्थान रखती है। वर्ष 1988 में अपने प्रकाशन के मात्र दस वर्षों की अवधि में इस पुस्तक की 10 लाख से ज़्यादा प्रतियाँ बिकीं और आज भी जिज्ञासा की दुनिया में यह पुस्तक बदस्तूर अपनी जगह बनाए हुए है। ब्रह्मांड की उत्पत्ति किस प्रकार हुई, यह कहाँ से आया और क्या यह शाश्वत है या किसी ने बाक़ायदा इसकी रचना की है? बुद्धिचालित मनुष्य का उद्भव एक सांयोगिक घटना है या फिर मनुष्य के लिए ब्रह्मांड की रचना की गई, ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो सदा से हमें विचलित-उत्कंठित करते रहे हैं। यह पुस्तक इन सवालों का उत्तर देने का प्रयास करती है। इसमें आरम्भिक भू-केन्द्रिक ब्रह्मांडिकियों से लेकर बाद की सूर्य-केन्द्रिक ब्रह्मांडिकियों से होते हुए एक अनन्त ब्रह्मांड अथवा अनन्त रूप से विस्तृत अनेक ब्रह्मांडों तथा कृमि-छिद्रों की परिकल्पनाओं तक की हमारी विकास-यात्रा का संक्षिप्त और सरलतम वर्णन किया गया है। इस संस्करण में पिछले दशक में ब्रह्मांडिकी के क्षेत्र में हासिल की गई नई सूचनाओं और नतीजों को भी सम्मिलित तो किया ही गया है; साथ ही, पुस्तक के प्रत्येक अध्याय को पूर्णतया परिवर्द्धित करते हुए प्राक्कथन के साथ-साथ वर्म होल और काल-यात्रा पर जो एक नितान्त नवीन अध्याय शामिल किया गया है, उसका महत्त्व सदैव बना रहेगा।
Jansarokar Ke Patrakar Harivansh
- Author Name:
Dr. R. K. Nirad
- Book Type:

- Description: राज्यसभा के उपसभापति हरिवंशजी बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं। पत्रकारिता, राजनीति और सामाजिक सरोकार के क्षेत्रों में उनके योगदान के कई आयाम हैं। पत्रकारिता, प्रबंधन और ज्ञान के क्षेत्र में वे जिज्ञासा का विषय हैं। हरिवंशजी पत्रकारिता की एक परंपरा हैं। प्रबंधन के क्षेत्र में उनके सफल प्रयोग आज बड़े संस्थानों को भी दृष्टि दे रहे हैं। ज्ञानानुशासन के सभी क्षेत्रों में उन्होंने व्यापक अनुभव प्राप्त कर समकालीन पत्रकारिता और अखबारी प्रबंधन को नई दृष्टि तथा अगली पीढ़ी को ज्ञान का विपुल भंडार दिया है। वे पत्रकारिता के मॉडल हैं। विचार और आचरण के क्षेत्र में भी हरिवंशजी आदर्श पुरुष हैं। समाजवादी-गांधीवादी विचारों के प्रतीक हैं। वे स्पष्टतः एक राजनीतिक व्यक्ति हैं, किंतु उनमें दलगत राजनीति के प्रति तटस्थता है। वे राजनीतिक आचरण और विचार का अनुसरण करने के प्रबल पक्षधर हैं। हरिवंशजी उच्च कोटि के लेखक भी हैं। समाजवादी विचारधारा का अनुसरण और उस विचारधारा के प्रभाव में मूल्य- आधारित पत्रकारीय, सामाजिक और राजनीतिक जीवन जीनेवाले हरिवंशजी में बौद्धिक स्तर पर अन्य राजनीतिक-धाराओं के प्रति सम्मान का भाव है। हरिवंशजी की पत्रकारिता निश्चय ही जनसरोकारी-जनपक्षीय है। उनके लेखन-संसार में विषयों का असाधारण वैविध्य है। साहित्य, भाषा, संस्कृति, अध्यात्म और शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने अपने विशिष्ट दृष्टिकोण से प्रचुर लेखन किया है। संपादक और प्रबंधक के रूप में उनका वैचारिक संतुलन और समन्वय-कौशल अद्भुत है।
Vichar Ka Kapda
- Author Name:
Anupam Mishra
- Book Type:

-
Description:
‘‘क़ायदे से अनुपम मिश्र न लेखक थे, न पत्रकार। वे साफ़ माथे के एक आदमी थे जो हर हालत में माथा ऊँचा और साफ़ रखना चाहते थे। उनकी निराकांक्षा उनकी बुनियादी बेचैनियों को ढाँप नहीं पाती थी। ये बेचैनियाँ ही उन्हें कई बार ऐसे प्रसंगों, व्यक्तियों, घटनाओं, वृत्तियों को खुली नज़र देखने-समझने की ओर ले जाती थीं। उनकी संवेदना में ऐसी ऐन्द्रियता थी कि वे विचार का कपड़ा भी पहचान लेती थीं। कुल मिलाकर अनुपम मिश्र की अकाल मृत्यु के बाद शेष रह गई सामग्री में से किया गया यह संचयन हिन्दी में सहज, निर्मल और पारदर्शी, मानवीय गरमाहट से भरे गद्य का विरल उपहार है। हमें मरणोत्तर अनुपम मिश्र को उनकी भरी-पूरी जीवन्तता में प्रस्तुत करने में प्रसन्नता है।”
—अशोक वाजपेयी
Lokayat
- Author Name:
Deviprasad Chattopadhyay
- Book Type:

- Description: यह पुस्तक प्राचीन भारतीय भौतिकवाद की मार्क्सवादी व्याख्या प्रस्तुत करती है। पाश्चात्य व्याख्याताओं ने भारतीय दर्शन के इस सशक्त पक्ष की प्रायः उपेक्षा की है। उनकी उपनिवेशवादी इतिहास-दृष्टि इस बात को बराबर रेखांकित करती रही है कि भारतीय दर्शन की मूल चेतना पारलौकिक और आध्यात्मिक है। उसमें जीवन तथा जगत के यथार्थ को महत्त्वहीन माना गया है अथवा उसकी उपेक्षा की गई है। देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय ने प्राचीन ग्रन्थों, पुरातात्त्विक और नृतत्त्वशास्त्रीय प्रमाणों और ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर इस बात का खंडन किया है। उनका कहना है कि प्राचीन भारत में लौकिकवाद और अलौकिकवाद, दोनों ही मौजूद थे। राजसत्ता के उदय के बाद शासक वर्ग ने लौकिक चिन्तन को अपने स्वार्थ के लिए नेपथ्य में डाल दिया तथा पारलौकिक चिन्तन को बढ़ावा दिया और भारतीय चिन्तन की एकमात्र धारा के रूप में उसे प्रतिष्ठा दिलाई। इसलिए प्राचीन भारत के लौकिक चिन्तन को समझे बिना हमारी इतिहास-दृष्टि हमेशा धुँधली रहेगी। यह पुस्तक इतिहास, दर्शन, भारतीय साहित्य और संस्कृति में दिलचस्पी रखनेवाले जिज्ञासुओं के लिए समान रूप से उपयोगी है। इस पुस्तक का विश्व की सभी प्रमुख भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।
Hind Swaraj Ka Satya
- Author Name:
Mithilesh
- Book Type:

-
Description:
स्व. प्रो. राधाकुमुद मुखर्जी की गणना देश के शीर्षस्थ इतिहासकारों में होती है और परम्परागत दृष्टि से इतिहास लिखनेवालों में उनका महत्त्वपूर्ण स्थान है।
प्रस्तुत पुस्तक में प्रो. मुखर्जी के वे भाषण हैं, जो उन्होंने सर विलियम मेयर भाषणमाला के अन्तर्गत मद्रास विश्वविद्यालय में दिए थे। इन निबन्धों में भारत के प्रथम सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के जन्म तथा प्रारम्भिक जीवन और उसके विजय-अभियानों की चर्चा करते हुए उन सारे कारकों का गहराई से अध्ययन किया गया है जो एक शक्तिशाली राज्य के निर्माण में और फिर उसे स्थायित्व प्रदान करने में सहायक हुए। चन्द्रगुप्त के कुशल प्रशासन और उसकी सुविचारित आर्थिक नीतियों की परम्परा अशोक के काल तक अक्षुण्ण रहती है। आर्थिक जीवन का राज्य द्वारा नियंत्रण तथा उद्योगों का राष्ट्रीयकरण मौर्यकाल की विशेषता थी।
प्रो. मुखर्जी का यह अध्ययन चौथी शताब्दी ई.पू. की भारतीय सभ्यता के विवेचन-विश्लेषण के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। इसमें कौटिल्य के अर्थशास्त्र की बहुत सारी ऐसी सामग्री का समुचित उपयोग किया गया है, जिसके सम्बन्ध में या तो काफ़ी जानकारी नहीं थी या जिसकी तरफ़ काफ़ी ध्यान नहीं दिया गया था। साथ ही, शास्त्रीय रचनाओं—संस्कृत, बौद्ध एवं जैन ग्रन्थों के मूल पाठों और अशोक के शिलालेखों—जैसे विभिन्न स्रोतों से लिए गए प्रमाणों का सम्पादन और तुलनात्मक अध्ययन भी यहाँ मौजूद है। भारतीय सभ्यता तथा संस्कृति के अन्वेषक विद्वानों ने इस पुस्तक को बहुत ऊँचा स्थान दिया है और यह आज तक इतिहास के विद्यार्थियों, शोधार्थियों और प्राध्यापकों के लिए एक मानक ग्रन्थ के रूप में मान्य है।
Bundelkhand Ki Sanskrtik Nidhi
- Author Name:
Mahendra Kumar Navaiya
- Book Type:

- Description: वैसे तो देश में हजारों बोलियाँ बोली जाती हैं और इन सब बोलियों का अपना-अपना महत्त्व अपनी-अपनी जगह है | मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में भी बुंदेलखंडी बोली बोली जाती है, जिसका अपना एक अंदाज है | किसी भी बोली को अलंकृत करने, मोहक और ज्ञानवर्धक बनाने के लिए उस बोली में पहेलियों, कहावतों, मुहावरों, कहानियों और अहानों का विशेष महत्त्व होता है। बुंदेलखंडी बोली में लोक-स्मृति में आज भी ऐसी पहेलियाँ, कहावतें, कहानी, अहाने और मुहावरे सुरक्षित एवं संरक्षित हैं | यह सब पुरानी पीढ़ी के पास ही है, ऐसी लोक-स्मृतियों को एक जगह समेटने में आज तक कोई प्रयास नहीं हुआ है, संभवत 'बुंदेलखंड की सांस्कृतिक निधि' एकमात्र ऐसी पुस्तक है, जिसे लेखक ने लोक स्मृतियों से निकालकर साहित्य के रुप में संरक्षित किया है। इतना ही नहीं, बुंदेलखंड की सांस्कृतिक निधि पुस्तक बच्चों, युवाओं और सभी आयु वर्ण के लोगों को बुंदेलखंड के रीति-रिवाज, बुंदेली बोली के गूढ़ रहस्यों, पहेलियों, कहावतों, कहानियों, मुहावरों और अहान से परिचित कराने में मील का पत्थर है। निश्चित रूप से आज की चकाचौंध भरी दुनिया में ऐसे ज्ञानमयी साहित्य की आवश्यकता है, जिसे लेखक ने इस पुस्तक में बखूबी सजाया है|
MANAS MEIN LAUKIK JNAN
- Author Name:
Dr. Shrikrishna +1
- Book Type:

- Description: अपने दिल का हाल जानने अपोलो अस्पताल जाना हुआ। हमेशा की तरह मेरे दिल की जाँच-पड़ताल के बाद मेरे दिल के डॉक्टर ने पहली बार अपने दिल का हाल भी बयान किया। देश के जाने-माने इस हृदयरोग विशेषज्ञ के दिल में राम-ही-राम बसते हैं। रामचरितमानस के पाठ से इनका दिनारंभ होता है। इन्हें यह भी भान है कि अनंत लोग इनकी तरह मानस का नित्य वाचन करना चाहते हैं पर समयाभाव आड़े आ जाता है। ऐसे लोगों की सुविधा के लिए इन्होंने कोरोना काल की फुरसत का लाभ उठाकर रामचरितमानस में से वे छंद, दोहे, चौपाइयाँ और सोरठे छाँटे हैं, जिनमें लौकिक ज्ञान निहित है। इनकी विदुषी सहधर्मिणी डॉ. किरण गुप्ता के शब्दों में ‘सांसारिक जीवन के विविध पक्षों पर विराम लगाते हुए, मात्र अपने कार्य पर ही केंद्रित रहना संभवतः इनके चुनौतीपूर्ण काम की अनिवार्यता है। सात्त्विक, सादा, कर्मठ एवं अनुशासित जीवन तथा रोगियों के प्रति निरंतर निष्काम सेवाभाव ने ही संभवतः इन्हें अध्यात्म के उच्चतम पथ पर अग्रसित किया है।’ डॉ. किरण ने डॉ. एस.के. गुप्ता द्वारा चयनित पाठ्य-सामग्री को तारतम्यता देकर इस संकलन को परिपूर्णता भी दी है। डॉक्टर दंपती ने चाहा कि प्रकाशन पूर्व मुझे इसका संपादकीय दृष्टि से अवलोकन करना चाहिए। मैंने वही किया। कहना न होगा, मानस के इस संक्षिप्त संस्करण के पठन ने इसकी उपयोगिता तो स्वयंसिद्ध की ही, मैं इसके चयनकर्ता की सोच, पारखी नजर, गुणग्राह्यता और इनकी सहधर्मिणी की सार-संक्षिप्तता का प्रशंसक हुए बिना भी न रह सका। —आमुख से...
Ganit Aur Vigyan Ke 100 Siddhant
- Author Name:
Rajesh Kumar Thakur
- Book Type:

- Description: "गणित और विज्ञान दोनों ही बड़े रोचक विषय हैं, पर प्राय: देखा गया है कि इनको लेकर छात्रों तथा सामान्य जन को भी मन में डर रहता है। पर थोड़ा परिश्रम करके इनमें हम दक्षता प्राप्त कर सकते हैं और इन्हें अपना मित्र बना सकते हैं। प्रस्तुत पुस्तक ‘गणित और विज्ञान के 100 सिद्धांत’ गणित और विज्ञान के महत्त्वपूर्ण तथ्यों को संक्षेप में पाठकों के सम्मुख प्रस्तुत करने का एक प्रयास है। इस पुस्तक को लिखते समय यह ध्यान रखा गया है कि विषयवस्तु संक्षिप्त हो, पर सारगर्भित हो, जिससे सुधी पाठक गणित व विज्ञान के सभी महत्त्वपूर्ण सिद्धांतों को पढ़ते हुए आत्मसात् कर पाएँ। जहाँ तक संभव बन पड़ा, चित्र व सरल वाक्यों का प्रयोग किया गया है, जिससे कि विज्ञान और गणित की जटिलता का बोझ पाठकों के मस्तिष्क पर न पड़े। "
Bharat Vibhajan Ka Dansh
- Author Name:
Neerja Madhav
- Book Type:

- Description: 14 अगस्त, 1947 को विभाजन का दंश एक कभी न भरनेवाला घाव दे गया। भारतभूमि का ही एक टुकड़ा लेकर 'पाकिस्तान' नामक इसलामिक राष्ट्र घोषित करनेवाले कट्ïटरपंथी नेताओं ने उस भूखंड पर बहुत समय पहले से ही रहते चले आए भारतीयों को, विशेषकर हिंदुओं और सिखों को जबरदस्ती भारत भेजने का फरमान सुना दिया। उनके सामान लूट लिये गए, जमीनें वहीं छूट गईं, स्त्रियों-बच्चियों के साथ पापाचार हुए; पुरुषों, स्त्रियों की हत्या करके उनके शव ट्रेनों में भरकर भारत की ओर रवाना कर दिए गए। भारत के विभाजन ने मानवता की ही हत्या नहीं की थी, विचारों की भी हत्या की थी। यदि 15 अगस्त को मिली आजादी एक ऐतिहासिक घटना है तो 14 अगस्त को विभाजन की त्रासदी एक ऐतिहासिक दुर्घटना है। 'भारत-विभाजन का दंश' रोंगटे खड़े कर देनेवाली, भीतर तक उद्वेलित और आंदोलित कर देनेवाली मार्मिक औपन्यासिक कृति है, जिसके लेखन का एक उद्देश्य यह भी है कि आगे आनेवाली पीढिय़ाँ समझें कि किस तरह से आदमी से आदमी के रिश्ते को उन्माद और आतंक रौंदता आ रहा है। जब नई पीढिय़ाँ उस आतंक और उन्माद को समझेंगी, तभी उनके उन्मूलन का स्थायी मार्ग भी मिलेगा; विभाजन का सच भी पता चलेगा और विभाजन की व्यर्थता भी। तभी पता चलेगा आक्रांताओं के साथ संबंध का ऐतिहासिक झूठ भी और तभी बढ़ उठेंगे पग घर वापसी की ओर भी।
Aadivasi : Vikas Se Visthapan
- Author Name:
Ramanika Gupta
- Book Type:

-
Description:
आदिवासियों का पलायन और विस्थापन सदियों से होता रहा है और ये आज भी जारी है। आदिवासियों के जंगलों, ज़मीनों, गाँवों, संसाधनों पर क़ब्ज़ा कर उन्हें दर-दर भटकने के लिए मजबूर करने के पीछे मुख्य कारण हमारी सरकारी व्यवस्था रही है। वे केवल अपने जंगलों, संसाधनों या गाँवों से ही बेदख़ल नहीं हुए बल्कि मूल्यों, नैतिक अवधारणाओं, जीवन-शैलियों, भाषाओं एवं संस्कृति से भी वे बेदख़ल कर दिए गए हैं।
हमारे मौलिक सिद्धान्तों के अन्तर्गत सभी को विकास का समान अधिकार है। लेकिन आज़ादी के बाद के पहले पाँच वर्षों में लगभग ढाई लाख लोगों में से 25 प्रतिशत आदिवासियों को मजबूरन विस्थापित होना पड़ा। विकास के नाम पर लाखों लोगों को अपनी रोज़ी-रोटी, काम-धंधों तथा ज़मीनों से हाथ धोना पड़ा। उनको मिलनेवाले मूलभूत अधिकार जो उनकी ज़मीनों से जुड़े थे, वे भी उन्हें प्राप्त नहीं हुए।
आदिवासियों के प्रति सरकार तथा तथाकथित मुख्यधारा के समाज के लोगों का नज़रिया कभी संतोषजनक नहीं रहा। आदिवासियों को सरकार द्वारा पुनर्वसित करने का प्रयास भी पूर्ण रूप से सार्थक नहीं हो सका। अन्ततः अपनी ही ज़मीनों व संसाधनों से विलग हुए आदिवासियों का जीवन मरणासन्न अवस्था में पहुँच गया।
21वीं सदी में पहुँचकर भी हमारे देश का आदिवासी समाज जहाँ विकास की बाट जोह रहा है। वहीं दूसरी तरफ़ सरकार की उदासीन नीतियों के कारण उनकी स्थिति ज्यों की त्यों ही है।
विकास के नाम पर छले जा रहे आदिवासियों के पलायन और विस्थापन आदि समस्याओं पर केन्द्रित यह पुस्तक समाज और सरकार के सम्मुख कई सवाल खड़े करती है।
Andhere Mein : Antastal Ka Poora Viplav
- Author Name:
Nirmala Jain
- Book Type:

- Description: ‘अँधेरे में’ उत्तरशती की सबसे महत्त्वपूर्ण और शायद सबसे विवादास्पद कविता है। विवाद भिन्न रुचि और विचारधारा वालों के बीच ही नहीं, समानधर्मा आलोचकों के बीच भी है। यह तथ्य कविता की सम्भावनाशीलता का प्रमाण है। यह भी सही है कि मुक्तिबोध के जीवन-काल में इस कविता को ख़ुद उनसे सुना तो कइयों ने होगा, लेकिन इसे सराहा उनकी मृत्यु के बाद ही गया। इस विलम्ब का कारण उपेक्षा या उदासीनता नहीं, बल्कि ऐतिहासिकता है। अपने समय का अतिक्रमण हर कालजयी रचना में होता है। लेकिन आनेवाले समय के इस कदर साथ चलनेवाली रचनाओं की संख्या बहुत नहीं होती। इस दृष्टि से देखने पर यह बात हैरत में डालनेवाली है कि अपने सारे जटिल अर्थ-विन्यास और अपारदर्शी शिल्प के बावजूद इस कविता के पाठकों की संख्या उत्तरोत्तर बढ़ती गई है। कविता के पाठक-आलोचकों ने तरह-तरह से इस बात को दोहराया है कि मध्यवर्ग के सुविधाजीवी, समझौतावादी और आदर्शजीवी मन का संघर्ष ही ‘अँधेरे में’ की काव्य-वस्तु है। इस पुस्तक में ख्यात हिन्दी आलोचक निर्मला जैन ने ‘अँधेरे में’ पर आधारित आलोचनात्मक आलेखों को संकलित किया है। ये आलेख इस कालजयी कविता की विभिन्न पक्षों से व्याख्या करते हैं।
Padchihna Bulate Hain
- Author Name:
Devendra Swarup
- Book Type:

- Description: प्रो. देवेंद्र स्वरूप—इतिहासकार, पत्रकार, अध्यापक, चिंतक, लेखक—72 वर्ष के सार्वजनिक जीवन में हजारों लोगों से संपर्क; सभी से आत्मीय संबंध पर उनमें से कुछ से अधिक प्रभावित। उनके द्वारा लिखे गए कुछ संस्मरणों में किसी व्यक्ति पर ही नहीं, वरन् तात्कालिक परिस्थितियों एवं कालखंड पर भी टिप्पणी होती हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की व्यक्तित्व-निर्माण की पद्धति की झलक और इस निर्माणशाला से निकले लोगों द्वारा खड़े किए गए कुछ प्रकल्पों की जानकारी। सामाजिक एवं राष्ट्रीय कार्यों में जीवन खपाने वाली कुछ विभूतियों का परिचय। पठनीय ग्रंथ।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...