Gautam Adani: A Complete Biography
Author:
Mahesh Dutt SharmaPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
EnglishCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 400
₹
500
Available
Gautam Adani is an exceptional entrepreneur, full of determination and vision. From the modest beginnings, he became a global billionaire, showing us the true power of hard work. His diverse business success reflects his smart decision-making and inspires aspiring entrepreneurs everywhere.
This book tells the inspiring story of Gautam Adani, a visionary business leader who has made a significant impact on the global corporate world. With remarkable business skills and unwavering determination, Adani built a diverse and successful business empire from humble beginnings. “No business is small or big, and there is no religion greater than the business”. Implementing this maxim in his life, Gautam Adani left the narrow streets behind and became the most famous businessman in India.
This book will inspire aspiring entrepreneurs, showcasing the incredible power of determination and forward-thinking in achieving greatness in the business world.
ISBN: 9789355620613
Pages: 254
Avg Reading Time: 8 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: 3 जुलाई, 1999 की रात, मात्र 19 साल के योगेंद्र सिंह यादव को 18 ग्रेनेडियर्स की 'घातक प्लाटून' के साथ एक बेहद महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई थी। यह जिम्मेदारी अभेद्य टाइगर हिल पर कब्ज़ा जमाने की थी। तोलोलिंग हिल पर कब्ज़ा हो जाने से उत्साहित यूनिट का जोश हाई था, लेकिन उसने भारी नुकसान भी झेला था। दुर्गम इलाके, जमा देनेवाली सर्दी और दुश्मन की भयंकर गोलाबारी का सामना करते हुए, 'घातक प्लाटून' में सबसे पहले वही चोटी पर पहुँचे थे। भले ही कई गोलियाँ और ग्रेनेड के टुकड़े उनके शरीर को भेद चुके थे, फिर भी उन्होंने दुश्मन के बंकरों पर धावा बोला और रेजिमेंट के लिए रास्ता साफ किया, ताकि वे टाइगर हिल की ऊँची चोटियों पर फिर से कब्ज़ा जमा सकें। कारगिल युद्ध के दौरान उन्होंने अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितियों में असाधारण वीरता, अद्भुत शौर्य, अदम्य साहस और संकल्प का परिचय दिया, जिसके कारण वे भारतीय सेना के सर्वोच्च सम्मान, 'परमवीर चक्र' को प्राप्त करनेवाले सबसे कम उम्र के सैनिक बने।
Kranti-Path Ka Pathik : Dastan Bhagat Singh Ki
- Author Name:
Pradeep Garg
- Book Type:

- Description: भगतसिंह की दुर्धर्ष क्रान्तिकारी, महान देशभक्त और शहीद-ए-आज़म की छवि को ही पुस्तकों में अधिकांशतः उभारा गया है। उनके व्यक्तित्व के अनदेखे पहलुओं को उजागर करने तथा उसके जीवन-दर्शन के क्रमिक विकास को पाठकों के सामने प्रस्तुत करना क्रान्ति-पथ का पथक पुस्तक का उद्देश्य है। भारत के नौजवानों में क्रान्ति के प्रति जागृति और कटिबद्धता उत्पन्न करने के उद्देश्य से शहादत देना ही भगतसिंह के जीवन का लक्ष्य था। भगतसिंह के क्रान्तिकारी साथी जयदेव कपूर बताते हैं, ‘भगतसिंह की प्रतिभा बहुमुखी थी। उनको साहित्य, संगीत, गाना, सिनेमा इन सब चीज़ों से लगाव था।’ क्रान्तिकारिणी दुर्गा भाभी, सांडर्स को मारने के बाद पुलिस और सी.आई.डी. की ऐन नाक के नीचे से निकलकर, लाहौर से कलकत्ता भगतसिंह जिनकी मदद से ही जा पाए, कहती हैं, ‘वह सौन्दर्य का उपासक था, कला का प्रेमी था और जीवन के प्रति उसे आसक्ति थी।’ देशहित में वह फाँसी के फन्दे पर झूल गए। देश के लिए आज़ादी हासिल करने का जुनून उनकी बाक़ी सारी चाहतों पर भारी पड़ गया।
Ramanand Sagar Ke Jeevan Ki Akath Kahani
- Author Name:
Prem Sagar
- Book Type:

- Description: 25 जनवरी, 1987 को ‘रामायण’ के पहले एपिसोड के प्रसारण के साथ ही भारतीय टेलीविजन हमेशा-हमेशा के लिए बदल गया। कुछ ही सप्ताह में पूरा देश इस सीरीज के आकर्षण में बँध गया। ‘रामायण’ के प्रसारण के दौरान सड़कें सूनी हो जाती थीं। सीरियल के समय पर न तो शादियाँ रखी जाती थीं, न राजनीतिक रैलियाँ। आज, तीन दशक बाद भी ऐसा कुछ नहीं जो उसका मुकाबला कर सके। इस अद्भुत घटना के सूत्रधार और बॉम्बे के सफल फिल्म निर्माता रामानंद सागर टेलीविजन की बेहिसाब क्षमता को पहचानने वाले कुछ प्रारंभिक लोगों में शामिल थे। पहली बार उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा राज कपूर की ‘बरसात’ (1949) के लेखक के रूप में मनवाया था। सन् 1961 से 1970 के दौरान सागर ने लगातार छह सिल्वर जुबली हिट्स लिखीं, प्रोड्यूस और डायरेक्ट कीं—‘घूँघट’, ‘जिंदगी’, ‘आरजू’, ‘आँखें’, ‘गीत’ और ‘ललकार’। ‘रामानंद सागर के जीवन की अकथ कहानी’, उनके पुत्र, प्रेम सागर की लिखी पुस्तक है, जो एक पुरस्कृत सिनेमेटोग्राफर हैं। यह पुस्तक एक दूरदर्शी के जीवन पर गहराई से नजर डालती है। इसमें 1917 में कश्मीर में सागर के जन्म और फिर 1947 में जब पाकिस्तानी कबाइलियों ने राज्य पर हमला किया तो किसी प्रकार वहाँ से बचकर निकलने से लेकर उनके बॉम्बे आने और उनके गौरवशाली कॅरियर का वर्णन है, जिसके सिर पर कामयाबी के ताज के रूप में ‘रामायण’ धारावाहिक की ऐतिहासिक सफलता सजी है।
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