Bhag Chudail Bhag

Bhag Chudail Bhag

Author:

Devendra Pandey

Language:

Hindi

Category:

Horror

1 Reviews

Price: ₹ 148

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About
Book Details

अपनी नीरस और बोझिल जिंदगी से परेशान प्रीतम के पास दोस्त के नाम पर केवल केशव था, केशव जो अपनी ही अजीबोगरीब दुनिया में खोया रहता था। रोजमर्रा की इस बेमकसद जिंदगी में उन्हें किसी रोमांच की तलाश थी।
और एक दिन मुम्बई की बरसात में वह मिली। अजीब, रहस्यमय और बला की खूबसूरत।
लेकिन उनकी जिंदगी में आने वाली वह अकेली नही थी, उसके साथ आई थी कुछ अनचाही अनजानी मुसीबतें। वह कहते है ना इश्क का भूत सिर चढ़ कर बोलता है।
लेकिन यहां तो इश्क वाकई भूत बना हुआ था।
माईथोलॉजी, प्रेम, आदि जैसे विषयों पर लिखने वाले लेखक देवेन्द्र पाण्डेय इस बार लेकर आए हैं ‘हॉरर रोमांटिक कॉमेडी’ (Horror RomCom) नाम की विधा की हिन्दी की पहली पुस्तक ।

ISBN: 9789392723337

Pages: 200

Avg Reading Time: 7 hrs

Age : 11-18

Country of Origin: India

Customer Reviews

5 out of 5

Book

April 12, 2023, 5:19 am

Devyani Chandrajha

कहतें हैं की चुड़ैल की नज़र, अगर किसी इंसान पर पड़ जाये, तो उसकी ज़िंदिगी किसी नर्क कम नहीं होती। जी नहीं, मैं कोई ऐसी कहानी नहीं सुना रहा जिसमे चुड़ैल कल आने का इंतज़ार करती है, बल्कि, मैं तो वो सच्चाई बयान कर रहा हूँ जिसे आप, मैं, दरअसल हम सभी मनाने से डरते हैं, वो आपको नज़र नहीं आती, क्यूँकी आपको उस पर यकीन नहीं है, लेकिन वो होती हैं, मुझे यकीन है उस पर, उन काली शक्तियों पर, क्यूंकी मैंने उन्हे देखा है, और हर रोज़ देखता हूँ, हर रात जब मैं सो रहा होता हूँ, और अचानक मेरी नींद खुल जाती है, वो मेरे सामने ही खड़ी होतीं है और मुझे घूर रही होतीं हैं, उन्हे देखकर मेरी रूह कांप उठती है, मैं भागना चाहता हूँ, पर जाने क्यूँ, मैं बिस्तर से हिल भी नहीं पाता। ये आज की ही बाता नहीं है बल्कि, ये घटना मेरे साथ तब से हो रही है जब से मैंने चुड़ैलों पर यकीन करना शुरू किया है। अगर आपको भी चुड़ैलों और भूत प्रेतों पर यकीन नहीं है, तो एक बार इस किताब को ज़रूर पढ़िये.... क्या हर कहानी का अंत होता है? या यूँ कहें कि क्या हर कहानी ख़त्म होने के लिए ही शुरू होती है? अगर किसी कहानी का अंत ना हो तो क्या वो हमेशा के लिए समय की चारदीवारियों में चक्कर काटती रहेगी? या के घूमती रहेगी रात के अंधेरों में? अंत जैसे अंत ना हो बल्कि हर कहानी का एक घर हो, जहाँ कि हर कहानी आख़िर में आराम पाती है। और यदि उसे वो अंत ना मिले तो क्या वो अपने घर के बाहर भटकती रहेगी? लगभग सारे अनसुलझे रहस्य और ख़त्म ना होने वाली कहानियाँ एक अजीब सी छटपटाहट छोड़ जाती हैं मन में, और वो तड़प अकेली नहीं होती बल्कि कई सारी सम्भावनाओं को ख़ुद में क़ैद किए होती है। जैसे हर अलग अलग सुनने वाला एक ही कहानी को अपने अपने तरीक़े से समझता है। हर एक का सोचने, समझने, किरदार और वाक़यों को गढ़ने का ख़ुद का तरीक़ा होता है।मेरे हिसाब से हर कोई ये चाहता है कि यदि एक बुरी आत्मा कहानी में है तो अंत में उसकी हार ज़रूरी है। बुराई पर अच्छाई की जीत सिर्फ़ हमारी इच्छा ही नहीं बल्कि क़ुदरत का नियम भी है। हमें चिंता न कर ईश्वर पर भरोसा रखना चाहिए कि बुराई कभी भी हमेशा के लिए नहीं रहती और अच्छाई अपनी जगह छोड़ कर कहीं और नहीं जाती। बस हमारे परेशान मन की धुँध, हमारे उदास मन का कोहरा कभी कभी उस अच्छाई को ढंक लेते हैं और फिर जिस पल हमारे मन में हिम्मत की किरण दाख़िल होती है उसी पल सारा अँधेरा छँट जाता है। कुछ कहानियाँ अपना घर यानी अपने अंजाम को पा जाती हैं तो कुछ हमारी यादों में भटकतीं रहतीं हैं। किसी ऐसे गीत की तरह जो अक्सर रेडियो न चलने के बाद भी हमारे कानों में गूँजता रहता है।

5 Book

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