Sankshipt
Author:
Harsh RanjanPublisher:
Author'S Ink PublicationsLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 297.5
₹
350
Available
मैं अपने तीसरे कहानी-संग्रह की दुनिया में आपका स्वागत करता हूँ। कुछ कहानियाँ शब्दों से ही नहीं, स्वभाव से भी बड़ी होती हैं और जीवन के एक पूरे के पूरे दौर की व्याख्या कर जाती हैं। ऐसी ही कहानियां ‘संक्षिप्त’ में संकलित हैं। ये सारी कहानियाँ मेरी ज़िंदगी का झूठा-सच हैं, मतलब अनुभूतियों से सच और पात्रों से झूठ। इन्हें मैंने इतने करीब से जिया है कि इनपर मेरा एक सौ एक प्रतिशत अधिकार है। मैं इन्ही कहानियों पर उपन्यास बनाने की कोशिश कर रहा हूँ जो एक-एक करके आपके सामने आएंगी। एक-दो कहानियाँ पुरानी हैं और शेष कहानियाँ नयी हैं। इनके कथ्य, इनकी शैली, इनके शब्दों में वो सारे परिवर्तन परिलक्षित होते हैं जो मुझमें जीवन के इस कठिन दौर में चलते-चलते आए थे। ये कहानियाँ ज़्यादातर प्रेम-कहानियाँ हैं और अगर कुछ और भी है तो उसका भी आधार प्रेम ही है।
ISBN: 9788193463369
Pages: 354
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Description:
झूल उस दारुण परिणति का वृत्तान्त है जहाँ स्वातंत्र्योत्तर भारत की युवा पीढ़ी अपने व्यक्तिगत सपनों तथा जातीय आदर्शों और आकांक्षाओं के बीच के अन्तर को पाटने की कोशिश में पहुँची है। उपन्यास का नायक चांगदेव पाटील अपने अस्तित्व के उद्देश्य और नैतिक आदर्शों को समाज में व्याप्त संकीर्णताओं के बीच एकदम असंगत पाता है। यह अनुभव उस समय और प्रगाढ़ हो जाते हैं जब वह एक नए कॉलेज में प्रोफेसर बनकर आता है। पिछले कॉलेज के कटु अनुभव अभी भी उसके साथ हैं लेकिन जिस भावात्मक औदात्य को उसने अपनी जीवन-दृष्टि का आधार बनाया है, उसे भी उसने छोड़ा नहीं है। अपने एकाकी मन को वह समाज की बड़ी संरचना में विलय कर देना चाहता है लेकिन आसपास के जीवन और लोगों में कोई ऐसी मूल्य-चेतना उसे नहीं दिखती जो उन्हें उनकी तुच्छताओं से ऊपर उठा सके। समाज की यह असफलता उसके व्यक्ति को घोर निराशा से भर देती है। लगातार जगह बदलते हुए उसने जो पाया है, वह यही कि जीवन अन्ततः अर्थहीन ही है।
तीक्ष्ण दृष्टि और उतनी ही तीक्ष्ण शब्दावली के साथ भारतीय समाज की पड़ताल करने वाले नेमाड़े इस उपन्यास में ‘होने’ और ‘नहीं होने’ के द्वन्द्व को इतनी गहराई से अंकित करते हैं कि इस शृंखला के अन्य उपन्यासों की तरह यह उपन्यास भी कथा से अधिक एक अध्ययन हो जाता है।
झूल स्वतंत्र रूप से भी उतना ही दिलचस्प और पूर्ण पाठ है, जितना कि शृंखला की एक कड़ी के रूप में। यह एक बड़ी विशेषता है।
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