Antarrashtriya Sangathan
Author:
Anish BhasinPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Academics-and-references0 Reviews
Price: ₹ 360
₹
450
Unavailable
अंतर्राष्ट्रीय संगठन ऐसे संगठन होते हैं, जो एकांतिक रूप से किसी विशेष राष्ट्र या राज्य के न होते हुए भी अंतरराष्ट्रीय संबंधों के संचालन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जैसे संयुक्त राष्ट्र संघ, उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो), दक्षेस/सार्क, आसियान, एपेक, यूरोपीय संघ, राष्ट्रमंडल, अरब लीग, अफ्रीकी संघ, ओपेक, विश्व बैंक, विश्व व्यापार संगठन इत्यादि।
विगत दशक में अंतरराष्ट्रीय संगठनों पर अनेक ग्रंथ अंग्रेजी में प्रकाशित हुए हैं, किंतु हिंदी में इस विषय पर एक संपूर्ण पुस्तक का सर्वथा अभाव रहा है। अत: इसी अभाव की पूर्ति हेतु इस ग्रंथ 'अंतरराष्ट्रीय संगठन' का सृजन किया गया है। प्रस्तुत पुस्तक में सौ से अधिक अंतरराष्ट्रीय संगठनों का सांगोपांग वर्णन है। प्रत्येक संगठन के अंत में उससे संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्यों को कोष्ठक में दिया गया है। पुस्तक की विषयवस्तु को उपयोगी बनाने हेतु अंतरराष्ट्रीय संगठनों से संबंधित कई पुस्तकों से संदर्भ भी लिये गए हैं।
आशा है, यह पुस्तक विद्यार्थियों, शोधार्थियों एवं प्रतियोगी परीक्षाओं के परीक्षार्थियों के लिए विशेष रूप से उपयोगी सिद्ध होगी।
ISBN: 9789354882449
Pages: 484
Avg Reading Time: 16 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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और उस पर हो रहे आघातों को वे अपनी कविताओं का विषय बनाते हैं। मनुष्य की स्वाधीनता में उन्हें धर्म जहाँ भी बाधक लगता है वे उसका मुँहतोड़ प्रतिकार करते हैं। इस बिन्दु पर वे बड़े सेक्युलर (सांसारिक) हो जाते हैं जो निर्भय होकर किसी भी सत्ता से भिड़ना जानता है। राजनीति वह क्षेत्र है जहाँ से नंद बाबू का कवि ऊर्जा ग्रहण करता है। वे आततायी राजनीति का चेहरा उघाड़ते हैं और मनुष्यधर्मी राजनीति की प्रस्तावना भी करते हैं। उनका स्वाधीन भारत के समाजवादी दलों से सीधा जुड़ाव भी रहा और वे किसी कार्यकर्ता की तरह आन्दोलनों, रैलियों और चुनावों में भागीदारी करते रहे। उनके ये जीवनानुभव जब कविताओं में रूपान्तरित होकर आते हैं तब नॉस्टेल्जिया उनकी कविताओं की रूढ़ि नहीं शक्ति प्रतीत होता है। युवा आलोचक पल्लव ने परिश्रमपूर्वक रचनावली का सम्पादन किया है। उनकी भूमिका कवि के कृतित्व को गहराई से जानने-समझने के लिए आकृष्ट करती है। नंद चतुर्वेदी की काव्य यात्रा केवल कविताएँ लिखने तक सीमित नहीं थी। इस काव्य यात्रा में प्रभूत गद्य भी लिखा गया है। यह गद्य मोटे तौर पर दो प्रकार का है। चिन्तन-आलोचना-समीक्षा का गद्य और 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Rachna Bisht Rawat
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- Description: 4/5 जी.आर. के गोरखा सैनिक अपने हाथों में सिर्फ खुली खुखरी लेकर भारी सुरक्षावाली दुश्मन की चौकी पर हमला क्यों करते हैं? क्या पाकिस्तान को उस युवा पायलट की असली पहचान का पता चल गया है, जो जलते हुए विमान से बाहर निकलने के बाद खुद को फ्लाइट लेफ्टिनेंट मंसूर अली खान कहता है? उस नौसैनिक गोताखोर के साथ क्या होता है, जो अपने कपड़ों से 'मेड इन इंडिया' के लेबल को काटकर हटाता है और अपने कंधे पर मशीनगन लटकाए पूर्वी पाकिस्तान में प्रवेश कर जाता है? एक इक्कीस वर्षीय सिख पैराट्रूपर को दमदम हवाई अड्डे पर एक सुनसान हैंगर में स्टूल से कूदना क्यों सिखाया जा रहा है, जहाँ पास में ही एक 'पैकेट विमान' इंतजार कर रहा है? 1971 के भारत-पाक युद्ध की थलसेना, नौसेना और वायुसेना के वीरों की कहानियों के माध्यम से उन युद्धक्षेत्रों का स्मरण फिर से करें, जहाँ वे एक ऐसे उद्देश्य के लिए लड़े, जो उनके लिए अपने प्राणों से भी अधिक महत्त्व रखता था।
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