Zindagi - Story of Life
Author:
Vastvik AmeraPublisher:
Author'S Ink PublicationsLanguage:
EnglishCategory:
Literary-fiction1 Reviews
Price: ₹ 148.75
₹
175
Available
Some stories are untold, some are buried deep, but every story deserves to be elicited. Authors' Ink Publications bring to you; a compendium of some unheard thoughts, some untouched emotions,some life changing stories.
ISBN: 9789385137099
Pages: 59
Avg Reading Time: 1 hrs
Age: 18+
Country of Origin: -
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‘नदी लहरें और तूफ़ान’ उनका दूसरा उपन्यास है। इसमें एक समृद्ध ब्राह्मण परिवार का बड़ा ही सजीव चित्रण है। दादी इस परिवार की केन्द्रीय शक्ति हैं। उन्हीं के इशारे पर सबको चलना पड़ता है। परन्तु उनमें स्नेह और ममता इतनी अधिक है कि उनके बच्चे स्नेह के बल पर अपने मन की मनवा लेते हैं। दादी का चरित्र बहुत ही जीवन्त होकर उभरा है। वे पुरानी रूढ़ियों और परम्पराओं से आक्रान्त हैं लेकिन ख़ानदान की मर्यादा की रक्षा के लिए सदा जागरूक हैं।
इस उपन्यास के नारी पात्र अधिक सशक्त हैं। लक्ष्मी का चरित्र तो अविस्मरणीय है। अपमान, उपेक्षा के बीच में स्थिर दीप-शिखा की तरह वह जलती रहती है और कठिन अवसरों पर परिवार को कठिन समस्याओं से उबारने का मार्ग भी दिखाती है। लक्ष्मी का पति उत्तम, नायक उतना नहीं है जितना नेय है। वह अपनी प्रथम पत्नी पार्वती से प्रेम करता है, उसे वचन भी देता है कि उसके जीवन में और कोई नारी पत्नी रूप में नहीं आ सकती। लेकिन दादी के दबाव से लक्ष्मी से फिर विवाह करता है। विवाह भी करता है लेकिन उसे पत्नी के रूप में स्वीकार करने में समर्थ भी नहीं होता। बाद में जब लक्ष्मी की ओर उन्मुख भी होता है तो अकारण उत्पन्न मानसिक ग्रन्थियों से बिदक जाता है। इस प्रकार वह शुरू से अन्त तक कमज़ोर चरित्र का पात्र बना रहता है।
लक्ष्मी और दादी इस उपन्यास के बहुत सशक्त पात्र हैं। कठिन-से-कठिन परिस्थितियों में धैर्य और विवेक रखनेवाली लक्ष्मी सचमुच गृह-लक्ष्मी है।
—डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी
Vaidehi Ke Ram
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Chitra Chaturvedi 'Kartika'
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- Description: Awating description for this book
Anitya
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Mridula Garg
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Description:
‘अनित्य’ प्रतिबोध तक पढ़ा है। ‘अविजित’ जैसा, सभ्य शिष्ट जीवन का सही सांगोपांग चित्र शायद ही कहीं और मिले।
—जैनेन्द्र
याद रही किताबों में सबसे पहला नाम लेना चाहूँगा मृदुला गर्ग के अत्यन्त महत्त्वपूर्ण उपन्यास ‘अनित्य’ का। केन्द्रीय बिम्ब है उसका पहाड़ों में उगा लम्बा शानदार देवदारु जो धीरे-धीरे कमज़ोर पड़ता जा रहा है और एक दिन जड़ से उखड़कर गिर पड़ता है। देवदारु प्रतीक है उस संस्कारवान व्यक्तित्व का जो राष्ट्रीय संघर्ष के दौरान उभरा था। वह समझौतों के ख़िलाफ़ था। लेकिन इन समझौतावादियों की जो कुटिल दोमुँही संस्कृति आज़ादी पाने के बाद उभरी, उसने धीरे-धीरे उन क्रान्तिकारी मूल्यों को छिन्न-भिन्न कर दिया, जिनका प्रतीक भगतसिंह का ‘इंक़लाब ज़िन्दाबाद’ था। इस सारी प्रक्रिया को एक मध्यमवर्गीय परिवार की कथा में पिरोकर मृदुला गर्ग ने जितने मार्मिक, प्रामाणिक और कलात्मक ढंग से अपने इस उपन्यास में रखा है, वह सचमुच बहुत प्रभावशाली है।
—धर्मवीर भारती
‘अनित्य’ सचमुच अनित्य है। क्या कथा शिल्प है, भूत को वर्तमान में लाकर कैसे हमारा बनाया जाता है, यह मंत्र दिया है। ‘दुविधा’ से भी आगे ‘प्रतिशोध’ और सशक्त है। कथा में विचार कैसे किस रंग और अनुपात में आता है, यह अविस्मरणीय रहेगा।
—लक्ष्मी नारायण लाल
मृदुला का लेखन परम्परावादी नहीं है। जितना सशक्त लेखन मृदुला ने किया है, हिन्दी में वैसा लेखन कोई नहीं कर रहा। बहुत अद्भुत लेखन है, अपने ढंग का एकदम अकेला। ‘अनित्य’ के सभी पात्र मेरे परिचित होने पर भी अपरिचित लगते हैं। यूँ तो पूरा मध्यवर्गीय परिवेश है। मगर पात्र स्टीरियोटिपिकल नहीं हैं। वे ऐसे लिखती हैं, तटस्थ भाव से, कहीं जजमेंटल नहीं हैं, कोई निर्णय नहीं देतीं, नैतिकता का प्रश्न नहीं उठातीं। इतना काजुअल स्टाइल है कि वैसे लिखती हैं जैसे बोल रही हों।
—मनोहर श्याम जोशी
Abhibhavak Kaise Hon
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Acharya Mayaram 'Patang'
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- Description: "शिक्षकों और बालकों पर पुस्तकें चाहे कम ही सही, परंतु लिखी गई हैं। माता-पिता या अभिभावक कैसे हों? इस विषय पर पहली बार ही कोई पुस्तक हिंदी साहित्य में प्रकाशित हुई है। मुझे पहल करने का गौरव प्राप्त हो रहा है। इस पुस्तक की शैली भी अनोखी है। अभिभावकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम हो रहा है। हर विषय के विशेषज्ञ उसमें अपने व्याख्यान दे रहे हैं। फिर शंका-समाधान के लिए प्रश्न एवं उत्तर की व्यवस्था से पुस्तक और अधिक सरल तथा सरस बन गई है। माता-पिता अपने बच्चों की तथा परिवार की भलाई के लिए इस पुस्तक को अवश्य पढें़। इसमें ऐसा बहुत कुछ मिलेगा, जो माता-पिता बन जाने के बाद भी हमें पता नहीं है। हमें अपने दायित्व का बोध नहीं है। हम या तो बच्चों को मारते-डाँटते हैं या शिक्षकों को दोष देते रहते हैं। मेरा दावा है कि इस पुस्तक को पढ़ने के बाद हम सच्चाई को समझेंगे, अपने कर्तव्य को जानेंगे, समझेंगे तथा निभाएँगे।
Customer Reviews
4 out of 5
Book
December 29, 2022, 3:06 pm
Khushi Sunderka
"Zindagi- The Story Of Life" is an anthology book compiled by Vastvik Amera. The book is a collection of five different short stories written by 5 different co- authors. The first one is a kind of cute love story while, the second story taught a life lesson. I personally liked the third " Am I Alive" and last story "Yours Forever". Basically, third one is the story of an old man who lost his wife 2 years back and was left with the reminders of those 60 years spent with that lady. Today, he can't even cry just because he will never want his children to break down in front of him. But you know the worst part is, more than that, he knows that even if he'll cry, she will no longer be there to wipe his tears. If you are looking for a short read filled with a little pinch of emotions, then give it a read.
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