Nar Naari
Author:
Krishna Baldev VaidPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 140
₹
175
Available
यह उपन्यास कृष्ण बलदेव वैद के सबसे चर्चित और बहस तलब रचनाओं में से एक है। उन्होंने हिन्दी की मुख्यधारा से अकसर दूर ही रहते हुए भाषा को ऐसी कृतियाँ दी हैं जो शिल्प के हमारे साथ सोचने के तरीक़ों को भी विचलित करती रही हैं।</p>
<p>‘नर नारी’ उपन्यास स्त्री की समूची सामाजिक<strong>, </strong>पारिवारिक और दैहिक इयत्ता को केन्द्र में रखता है<strong>, </strong>और उनसे जुड़े प्रश्नों पर एक संकुल भावभूमि के परिप्रेक्ष्य में विचार करता है। पितृसत्तात्मक सामाजिक तंत्र में सम्पत्ति के उत्तराधिकार<strong>, </strong>विवाह-संस्था की वैधता<strong>, </strong>यौन- शुचिता और इससे जुड़े कई विधि<strong>-</strong>निषेधों पर अत्यन्त ज़ोर दिया जाता है। पति-पत्नी<strong>, </strong>बहन-भाई<strong>, </strong>माँ-बेटे आदि सभी सम्बन्ध अन्तत: इन्हीं सब के सन्दर्भ में परिभाषित होते दिखते हैं।</p>
<p>इनके बीच ही मौजूद है स्त्री-पुरुष का आदिम रिश्ता जो एक दूसरी की उपस्थिति को एक प्राकृतिक और समान भूमि पर परिभाषित करता है। बाँझ माँजी<strong>, </strong>रसीला<strong>, </strong>सीमा और मीनू आदि इस उपन्यास के ऐसे स्त्री पात्र हैं जिनका जीवन और दृष्टिकोण इन तमाम प्रश्नों पर अलग-अलग ढंग से प्रकाश डालता है।</p>
<p>संवादों के बीच से ही दृश्यों को साकार करते हुए उपन्यास को पढ़ना जैसे अपने ही मन की भीतरी तहों की यात्रा करने जैसा है। लेखक कहीं पर न पात्रों का बाहरी विवरण देता है<strong>, </strong>न परिस्थितियों का<strong>, </strong>फिर भी सब जैसे पाठक की आँखों के सामने साकार होता चलता है। एक पठनीय और विचारणीय उपन्यास।</p>
<p>
ISBN: 9788126723355
Pages: 223
Avg Reading Time: 7 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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