Hindutva : Ek Jeevan Shaili
Author:
Ed. Kalraj MishraPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 320
₹
400
Unavailable
आज भारत के राजनीतिक परिवेश में चारों ओर संकट दिखाई दे रहा है। देश में भ्रष्टाचार चरम पर है। धर्म-जाति के नाम पर वोट पाने हेतु राष्ट्रीय हितों को तिलांजलि दी जा रही है। छद्म धर्म-निरपेक्षता के नाम पर संप्रदायवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है।
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हिंदुत्व की व्यापक अवधारणा, उसकी अप्रतिम जीवन-शैली, उसकी संस्कृति का दिग्दर्शन कराती एक श्रेष्ठ कृति।
ISBN: 9789350485958
Pages: 208
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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ज्ञान चतुर्वेदी का यह उपन्यास ‘नरक-यात्रा’ महान रूसी उपन्यासों की परंपरा में है, जो कहानी और इसके चरित्रों के हर संभव पक्ष तथा तनावों को अपने में समेटकर बढ़ा है। यह उपन्यास भारत के किसी भी बड़े सरकारी अस्पताल के किसी एक दिन मात्र की कथा कहता है। अस्पताल, जो नरक से कम नहीं, विशेष तौर पर गरीब आम आदमी के लिए।
लेखक हमें अस्पताल के इसी नरक की सतत यात्रा पर ले जाता है, जो अस्पताल के हर कोने में तो व्याप्त है ही, साथ ही इसमें कार्यरत लोगों की आत्मा में भी फैल गया है। ऑपरेशन थिएटर से अस्पताल के रसोईघर तक, वार्ड बॉय से सर्जन तक–हर चरित्र और स्थिति के कर्म-कुकर्म को लेखक ने निर्ममता से उजागर किया है। उसकी मीठी छुरी-सी पैनी जुबान और उछालकर मजा लेने की प्रवृत्ति इस निर्मम लेखन-कर्म को और भी महत्त्वपूर्ण बनाती है। किसी सुधारक अथवा क्रांतिकारी लेखक का लबादा ओढ़े बगैर ज्ञान चतुर्वेदी ने निर्मम, गलीज यथार्थ पर सर्जनात्मक टिप्पणी की है और खूब की है।
यह उपन्यास अद्भुत जीवन तथा उतने ही अद्भुत जीवन-चरित्रों की कथा को ऐसी भाषा में बयान करता है जो आम आदमी के मुहावरों और बोली से संपन्न है, जिसमें मजे लेकर बोली जानेवाली अदा और बाँध लेने की शक्ति है।
–स्वदेश दीपक
Non Resident Bihari : Kahin Paas Kahin Fail
- Author Name:
Shashikant Mishra
- Book Type:

- Description: ा होता है जब बिहार में किसी भी थोड़े सम्पन्न परिवार में बच्चे का जन्म होता है? उसके जन्मते ही उसके बिहार छूटने का दिन क्यों तय हो जाता है? जब सभी जानते हैं कि मूँछ की रेख उभरने से पहले उसको अनजान लोगों के बीच चले जाना है—तब भी क्यों उसको गोलू-मोलू-दुलारा बना के पाला जाता है? वही ‘दुलारा बच्चा’ जब आख़िरकार ट्रेन में बिठाकर बिहार से बाहर भेज दिया जाता है तब क्या होता है उसके साथ? सांस्कृतिक धक्के अलग लगते हैं, भावनात्मक अभाव का झटका अलग—इनसे कैसे उबरता है वह? क्यों तब उसको किसी दोस्त में माशूका और माशूका में सारे जहाँ का सुकून मिलने लगता है? ‘एनआरबी’ के नायक राहुल की इतनी भर कहानी है—एक तरफ़ यूपीएससी और दूसरी तरफ़ शालू। यूपीएससी उसकी ज़िन्दगी है, शालू जैसे ज़िन्दगी की ‘ज़िन्दगी’। एक का छूटना साफ़ दिखने लगता है और दूसरी किनारे पर टँगी पतंग की तरह है। लेकिन इसमें हो जाता है लोचा। क्या? सवाल बहुतेरे हैं। जवाब आपके पास भी हो सकते हैं। लेकिन ‘नॉन रेज़िडेंट बिहारी’ पढ़कर देखिए—हर पन्ना आपको गुदगुदाते, चिकोटी काटते, याद-गली में भटकाते ले जाएगा एक दिलचस्प अनुभव की ओर
Mahabhishag
- Author Name:
Bhagwan Singh
- Book Type:

-
Description:
‘महाभिषग’ शीर्षक से ही स्पष्ट है कि यह गौतम बुद्ध के जीवन पर आधारित उपन्यास है न कि भगवान बुद्ध के। बुद्ध को भगवान बनानेवाले उस महान उद्देश्य से ही विचलित हो गए थे, जिसे लेकर बुद्ध ने अपना महान सामाजिक प्रयोग किया था और यह सन्देश दिया था कि जाति या जन्म के कारण कोई किसी अन्य से श्रेष्ठ नहीं है और कोई भी व्यक्ति यदि संकल्प कर ले और जीवन–मरण का प्रश्न बनाकर इस बात पर जुट जाए तो वह भी बुद्ध हो सकता है।
‘महाभिषग’ इस क्रान्तिकारी द्रष्टा के ऊपर पड़े देववादी खोल को उतारकर उनके मानवीय चरित्र को ही सामने नहीं लाता, यह देववाद के महान गायक अश्वघोष को भी एक पात्र बनाकर सिर के बल खड़ा करने का और देववाद की सीमाओं को उजागर करने का प्रयत्न करता है। इतिहास की मार्मिक व्याख्या वर्तमान पर कितनी सार्थक टिप्पणी बन सकती है, इस दृष्टि से भी यह एक नया प्रयोग है।
Sant Na Bandhe Ganthari
- Author Name:
Mithileshwar
- Book Type:

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Description:
‘संत न बाँधे गाँठड़ी’ उपन्यास जीवन और समाज से अभिन्न धार्मिक आस्था-विश्वास, श्रद्धा-भक्ति तथा आध्यात्मिक चेतना के विकास के नाम पर हमारे समक्ष निरन्तर गहराते संकट से न सिर्फ़ अवगत कराता है बल्कि अन्धश्रद्धा के ख़िलाफ़ हमें जागरूक और सतर्क बने रहने की प्रबल प्रेरणा भी देता है।
यह उपन्यास वैसे बाबाओं, स्वामियों एवं गुरुओं को ही कटघरे में नहीं लाता बल्कि इसके लिए जनसमाज की अन्धश्रद्धा को भी ज़िम्मेवार मानता है। अपने ही जैसे किसी इंसान को गुरु और संत के तहत ईश्वर का प्रतिरूप समझ उनके प्रति अपना तन-मन और धन सर्मिपत कर देना अन्धश्रद्धा नहीं तो और क्या है।
उपन्यास की व्यापकता और महत्त्व का परिचायक इसका ऐसा कथ्य और तथ्य है जिसके तहत धार्मिक, आध्यात्मिक क्षेत्र के किसी भी पक्ष को ऩजरअन्दाज नहीं किया गया है, बल्कि गहराई, बेबाकी और सूक्ष्मता के साथ पूरे परिदृश्य का ऐसा सम्यक् और सटीक विश्लेषण हुआ है जिसके तहत दूध का दूध और पानी का पानी की तरह धार्मिक, आध्यत्मिक जगत का सत्य और तथ्य, कपट और पाखंड तथा योग और भोग सबकुछ स्पष्ट होता चला गया है।
Thistle & Weeds
- Author Name:
Prachi Priyanka
- Book Type:

- Description: Thistle and weeds is an enjoyable collection of eleven stories that explore love, lust and loyalties from surprising perspectives. These stories celebrate the mysterious inner lives of ordinary people who are stuck in moments of crisis and struggle to unravel their lives in a world where certainties are tested and often found wanting. A young girl locates the defiant undercurrent of individual expression shackled by societal norms; a Lonely old widow finds a Ray of hope; a disillusioned wife redefines notions of fidelity; an agonised husband chooses freedom over his wife; a woman encounters love from her past; a rapist feels the need to unburden... Binding these acutely observed and emotionally intelligent stories are complex, confused and yet beautifully fascinating characters. Prachi Priyanka subverts the familiar themes of family, love and cultural identity and provides a rare glimpse into the strange workings of the human heart.
Bhootnath
- Author Name:
Devkinandan Khatri
- Book Type:

- Description: बाबू देवकीनन्दन खत्री विरचित ‘भूतनाथ’ एक अत्यन्त लोकप्रिय और बहुचर्चित प्रसिद्ध उपन्यास है। ‘चन्द्रकान्ता-सन्तति’ में ही बाबू देवकीनन्दन खत्री के अदभुत पात्र भूतनाथ (गदाधर सिंह) ने अपनी जीवनी (जीवन-कथा) प्रस्तुत करने का संकल्प किया था। यह संकल्प वस्तुतः लेखक का ही एक संकेत था कि इसके बाद ‘भूतनाथ’ नामक बृहत् उपन्यास की रचना होगी। देवकीनन्दन खत्री की अद्भुत कल्पना-शक्ति को शत्-शत् नमन है। लाखों करोड़ों पाठकों का यह उपन्यास कंठहार बना हुआ है। जब यह कहा जाता है कि बाबू देवकीनन्दन खत्री के उपन्यासों को पढ़ने के लिए लाखों लोगों ने हिन्दी भाषा सीखी तो इस कथन में ‘भूतनाथ’ भी स्वतः सम्मिलित हो जाता है क्योंकि ‘भूतनाथ’ उसी तिलिस्मी और ऐयारी उपन्यास परम्परा ही नहीं, उसी शृंखला का प्रतिनिधि उपन्यास है। कल्पना की अद्भुत उड़ान और कथा- रस की मार्मिकता इसे हिन्दी साहित्य की विशिष्ट रचना सिद्ध करती है। मनोरंजन का मुख्य उद्देश्य होते हुए भी इसमें बुराई और असत् पर अच्छाई और सत् की विजय का शाश्वत विधन ऐसा है जो इसे एपिक नाॅवल (Epic Novel) यानी महा-काव्यात्मक उपन्यासों की कोटि में लाता है। ‘भूतनाथ’ का यह शुद्ध पाठ-सम्पादन और भव्य नव-प्रकाशन, आशा है, पाठकों को विशेष रुचिकर प्रतीत होगा।
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