Out of Love
Author:
Swetha R MohanPublisher:
Author'S Ink PublicationsLanguage:
EnglishCategory:
Literary-fiction1 Reviews
Price: ₹ 201.45
₹
237
Available
Some relationships in life begin casually and come with us for a very long-time, more than we expected! Sometimes we misunderstand people and a few times we misunderstand what they mean to us. When we realize it, It is too late. Do we get a chance to restart? This fiction is about a few people in their prime part of life - late teens to early twenties. Priya, the Talkative, boisterous girl sets the pace of the story. She can be friends with anyone unlike sanjana, who sees her bestial and only friend in Oriya. All Indian teenage girls have a thing in common - their liking for Reel life heroes. The girls were no exception. They are die-hard fans of an upcoming actor from a star family, Rishi. Not an everyday thing, but it did happen to them. Priya, sanjana and Rishi cross paths. They meet, greet, get friendly and get closer. It is about these three people's journey - their emotions, their behaviour, and their relationship. The same love that brings them closer drifts them apart when dynamics change. Out of love, do they make, break or mend their relationship!.
ISBN: 9788193463383
Pages: 200
Avg Reading Time: 3 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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उनकी सांस्कृतिक अभिरुचि, यथार्थ को अपने ढंग से देखने का उनका तरीक़ा और उसे भाषा में अंकित करने का ढंग उन्हें एक अलग जगह देता है। ये उपन्यास भी इसके साक्षी हैं। उपन्यास ‘कंकाल’ और ‘तितली’ में उन्होंने तत्कालीन युग-बोध को एक भिन्न कोण से पकड़ा था। असहाय स्त्रियों के जीवन की चुनौतियों को दिखाने के लिए उन्होंने इन रचनाओं में यथार्थ के बाह्य रूपों को चित्रित करने के साथ-साथ व्यक्तिमन की आन्तरिक परतों को भी उद्घाटित किया। ‘तितली’ को कथा-शिल्प और वस्तु-विन्यास के दृष्टिकोण से प्रसाद का सर्वाधिक परिपक्व उपन्यास माना जाता है।
‘इरावती’ को वे पूरा नहीं कर सके थे। शुंगकालीन ऐतिहासिक विषय और बौद्धकालीन रूढ़ियों-विकृतियों के प्रति विद्रोह की जिस कथा-वस्तु को लेकर उन्होंने यह उपन्यास आरम्भ किया था, वह निश्चय ही एक बड़ी औपन्यासिक कृति के रूप में फलीभूत होता। यहाँ ‘इरावती’ के उपलब्ध स्वरूप को यथावत् संकलित किया गया है ताकि पाठक प्रसाद की उपन्यास-काल के मर्म को जान सकें।
Trapped
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Rajat Chakraborty
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- Description: Difficulties and hurdles are inevitable. Minor setbacks, major failures, degrees of struggle vary from person to person - no two are alike. When you find yourself questioning your strengths, that’s when you are faced with one major question - “do I put My head down and try harder, do I seek help, or do I concede that I’m not meant to be doing this?” This book is dedicated to the bright young minds who are confused or in doubt about taking the next step. It helps increase your self-awareness, and find the key to unlocking your true potential.
Gramsevika
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Amarkant
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दमयन्ती के दिल में एक आग जल रही थी। वह साहस, संघर्ष और कर्मठता का जीवन अपनाकर अपने दु:ख, निराशा और अपमान का बदला उस व्यक्ति से लेना चाहती थी, जिसने दहेज के लालच में उसे ठुकरा दिया था।
उस दिन वह ख़ुशी से चहक उठी, जब उसे नियुक्ति-पत्र मिला। उसकी ख़ुशी का एक यह भी कारण था कि उसे गाँव की औरतों की सेवा करने का मौक़ा मिला था। जब पढ़ती थी, तो उसकी यह इच्छा रही थी कि वह अपने देश के लिए, समाज के लिए कुछ करे। आज उसका सपना साकार होने चला था। परन्तु गाँव में जाकर उसे कितना कटु अनुभव हुआ था!
उस गाँव में न कोई स्कूल था और न ही अस्पताल। रूढ़िवादी संस्कारों और अन्धविश्वासों की गिरफ़्त में छटपटाते लोग थे, जिन्हें पढ़ाई-लिखाई से नफ़रत थी। उनका विश्वास था कि पढ़ाई-लिखाई से ग़रीबी आएगी। भला अपने बच्चों को वे भिखमंगा क्यों बनाएँ? भगवान ने सबको हाथ-पैर दिए हैं। टोकरी बनाकर शहर में बेचो और पेट का गड्ढा भरो।
इस अज्ञानता के कारण गाँव के ग़रीब लोग जहाँ धर्म के ठेकेदारों के क्रिया-कलापों से आक्रान्त थे, वहीं जोंक की तरह ख़ून चूसनेवाले सूदख़ोरों के जुल्मों से उत्पीड़ित भी।
इसके बावजूद दमयन्ती ने हार नहीं मानी। अपने लक्ष्य की राह को प्रशस्त करने की दिशा में जुटी रही—कि अचानक हरिचरन के प्रवेश ने ऐसी उथल-पुथल मचाई कि उसके जीवन की दिशा ही बदल गई।
Akshaya Patra
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Bindu Bhatt
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बिन्दु भट्ट का प्रथम प्रकाशित डायरी शैली का प्रयोगशील उपन्यास ‘मीरा याज्ञिक की डायरी’ एक ओर आधुनिकतावादी व्यक्ति-चेतना से जुड़ा था तो दूसरी ओर वह समलैंगिक संस्कार के कारण उत्तर-आधुनिकता को भी स्पर्श करता था; परन्तु उनका दूसरा उपन्यास ‘अक्षय पात्र’ बीसवीं शती के अन्तिम दौर के दो दशकों में परवान चढ़े उत्तर-आधुनिकता के स्त्रीवादी, दलितवादी तथा देशीवादी प्रवाहों के निष्कर्ष को समाविष्ट करके स्पष्टतः समकालीन सामाजिक चेतना के साथ जुड़ता है।
—डॉ. चन्द्रकान्त टोपीवाला (प्रसिद्ध समीक्षक-कवि)
बिन्दु भट्ट का उपन्यास ‘अक्षय पात्र’ एक नारी के जीवन की वेदना के अक्षय पात्र की कथा है। जैसे अक्षय पात्र में कभी कोई वस्तु चुकती नहीं वैसे कंचनबा के जीवन में वेदना की लहर एक के बाद एक आती ही रहती है। परन्तु यदि वेदना ही इस उपन्यास का नाभिकेन्द्र होता तो उपन्यास में जो गहराई सिद्ध हुई है, कंचनबा के जीवन में जो अवबोध तथा यथार्थ की निरामयता प्रकट हुई है, वह सम्भव नहीं थी।
—मनसुख सल्ला (प्रसिद्ध समीक्षक-निबन्धकार)
Customer Reviews
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February 10, 2023, 3:40 pm
Khushi Sunderka
Book: Out Of Love Author: Swetha R Mohan Pages: 188 ---------------------------------------------------------------- "Sometimes it doesn't matter hoe many words we share in a conversation or how many hours we spend talking about something. All that matters is with whom we share it". I bought this book from @rachnaye The entire story is the journey of three people, their emotions, their friendship, their relationship. Priya, the talkative and boisterous girl sets the pace of the entire story. Sanjana and Priya were true best friends. Both were die- hard fans of an upcoming actor, Rishi. Priya, sanjana and rishi cross paths. What will happen when Rishi himself falls in love with her? Will she be sanjana or Priya??? Will Rishi bring a new twist to their friendship? To know more, definitely read this book. The narration style is easy and relatable. You can relate to few movies as well. Overall, a beautiful love story that will define you the importance of friendship even in the relationship.
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