Mahabhoj
Author:
Mannu BhandariPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction3 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
मन्नू भंडारी का ‘महाभोज’ उपन्यास इस धारणा को तोड़ता है कि महिलाएँ या तो घर-परिवार के बारे में लिखती हैं, या अपनी भावनाओं की दुनिया में ही जीती-मरती हैं। ‘महाभोज’ विद्रोह का राजनैतिक उपन्यास है।
जनतंत्र में साधारण जन की जगह कहाँ है? राजनीति और नौकरशाही के सूत्रधारों ने सारे ताने-बाने को इस तरह उलझा दिया है कि वह जनता को फाँसने और घोटने का जाल बनकर रह गया है। इस जाल की हर कड़ी ‘महाभोज’ के दा साहब की उँगलियों के इशारों पर सिमटती और खुलती है। हर सूत्र के वे कुशल संचालक हैं। उनकी सरपरस्ती में राजनीति के खोटे सिक्के समाज चला रहे हैं—खरे सिक्के एक तरफ़ फेंक दिए गए हैं।
‘महाभोज’ उपन्यास भ्रष्ट भारतीय राजनीति के नग्न यथार्थ को प्रस्तुत करता है। अनेक देशी-विदेशी भाषाओं में इस महत्त्वपूर्ण उपन्यास के अनुवाद हुए हैं और ‘महाभोज’ नाटक तो दर्जनों भाषाओं में सैकड़ों बार मंचित होता रहा है। ‘नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा’ (दिल्ली) द्वारा मंचित ‘महाभोज’ नाटक राष्ट्रीय नाट्य-मंडल की गौरवशाली प्रस्तुतियों में अविस्मरणीय है।
हिन्दी के सजग पाठक के लिए अनिवार्य उपन्यास है ‘महाभोज’।
ISBN: 9788183610926
Pages: 168
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Pragna Rao
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- Description: Marriage! Is it a tradition? A legal agreement? A biological need? Or something besides all these? Tragedy strikes Isha’s life when she loses her fiancée to destiny. But happiness comes back into her life in the form of a good man who becomes her husband. However, the struggles of her memories and present situation go on, taking a toll on her new married life. Unable to carry on, she separates from her husband. And yet, the distance between them reminds her of her husband's unconditional love. She understands the significance of the marital vows and returns to be his best companion. Though destiny unceasingly challenges her, it also makes her stronger. Who wins the battle ultimately? Destiny or love?
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