Kissago
Author:
Mario Vargas LlosaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 156
₹
195
Unavailable
‘क़िस्सागो’ मारियो वार्गास ल्योसा के सबसे महत्त्वाकांक्षी उपन्यासों में से एक है। यह लातिन अमरीकी देश पेरु के एक प्रमुख आदिवासी समूह के इर्द-गिर्द घूमता है। आदिवासी जीवन-दृष्टि और हमारी आज की आधुनिक सभ्यता के बरक्स उसकी इयत्ता को एक बड़े प्रश्न के रूप में खड़ा करनेवाला यह सम्भवतः अपनी तरह का अकेला उपन्यास है। मिटने-मिटने की कगार पर खड़े इन समाजों के पृथ्वी पर रहने के अधिकार को इसमें बड़ी मार्मिक और उत्कट संवेदना के साथ प्रस्तुत किया गया है।</p>
<p>एक साथ कई स्तरों पर चलनेवाले इस उपन्यास में एक तरफ़ आधुनिक विकास की उत्तेजना में से फूटे तर्क-वितर्क हैं तो दूसरी तरफ़ नदी, पर्वत, सूरज, चाँद, दुष्ट आत्माओं और सहज ज्ञानियों की एक के बाद एक निकलती कथाओं का अनवरत सिलसिला है।</p>
<p>विषम परिस्थितियों से जूझते, बार-बार स्थानान्तरित होने को विवश, टुकड़ों-टुकड़ों में बँटे माचीग्वेंगा समाज को जोड़नेवाली, उनकी जातीय स्मृति को बार-बार जाग्रत् करनेवाली एकमात्र जीती-जागती कड़ी है ‘क़िस्सागो’ यानी ‘आब्लादोर’। यह चरित्र उपन्यास के समूचे फलक के आर-पार छाया हुआ है। इस उपन्यास का रचयिता स्वयं एक किरदार के रूप में उपन्यास के भीतर मौजूद है। वह और यूनिवर्सिटी के दिनों का उसका एक अभिन्न मित्र साउल सूयतास आब्लादोर की केन्द्रीय अवधारणा के प्रति तीव्र आकर्षण महसूस करते हैं, पर उसे ठीक-ठीक समझ नहीं पाते। वे एक दूसरे से अपने इस सबसे गहरे ‘पैशन’ को छुपाते हैं जो अन्ततोगत्वा उनके जीवन की अलग-अलग किन्तु आपस में नाभि-नाल सम्बन्ध रखनेवाली राहें निर्धारित करता है। एक उसमें अपने उपन्यास का किरदार तलाशता भटकता है तो दूसरा स्वयं वह किरदार बन जाता है। यह उपन्यास इस अर्थ में एक आत्मीय सहचर के लिए मनुष्य की अनवरत तलाश या भटकन की कथा भी <br />है।</p>
<p>उपन्यास यथार्थ और मिथकीय, समसामयिक और प्रागैतिहासिक के ध्रुवीय समीकरणों को एक साथ साधने का सार्थक उपक्रम है। आज भारत में आदिवासी समाजों की स्थिति को लेकर चलती बहस के मद्देनज़र सम्भवतः यह उपन्यास हमारे लिए विशेष प्रासंगिक और महत्त्वपूर्ण हो उठता है।
ISBN: 9788126719976
Pages: 232
Avg Reading Time: 8 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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नारायण एक सितारवादक है। जीविका के लिए वह परिवार को दूसरी जगह छोड़कर अपने पुराने शहर में आता है और यहीं से मकान की तलाश शुरू होती है। इस दौरान उसका सितार से साथ छूटने लगता है; और अब वह जिनके साथ जुड़ता है, उनमें मकान बाँटनेवाला अफ़सर है, कर्मचारी-यूनियन का नेता बारीन हालदार है, पुरानी शिष्या श्यामा है, वेश्या-पुत्री सिम्मी है और वे तमाम तत्त्व हैं जो ज़िन्दगी के बिखराव को तीखा बनाते हैं। इस संघर्ष, शोषण और अव्यवस्था के दौर से गुज़रते हुए तीक्ष्ण प्रतिक्रियाएँ व्यक्त होती हैं : ‘मज़ाक़ देखा तुमने? हम आसमान में उपग्रह उड़ा सकते हैं पर इस निगम के सीवेज़ के लिए मशीनों का जुगाड़ नहीं कर सकते। यहाँ सीवेज़ की सफ़ाई के लिए तो बलि के बकरे चाहिए, पर बिस्कुट बनाने के लिए यहाँ नई से नई मशीनें मौजूद हैं...’
‘जैसे कुछ तांत्रिक लोग शराब पीने से पहले माँ काली के नाम पर दो-चार बूँदें ज़मीन पर छिड़क देते हैं; वैसे ही हाउसिंग की पूरी-की-पूरी स्कीम गटकने से पहले चतुर लोग हरिजनों के नाम पर दस-बीस प्लॉट निकाल देते हैं...’ उपन्यास का अन्त सर्वथा अप्रत्याशित मोड़ पर होता है।
‘मकान’ यशस्वी कथाकार श्रीलाल शुक्ल की बहुप्रशंसित कृति है। वस्तुत: संगीत की पृष्ठभूमि में कलाकार के जीवन की आकांक्षाओं, ज़िम्मेदारियों, विसंगतियों और तनावों को केन्द्र बनाकर लिखा गया हिन्दी में अपनी तरह का यह पहला उपन्यास है।
Taliban, Afghan Aur Mein
- Author Name:
Sushmita Bandyopadhyay
- Book Type:

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Description:
अफ़ग़ानिस्तान का तालिबान शासन अब विश्व में रूढ़िवाद, कट्टरता और कठमुल्लावादी तानाशाही का पर्याय बन चुका है, ‘तालिबानी’ और ‘तालिबानीकरण’ जैसे शब्द इधर राजनीतिक विमर्श में आम हो गए हैं।
यह पुस्तक इसी तालिबान शासन से लेखिका की अपनी मुठभेड़ का लोमहर्षक विवरण है। लेखिका ने एक अफ़ग़ान-युवक से प्रेम-विवाह के बाद कई वर्ष अफ़ग़ानिस्तान में बिताए हैं। अफ़ग़ानिस्तान प्रवास के अपने काले दिनों का त्रास उन्होंने इसकी पंक्ति-पंक्ति में पिरोया है। साथ ही विकास की धारा से विच्छिन्न उस भूमि तथा वहाँ के निवासियों के विषय में कई दिलचस्प तथा चौंकानेवाली जानकारियाँ भी पाठक को इस पुस्तक में प्राप्त होंगी।
सुष्मिता बंद्योपाध्याय की इस पुस्तक से पहले ‘काबुलीवाले की बंगाली बीवी’ की पृष्ठभूमि से परिचित पाठक इस आत्मकथात्मक उपन्यास को एक निरन्तरता के साथ पढ़ सकेंगे। इसमें उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान के अनुभवों के साथ-साथ अपनी मातृभूमि सम्बन्धी कुछ स्मृतियों तथा स्त्री-विमर्श के कुछ सार्वभौमिक सवालों को भी रेखांकित किया है।
Shaheednama
- Author Name:
Howard Fast
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
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