
Dukhmochan
Author:
NagarjunPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 556
₹
695
Available
दु:खमोचन एक गाँव की कहानी है—ऐसे एक पिछड़े गाँव की कहानी, जहाँ युगों से निश्चल पड़ी जिंदगी नए युग की रोशनी पाकर धीरे–धीरे जाग रही है। मौजूदा परिवेश में प्रकारान्तर से यह देश के हर पिछड़े गाँव के जागने की कहानी है। दुखमोचन में लोकजीवन के चितेरे कथाकार नागार्जुन ने अलग–अलग जातियों और वर्गों में बँटे उस ठेठ देहाती समाज का जीवन्त चित्रण किया है, जो आज भी अभावों और विवशताओं में जीता है।</p>
<p>‘दुखमोचन’ एक छोटा मगर शक्तिशाली उपन्यास है। इसका नायक ‘दुखमोचन’ नई युग–चेतना का संवाहक है। अन्ध रूढ़ियों और पुराने संस्कारों से ग्रस्त समाज में बदलाव लाने के लिए वह जो संघर्ष करता है, उसे कथाकार ने बड़ी मार्मिकता से चित्रित किया है। पीड़ितों और दलितों के रहबर के रूप में दुखमोचन की भूमिका जहाँ मन में प्रेरणा जगाती है, वहीं नित्याबाबू और त्रिजुगी चौधरी जैसे गाँव के इने–गिने सम्पन्न लोगों के फरेबों और कुचक्रों से रोष उत्पन्न होता है।
ISBN: 9788171788743
Pages: 150
Avg Reading Time: 5 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Banarsibai
- Author Name:
Bimal Mitra
- Book Type:
- Description: Awating description for this book
Bhishma Pitamah
- Author Name:
Suryakant Tripathi 'Nirala'
- Book Type:
-
Description:
भारतीय पौराणिक इतिहास में भीष्म पितामह-जैसा चरित्र दूसरा नहीं। महान वीर, संकल्पशील और धर्मपरायण होते हुए भी उन्होंने जो जीवन जिया, एक गहरे अवसाद की छाया उस पर सदैव पड़ती रही। कुरुवंशी राजकुमारों के पारस्परिक कलह ने उन्हें आजीवन उद्विग्न रखा, लेकिन कोई भी दारुण स्थिति उन्हें कर्तव्य-पथ से कभी विचलित नहीं कर पाई। अपने विलक्षण जीवन के अनेक मोड़ों पर वे हमें आदर्शों के चरम शिखर पर दिखाई देते हैं।
महाकवि निराला ने भीष्म पितामह के इसी महान चरित्र को इस पुस्तक में शब्दबद्ध किया है। उन्हीं के शब्दों में, “महावीर भीष्म के चरित्र से सब शिक्षाएँ एक साथ मिल जाती हैं। पिता के प्रति पुत्र की कैसी भक्ति होनी चाहिए, माता और विमाता के प्रति उसके क्या कर्तव्य हैं, मनुष्यता का आदर्श क्या हो, शास्त्र-अध्ययन, ब्रह्मचर्य और सरल भाव से जीवन के निर्वाह का फल क्या है, समर-क्षेत्र में क्षत्रिय का आदर्श क्या है, यथार्थ वीरता किसे कहते हैं—इस तरह से मनुष्य के मस्तिष्क में मनुष्यता से सम्बन्ध रखनेवाले जितने प्रश्न आ सकते हैं, उन सबका उत्तर भीष्म के जीवन से मिल जाता है।’’
निश्चय ही यह एक ऐसी पुस्तक है, जो किशोर एवं प्रौढ़—दोनों ही तरह के पाठकों को पसन्द आएगी।
Rukshat - The Departure
- Author Name:
Sujit Banerjee
- Rating:
- Book Type:
- Description: Where a story stops, another one begins. The thing with them is, they never walk alone. They always walk with a group of friends. Each reaches its climax. Then with a final gasp of mortality and despair, fade away. No, they never die; they multiply. To the extent that the original gets lost and new ones are born. Over and over again. Yes, they get lost. No, they never die. They live on, permanently etched in the book of time. And from there, we borrow them and bring them alive. Again. And again. Here are twenty-six of them, some standing alone and some chatting with their long-lost friends. When they depart, they leave a lingering fragrance of nostalgia and curiosity. What happened then? Twenty-six alphabets, twenty-six names, and twenty-six short stories. Each explores one unique emotion, taking you into the dark recess of the mind. Some are frothy, and most of them opaque. Most are standing alone, and some are facing a mirror, where the same story comes alive in two different ways through two other protagonists. Meet diverse characters - from the single-minded prostitute to the man on the railway's station br>Bereft of any memory; a woman desperate for a biological child to a dead man's trial. Meet a jealous lover with a twisted brain and a gay man's memory of a one-night encounter. Meet twenty-six such characters arrested and sentenced for life inside the pages of a book—each one leaving an indelible mark on your soul.
Romeo Juliet Aur Andhera(LOK)
- Author Name:
Kunal Singh
- Book Type:
- Description: भाषा, जाति, धर्म, नस्ल और क्षेत्र को दरकिनार करके किया गया प्रेम एक ताजी, भव्य, सम्मोहक और रोशन दुनिया की कोंपल अपने भीतर रखता है, पर जब हम भीतर और बाहर रोशनी से भर रहे होते हैं तो ठीक हमारे पीछे अँधेरा अपने ज़ंग लगे नाख़ूनों में धार दे रहा होता है। रोशनी और अँधेरे के बीच का यह आदिम खेल सभ्यता के कथित विकास के साथ और भी बर्बर होता गया है। ‘रोमियो जूलियट और अँधेरा’ पढ़ते हुए हम जानते हैं कि हमारे कोमलतम और सपनीले दिनों में बर्बरता सबसे अधिक हमारी ताक में रहती है। यहाँ दो युवा दिलों की मुहब्बत पर तमाम हत्यारी साज़िशों की भुतहा छायाएँ गिर रही हैं। यहाँ भाषा, नस्ल और स्थानीय बनाम बाहरी के द्वन्द्व हैं जिनकी शतरंजी बिसात पर राजनीतिक गोटियाँ सेंकी जा रही हैं, जिनकी गिरफ़्त में आने के बाद पीड़ित लोग अपने ही जैसे दूसरे पीड़ितों के प्रति ज़हर से भर रहे हैं। यहीं, इसी जगह से उपन्यास में अँधेरा प्रवेश करता है। असम की राजनीति में जो ताक़तें और तत्व आज निर्णायक होकर राज कर रहे हैं, उन सबकी गहरी पदचापें इस उपन्यास में सुनी और देखी जा सकती हैं। और यह सब यहाँ एक ऐसी सम्पन्न भाषा में दर्ज हो रहा है जो स्वाद, रंग, गन्ध, ध्वनियाँ, मौसम, रोशनी और अँधेरा सब कुछ को साकार कर देती है। जिसमें आप किसी कली का चटकना या फूल का मुरझाना सुन और देख सकते हैं। जिसमें असम की धरती का ताप दर्ज हुआ है। पढ़ते हुए एक भीषण आह के साथ हम जानते हैं कि हर भाषा के अपने दुख, मातम और अँधेरे हुआ करते हैं।
I..The Loser
- Author Name:
Sumit Kumar Sambhav
- Book Type:
- Description: What are the ingredients of the recipe for a looser? What are the circumstances which make a person looser? Zandu Singh, who lives in Dharamshala city of Himalayan Pradesh, dips his life into hard work to make himself perfect in his penance. But a single lie he speaks to his love, jyotsna, one day becomes so big that he becomes a loser for her and throws him to the ultimate darkness of confusion. Will zandu Singh ever be able to come out of this dilemma? Will he ever succeed in making his banwari Lal master Ji's dream true? Come and know about the thousands of athletes burning themselves in the fire of hard work, devotion and sacrifice but still living unidentified lives. Come to peep into their life through India’s first sports fiction.
Ranu Aur Bhanu
- Author Name:
Sunil Gangopadhyay
- Book Type:
-
Description:
— रवीन्द्रनाथ को प्रतिदिन पूरे भारत से सैकड़ों चिट्ठियाँ मिलती थीं। वे यथासम्भव उनका जवाब भी देते थे। एक दिन एक पत्र पाकर कवि को बड़ा कौतुक महसूस हुआ। उस पत्र को वाराणसी से रानू नामक एक बालिका ने लिखा था। इसी उम्र में वह कवि का काफ़ी साहित्य पढ़ चुकी थी। वे ही उसके सबसे क़रीबी व्यक्ति हो गए थे। उसकी शिकायत थी कि कवि इन दिनों इतनी कम कहानियाँ क्यों लिख रहे हैं। कवि ने उस बालिका के पत्र का जवाब दे दिया।
अपने गृहस्थ जीवन में रवीन्द्रनाथ को कभी मानसिक सुख-शान्ति नहीं मिली थी। अचानक एक दिन लम्बी बीमारी भोगने के बाद कवि की प्रिय बड़ी बेटी माधुरी लता का देहावसान हो गया। कवि टूट गए। उसी दिन अशान्त चित्त से एक भाड़े की गाड़ी लेकर वे भवानीपुर पहुँचे। नम्बर ढूँढ़कर एक घर के सामने रुककर उन्होंने पुकारा—रानू! रानू!
अपना नाम सुनते ही तेज़ी से एक बालिका नीचे उतर आई। कवि अपलक उसे देखते रह गए। यह वे किसे देख रहे थे? यह परी थी या स्वर्ग की कोई अप्सरा! उसी दिन अट्ठावन वर्षीय कवि से उस बालिका का एक विचित्र रिश्ता क़ायम हो गया। रानू कवि के खेल की संगिनी बन गई। नई रचनाओं की प्रेरणादात्री, उनकी खोई ‘बउठान’।
और रानू के लिए कवि हो गए उसके प्रिय भानु दादा।
कवि के चीन-भ्रमण के समय उनकी अनुपस्थिति में रानू की शादी तय हो गई। रानू अब सर राजेन मुखर्जी के पुत्र वीरेन की पत्नी बन गई। दो सन्तानों की माँ।
कवि अब वृद्ध थे। उन्हें जीवन के अन्तिम दिनों में रानू से क्या मिला? वह क्या सिर्फ़ ‘आँसुओं में दु:ख की शोभा’ बनी रह गई?
सुनील गंगोपाध्याय की क़लम से एक अभिनव और अतुलनीय उपन्यास।
Prasad Ke Sampoorna Upanyas
- Author Name:
Jaishankar Prasad
- Book Type:
-
Description:
इस पुस्तक में छायावादी युग के महत्त्वपूर्ण कवि, कहानीकार, नाटककार और उपन्यासकार जयशंकर प्रसाद के तीनों उपन्यास—‘कंकाल’, ‘तितली’ और ‘इरावती’ संकलित किए गए हैं। भारतेन्दु के बाद जिन लोगों ने हिन्दी गद्य को एक परिपक्व रूप दिया उनमें प्रसाद की भूमिका भी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।
उनकी सांस्कृतिक अभिरुचि, यथार्थ को अपने ढंग से देखने का उनका तरीक़ा और उसे भाषा में अंकित करने का ढंग उन्हें एक अलग जगह देता है। ये उपन्यास भी इसके साक्षी हैं। उपन्यास ‘कंकाल’ और ‘तितली’ में उन्होंने तत्कालीन युग-बोध को एक भिन्न कोण से पकड़ा था। असहाय स्त्रियों के जीवन की चुनौतियों को दिखाने के लिए उन्होंने इन रचनाओं में यथार्थ के बाह्य रूपों को चित्रित करने के साथ-साथ व्यक्तिमन की आन्तरिक परतों को भी उद्घाटित किया। ‘तितली’ को कथा-शिल्प और वस्तु-विन्यास के दृष्टिकोण से प्रसाद का सर्वाधिक परिपक्व उपन्यास माना जाता है।
‘इरावती’ को वे पूरा नहीं कर सके थे। शुंगकालीन ऐतिहासिक विषय और बौद्धकालीन रूढ़ियों-विकृतियों के प्रति विद्रोह की जिस कथा-वस्तु को लेकर उन्होंने यह उपन्यास आरम्भ किया था, वह निश्चय ही एक बड़ी औपन्यासिक कृति के रूप में फलीभूत होता। यहाँ ‘इरावती’ के उपलब्ध स्वरूप को यथावत् संकलित किया गया है ताकि पाठक प्रसाद की उपन्यास-काल के मर्म को जान सकें।
Kuchh Din Aur
- Author Name:
Manzoor Ehtesham
- Book Type:
-
Description:
‘कुछ दिन और’ निराशा के नहीं, आशा के भँवर में डूबते चले जाने की कहानी हैं—एक अन्धी आशा, जिसके पास न कोई तर्क है, न कोई तंत्र; बस, वह है अपने-आप में स्वायत्त।
कहानी का नायक अपनी निष्क्रियता में जड़ हुआ, उसी की उँगली थामे चलता रहता है। धीरे-धीरे ज़िन्दगी के ऊपर से उसकी पकड़ छीजती चली जाती है। और, इस पूरी प्रक्रिया को झेलती है उसकी पत्नी—कभी अपने मन पर और कभी अपने शरीर पर। वह एक स्थगित जीवन जीनेवाले व्यक्ति की पत्नी है। इस तथ्य को धीरे-धीरे एक ठोस आकार देती हुई वह एक दिन पाती है कि इस लगातार विलम्बित आशा से कहीं ज़्यादा श्रेयस्कर एक ठोस निराशा है जहाँ से कम-से-कम कोई नई शुरुआत तो की जा सकती है। और, वह यही निर्णय करती है।
‘कुछ दिन और’ अत्यन्त सामान्य परिवेश में तलाश की गई एक विशिष्ट कहानी है, जिसे पढ़कर हम एकबारगी चौंक उठते हैं और देखते हैं कि हमारे आसपास बसे इन इतने शान्त और सामान्य घरों में भी तो कोई कहानी नहीं पल रही।
Ekta Aur Shakti
- Author Name:
Amrendra Narayan
- Book Type:
-
Description:
भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एवं स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद देशी रियासतों का भारत में त्वरित विलय कराने, स्वाधीन देश में उपयुक्त प्रशासनिक व्यवस्था बनाने और कई कठिनाइयों से जूझते हुए देश को प्रगति के पथ पर अग्रसर कराने में लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल का योगदान अप्रतिम रहा है। वे लाखों लोगों के लिए अक्षय प्रेरणा-स्रोत हैं।
‘एकता और शक्ति’ सरदार वल्लभभाई पटेल के योगदान पर आधारित एक ऐसा उपन्यास है जिसमें एक सामान्य कृषक परिवार की कथा के माध्यम से सरदार श्री के प्रभावशाली कुशल नेतृत्व एवं तत्कालीन घटनाओं का वर्णन किया गया है। साथ ही, एक सम्पन्न एवं सशक्त भारत के निर्माण हेतु उनके प्रेरक दिशा-निर्देशों पर भी प्रकाश डाला गया है।
Media Life : Drama Jhonk Ke, News Rok Ke
- Author Name:
Shashikant Mishra
- Book Type:
-
Description:
मीडिया लाइफ में जो कथा-सन्दर्भ है वो अपनी कल्पनाशीलता के बावजूद न्यूजरूम और कारोबारी मीडिया के उस चरित्र का खाका खींच पाने में पूरी तरह कामयाब है, जिनका समाज का बड़ा वर्ग आकलन तो करता है लेकिन अन्दरखाने की बातें इस तरह उनके सामने नहीं आ पातीं।
उपन्यास में मीडिया और न्यूजरूम की अश्लीलता, फूहड़ता, बेशर्मी और अमानवीय पक्ष मजबूती से उभर आते हैं। भाषा का आकर्षण ऐसा है कि किताब कहीं भी बोझिल नहीं लगती।
यह उपन्यास भविष्य के लिए अब एक सन्दर्भ की तरह है।
—विनीत कुमार
मीडिया लाइफ की शुरुआत काफी मजेदार है। पूरी कहानी मीडिया पर लिखे व्यंग्य को सार्थक करती है। किताब में चैनलों की प्रतिद्वंद्विता, खबरों की तोड़-मरोड़ आदि को बेहतरीन तरीके से दिखाया गया है। कहानी विभिन्न परिस्थितियों में मीडिया द्वारा अपनाई जाने वाली रणनीति और खबरों के मैनिपुलेशन को दर्शाती है।
—नवीन चौधरी
Aur Pasina Bahata Raha
- Author Name:
Abhimanyu Anat
- Book Type:
-
Description:
मॉरिशस के हिन्दी-लेखकों में अग्रगण्य अभिमन्यु अनत अपने देश की मिट्टी से जुड़े कथाकार हैं। उनके उपन्यासों में मॉरिशस के आम आदमी की ज़िन्दगी, उसके सुख-दु:ख और हर्ष-विषाद का अत्यन्त आत्मीयतापूर्ण चित्रण है। आम आदमी यानी प्रवासी भारतीय, जो उस देश की आबादी में लगभग तीन-चौथाई हैं।
अभिमन्यु अनत ने लगभग डेढ़ दशक पहले एक ऐतिहासिक उपन्यास-त्रयी की कल्पना की थी, जिसमें भारतीयों के मॉरिशस पहुँचने पर अपनी अस्तित्व-रक्षा के लिए किए गए संघर्षों से प्रारम्भ करके वे उनकी आज तक की सामाजिक-सांस्कृतिक-आर्थिक-राजनीतिक स्थितियों के उतार-चढ़ाव को अंकित करना चाहते थे। इस त्रयी की पहली कड़ी ‘लाल पसीना’ में प्रवासी भारतीयों की वह संघर्ष-कथा अंकित है जो न केवल भारतीयों द्वारा अपनी अस्तित्व-रक्षा के लिए किए गए प्रयत्नों की कहानी है बल्कि मॉरिशस के निर्माण की कहानी भी है। दूसरी कड़ी थी ‘गांधी जी बोले थे’ जिसमें प्रवासी भारतीयों के सामाजिक-सांस्कृतिक उत्थान की कहानी है। प्रस्तुत उपन्यास और पसीना बहता रहा इस त्रयी की अन्तिम कड़ी है। आज से लगभग डेढ़ सौ साल पहले वहाँ जिस संघर्ष की शुरुआत हुई थी, वह अभी समाप्त नहीं हुआ है। अलबत्ता उसका रूप बदल गया है। आज भारतवंशियों के लिए वह अस्मिता की रक्षा का संघर्ष बन गया है। प्रस्तुत उपन्यास में इसी संघर्ष की कहानी है। किसी भी प्रवासी भारतीय द्वारा अपनी जातीय अस्मिता की कहानी को महाकाव्यात्मक गरिमा के साथ सम्भवत: पहली बार प्रस्तुत किया गया है, और इस दृष्टि से इस उपन्यास-त्रयी को हिन्दी कथा-साहित्य की एक उपलब्धि माना जाएगा।
Punarnava
- Author Name:
Hazariprasad Dwivedi
- Book Type:
-
Description:
जिसे प्रायः सत्य कहा जाता है, वह वस्तुस्थिति का प्रत्यक्षीकरण मात्र है। लोग सत्य को जानते हैं, समझते नहीं। और इसीलिए सत्य कई बार बहुत कड़ुवा तो लगता ही है, वह भ्रामक भी होता है। फलतः जनसाधारण ही नहीं, समाज के शीर्ष व्यक्ति भी कई बार लोकापवाद और लोकस्तुति के झूठे प्रपंचों में फँसकर पथभ्रष्ट हो जाते हैं।
‘पुनर्नवा’ ऐसे ही लोकापवादों से दिग्भ्रान्त चरित्रों की कहानी है। वस्तुस्थिति की कारण-परम्परा को न समझकर वे समाज से ही नहीं, अपने-आपसे भी पलायन करते हैं और कर्तव्याकर्तव्य का बोध उन्हें नहीं रहता। सत्य की तह में जाकर जब वे उन अपवादों और स्तुतियों के भ्रमजाल से मुक्त होते हैं, तभी अपने वास्तविक स्वरूप का परिचय उन्हें मिलता है और नवीन शक्ति प्राप्त कर वे नए सिरे से जीवन-संग्राम में प्रवृत्त होते हैं।
‘पुनर्नवा’ ऐसे हीन चरित्र व्यक्तियों की कहानी भी है जो युग-युग से समाज की लांछना सहते आए हैं, किन्तु शोभा और शालीनता की कोई किरण जिनके अन्तर में छिपी रहती है और एक दिन यही किरण ज्योतिपुंज बनकर न केवल उनके अपने, बल्कि दूसरों के जीवन को भी आलोकित कर देती है।
‘पुनर्नवा’ चौथी शताब्दी की घटनाओं पर आधारित ऐतिहासिक उपन्यास है, लेकिन जिन प्रश्नों को यहाँ उठाया गया है, वे चिरन्तन हैं और उनके प्रस्तुतीकरण तथा निर्वाह में आचार्य द्विवेदी ने अत्यन्त वैज्ञानिक एवं प्रगतिशील दृष्टिकोण का परिचय दिया है।
Tat-Sam
- Author Name:
Rajee Seth
- Book Type:
-
Description:
राजी सेठ का उपन्यास ‘तत-सम’ जिजीविषा के मर्म-भेदन का आलोकपर्व है। इस उपन्यास में नियतिबद्ध मनुष्यों को अपने चैतन्य की तलाश है क्योंकि यहाँ शत्रु समाज नहीं, अपनी जड़ता है। ‘तत-सम’ का उद्घोष है—जिजीविषा के उत्सव का दस्तावेज़ सदा अर्थ-जीवी रहेगा। यह उपन्यास और भी कई अर्थों में अपूर्व है। इसकी संरचना में घटनाएँ नहीं, अपितु मनःस्थितियाँ महत्त्वपूर्ण हैं।
यहाँ दु:ख दु:ख नहीं, दृष्टि है—कुछ ऐसी प्राणवत्ता का उपार्जन, जो गिर जाने पर कपड़े झाड़कर खड़े हो जाने का संकल्प और आत्मबल भी देता है अपने को अपनी समग्रता में पाने के लिए।
भाषा, इस उपन्यास में अभिव्यक्ति का उपकरण मात्र नहीं है बल्कि शुद्ध संवेदन है। स्थिति की अनुकूलता में पूरी तरह विगलित और स्पन्दित। पाठ की सघन बुनावट—हर बार नए से नया अर्थ देने में सक्षम। शैली-शिल्प की ऐसी प्रस्तुति और ऐसी जीवन-दृष्टि हिन्दी उपन्यासों में अन्यत्र विरल है। अपनी इस विशेषता के कारण ‘तत-सम’ एक ऐसी अनूठी कृति है जो अपने पात्रों की नियति को तत्-समता के अभिशाप से उबार लाती है।
Kissa Kotah
- Author Name:
Rajesh Joshi
- Book Type:
-
Description:
बेहद भागदौड़ की ज़िन्दगी में जीवन का पिछला हिस्सा धूसर होता जाता है, जबकि हम उसे याद रखना चाहते हैं—एक विकलता का चित्र। रंग, स्वाद, हरकतें और नाजुक सम्बन्ध की चाहत—बस, एक कशिश है। भागती ज़िन्दगी में कशिश! स्मृतियों के बारीक रग-रेशों के उभर आने की उम्मीद। तब यह किताब ‘क़िस्सा कोताह’ ऊष्मा के साथ नज़दीक रखे जाने के लिए बनी है। ज़रूरी और सटीक।
यह हमारे क़िस्सों का असमाप्त जीवन है। जैसे जीवन को चुपचाप सुनना है। एक के भीतर तीन-चार आदमियों को देखना है। यह राजेश जोशी के बचपन, कॉलेज या साहित्यिक व्यक्तित्व के बनने का दस्तावेज़ ही नहीं है, बल्कि बीहड़ इतिहास में चले गए लोगों, इमारतों और प्रसंगों को वापस ले आने की सृजनात्मकता है। मध्य प्रदेश के भोपाल और उससे पहले नरसिंहगढ़ रियासत की साँसें हैं। संयुक्त परिवार की दुर्लभ छबियाँ। नाना, फुआ, भाइयों और पिता के लोकाचार, जो कि हम सबके अपने से हैं। अपने ही हैं। दोस्तों की आत्मीयता, सरके दिमाग़ों का अध्ययन, राजनीति के अध्याय बन गए कुछ नाम, हमें अपने शहरों में खोजने का विरल अनुभव देते हैं। यह भटकन है। प्यास। बेगमकाल से इमरजेंसीसीकाल तक का, इतिहास में लुप्त हो गए लोगों के विविध व्यवहारों का अलबम है। फ़िल्म जैसा साउंड ट्रेक है। भुट्टे, आम, सीताफल और मलाई दोने का मीठापन है।
सुविख्यात कवि राजेश जोशी का यह अनूठा गद्य अपनी निज लय के साथ उस उपवन में प्रवेश करता है जिसे हम उपन्यास कहते हैं। यहाँ हम अपनी स्मृतियों, अपने लोगों, सड़कों, भवनों और सम्बन्धों को रोपने के लिए उर्वर भूमि पाते हैं।
—शशांक
Bisaat : Teen Bahanen Teen Aakhyan
- Author Name:
Manjul Bhagat +1
- Book Type:
-
Description:
‘बिसात : तीन बहनें तीन आख्यान’ एक अनूठी कथा-कृति है। कथा-साहित्य में विख्यात मंजुल भगत, मृदुला गर्ग और अचला बंसल तीनों सगी बहनें हैं। मंजुल भगत अब हमारे बीच नहीं हैं। मृदुला गर्ग व अचला बंसल निरन्तर सक्रिय हैं। तीनों के लेखन की पृथक् पहचान होने के बावजूद कुछ सूत्र ऐसे हैं जिन पर साझा अनुभवों के विविध रंग दिख जाते हैं। मृदुला गर्ग के शब्दों में, ‘तीनों के काफ़ी अनुभव साझा रहे। ज़िन्दगी में कितने ऐसे किरदार थे, जिनसे तीनों का साबका पड़ा। कितने ऐसे हालात थे, जिनका तीनों ने नज़ारा किया! साझा अनुभवों, किरदारों और अहसास ने हमारे भावबोध को गढ़ा और अन्य अनुभवों की तरह, वे भी कभी-न-कभी, किसी-न-किसी रूप में हमारी रचना के आधार बने। रचना जब-जब हुई, निजी अहसास से गढ़ी, मौलिक थी। हर लेखक का नज़रिया अपना अलग था। फिर भी साझा अहसास और अनुभव की गूँज, उसमें साफ़ ध्वनित होती थी। कह सकते हैं, हमने एक ही विषय पर आधारित रचना की पर रचना के दौरान, रचनात्मकता के दबाव में, रचना ने अपना विषय, कुछ हद तक बदल लिया।’ इन तीनों बहनों के बीच नाना की उपस्थिति एक ऐसा ही बहुअर्थपूर्ण अनुभव था। इस अनुभव से तीन रचनाओं ने आकार लिया। मृदुला गर्ग ने ‘वंशज’ उपन्यास रचा। मंजुल भगत ने ‘बेगाने घर में’ और अचला बंसल ने ‘कैरम की गोटियाँ’ कहानियाँ लिखीं। तीनों रचनाओं में अलग-अलग तरह से महसूस किया गया यथार्थ रचनाकारों की निजता के साथ व्यक्त हुआ। ‘बिसात : तीन बहनें तीन आख्यान’
में वंशज, ‘बेगाने घर में’ और ‘कैरम की गोटियाँ’ एक साथ उपस्थित हैं। तीनों को एक साथ पढ़ना वस्तुतः प्रीतिकर और विचारोत्तेजक हैं। जैसे एक ही जीवन-सत्य के तीन आयाम।
Pachpan Khambhe Lal Deewaren
- Author Name:
Usha Priyamvada
- Book Type:
-
Description:
उषा प्रियम्वदा की गणना हिन्दी के उन कथाकारों में होती है जिन्होंने आधुनिक जीवन की ऊब, छटपटाहट, संत्रास और अकेलेपन की स्थिति को अनुभूति के स्तर पर पहचाना और व्यक्त किया है। यही कारण है कि उनकी रचनाओं में एक ओर आधुनिकता का प्रबल स्वर मिलता है तो दूसरी ओर उनमें चित्रित प्रसंगों तथा संवेदनाओं के साथ हर वर्ग का पाठक तादात्म्य का अनुभव करता है; यहाँ तक कि पुराने संस्कारवाले पाठकों को भी किसी तरह के अटपटेपन का एहसास नहीं होता।
‘पचपन खम्भे लाल दीवारें’ उषा प्रियम्वदा का पहला उपन्यास है, जिसमें एक भारतीय नारी की सामाजिक-आर्थिक विवशताओं से जन्मी मानसिक यंत्रणा का बड़ा ही मार्मिक चित्रण हुआ है।
छात्रावास के पचपन खम्भे और लाल दीवारें उन परिस्थितियों के प्रतीक हैं जिनमें रहकर सुषमा को ऊब तथा घुटन का तीखा एहसास होता है, लेकिन फिर भी वह उनसे मुक्त नहीं हो पाती, शायद होना नहीं चाहती।
उन परिस्थितियों के बीच जीना ही उसकी नियति है। आधुनिक जीवन की यह एक बड़ी विडम्बना है कि जो हम नहीं चाहते, वही करने को विवश हैं। लेखिका ने इस स्थिति को बड़े ही कलात्मक ढंग से प्रस्तुत उपन्यास में चित्रित किया है।
Sidhyon Par Cheetah
- Author Name:
Tejinder
- Book Type:
-
Description:
उत्तराखंड के देहरादून से चेन्नई जा पहुँचा भारत सरकार का एक क्लास वन सिख ऑफ़िसर रंधावा। समुद्र के और वहाँ के दरिद्रनारायण बाशिन्दों के क़रीब पहुँच जाने पर उसे अनुभव होने लगा है कि ‘ग़रीब आदमी की हथेलियों में लिखी हुई रेखाएँ, पेंसिल से खींची हुई होती हैं और उन्हें मिटानेवाले सारे रबर पैसेवालों के हाथों में होते हैं।’ “अंकल, आप नहीं समझते, इस डायरी के शब्दों में कितनी एनर्जी और कितना पैशन है।”
“लेकिन ये सड़ी और तर्कहीन नफ़रत से भरे हुए हैं...”
“पर अंकल, जागीरसिंह ठीक कहता था, मैं भी अपने रास्ते में जो आएगा, उसे छोड़ूँगा नहीं, आई विल किल हिम।”
“तुम्हारे रास्ते का मतलब?”
“समुद्र की पीठ पर अपना घर बनाने का रास्ता।” समुद्र की पीठ पर अपना घर बनाने का रास्ता महज़ शिवा के दिमाग़ में नहीं, अनेक विद्वानों के मस्तिष्कों से उपजा है। प्रोफ़ेसर लक्ष्मीनारायण श्रीनिवास राघवन ने एक दिन शिवा को कान्नेमारा लाइब्रेरी की सीढ़ियों पर बैठकर समझाया था—‘अंग्रेज़ कलकत्ते से ज़्यादा मद्रास को प्यार करते थे, इसीलिए उन्होंने यहाँ कान्नेमारा लाइब्रेरी बनवाई। यहाँ पर जो किताबें हैं और उनमें द्रविड़ियन ज्ञान की जो फ़ायर है, वह सोने की तरह है, जिसके सामने काशी के वेद फीके हैं। नो आर्यन फ़िलासफ़र कैन ईवन स्टैंड नीयरबाय।’
“आप यह समुद्र के उस पार के द्वीप में जो लड़ाई चल रही है, उसके बारे में क्या सोचती हैं?” रंधावा ने नीला नारायणन से पूछा था।
“दे डोन्ट नो देम सेल्व्स, उन्हें क्या चाहिए। वे अपने घर के लिए लड़ रहे हैं इसीलिए हमारे घर बन रहे हैं।” टी.वी. पर ब्रेकिंग न्यूज़ के तहत बताया जा रहा था कि बारिश से हुई बर्बादी के बाद रात के टोकन बटोरने की कोशिश में एक तमिल क़स्बे में अपने ही लोगों की भीड़ से कुचलकर बयालीस लोग मर गए थे।
जागीरसिंह और शिवा दोनों दिग्भ्रमित नौजवानों ने अन्ततः अपने विचारों को सच मानते हुए, उनकी रक्षा में मौत का चोग़ा ओढ़ लिया था। उपन्यास में धड़ल्ले से किए गए तमिल वाक्यों के उपयोग से यह विश्वास नहीं हो सकता कि लेखक एक हिन्दीभाषी क्षेत्र का निवासी है।
सिर्फ़ हिन्दी ही नहीं, एक ज्वलन्त, अछूते विषय पर अब तक किसी भी भारतीय भाषा में लिखी गई एक अनोखी, कालजयी रचना।
—विद्यासागर नौटियाल
Mafi Kabhi Nahin
- Author Name:
Renate Dorrestein
- Book Type:
-
Description:
रेनाट डोरेस्टीन नीदरलैंड की सबसे अधिक पढ़ी जानेवाली उपन्यासकार हैं। 1983 में अपनी लेखन-यात्रा शुरू करनेवाली रेनाट ने कई उपन्यास लिखे, जिनमें ‘ए हर्ट ऑफ़ स्टोन’, ‘अननेचुरल मदर’, ‘फेटल लॉस’, ‘नो मर्सी’ प्रमुख हैं। ‘फेटल लॉस’ के लिए ‘गोल्डन आउल पुरस्कार’ सहित उन्हें लेखन में उनके योगदान के लिए विशिष्ट ‘एनी रोमेन पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया गया।
बेहतरीन कल्पना-जाल, मानसिक-द्वन्द्व और आश्चर्यचकित करनेवाले सस्पेंस अपने उपन्यासों में बुनने में रेनाट महारत रखती हैं। उनके उपन्यास अब तक अंग्रेज़ी और हिन्दी सहित कई भाषाओं में अनूदित हो चुके हैं। सस्पेंस और दर्द, कोमल मानवीय भावनाएँ, रिश्ते, भावनात्मक संघर्ष—सब कुछ अपने उपन्यासों में रेनाट एक मनोवैज्ञानिक की तरह अन्दरूनी सिलवटों के साथ उभार लाती हैं। रेनाट के मन पर उनकी बहन की आत्महत्या का बड़ा गहरा प्रभाव पड़ा था, जो उनके अन्य उपन्यास पात्रों के साथ इस उपन्यास के मुख्य पात्र फीनुस और फ्रांका के दु:ख में भी छिपा दिखाई देता
है।‘विदाउट मर्सी’—‘माफी कभी नहीं’, रेनाट की सर्वाधिक चर्चित रचनाओं में से एक है। एक सम्पूर्ण और ख़ुशहाल परिवार—पति-पत्नी और एक बेटा, फिर एक दुर्घटना—जिसने सम्पूर्णता को तार-तार कर
दिया : स्त्री और पुरुष के बीच का भावनात्मक अन्तर इस उपन्यास में उभारा गया है। बेटे, येम की हत्या के बाद कैसे फीनुस और फ्रांका इस तकलीफ़ को अलग-अलग झेलते हैं, कैसे एक-दूसरे से दूर होते जाते हैं। एक तरफ़ फ्रांका येम को उसकी चीज़ों में जीवित रखना चाहती है, दूसरी तरफ़, फीनुस अलगाव ढूँढ़ता है। घरेलू ख़ुशहाली के नीचे की अनिश्चितता इस बार रेनाट की मनोविश्लेषक निगाह में आई है। उपन्यास में एक कोमल मोड़ भी आता है जब फीनुस और फ्रांका अपने टूटते रिश्ते को बचाने की कोशिश करते हैं।एहतियात से सधी हुई भाषा में उकेरा गया एक उपन्यास, धारदार, स्पष्ट पात्र-चित्रण...कभी न भूले जा सकनेवाली किताबों में से एक। ‘द बॉल्टीमॉर सन’ (प्रसिद्ध समाचार-पत्र)
बेहतरीन ढंग से बुनी हुई...असाधारण...अविस्मरणीय लेखक
—ग्वीन हाइमन रुबीयो (आइसी स्पार्क्स की लेखक)
Neel Chhavi
- Author Name:
Mahashweta Devi
- Book Type:
-
Description:
आधुनिक नागर समाज एक तरफ सुख-सुविधा के नाना संसाधनों से सम्पन्न हुआ है तो दूसरी तरफ बौद्धिक-सांस्कृतिक रूप से अपने लिए उसने अनेक संकट भी खड़े किए हैं। साधनों तक पहुँच की बदौलत नैतिक और मानवीय स्तर पर बेहतर बनने के बजाय वह विलासिता को ही अपना चरम लक्ष्य मानने लगा है।
ड्रग्स हो या कि ब्लू फिल्म उपभोग की निर्बन्ध आकांक्षा ने इस समाज के लोगों को निरा उपभोक्ता बनाकर छोड़ दिया है। ऊपर से चाक-चौबन्द और जगर-मगर नजर आता यह समाज वस्तुत: आन्तरिक खोखलेपन का शिकार बन चुका है। सबकुछ नियंत्रित करने वाली सियासत हो याकि स्वप्न देखने के लिए प्रेरित करने वाली कला, कोई भी इस संकट से अछूता नहीं है।
‘नील छवि’ निरन्तर पतन की इसी त्रासद सचाई का बेचैन करने वाला आख्यान है, जिसमें कथित उच्च वर्गीय जीवन का आपराधिक दोहरापन और नैतिकता व मानवीयता के घोषित मान्यताओं के निरुपाय होते जाने का चित्रण, ठहरकर सोचने के लिए विवश करता है।
Virata Ki Padmini
- Author Name:
Vrindavan Lal Verma
- Book Type:
- Description: भक्त का हठ चढ़ चुका था, ‘नहीं देवी, आज वरदान देना होगा।... यदि दलीपनगर के धर्मानुमोदित महाराज कुंजरसिंह से हार गए, यदि अलीमर्दान ने ऐसी अव्यवस्थित अवस्था में राज्य पाया, तो आपके मंदिर का क्या होगा? धर्म का क्या होगा?...’ ‘क्या चाहती हो गोमती?’ ‘यह भीख माँगती हूँ कि कुंजरसिंह का नाश हो, अलीमर्दान मर्दित हो और दलीपनगर के महाराज की जय हो।’ ‘यह न होगा गोमती, परंतु मंदिर की रक्षा होगी और अलीमर्दान का मर्दन होगा...।’ ‘यह वरदान नहीं है, यह मेरे लिए अभिशाप है देवी! मैं इस समय, इस तपोमय भवन में, इस बेतवा के कोलाहल के बीच चरणों में अपना मस्तक काटकर अर्पण करूँगी।’ कुमुद ने देखा, गोमती ने अपनी कमर से कुछ निकाला... —इसी उपन्यास से
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Logout to Rachnaye

Offers
Best Deal
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat.
Enter OTP
OTP sent on
OTP expires in 02:00 Resend OTP
Awesome.
You are ready to proceed
Hello,
Complete Your Profile on The App For a Seamless Journey.