Aagami Ateet
Author:
KamleshwarPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 76
₹
95
Available
आगामी अतीत का कथ्य रोमांटिक ज़रूर लग सकता है, परन्तु इसमें निहित रोमांटिकता के भीतर भी जो गहरी टीस व्याप्त है, उसके सन्दर्भ ख़ास तौर से सामाजिक-आर्थिक निर्भरताओं से जुड़े हुए हैं। यानी रिश्ते भी किस तरह मूर्छित हो जाते हैं या किस तरह का रूप मानसिक मजबूरियों की वजह से ले जाते हैं, इसीलिए इस उपन्यास में रोमांटिकता को रोमांटिकता से ही काटने का प्रयास दिखाई देता है। जब इस उपन्यास का धारावाहिक प्रकाशन हुआ था, तब इसके उद्देश्य को लेकर गहरी बहस भी सामने आई थी और अन्ततः पाठकों ने यह पाया था कि परम्परावादी रोमांटिक कहानियों से अलग यह उपन्यास एक नए कथ्य को सामने लाता है।</p>
<p>पूँजीवादी समाज के स्पर्धामूलक परिवेश की विडम्बना और अन्तर्विरोध ही इस उपन्यास का मुख्य कथ्य है। सन् 1973-74 के आसपास लिखे गए इस उपन्यास की सार्थकता आज के भूमंडलीकरण के दौर में सामने आ चुकी है। आर्थिक आपाधापी के कारण टूट रहे स्त्री-पुरुष सम्बन्धों को इस उपन्यास में पहले ही हमारे सामने रख दिया गया था। और, उस नारी की पीड़ा को भी जो इस दौर की विकृतियों को सह रही है।
ISBN: 9788126726592
Pages: 10
Avg Reading Time: 0 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Description:
राही मासूम रज़ा ने ‘आधा गाँव’ लिखकर हिन्दी-उपन्यास में अपना एक सुनिश्चित स्थान बनाया था। ‘टोपी शुक्ला’ उनका दूसरा सफल उपन्यास था और यह उनका तीसरा उपन्यास है।
यह उपन्यास हिन्दू-मुस्लिम समस्या को लेकर शुरू होता है लेकिन आख़िर तक आते-आते पाठकों को पता चलता है कि हिन्दू-मुस्लिम समस्या वास्तव में कुछ नहीं है, यह सिर्फ़ राजनीति का एक मोहरा है, और जो असली चीज़ है वह है इंसान के पहलू में धड़कनेवाला दिल और उस दिल में रहनेवाले जज़्बात; और इन दोनों का मजहब और जात से कोई ताल्लुक नहीं। इसीलिए साम्प्रदायिक दंगों के बीच सच्ची इंसानियत की तलाश करनेवाला यह उपन्यास एक शहर और एक मजहब का होते हुए भी हर शहर और हर मजहब का है ! एक छोटी-सी ज़िंदगी की दर्द भरी दास्तान जो ओस की बूँद की तरह चमकीली और कम-उम्र है।
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