Anamantrit Mehman
Author:
Anand Shankar MadhvanPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 396
₹
495
Unavailable
‘‘मानवता और उसके इस संसार में जो सत्य अनादिकाल से क्रियाशील है, उसे समझने और पाने के लिए जितना दिमाग़ी परिश्रम इस भारतवर्ष के योगी-महात्माओं ने किया है, उतना कहीं के भी महापुरुषों ने नहीं किया है। इस ओर प्रत्येक ऋषि अपने-अपने तरीक़े से, स्वतंत्र रूप से, अनुसन्धान करते आए हैं। मगर वे सभी यही अनुभव करते रहे कि प्रत्येक मार्ग एक-दूसरे का पूरक है। इस तरह अन्त में वे एक ही सत्य पर पहुँचते भी थे। तुम बच्चे हो बेटा, तुमने कुछ पुस्तकें पढ़ी हैं, वह भी अंग्रेज़ी पुस्तकों में वर्णित विचारों को पचाने का प्रयास मात्र किया है। इस तरह तुम न तो उन ऋषियों की घनघोर साधनाओं को समझोगे और न उनके अतुलनीय बुद्धि-वैभव को ही। तुम उनकी बुद्धि-शक्ति की कल्पना करो जिन्होंने अंक व्यवस्था का आविष्कार किया और शून्य का पता चलाया। तुम भारतीय ज्ञान-विद्या और अभिनय-शास्त्र को भी समझने का प्रयास करो। इस देश में धर्म सिर्फ़ राम जपना ही नहीं रहा है। मनुष्य का प्रत्येक आचरण परमेश्वर-प्राप्ति का एक साधन समझा जाता था। अतः वैद्य चिकित्सा करते समय, गायक गाते समय, गणितज्ञ किसी समस्या को हल करते समय, राजा राज्य-कार्य करते समय, पत्नी पति-सेवा करते समय, भंगी झाड़ू लगाते समय; इस तरह प्रत्येक व्यक्ति अपने प्रत्येक आचरण को ही ईश्वर का एक क़दम समझता था। कम-से-कम विधि और व्यवस्था इसी ओर रही है।’’ ‘‘खैर, ऐसा ही सही; आखिर उन सब अनुष्ठानों से भारत ने क्या पाया? सैकड़ों बरस की ग़ुलामी जब मुसलमान आए तो उसका ग़ुलाम हुआ; जब अंग्रेज़ आए तो उसका ग़ुलाम हुआ। जातीय जीवन में कुछ भी शक्ति रहती तो वह इतनी जल्दी और इतने शौक से ग़ुलामी को स्वीकार नहीं करता। बाबा जी, यह सत्य है कि मैंने धर्म का अध्ययन नहीं किया, पर क्या वजह है कि हम इतने क्षीण चारित्र्य के हो गए कि अपनी स्त्रियों तक को आततायियों से बचा नहीं सके? बुरा नहीं मानिए। जानने की व्यग्रता में मेरी पवित्र वेदना सन्निहित है।’’</p>
<p>‘‘मैं मानता हूँ, जातीय जीवन गिर गया है। हज़ारों बरसों से गिरता आ रहा है।’’</p>
<p>‘‘कब बढ़ी हालत में थी? इतिहास में तो कुछ प्रमाण नहीं मिलता। सब आपस में लड़े-भिड़े हैं। सैकड़ों बार लड़कियों के लिए लड़ाइयाँ हुई हैं।’’ ‘‘यह तो ग़लत बात है। इतिहास सदा मात्र सच्ची और सही घटनाओं को प्रस्तुत नहीं करता।’’ ‘‘तो सही क्या है—आपकी प्रिय धारणाएँ? आपकी प्रिय विचारधाराएँ?’’ ‘‘तो तुम्हारा क्या कहना है?’’ ‘‘मेरा यह कहना है कि इन भौगोलिक प्रतिष्ठानों का कुछ भी अर्थ नहीं है। क्या अर्थ है भारत भूमि का; क्यों आप भारत को पुण्यभूमि और भगवान का प्रिय देश कहते हैं? चीनी लोगों ने कौन-सा अपराध किया कि उनके देश में कोई पुण्यभूमि की मान्यता नहीं मिलती? सच बात तो यह है कि मनुष्य जहाँ-जहाँ जमकर रहते गए, उन्होंने अपनी उसी जमाअत तथा भू-भाग को महत्त्वपूर्ण समझना प्रारम्भ किया। उसके ममत्व में जो बेमतलब और बेबुनियाद का एक भाव चढ़ता गया, उसे राष्ट्रीयता कहते हैं। जैसे-जैसे यातायात की सुगमताएँ बढ़ती जाएँगी और मानव एक-दूसरे के निकटतम सम्पर्क में आता जाएगा, वैसे-वैसे राष्ट्र और राष्ट्रीयता भी कम होती जाएगी, भाषाएँ कम होती चलेंगी, जातियाँ मिटती चलेंगी और धर्म भी घटता चलेगा। विज्ञान पूरी मानवता को एक धरातल पर खड़ा कर देगा; एक सत्य पर व्यवस्थित कर देगा। जो चीज़ भेद-भाव को प्रश्रय देती हुई उसे मान्यता प्रदान करती है, उसे मैं ग़लत, झूठ और अन्याय मानता हूँ। इससे मैं मानवता को बचाऊँगा।’’</p>
<p>अध्यात्म और साम्यवाद को केन्द्र में रखकर रचा गया आनन्द शंकर माधवन का विचारोत्तेजक उपन्यास है—‘अनामंत्रित मेहमान’। अपने इस पठनीय उपन्यास में लेखक ने जहाँ दो विपरीत धाराओं का अपनी तार्किक दृष्टि से विवेचन-विश्लेषण प्रस्तुत किया है, वहीं निश्छल प्रेम और उदारता के आगे कठोर से कठोर व्यक्ति भी किस तरह स्वयं को पराजित-सा महसूस करने लगता है, इसका बड़ा ही मार्मिक चित्रण किया है।</p>
<p><strong> </strong>
ISBN: 9788126714926
Pages: 484
Avg Reading Time: 16 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Chaudah Phere
- Author Name:
Shivani
- Rating:
- Book Type:

- Description: चौदह फेरे तब केबल टी.वी. के धारावाहिक शुरू नहीं हुए थे और हिन्दी पत्रिकाओं में छपनेवाले लोकप्रिय धारावाहिक साहित्य-प्रेमियों के लिए आकर्षण और चर्चा का वैसे ही विषय थे, जैसे आज के सीरियल। चौदह फेरे जब ‘धर्मयुग’ में धारावाहिक रूप में छपने लगा तो इसकी लोकप्रियता हर किस्त के साथ बढ़ती गई। कूर्मांचल समाज में तो शिवानी को कई लोग चौदह फेरे ही कहने लगे थे। उपन्यास के रूप में इसका अन्त होने से पहले अहिल्या की फैन बन चुकी प्रयाग विश्वविद्यालय की छात्राओं के सैकड़ों पत्र उनके पास चले आए थे, ‘प्लीज, प्लीज शिवाजी जी, अहिल्या के जीवन को दुःखान्त में विसर्जित मत कीजिएगा।’ कैम्पसों में, घरों में शर्तें बदी जाती थीं कि अगली किस्त में किस पात्र का भविष्य क्या करवट लेगा। स्वयं शिवानी के शब्दों में ‘‘मेरे पास इतने पत्र आए कि उत्तर ही नहीं दे पाई। परिचित, अपरिचित सब विचित्र प्रश्न पूछते हैं - ’’ ‘क्या अहिल्या फलाँ समझा गया इसी भय से गर्मी में पहाड़ जाने का विचार त्यागना पड़ा। क्या पता किसी अरण्य से निकलकर कर्नल साहब छाती पर दुनाली तान बैठें?’’ कूर्मांचल से कलकत्ता आ बसे एक सम्पन्न-कुटिल व्यवसायी और उसकी उपेक्षिता परम्पराप्रिय पत्नी की रूपसी बेटी अहिल्या, परस्पर विरोधी मूल्यों और संस्कृतियों के बीच पली है। उसका राग-विराग और उसकी छटपटाती भटकती जड़ों की खोज आज भी इस उपन्यास को सामयिक और रोचक बनाती है। जाने-माने लेखक ठाकुरप्रसाद सिंह के अनुसार, इस उपन्यास की कथा धारा का सहज प्रवाह और आँचलिक चित्रकला के से चटख बेबाक रंग इस उपन्यासकी मूल शक्ति हैं।
Murdon Ka Tila
- Author Name:
Rangeya Raghav
- Book Type:

-
Description:
भारत की प्राचीन सभ्यता और संस्कृति का इतिहास मुअनजोदड़ो के उत्खनन में मिली सिन्धु घाटी की सभ्यता से शुरू होता है। इस सभ्यता का विकसित स्वरूप उस समय की ज्ञात किसी सभ्यता की तुलना में अधिक उन्नत है। प्रसिद्ध उपन्यासकार रांगेय राघव ने अपने इस उपन्यास ‘मुर्दों का टीला’ में उस आदि सभ्यता के संसार का सूक्ष्म चित्रण किया है। मोअन-जो-दड़ो सिन्धी शब्द है। उसका अर्थ है—मृतकों का स्थान अर्थात् ‘मुर्दों का टीला’।
‘मुर्दों का टीला’ शीर्षक इस उपन्यास में रांगेय राघव ने एक रचनाकार की दृष्टि से मोअन-जो-दड़ो का उत्खनन करने का प्रयास किया है। इतिहास की पुस्तकों में तो इस सभ्यता के बारे में महज़ तथ्यात्मक विवरण ही मिल पाते हैं। लेकिन रांगेय राघव के इस उपन्यास के सहारे हम सिन्धु घाटी सभ्यता के समाज की जीवित धड़कनें सुनते हैं।
सिन्धु घाटी सभ्यता का स्वरूप क्या था? उस समाज के लोगों की जीवन-व्यवस्था का स्वरूप क्या था? रीति-रिवाज कैसे थे? शासन-व्यवस्था का स्वरूप क्या था? इन प्रश्नों का इतिहाससम्मत उत्तर आप इस उपन्यास में पाएँगे। भारतीय उपमहाद्वीप की अल्पज्ञात आदि सभ्यता को लेकर लिखा गया यह अद्वितीय उपन्यास है। रांगेय राघव का यह उपन्यास प्राचीन भारतीय सभ्यता और संस्कृति में प्रवेश का पहला दरवाज़ा है।
Alfa-Bita-Gama
- Author Name:
Nasera Sharma
- Book Type:

-
Description:
‘अल्फ़ा-बीटा-गामा’ एक ऐसे विषय को लेकर सभ्य, महानगरीय समाज की निर्दयताओं और अक्षम्य अमानवीयताओं को उजागर करता है जिसकी तरफ़ लिखित शब्दों का ध्यान अकसर नहीं जाता, वह भी इतने बड़े पैमाने पर कि उपन्यास हो जाए।
यह उपन्यास मनुष्य की आत्मग्रस्तता को कभी कुत्तों की आँखों से दिखाता है, कभी उन कुछ जनों की आँखों से जो अपने सीमित साधनों के साथ, और अपने आस-पड़ोस का विरोध झेलकर उन असहाय जीवों के लिए कुछ करना चाहते हैं। आख़िर यह कैसे होता है कि संस्कृति और धर्म के धनी जिस भारतीय समाज में पत्थरों के साथ भी जीवित की तरह बर्ताव कर लिया जाता है, इन सजीवों के लिए सहानुभूति का संस्कार हम ख़ुद को और अपनी सन्तानों को नहीं दे पाते!
भारतीय कुत्तों की अनेक प्रजातियों के गहरे अध्ययन, उनके व्यवहार की गहरी जानकारी के साथ नासिरा जी इस उपन्यास में नागर क्रूरताओं की दैनिक और शाश्वत कथा कहते हुए हमारे मौजूदा समय तक आती हैं जहाँ कोरोना है, और लॉकडाउन है। लॉकडाउन जिसके शिकार अनेक लोग हुए और उसी अनुपात में वे कुत्ते भी जो सार्वजनिक स्थलों, दुकानों, होटलों आदि के बन्द हो जाने के बाद न सिर्फ़ भूखे, बल्कि अकेले भी पड़ गए। लाखों मज़दूरों के पलायन और उससे पहले हुए दिल्ली दंगों की विभीषिका के मद्देनजर उपन्यास कुत्तों की पीड़ा को मानवीय भाषा में समझाने का प्रयास करता है, और चाहता है कि हमारी संवेदना की पहुँच हमारे बन्द दरवाज़ों के बाहर तक हो।
Mam Aranya
- Author Name:
Sudhakar Adeeb
- Book Type:

-
Description:
वीरवर लक्ष्मण अपने चारों ओर विस्तीर्ण एवं अभ्यन्तर में घुमड़ते-गूँजते अरण्य से जूझते चौदह वर्ष देश निकाला पाए अपने अग्रज श्रीराम के साथ विचरते रहे। रामकथा तो इस धरती के कण-कण और पत्ते-पत्ते पर लिखी गई तथा बहुश्रुत है। परन्तु त्यागमूर्ति लक्ष्मण अधिकतर मौन-से चित्रित किए गए हैं। कुछेक स्थलों पर जब वह अपने सम्पूर्ण तेज के साथ मुखर होते हैं, तो उन्हें उनके मर्यादाप्रिय अग्रज श्रीराम शान्त करा देते हैं। ऐसा अनेक रामायणों में होता आया है।
विचारणीय यह है कि क्या सौमित्र-लक्ष्मण सम्पूर्ण रामकथा में सदैव मौन ही रहे होंगे? क्या उनका अपना कोई स्वतंत्र व्यक्तित्व नहीं रहा होगा? इतना तेजस्वी, इतना कर्मठ और शौर्यवान् योद्धा भला क्या इतना चुपचाप रह सकता है? फिर रामानुज लक्ष्मण का स्वयं का चिन्तन क्या रहा होगा? ये प्रश्न वर्षों तक मेरे मन में आकार लेते रहे। समाधान इस ‘मम अरण्य’ के रूप में उपस्थित हुआ है।...
Dalhousie Diaries
- Author Name:
Shashank Srivastav
- Book Type:

- Description: कुछ क़ागज़ पड़ा था घर के कोने मे जाने कब डायरी बना दिया कहनी थी बस एक कहानी मुझे जाने कब शायरी बना दिया कभी कभी कुछ ऐसा लिखा भी मिल जाता हैं जो हम असल मे पढ़ना चाहते हैं और जिसे जी लेना चाहते हैं बिल्कुल वैसे ही जैसे मैंने जिया... डलहौज़ी डायरीज़ को । एक खुबसुरत गीत की तरफ सुबह-शाम दिन-रात । एक पचपन साल का बूढ़ा पोस्टमास्टर और एक बीस बरस की ‘पगली लड़की’, एक रोज़ाना गुज़रने वाली रेलगाड़ी और एक डलहौज़ी का एक छोटा सा रेलवे स्टेशन... बस यही तो हैं यह कहानी । पर क्या ये बहुत हैं इसके एहसास को समझने के लिये । शायद नही! एक सच्चाई और भी जो भीतर कही दबी हुई थी हमारे और हम इसे जानकर भी अंजान बने रहे । वो सच्चाई जो हमारी हैं और जिसे हमने बनाई हैं । कुछ पुरानी यादो, अनकहे रिश्ते, बदलते अहसास और एक काली सच्चाई का समागम हैं... डलहौज़ी डायरीज़ ।
Bina Darvaze Ka Makaan
- Author Name:
Ramdarash Mishra
- Book Type:

- Description: आर्थिक विपन्नता से ग्रस्त किसी युवती को जब जीवन-ज्ञापन के लिए काम करना पड़ता है तो समाज के भूखे भेड़िए उसे ललचाई नज़रों से देखने लगते हैं। लेकिन जब उसकी आर्थिक विपन्नता के साथ उसके पति की शारीरिक निष्क्रियता भी जुड़ जाए, तो उसे सार्वजनिक सम्पत्ति ही समझ लिया जाता है। ‘बिना दरवाज़े का मकान’ की नायिका दीपा निम्न वर्ग की एक ऐसी ही अभिशप्त युवती है जो जीविकोपार्जन के साथ-साथ अपनी मर्यादा की रक्षा के लिए लगातार संघर्ष कर रही है। उसकी जीवन-प्रक्रिया तथा संघर्ष के क्रम में सम्भ्रान्त बेनक़ाब होता जाता है और दो समाज आमने-सामने तने हुए दिखाई पड़ते हैं। दिल्ली की एक भरी-पूरी कॉलोनी की पृष्ठभूमि पर आधारित कथा कभी-कभी गाँव की ओर भी चली जाती है और तब विडम्बना एकदम गहरा जाती है। दर्द और यातना के गहरे प्रसार के बीच जिजीविषा एवं संघर्ष से उत्पन्न मूल्य-चेतना उपन्यास को और सशक्त बनाती है।
Jeevan Ki Bhent
- Author Name:
Sanjiv Shah
- Book Type:

- Description: नौ वीं कक्षा के एक विद्यार्थी ने गृहकार्य नहीं किया था। शिक्षिका ने उसे बुलाकर कारण पूछा। विद्यार्थी ने गंभीरता से कहा, ‘‘कल मेरा जन्मदिन था और शाम को हमारे घर में बहुत झगड़ा हो गया। सुबह मेरे पिताजी ने मुझे उपहार में एक पुस्तक दी थी। उसे मैं पढ़ रहा था। तभी मम्मी ने कहा कि वह बहुत थक गई है, इसलिए हलका होने के लिए वह पुस्तक उन्हें पढ़नी है। मेरी दादीजी कहती थीं कि मुझे छोटी को प्रतिदिन नई-नई कहानियाँ सुनानी होती हैं, इसलिए सबसे पहले यह पुस्तक उन्हें मिलनी चाहिए, तो मेरे दादाजी ने जिद की कि उनके पास अच्छी वाचन-सामग्री नहीं बची है, अतः वह पुस्तक उनको ही मिले। इतने में मेरे पापा ऑफिस से आए और मुझे धमकाने लगे कि गिफ्ट तो मुझे उन्होंने दी है, तो पुस्तक पहले उनको ही दूँ। इस पुस्तक के लिए घर में इतना बखेड़ा मचा कि मैं होमवर्क ही नहीं कर सका।’’ शिक्षिका ने आश्चर्य से पूछा, ‘‘भला, वह कौन-सी पुस्तक है, मुझे दिखाना।’’ विद्यार्थी ने स्कूल बैग में से निकालकर पुस्तक शिक्षिका को दिखाई। शिक्षिका ने पुस्तक खोलकर कुछ पन्ने पलटे और विचार में डूब गई। उन्होंने विद्यार्थी से कहा, ‘‘तू पहले होमवर्क पूरा कर, तभी यह पुस्तक तुझे लौटाऊँगी।’’ वह सोचता रहा कि यदि आज फिर से घर में झगड़ा होगा, तो वह क्या करेगा? आप ही बताइए, वह बेचारा अब क्या करेगा?
Krishnavtar : Vol. 1 : Bansi Ki Dhun
- Author Name:
K. M. Munshi
- Book Type:

-
Description:
परम पुरुष श्रीकृष्ण की जीवन-लीला पर देश की किसी भी भाषा में आधुनिक उपन्यास लिखने का शायद यह पहला प्रयास है। पौराणिक परम्पराओं, विविध भाषाओं के काव्य-ग्रन्थों और लोक-साहित्य ने श्रीकृष्ण का जो बहुविध व्यक्तित्व और रूप हमारे सामने प्रस्तुत कर रखा है, वह अनन्य है, लेकिन उसे उपन्यास की विधा में बाँध लेने का श्रेय गुजराती के प्रमुख कथाकार कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी को ही प्राप्त है।
‘बंसी की धुन’ श्रीकृष्ण-चरित्र के अनेक खंडों में सम्पूर्ण होनेवाले उपन्यास ‘कृष्णावतार’ का पहला खंड है, जिसमें श्रीकृष्ण के प्रारम्भिक जीवन की कथा कही गई है। अत्यन्त सरल और सरस भाषा-शैली में लिखे गए इस उपन्यास की विशेषता यह है कि श्रीमद्भगवत की अलौकिक घटनाओं को बीसवीं शताब्दी के परिप्रेक्ष्य में अत्यन्त विश्वासोत्पादक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। यही कारण है कि भक्त-हृदय और वैज्ञानिक दृष्टिसम्पन्न दोनों श्रेणियों के पाठकों में यह समान रूप से लोकप्रिय हुआ है। इसका प्रत्येक खंड अपने में सम्पूर्ण और पठनीय है।
Master Anshumaan
- Author Name:
Satyajit Ray
- Book Type:

-
Description:
मास्टर अंशुमान विश्वविख्यात फ़िल्म निर्देशक और अनूठे कथाकार सत्यजित राय की बेहद लोकप्रिय कथाकृति है। इसमें ऐसे एक किशोर–अंशुमान की कहानी है जो एक फ़िल्म में अभिनय करने के लिए चुने जाने के बाद शूटिंग के लिए अजमेर जाता है। वहाँ उसकी मुलाकात फ़िल्मी दुनिया के ऐसे लोगों से होती है जो एक कहानी को परदे पर साकार करने में जुटे हैं। वह भी उनमें शामिल हो जाता है। दूसरी तरफ उसका सामना उन परिस्थितियों से होता है जिनमें, फिल्मी भूमिकाओं से परे, लोगों के असली चेहरे उजागर हो जाते हैं। गुमनाम रहते हुए, बन रही फिल्म के नायक के लिए जोखिम भरे कार्य करने वाले भलेमानस स्टंटमैन केष्टो दा और गुंडे की भूमिका निभाने वाले जगू दा जैसे लोगों को करीब से देखने के बाद अंशुमान के सामने एक बड़ी सचाई स्पष्ट होती है कि असल दुनिया किसी फ़िल्म की कहानी से कहीं अधिक पेचीदा है।
शूटिंग के बहाने फ़िल्म निर्माण के विभिन्न पहलुओं से परिचित कराती यह कहानी पाठक को उस समय रोमांच की नई राह पर ले जाती है, जब एक बेशकीमती मणि की चोरी के चपेटे में सारा शूटिंग दल आ जाता है।
किशोर अंशुमान के मुख से कही गई यह कथा जितनी रोमांचक है उतनी ही प्रेरक भी।
Adab Mein Baaeen Pasli : Afro-Asiayi NataK Vol. 4
- Author Name:
Nasera Sharma
- Book Type:

-
Description:
इस संग्रह में तीन महत्त्वपूर्ण नाटकों के अनुवाद दिए जा रहे हैं। जिनमें नाटककारों के अपने व्यक्तित्व एवं जीवन की गहरी छाप है। उस भाषा देश और समाज की परम्पराएँ तो झलकती हैं, साथ ही उनकी समस्याएँ, कठिनाइयाँ, दु:ख और सुख की भी सूचनाएँ मिलती हैं।
रचनाकारों और पाठकों की अपनी निजी जीवन-दृष्टि, अनुभव, पसन्द-नापसन्द होती हैं मगर इन सब के बावजूद कुछ रचनाएँ इन सारी बातों के दबाव से निकल अपनी उपस्थिति विश्व स्तर के साहित्यकारों और पाठकों व आलोचकों में बना लेती हैं, जहाँ नापसन्दगी के बावजूद उसकी अहमियत से इंकार नहीं किया जा सकता है। मिसाल के तौर पर इन तीनों नाटकों के विषय जिनके तारों से हर काल में नई आवाज़ें निकालने की कोशिशें की गई हैं जो आज भी जारी हैं। इसका कारण वे बुनियादी सवाल हैं, जिनसे लगातार आज का आधुनिक इंसान जूझ रहा है।
अली ओकला ओरसान का नाटक पुराने ऐतिहासिक पर्दे पर नई समस्याओं की ओर इंगित करता है। दूसरा नाटक 'पशु-बाड़ा’, गौहर मुराद का बेहद लोकप्रिय नाटक रहा है। रिफ़अत सरोश का पूरा वजूद शायरी और अदब से प्रभावित रहा है। उनके विषय किसी विशेष वर्ग या वाद तक सीमित नहीं रहे हैं, उनके व्यापक दृष्टिकोण का नमूना उनका नाटक 'प्रवीण राय’ है।
Things End But Memories Last Forever
- Author Name:
Kumar Milan
- Rating:
- Book Type:

- Description: One often meets his destiny on the road he takes to avoid it� Have you ever: Been in true love? Not love at first sight but love at every sight? Met the love of your life after 4 years only to lose her again? Faced a psycho stalker? Messed with family of cops? Get caught boozing by none other than your mother on your own birthday? Well, if this excites you even a bit, this would be an enthralling read for you. Things End But Memories Last Forever. The book tells the real life bitter-sweet incidents and discloses a candid narration by a mad, love struck and bemused guy, Abhi, who confesses about every last details of his past life to his best friend after a near death escape in a car accident. The tale of his first love Nikita, and much more. As time goes on, you�ll understand. What lasts, lasts; what doesn�t, doesn�t. We are habituated to miss those people the most, who left us for no reason�
Herbert
- Author Name:
Navarun Bhattacharya
- Book Type:

-
Description:
बिलकुल नई भाषा-भंगिमा और अद्भुत कथा-सामर्थ्य को उपस्थित करता यह उपन्यास अपने आप में इस बात का सबूत है कि कैसे आकार में बड़ी न होकर भी एक कथा अपने समय और जीवन का विशद आख्यान बन सकती है। प्रतिष्ठित कथाकार देवेश राय का अभिमत है कि बाँग्ला भाषा में समकालीन दौर में ‘हरबर्ट’ जैसा मौलिक उपन्यास दूसरा नहीं लिखा गया। 1997 के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कवि-कथाकार नवारुण भट्टाचार्य उन बिरले लेखकों में हैं जिनके इस पहले ही उपन्यास पर यह पुरस्कार मिला। समकालीन बाँग्ला साहित्य में जबरदस्त हलचल उत्पन्न करने वाली यह कृति ‘नरसिंह दास अवार्ड’ और ‘बँकिम पुरस्कार’ पहले ही पा चुकी थी।
यह उपन्यास महज कथा-नायक हरबर्ट सरकार की जीवन कथा ही नहीं है बल्कि अपने समय के इतिहास से गुजरते हुए एक ऐसे व्यक्ति की दास्तान है जिसके भीतर भी एक इतिहास है और जो अपनी मामूली जिंदगी को एक अर्थ देने के लिए अपने समय में असफल हस्तक्षेप करता है। गुजरते वक्त का इतिहास उपस्थित करते हुए हरबर्ट के भीतर बैठे इतिहास की खिड़की खोलने में उपन्यासकार ने जो आख्यान रचा है, उसमें उन्नीसवीं सदी के बाँग्ला कवियों की काव्य-पंक्तियाँ हर अध्याय के शुरू में जीवन दर्शन की तरह उपस्थित होती हैं और व्यक्ति, पीढ़ियाँ, पैतृक मकान, मुहल्ला, शहर, संबंध, भाईचारा, बेगानापन, समाज-व्यवस्था, राजनीतिक प्रणाली, व्यवस्था परिवर्तन का प्रतिरोध, पूँजीवादी आधुनिकता और उसकी क्रूरता आदि को समेटती हुई मामूली आदमी की महागाथा तैयार हुई है।
इतने छोटे कलेवर के उपन्यास में इतने सघन प्रभाव के साथ यह सब संभव हो पाया है अपने अपूर्व रचना-विधान और विशिष्ट भाषा रीति के कारण, जो उपन्यास लेखन की प्रचलित और परिचित परिपाटी से भिन्न नवारुण भट्टाचार्य की मौलिक उद्भावना है। यह उपन्यास गुजरते हुए काल का इतिहास है, बीत चुका अतीत नहीं–यह जारी है। और, हरबर्ट भी मरता नहीं–बार-बार पैदा हो जाता है।
Ranu Aur Bhanu
- Author Name:
Sunil Gangopadhyay
- Book Type:

-
Description:
— रवीन्द्रनाथ को प्रतिदिन पूरे भारत से सैकड़ों चिट्ठियाँ मिलती थीं। वे यथासम्भव उनका जवाब भी देते थे। एक दिन एक पत्र पाकर कवि को बड़ा कौतुक महसूस हुआ। उस पत्र को वाराणसी से रानू नामक एक बालिका ने लिखा था। इसी उम्र में वह कवि का काफ़ी साहित्य पढ़ चुकी थी। वे ही उसके सबसे क़रीबी व्यक्ति हो गए थे। उसकी शिकायत थी कि कवि इन दिनों इतनी कम कहानियाँ क्यों लिख रहे हैं। कवि ने उस बालिका के पत्र का जवाब दे दिया।
अपने गृहस्थ जीवन में रवीन्द्रनाथ को कभी मानसिक सुख-शान्ति नहीं मिली थी। अचानक एक दिन लम्बी बीमारी भोगने के बाद कवि की प्रिय बड़ी बेटी माधुरी लता का देहावसान हो गया। कवि टूट गए। उसी दिन अशान्त चित्त से एक भाड़े की गाड़ी लेकर वे भवानीपुर पहुँचे। नम्बर ढूँढ़कर एक घर के सामने रुककर उन्होंने पुकारा—रानू! रानू!
अपना नाम सुनते ही तेज़ी से एक बालिका नीचे उतर आई। कवि अपलक उसे देखते रह गए। यह वे किसे देख रहे थे? यह परी थी या स्वर्ग की कोई अप्सरा! उसी दिन अट्ठावन वर्षीय कवि से उस बालिका का एक विचित्र रिश्ता क़ायम हो गया। रानू कवि के खेल की संगिनी बन गई। नई रचनाओं की प्रेरणादात्री, उनकी खोई ‘बउठान’।
और रानू के लिए कवि हो गए उसके प्रिय भानु दादा।
कवि के चीन-भ्रमण के समय उनकी अनुपस्थिति में रानू की शादी तय हो गई। रानू अब सर राजेन मुखर्जी के पुत्र वीरेन की पत्नी बन गई। दो सन्तानों की माँ।
कवि अब वृद्ध थे। उन्हें जीवन के अन्तिम दिनों में रानू से क्या मिला? वह क्या सिर्फ़ ‘आँसुओं में दु:ख की शोभा’ बनी रह गई?
सुनील गंगोपाध्याय की क़लम से एक अभिनव और अतुलनीय उपन्यास।
Khali Naam Gulab Ka
- Author Name:
Umberto Eco
- Book Type:

-
Description:
प्रख्यात इतालवी कथाकार, सौन्दर्यशास्त्री और साहित्य-चिन्तक अम्बर्तो इको की यह क्लासिक औपन्यासिक कृति चौदहवीं सदी के एक ईसाई मद में घटित रोमांचकारी घटनाओं का वृत्तान्त है। मठ में एक के बाद एक होती आधा दर्जन से ज़्यादा संन्यासियों की रहस्यमय हत्याएँ और उपन्यास के मुख्य चरित्र, फ़्रांसिस्कन संन्यासी और पंडित ब्रदर विलिमय द्वारा इस रहस्य को भेदने की कोशिशें, एक दूसरे गहरे स्तर पर, ज्ञान की क़िलेबन्दी तथा उसको तोड़ने के विलक्षण रूपक में फलित होती हैं जिसमें पुस्तकें और बौद्धिक प्रत्यय, पठन, ज्ञान और जिज्ञासा के संवेग, धार्मिक आस्था और श्रद्धा के उत्कट, हिंसक आवेग जैसी अनेक चीज़ें अपनी साधारण ऐन्द्रियता के साथ हमारे अनुभव का हिस्सा बनती हैं। एक ओर चौदहवीं सदी के ईसाई जगत के धर्मपरीक्षणों और धर्मयुद्धों की पृष्ठभूमि में घटित होती रहस्य और रोमांच से भरी रक्तरंजित घटनाएँ, और दूसरी ओर, मानो, योरोपीय रेनेसां और एनलाइटमेंट की अगुवाई करते, बेहद सघन किन्तु उतने ही प्रांजल और अन्तर्दृष्टिपूर्ण बौद्धिक विमर्श, एक-दूसरे से अन्तर्गुम्फित होकर, एक-दूसरे में रूपान्तरित होकर जिस महान त्रासद रूपक की रचना करते हैं, वह इस उपन्यास का चमत्कृत कर देनेवाला अनुभव है।
Viruddha
- Author Name:
Mrinal Pande
- Book Type:

-
Description:
‘विरुद्ध’ उपन्यास का सुप्रसिद्ध कथाकार मृणाल पाण्डे की रचना–यात्रा में ऐतिहासिक महत्त्व है। यह उनका प्रथम उपन्यास है। अभिव्यक्ति की ताज़गी के साथ सरोकारों की स्पष्टता ‘विरुद्ध’ की विशेषता है। मानसिक ऊहापोह का मार्मिक अंकन और यथार्थ का तटस्थ चित्रण करता यह उपन्यास वस्तुत: अस्मिता की खोज का आख्यान है।
रजनी और उदय के मय घटित–अघटित को मृणाल पाण्डे ने कलात्मक सौन्दर्य के साथ सहेजा है। उन्होंने भाषा की अचूक व्यंजनाओं से कई बार रजनी के मनोलोक में भागती परछाइयों को विश्लेषित किया है। एक उदाहरण—
“सूखी मिट्टी के लाल फैलाव के बीच जगह–जगह नीचे छिपी चट्टानों की काली नोकें दीख रही थीं। जाने अँधेरे की वजह से या जंगल की नीरव क्रूरता के कारण, रजनी को लगा जैसे कि उसके चारों तरफ़ उगे वे छोटे, नाटे और गठीले आकार दरख़्त नहीं, बल्कि कुछ जीवन्त उपस्थितियाँ हैं, एक काली हिकारत से दम साधे उसे घूरती हुई। है हिम्मत उसमें कि आगे बढ़ सके। उनके काईदार संशय की दमघोंटू चुप्पी के बीच?”
सुशिक्षित रजनी उच्च वर्ग–बोध के बरक्स किस प्रकार अपने अस्तित्व से संवाद करती है, यह पठनीय है। ‘विरुद्ध’ की आत्मीयता पाठक को अपना सहचर बना लेती है।
Tarpan
- Author Name:
Shivmurti
- Book Type:

-
Description:
‘तर्पण’ भारतीय समाज में सहस्राब्दियों से शोषित, दलित और उत्पीड़ित समुदाय के प्रतिरोध एवं परिवर्तन की कथा है। इसमें एक तरफ़ कई-कई हज़ार वर्षों के दुःख, अभाव और अत्याचार का सनातन यथार्थ है तो दूसरी तरफ़ दलितों के स्वप्न, संघर्ष और मुक्ति चेतना की नई वास्तविकता। इस नई वास्तविकता के मानदंड भी नए हैं, पैंतरे भी नए और अवक्षेपण भी नए। उत्कृष्ट रचनाशीलता के समस्त ज़रूरी उपकरणों से सम्पन्न ‘तर्पण’ दलित यथार्थ को अचूक दृष्टि-सम्पन्नता एवं सरोकार के साथ अभिव्यक्त करता है।
गाँव में ब्राह्मण युवक चन्दर दलित युवती रजपत्ती से बलात्कार की कोशिश करता है। रजपत्ती और साथ की अन्य स्त्रियों के विरोध के कारण वह सफल नहीं हो पाता। उसे भागना पड़ता है। लेकिन दलित बलात्कार किए जाने की रिपोर्ट लिखाते हैं। ‘झूठी रिपोर्ट’ के इस अर्द्धसत्य के ज़रिए शिवमूर्ति हिन्दू समाज की वर्णाश्रम व्यवस्था के घोर विखंडन का महासत्य प्रकट करते हैं। इस पृष्ठभूमि पर इतनी बेधकता, दक्षता और ईमान के साथ अन्य कोई रचना दुर्लभ है।
समकालीन कथा साहित्य में शिवमूर्ति ग्रामीण वास्तविकता के सर्वाधिक समर्थ और विश्वसनीय लेखकों में हैं। ‘तर्पण’ उनकी क्षमताओं का शिखर है। रजपत्ती, भाईजी, मालकिन, धरमू पंडित जैसे अनेक चरित्रों के साथ अवध का एक गाँव अपनी पूरी सामाजिक, भौगोलिक संरचना के साथ यहाँ उपस्थित है। गाँव के लोग-बाग, प्रकृति, रीति-रिवाज, बोली-बानी—सब कुछ—शिवमूर्ति के जादू से जीवित-जाग्रत हो उठे हैं। युगों की रुद्ध शापित चेतना जब अपने प्रतिरोध और प्रतिशोध पर परवान चढ़ती है तो उसकी नज़र वर्तमान तक ही महदूद नहीं रहती, वह अतीत के सारे अभिशप्त पुरखों का तर्पण करती है और वैयक्तिकता सामूहिकता में ढलकर क्रान्ति का नया पाठ रचती है।
संक्षेप में कहें तो ‘तर्पण’ ऐसी औपन्यासिक कृति है जिसमें मनु की सामाजिक व्यवस्था का अमोघ सन्धान किया गया है। एक भारी उथल-पुथल से भरा यह उपन्यास भारतीय समय और राजनीति में दलितों की नई करवट का सचेत, समर्थ और सफल आख्यान है।
Ek Mantri Swarglok Mein
- Author Name:
Shankar Puntambeker
- Book Type:

-
Description:
शंकर पुणतांबेकर का यह उपन्यास मूलतः एक व्यंग्य-रचना है, जिसमें राजनीतिज्ञों की जोड़-तोड़ का प्रभावशाली चित्रण है। जिस प्रकार पृथ्वीलोक में चुनाव में टिकट पाने, चुनाव जीतने और फिर मंत्रिपद हथियाने के लिए विभिन्न हथकंडे अपनाए जाते हैं, ठीक उसी तरह के हथकंडे एक मंत्री महोदय स्वर्गलोक में पहुँचने पर अपनाते हैं। आज के राजनीतिज्ञ किस प्रकार एक अच्छी-भली, साफ़-सुथरी व्यवस्था को भी अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए भ्रष्ट कर देते हैं। इसका बहुत ज़ोरदार चित्रण प्रस्तुत उपन्यास में है।
ख़ास बात यह कि कहानी में निहित व्यंग्य कटु न होते हुए भी सीधी चोट करता है और जाने-पहचाने तथ्यों को भी इस ढंग से उद्घाटित करता है कि उपन्यास को पढ़ते हुए बराबर छल-प्रपंच की एक नई दुनिया से परिचित होने का एहसास बना रहता है और साथ ही यह एहसास भी कि यह नई दुनिया कितनी तुच्छ, कितनी अवांछनीय है।
Adab Mein Baaeen Pasli : Afro-Asiayi Laghu Upanyas : Vol. 3
- Author Name:
Nasera Sharma
- Book Type:

-
Description:
उर्दू भाषा का जन्म हिन्दुस्तान में हुआ। मातृभाषा जो भी हो मगर लिखनेवाले उर्दू में लिखते रहे। इसलिए जहाँ उर्दू का विस्तार बढ़ा, वहीं पर उसके पढ़नेवालों की दिमाग़ी फ़िज़ा भी रौशन और खुली बनी। भाषा पर किसी धर्म और विचारधारा की हुकूमत नहीं हो सकती है, जो ऐसा सोचते हैं वे अपना ही नहीं, अपनी भाषा के विकास का भारी नुक़सान करते हैं।
अपनी ऐतिहासिक धरोहर को वक़्ती सियासी मुनाफ़े का मोहरा बनाकर उनका व्यक्तिगत लाभ हो सकता है, मगर बड़े पैमाने पर हम उर्दू साहित्य का ख़ज़ाना खो बैठेंगे और साथ ही हिन्दी भाषा साहित्य का भी नुक़सान करेंगे। अनेक लेखकों की हिन्दी भाषा लिपि में लिखी कहानियों में उर्दू शब्द नगीने की तरह जड़े नज़र आते हैं, जो भाषा को नया सौंदर्य देते हैं। उनको हटाकर वहाँ हिन्दी भाषा के ख़ालिस शब्द लगाने की मुहिम चलाएँगे तो उस गद्य का क्या बनेगा?
हमारे बुज़ुर्गों ने औरतों के इतने शानदार चरित्र गढ़े हैं, जो आज भी ज़िन्दा महसूस होते हैं, जिनमें ज़िन्दगी अपने सारे परिवेश के साथ धड़कती है और हर रंग में हमारे सामने अहसास का पिटारा खोलती है और इस विचार को पूर्णरूप से रद्द कर देती है कि औरत के बारे में सिर्फ़ औरत ही ईमानदारी से लिख सकती है। यह सौ फीसदी सच है मगर कला इस तथ्य से आगे निकल कर हमें यह बताती है कि कफ़न की दुनिया औरत-मर्द क़लमकारों के इस फ़र्क़ को न मानती है न स्वीकार करती है। सबूत इन कहानियों के रूप में सामने है। इन कहानियों में पूरी एक सदी का समय क़ैद है, जो हमारे बदलते ख़यालात, समाज, माहौल और इंसान को हमारे सामने एक सनद की शक्ल में पेश करते हैं। यह अलग बात है कि कुछ किरदार हमें बिलकुल नए और वर्तमान में साँस लेते लगेंगे।
Gobar Ganesh
- Author Name:
Rameshchandra Shah
- Book Type:

-
Description:
‘‘...‘गोबरगणेश’ को पढ़ते हुए मुझे अपनी सुध-बुध बिसर गई। यह अनुभव मुझे सबसे प्रिय और सुखद होता है। जिस रचना से वह धन्यता मिले, उसे धन्य ही कह सकता हूँ। नहीं तो क्या!’’
—जैनेन्द्र कुमार
‘‘...‘गोबरगणेश’ इस बार कुमाऊँ यात्रा में साथ ले गया और वहीं उसे पूरा पढ़ आया। उपन्यास मुझे अच्छा लगा और उस परिवेश में उसे पढ़ना और भी अच्छा लगा। उससे कुछ ही पहले मनोहर श्याम जोशी का ‘कसप’ भी पढ़ा था। इसलिए कुमाऊँ का एक कंट्रास्टिंग चित्र भी सामने रहा। इससे पढ़ने में एक विशेष प्रकार का आनन्द आया। सोचता हूँ कि ‘गोबरगणेश’ के बारे में कुछ लिखूँ...’’
—अज्ञेय
‘‘...विनायक के अनेक दोस्त उपन्यास में अपनी अलग पहचान तो बनाते ही हैं, साथ ही उनके माध्यम से एक उत्तर-भारतीय क़स्बे के सामाजिक जीवन की अनेक परतें अपने बुनियादी अन्तर्विरोधों के साथ उद्घाटित हुई हैं, जिनकी बहुआयामिता सचमुच प्रभावी है।...‘गोबरगणेश’ की भाषा और दृष्टि में, विशेषकर पहले खंड में, बहुत दूर तक एक कवि-उपन्यासकार की संवेदना की छाप मिलती है। यह बात उसे हिन्दी कथाकारों की एक ख़ासी लम्बी और बड़ी परम्परा से जोड़ती है, जिसमें जयशंकर प्रसाद, अज्ञेय, नरेश मेहता, धर्मवीर भारती, मुक्तिबोध आदि अनेक लोग हैं।...’’
—नेमिचन्द्र जैन (‘जनान्तिक’, पृ. 106-07)
‘‘...विनायक की यह दुनिया चार्ल्स डिकेंस के पिप या ओलीवर या डेविड कॉपरफिल्ड के बचपन की दुनिया है—काल्पनिक, पर अनुभूत; आत्यन्तिक, पर विश्वसनीय—इन्द्रधनुषी मानवीय ऊष्मा लिये, वास्तविक यथार्थ से कहीं ज़्यादा यथार्थ, कहीं ज़्यादा संवेद्य। इस दुनिया के अन्न-जल से पला-पुसा विनायक वास्तविक जीवन-समर में प्रवेश करते ही जटिलता की चट्टान से टकराकर बिखरने लगता है...’’
—मलयज (‘संवाद और एकालाप’, पृ. 27)
Harun Aur Kahaniyo Ka Samunder
- Author Name:
Salman Rushdi
- Book Type:

-
Description:
हद दर्जे तक उदास शहरों में भी एक ऐसा उदास शहर जो अपना नाम भूल चुका है, इसी शहर में एक क़िस्सागो रशीद अपने बेटे हारून के साथ रहता है। रशीद बकवास का बादशाह है—समन्दर-भर ख़यालों और दैवी प्रतिभा का धनी। आप उससे कोई कहानी सुनाने के लिए कहिए और फिर किसी पुरानी कहानी की उम्मीद मत कीजिए, न ही ये सोचिए कि आप कोई एकाध कहानी सुनने जा रहे हैं। यहाँ सैकड़ों कहानियाँ आपकी मुंतज़िर हैं। ख़ुशी और उदासी की गड्डमड्ड कहानियाँ, प्यार और नफ़रत के टुकड़ों से बनीं; राजकुमारियों, दुष्ट चाचाओं और मोटी चाचियों, पीली चैक की पतलूनों वाले मुच्छड़ बदमाशों और दर्जनों मीठी धुनों से लबरेज़ कहानियाँ।
लेकिन एक दिन चीज़ें—कई सारी चीज़ें—भयानक ढंग से उलट-पुलट हो गईं। रशीद को उसकी पत्नी ने छोड़ दिया। उसके बाद जब भी वह मुँह खोलता, कोई कहानी हाज़िर न होती, उसकी जगह सिर्फ़ भौंकने की एक डरावनी आवाज़ सुनाई पड़ती। बकवास का बादशाह अपने वरदान से वंचित हो चुका था, क्योंकि उसकी नज़रों से कहीं दूर, जाने किस तरह कुछ बुरा घट चुका था, कहानियों का समन्दर धीरे-धीरे प्रदूषित होता जा रहा था। ख़तम-शुद—चुप्पी का राजकुमार और आवाज़ का दुश्मन—कहानियों के समन्दर को गुप्त रूप से प्रदूषित कर चुका था।
‘हारून और कहानियों का समन्दर’ एक साहसिक उपन्यास है—एक पिता, रशीद, और उसके बेटे हारून तथा हारून द्वारा अपने पिता के खोए वरदान को लौटा लाने की कोशिशों की सनसनीख़ेज़ दास्तान। इस कहानी में एक पागल बस ड्राइवर है—बट्ट और एक पानी का जिन्न है—इफ़्फ़। एक तैरता हुआ माली है और एक जोड़ा मछलियों का जिनके पूरे शरीर पर मुँह ही मुँह हैं। इस कहानी में आपको गप नाम का एक अद्भुत शहर मिलेगा (जहाँ हमेशा रोशनी रहती है) और चुप नाम का एक भयानक द्वीप भी (जहाँ हमेशा अँधेरा रहता है)।
और, इसमें आपका सामना होगा पी2सी2ई. (यानी इतनी जटिल कि समझाना कठिन प्रक्रिया—प्रोसेस टु कॉम्प्लीकेटेड टु एक्सप्लेन) से, जो शायद इस कहानी की सबसे अहम चीज़ है।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Hurry! Limited-Time Coupon Code
Logout to Rachnaye
Offers
Best Deal
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat.
Enter OTP
OTP sent on
OTP expires in 02:00 Resend OTP
Awesome.
You are ready to proceed
Hello,
Complete Your Profile on The App For a Seamless Journey.