Agle Janam Mohe Bitiya Na Kijo
Author:
Qurratul Ain HaiderPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 79.2
₹
99
Unavailable
‘अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो’ मामूली नाचने-गानेवाली दो बहनों की कहानी है, जो बार-बार मर्दों के छलावों का शिकार होती हैं। फिर भी यह उपन्यास जागीरदार घरानों के आर्थिक ही नहीं, भावात्मक खोखलेपन को भी जिस तरह उभारकर सामने लाता है, उसकी मिसाल उर्दू साहित्य में मिलना कठिन है। एक जागीरदार घराने के आग़ा फ़रहाद बकौल खुद पच्चीस साल के बाद भी रश्के-क़मर को भूल नहीं पाते और हालात का सितम यह कि उसके लिए बन्दोबस्त करते हैं तो कुछेक ग़ज़लों का ताकि ‘अगर तुम वापस आओ और मुशायरों में मदऊ (आमंत्रित) किया जाए तो ये ग़ज़लें तुम्हारे काम आएँगी।’ आख़िर सबकुछ लुटने के बाद रश्के-कमर के पास बचता है तो बस यही कि ‘कुर्तों की तुरपाई फ़ी कुर्ता दस पैसे...’</p>
<p>खोखलापन और दिखावा—जागीरदार तबके की इस त्रासदी को सामने लाने का काम ‘दिलरुबा’ उपन्यास भी करता है। मगर विरोधाभास यह है कि समाज बदल रहा है और यह तबका भी इस बदलाव से अछूता नहीं रह सकता। यहाँ लेखिका ने प्रतीक इस्तेमाल किया है फ़िल्म उद्योग का, जिसके बारे में इस तबके की नौजवान पीढ़ी भी उस विरोध-भावना से मुक्त है जो उनके बुज़ुर्गों में पाई जाती थी।
ISBN: 9788126707133
Pages: 134
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Parvati Chachi
- Author Name:
Vijay Kumar
- Book Type:

- Description: Parvati Chachi
Qayas
- Author Name:
Zilani Bano
- Book Type:

- Description: ास’ एक असाधारण उपन्यास है जहाँ रोज़मर्रा की साधारण सामग्री से गम्भीर और कलात्मक परिष्कृत कृति ने आकार लिया है। इस सामग्री से कोई भी और लेखक अतिनाटकीय बम्बइया कृति बना डालता है। ‘क़यास’ में अतिनाटकीयता है ज़रूर लेकिन उसे उपन्यासकार ने सहलाने की जगह, उसका मज़ाक बनाया है। इस उपन्यास की भाषा उचित ही ऊँचे स्तर की है, इसमें प्रयुक्त उपमाएँ और रूपक ज़रा भी कृत्रिम हुए बिना काव्यात्मक और नैसर्गिक हैं। पूरे उपन्यास में एक भी शब्द फ़िज़ूल नहीं है। मुझे यह पढ़कर सन्तोष से बहुत अधिक हासिल हुआ। लखना उर्फ़ लखन लाल का चरित्र ठीक ही अविस्मरणीय है, उपन्यास में उसे गौरवमय स्थान दिया गया है। यह उसी के एकालाप से ख़त्म होता है। Quote - हिन्दी उपन्यास मध्यवर्गीय जीवन और उसके रिश्तों के उत्सव में अपना गौरव मानता रहा है। उदयन वाजपेयी का ‘क़यास’ उन थोड़े-से उपन्यासों में है जो बिना किसी यथार्थवादी फर्नीचर के कोलाहल को मुमकिन कर देता है। इस उपन्यास में काव्यात्मक छरहरापन है। —कृष्ण बलदेव व
Aadmi Ka Zahar
- Author Name:
Shrilal Shukla
- Book Type:

-
Description:
आदमी का ज़हर’ एक रहस्यपूर्ण अपराध कथा है। इसकी शुरुआत एक ईर्ष्यालु पति से होती है जो छिपकर अपनी रूपवती पत्नी का पीछा करता है और एक होटल के कमरे में जाकर उसके साथी को गोली मार देता है। पर दूसरे ही दिन वह साधारण दीखनेवाला हत्याकांड अचानक असाधारण बन जाता है और घटना को रहस्य की घनी परछाइयाँ ढकने लगती हैं।
उसके बाद के पन्नों में हत्या और दूसरे भयंकर अपराधों का घना अँधेरा है जिसकी कई परतों से हम पत्रकार उमाकांत के साथ गुज़रते हैं। घटनाओं का तनाव बराबर बढ़ता जाता है और अन्त में वह जिस अप्रत्याशित बिन्दु पर टूटता है, वह नाटकीय होते हुए भी पूरी तरह विश्वसनीय है।
सामान्य पाठक समुदाय के लिए हिन्दी में शायद पहली बार एक प्रतिष्ठित लेखक ने ऐसा उपन्यास लिखा है। इसमें पारम्परिक जासूसी कथा-साहित्य की ख़ूबियाँ तो मिलेंगी ही, सबसे बड़ी ख़ूबी यह है कि कथा आज की सामाजिक-राजनीतिक स्थितियों के बीच से निकली है। इसमें सन्देह नहीं कि यह उपन्यास, जिसे लेखक ख़ुद मनोरंजन-भर मानता है, पाठकों के मनोरंजन के अलावा उन्हें कुछ सोचने के लिए मजबूर भी करता है।
Kharidi Kaudiyon Ke Mol : Vols. 1-2
- Author Name:
Bimal Mitra
- Book Type:

-
Description:
‘ख़रीदी कौड़ियों के मोल’ बांग्ला का वृहत्तम और अन्यतम उपन्यास है।
दीपंकर इस उपन्यास का नायक है : राष्ट्रीय और सामाजिक बवंडर में फँसी मानवता और युग-यंत्रणा का प्रतिनिधि। उसके अघोर नाना ने कहा था कि कौड़ियों से सब कुछ ख़रीदा जा सकता है। नाना के कथन का सबूत मिस्टर घोषाल, मिस्टर पालित, नयनरंजिनी, छिटे, फोटा, लक्ष्मी दी आदि ने देना चाहा, परन्तु दीपंकर का आदर्शबोध उनके मतवाद से टकराकर रह गया। दीपंकर के जीवन ने प्रमाण दिया कि पैसे से सुख नहीं ख़रीदा जा सकता। फिर भी दीपंकर का जीवन ऊपर से देखने में सुखी नहीं है। मामूली क्लर्क से वह रेलवे का बहुत बड़ा ऑफ़िसर बना, लेकिन अन्त तक उसे जीवन के जुलूस से कटकर अज्ञातवास है। इस ट्रेजेडी का कारण है कलयुग। इस युग में रामराज्य की स्थापना असम्भव है, और रावणराज्य की स्थापना स्वाभाविक। इसीलिए इस उपन्यास का रावण, मिस्टर घोषाल, जेल से निकलकर और अधिक शक्तिशाली बन गया और आवारा फोटा खद्दर ओढ़कर कांग्रेस का बड़ा नेता फटिक बाबू। सती मानवी आकांक्षा की मूर्ति है तो उसका पति सनातन बाबू सच्चाई और आदर्श का प्रतीक। परन्तु आज सच्चाई अपंग और आदर्श नपुंसक है। इसलिए सती का सर्वनाश होकर रहा। सीता का सर्वनाश वाल्मीकि नहीं टाल सके तो सती का सर्वनाश बिमल बाबू कैसे रोक पाते! बांग्ला का यह महान् उपन्यास हर हिन्दी पाठक के लिए पठनीय है। इसके अनुवाद की विशेषता यह है कि मूल को अविकल रखा गया है और बांग्ला उपन्यासों के हिन्दी रूपान्तर में प्राय: जो अर्थ का अनर्थ होता है, उससे यह सर्वथा मुक्त है।
Gandi Baat
- Author Name:
Kshitiz Roy
- Book Type:

-
Description:
एक लड़का था—कुछ लोफर, लफुआ, दीवाना-सा! जिसका दिल था नए रैपर में वही पुराना—शहीदाना। शहर पटना पूरा अपना लगे उसे!
लड़की थी अलबेली-सी, सोचने का कारख़ाना, हिम्मत की एनीटाइम लोडेड गन जैसी, पुरानी जीन्स और एकदम नया गाना!
दिल्ली शहर में मौसम था अन्ना आन्दोलन का,
चुनाव के घुमड़ रहे थे बादल।
डेजी आई पढ़ने एलएसआर में। बन गई ड्रमर।
गोल्डन आया डेजी के पीछे बावला। बन गया ड्राइवर।
दोनों थे ख़ालिस ग़ैर-राजनीतिक युवा।
पढ़िए उन्हीं के घोर राजनीतिक रोमांस की दिलचस्प दास्ताँ, जिसमें उनकी निजता में शहर, समाज और परिस्थितियाँ दे रही हैं बराबरी से दख़ल...जहाँ कुछ भी नहीं है निश्चित और अनिश्चित ही है उनका
सबसे बड़ा रोमांस...
जिसे कहते हैं सब गंदी बात,
क्या होती है वाक़ई वह
गंदी-सी कोई बात!
Nano Tales
- Author Name:
Various Authors
- Rating:
- Book Type:

- Description: This book contains 38 Nano tales by different authors depicting life, motivation and inspiration. This is the world’s first book to be published on Nano tales. Nano tale is a small story written in little words with a strong message. The figure of speech used by the writers is at its best. Irony, rhetoric, sarcasm, pun, and satire are some essential tools of a Nano tale. The words are limited, but the message is loud and clear.
Neeli Deewar Ki Parchhaiyan
- Author Name:
Anagh Sharma
- Book Type:

-
Description:
नीली दीवार की परछाइयाँ बहुत धीमे से मन के अन्तर्लोक में प्रवेश करती है। दो साँसों के बीच के अन्तराल में जैसे दीवार पर परछाइयाँ काँपती, सिहरती अपनी कहानी कहती हैं। रौशन बी, राहिला उर्फ़ तलजीत, अमू और अपूर्वा, इन सबके जरिए एक रहस्य बहुत परतों में, बहुत धीरे-से उजागर होता है, जैसे नेपथ्य में जो जीवन था उस पर से किसी ने पर्दा उठा दिया हो।
अनघ के पास भावों की गहराई है, शब्दों और भाषा की जादूगरी है जिसके माध्यम से बहुत मीठेपन में, बहुत बिम्बात्मक तरीक़े से परत-दर-परत कथा खुलती है। भाषा की नज़ाकत के साथ-साथ कथा का रहस्य-रूमान, अवसाद, सुख सब तरंगित होता चलता है। इस उपन्यास में गाँव है, शहर है, देश है, विदेश है, वर्तमान है, अतीत भी है। सारी दुनिया हमारे सामने कभी प्रगट तो कभी सांकेतिक रूप में किसी दृश्य-परिदृश्य की तरह से बहती चलती है। अनघ बहुत प्रत्यक्ष का शिल्प नहीं चुनते। हर बार वो उतनी ज़मीन छोड़ते चलते हैं जहाँ से पाठक भी अपनी कल्पना में उस दुनिया को अपने तरीक़े और नज़र से देखता चले। किताब जब ख़त्म होती है उसका आस्वाद आपके मन में बना रहता है।
राहिला की बीमारी और उसके पिता द्वारा छोड़े जाने की कथा, रौशन बी का अपने चाचा, ताऊ द्वारा बेचा जाना और अमू का बिन पिता के बड़े होना, इन परिस्थितियों के गिर्द अनकहे की, चुप्पियों और तकलीफ़ों की एक दुनिया अनघ बसाते हैं जिसकी उदास छाया बहुत देर तक बनी रहती है—पुराने ज़ख़्म की टीस जैसे। उनके लिखे में एक इंटेंस किस्म का रचाव दिखता है जो पाठक की उँगली थाम उसे उन बीहड़ गलियों में लिए चलता है जिसकी स्मृति में हम कभी प्रसन्न और कभी अनमने उदास हो उठते हैं।
Tufan Jhuka Sakta Nahin
- Author Name:
Sharaf Rashidov
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Godan
- Author Name:
Premchand
- Book Type:

-
Description:
‘गोदान’ का नायक होरी है।
ज़मींदार और महाजन में भेद करते हुए वह बताता है—“ज़मींदार तो एक ही है; मगर महाजन तीन-तीन हैं, सहुआइन अलग, मँगरू अलग और दातादीन पंडित अलग।” पाँच साल हुए होरी ने मँगरू साह से साठ रुपए उधार लिए थे बैल लाने के लिए। उसमें से वह साठ दे चुका था; परन्तु वह साठ रुपए अब भी बने हुए थे। दातादीन पंडित से उसने तीस रुपए लिए थे आलू बोने के लिए। दुर्भाग्य से आलू चोर खोद ले गए परन्तु उन तीस रुपयों के तीन सौ हो गए। दुलारी विधवा सहुआइन नोन-तेल-तमाखू की दुकान करती थी; इकन्नी रुपया का ब्याज लेती थीं। इनके भी सौ रुपए हो गए थे। फ़सल होते ही माल सब महाजनों को तौल देना पड़ता और ब्याज फिर बढ़ने लगता। तमाशा यह कि एक समय होरी ने भी महाजनी की थी जिससे लोग समझते थे कि उसके पास अब भी दबा हुआ रुपया है।...
—डॉ. रामविलास शर्मा
Ret-Samadhi : Uphaar Sanskaran
- Author Name:
Geetanjali Shree
- Book Type:

-
Description:
अस्सी की होने चली दादी ने विधवा होकर परिवार से पीठ कर खटिया पकड़ ली। परिवार उसे वापस अपने बीच खींचने में लगा। प्रेम, वैर, आपसी नोकझोंक में खदबदाता संयुक्त परिवार। दादी बज़िद कि अब नहीं उठूँगी।
फिर इन्हीं शब्दों की ध्वनि बदलकर हो जाती है अब तो नई ही उठूँगी। दादी उठती है। बिलकुल नई। नया बचपन, नई जवानी, सामाजिक वर्जनाओं-निषेधों से मुक्त, नए रिश्तों और नए तेवरों में पूर्ण स्वच्छन्द।
कथा लेखन की एक नई छटा है इस उपन्यास में। इसकी कथा, इसका कालक्रम, इसकी संवेदना, इसका कहन, सब अपने निराले अन्दाज़ में चलते हैं। हमारी चिर-परिचित हदों-सरहदों को नकारते लाँघते। जाना-पहचाना भी बिलकुल अनोखा और नया है यहाँ। इसका संसार परिचित भी है और जादुई भी, दोनों के अन्तर को मिटाता। काल भी यहाँ अपनी निरन्तरता में आता है। हर होना विगत के होनों को समेटे रहता है, और हर क्षण सुषुप्त सदियाँ। मसलन, वाघा बार्डर पर हर शाम होनेवाले आक्रामक हिन्दुस्तानी और पाकिस्तानी राष्ट्रवादी प्रदर्शन में ध्वनित होते हैं ‘क़त्लेआम के माज़ी से लौटे स्वर’, और संयुक्त परिवार के रोज़मर्रा में सिमटे रहते हैं काल के लम्बे साए।
और सरहदें भी हैं जिन्हें लाँघकर यह कृति अनूठी बन जाती है, जैसे स्त्री और पुरुष, युवक और बूढ़ा, तन व मन, प्यार और द्वेष, सोना और जागना, संयुक्त और एकल परिवार, हिन्दुस्तान और पाकिस्तान, मानव और अन्य जीव-जन्तु (अकारण नहीं कि यह कहानी कई बार तितली या कौवे या तीतर या सड़क या पुश्तैनी दरवाज़े की आवाज़ में बयान होती है) या गद्य और काव्य : ‘धम्म से आँसू गिरते हैं जैसे पत्थर। बरसात की बूँद।’
Viklang Balak
- Author Name:
Jagat Singh
- Book Type:

- Description: No Description Available for this Book
Yashodanandan
- Author Name:
Vipin Kishore Sinha
- Book Type:

-
Description:
श्रीकृष्ण और गोपियों का सम्बन्ध पूर्ण रूप से परमात्मा को समर्पित जीवात्मा का सम्बन्ध है। स्वयं श्रीकृष्ण कहते हैं—“मेरी प्रिय गोपियो, तुम लोगों ने मेरे लिए घर-गृहस्थी की उन समस्त बेड़ियों को तोड़ डाला है, जिन्हें बड़े-बड़े योगी-यति भी नहीं तोड़ पाते। मुझसे तुम्हारा यह मिलन, यह आत्मिक संयोग सर्वथा निर्मल और निर्दोष है। यदि मैं अमर शरीर से अनन्त काल तक तुम्हारे प्रेम, सेवा और त्याग का प्रतिदान देना चाहूँ, तो भी नहीं दे सकता। मैं जन्म-जन्म के लिए तुम्हारा ऋणी हूँ। तुम अपने सौम्य स्वभाव और प्रेम से मुझे उऋण कर सकती हो, परन्तु मैं इसकी कामना नहीं करता। मैं सदैव चाहूँगा कि मेरे सर पर सदा तुम्हारा ऋण विद्यमान रहे।”
एक ऐसा उपन्यास जिसे आप पढ़ना शुरू करेंगे, तो बिना समाप्त किए रख नहीं पाएँगे। ऐसी अद्भुत कृति की रचना वर्षों बाद होती है। औपन्यासिक विधा में लिखा गया यह उपन्यास श्रीकृष्ण का यशोदानन्दन के रूप में वर्णित भाँति-भाँति की लीलाएँ अपने वितान में समेटे हुए हैं, जो समस्त हिन्दी पाठकों के लिए सिर्फ़ पठनीय ही नहीं, संग्रहणीय भी है।
Ek Gandharv Ka Duswapna
- Author Name:
Haricharan Prakash
- Book Type:

-
Description:
अक्सर देखा गया है कि संगीत, कला और साहित्य से जुड़े लोग अपनी एक निजी और आन्तरिक दुनिया में रमे रहते हैं। वे बाहरी दुनिया की बड़ी-से-बड़ी घटनाओं को भी निरपेक्ष भाव से लेते हैं। उनके भीतरी संसार में बाहर के घटनाचक्र का, यथार्थ का प्रवेश कुछ विचित्र क़िस्म के ऊहापोह और उथल-पुथल पैदा करता है।
उपन्यास का नायक भवनाथ ऐसा ही एक संगीतज्ञ है—बजाने-गाने में मस्त। चारों ओर की चीख़-पुकार में उसे खोए हुए सुरों का ख़याल आता है। वह दिव्यास्त्रों की तरह दिव्यरागों की कल्पना करता है। गन्धर्व कौन-सा सुर जगाते होंगे, कौन-सा राग मूर्त करते होंगे, हमसे कहीं ऊपर उनका सुर होगा—ऐसा सोचता रहता है। संगीत की खोई हुई दुनिया के झिलमिले सपने आते और चले जाते।
गन्धर्व के बहाने हरी चरन प्रकाश द्वारा रचा गया एक बेहद मार्मिक और रोचक उपन्यास है—‘एक गन्धर्व का दुःस्वप्न’।
स्वतंत्रता-प्राप्ति से लेकर आज तक के सामाजिक-राजनीतिक घटनाचक्रों को इस उपन्यास में बड़ी बेबाकी से रेखांकित किया गया है। चाहे वह महात्मा गांधी की हत्या हो या फिर बाबरी मस्जिद के विध्वंस से उपजे दंगे-फ़साद, वह मंडल-कमंडल की राजनीति हो या फिर जाति-धर्म की—देश की सम्प्रभुता को ख़तरे में डालनेवाले तत्त्वों को बड़ी संजीदगी से बेनक़ाब किया गया है इस उपन्यास में।
Dantkatha
- Author Name:
Abdul Bismillah
- Book Type:

-
Description:
बहुचर्चित कथाकार अब्दुल बिस्मिल्लाह की क़लम से लिखा गया यह एक अद् भुत उपन्यास है। अद्भुत इस अर्थ में कि इसकी समूची संरचना उपन्यास के प्रचलित मुहावरे से एकदम अलग है। इसमें मनुष्य की कहानी है या मुर्ग़े की अथवा दोनों की, यह जिज्ञासा लगातार महसूस होती है, हालाँकि यह न तो फंतासी है, न कोई प्रतीक-कथा।
कथा-नायक है एक मुर्ग़ा, जो मनुष्य की हत्यारी नीयत को भाँपकर अपनी प्राण-रक्षा के लिए एक नाबदान में घुस जाता है। लेकिन हुआ क्या? यह तो अब नाबदान से भी बाहर निकलना मुश्किल है। ऐसे में वह लगातार सोचता है : अपने बारे में, अपनी जाति के बारे में। और सिर्फ़ सोचता ही नहीं, दम घोंट देनेवाले उस माहौल से बाहर निकलने के लिए जूझता भी है। लगातार लड़ता है भूख और चारों ओर मँडराती मौत से, क्योंकि वह ज़िन्दा रहना चाहता है और चाहता है कि मृत्यु भी अगर हो तो स्वाभाविक, मनुष्य के हाथों हलाल होकर नहीं। इस प्रकार यह उपन्यास नाबदान में फँसे एक मुर्ग़े के बहाने पूरी धरती पर व्याप्त भय, असुरक्षा और आतंक तथा इनके बीच जीवन-संघर्ष करते प्राणी की स्थिति का बेजोड़ शब्दचित्र प्रस्तुत करता है। लेकिन मनुष्य और मुर्ग़े के अन्तःसम्बन्धों की व्याख्या-भर नहीं है यह, बल्कि मुर्ग़ों-मुर्ग़ियों का रहन-सहन, उनकी आदतें, उनके प्रेम-प्रसंग, उनकी आकांक्षाएँ, यानी सम्पूर्ण जीवन-पद्धति यहाँ पेन्ट हुई है। शायद यही कारण है कि 'दंतकथा’ में हर वर्ग का पाठक अपने-अपने ढंग से कथारस और मूल्यों की तलाश कर सकता है।
Farishte Nikale
- Author Name:
Maitreyi Pushpa
- Book Type:

-
Description:
हाशिये का यथार्थ और संघर्ष लगातार बढ़ता जा रहा है। इसे जानने-पहचानने और शब्द देने के लिए सरोकार-सम्पन्न रचनाशीलता की ज़रूरत होती है। कहना न होगा कि मैत्रेयी पुष्पा ऐसी रचनाशीलता का पर्याय बन चुकी हैं। अपने कथा-साहित्य और विमर्श आदि के द्वारा उन्होंने किसान, मज़दूर, स्त्री और दलित जीवन की प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष सच्चाइयों को मुखर किया है।
‘फ़रिश्ते निकले’ मैत्रेयी पुष्पा का नया उपन्यास है, जिसमें उन्होंने ‘बेला बहू’ का वृत्तान्त रचा है। यह वृत्तान्त जटिल किन्तु कई परतों में बदलते 'ग्रामीण भारत' का दस्तावेज़ बन गया है। बेला बहू के जीवन में जो घटनाएँ घटती हैं और जिन व्यक्तियों के साथ उसका वाद-विवाद-संवाद होता है उनका मन में उतर जानेवाला वर्णन मैत्रेयी ने किया है। ज़िन्दा रहने और आज़ाद रहने के अर्थ को व्यापक अर्थ में समझाती बेला बहू हिन्दी उपन्यास साहित्य के कुछ अविस्मरणीय चरित्रों में गिनी जाएगी, ऐसा विश्वास है। सरल और व्यंजक भाषा में रचा गया यह उपन्यास लेखिका की रचनाशीलता का आगे बढ़ा हुआ क़दम तो है ही, हिन्दी उपन्यास की नवीनतम उपलब्धि भी है।
Arunachal Pradesh Ki Lokkathayen
- Author Name:
Prof. Nand Kishore Pandey +1
- Book Type:

- Description: This book has no description
Ek Naukrani Ki diary
- Author Name:
Krishna Baldev Vaid
- Book Type:

-
Description:
प्रख्यात उपन्यासकार कृष्ण बलदेव वैद का यह उपन्यास हमारे नागर-समाज के उस उपेक्षित तबके पर केन्द्रित है जिसकी समस्याओं पर हम संवेदनशील तरीके से कभी बात नहीं करते मगर जिसके बिना हमारा काम भी नहीं चल पाता। शहरों के घरों में चौका-बरतन और सफाई इत्यादि करनेवाली नौकरानियों की रोजमर्रा की जिन्दगी और उनकी मानसिकता इसका केन्द्रीय विषय है। एक युवा होती नौकरानी की मानसिक उथल-पुथल को लेखक ने इस उपन्यास में बड़े ही मार्मिक ढंग से चित्रित किया है तथा डायरी के माध्यम से बड़ी कुशलता पुर्वक से इस उपेक्षित वर्ग के साथ-साथ हमारे कुलीन समाज की विडम्बना को भी पहचानने-परखने का अवसर दिया है।
प्रवाहपूर्ण भाषा में लिखित यह उपन्यास फ्रायड के उस उपन्यास की याद दिलाता है जो उन्होंने एक युवा होती लड़की की मानसिकता का चित्रण करने के उद्देश्य से डायरी के रूप में लिखा था। यह उपन्यास आरम्भ से ही पाठक की जिज्ञासा को जगाने में सफल है। उपन्यास की नायिका शानो हिन्दी साहित्य का वह चरित्र है जिसे पाठक हमेशा याद रखेंगे।
Atithi
- Author Name:
Shivani
- Rating:
- Book Type:

-
Description:
...“आज तक उनके किस पूर्वज मुख्यमंत्री ने अपनी जाति को प्रश्रय नहीं दिया? कौन से मुख्य सचिव ने अपनी बिरादरी को महत्त्वपूर्ण पद नहीं सौंपे? कभी-कभी माधव बाबू का चित्त खिन्न हो उठता। क्या इसी स्वतंत्रता के स्वप्न उन्होंने देखे थे?...”
भ्रष्टाचार और जातिवाद से महमह महकती राजनीति में मुख्यमंत्री माधव बाबू अपने बिगड़ैल पुत्र कार्तिक को साधने के लिए पारम्परिक भारतीय ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करते हैं, उसकी गाँठ
अपने शिक्षक मित्र श्यामाचरण की बेटी जया से बाँधकर। लेकिन सरल, बुद्धिमती और स्वाभिमानी जया पति और मंत्रीपत्नी तथा उनकी नशेड़ी बेटी की समवेत बेहूदगियों से क्षुब्ध। आई.ए.एस. परीक्षा की तैयारी के दौरान एक बड़े उद्योगपति के पुत्र शेखर से उनकी भेंट के बाद उसके जीवन में नया मोड़ आने ही वाला था कि नियति उसके अतीत के पन्ने फरफरा कर फिर उसके आगे खोल देती है।
शहर की कुटिल राजनीति, सम्पन्न राजनैतिक घरानों के दुस्सह पारिवारिक दुश्चक्र और पारम्परिक ग्रामीण समाज की कहीं सरल और कहीं कुटिल काकदृष्टि-युक्त टिप्पणियों के ताने-बाने से बुना यह उपन्यास अन्त तक पाठकों की जिज्ञासा का तार टूटने नहीं देता।
A Voice To Wake Up
- Author Name:
Renu Sharma
- Book Type:

- Description: This book generally describes ordinary people in a poetic way, also about the problems they might have faced at some phase of their life. Youth and different sections of society are encouraged or given stimulation to take a vital step against the odds and evils they witness or find around them. While reading this book, The readers would indeed feel a good and fascinating interest in it. Everything expressed inside the book would touch everyone’s heart. Every person with this book in his hands would find it well for the change he would recognise and the boost that he would get on to work for the country to design it better than it is, or it would ever be. I have always believed that- “the Words written for some change are always more immaculate than the ones written for appreciation.” This book is an initiative to stir up every mind, especially the influential youths, to think-“do I have the potential to change My country for the better or the best from the worst.”.
Mahamoh : Ahilya Ki Jivani
- Author Name:
Pratibha Rai
- Book Type:

-
Description:
यदि अहल्या ‘सौन्दर्य’ का प्रतीक है, इन्द्र ‘भोग’ का; गौतम ‘अहं’ का प्रतीक है तो राम ‘त्याग’ एवं ‘भाव’ के प्रतीक हैं। सौन्दर्य का केवल स्थूल रूप ही नहीं होता—सूक्ष्म तत्त्व भी होता है। सौन्दर्य का तत्त्व न समझ पाने पर सौन्दर्य और सौन्दर्यग्राही दोनों ही सौन्दर्य का खंडित रूप ही देख पाते हैं। सौन्दर्य मोह पैदा करता है, और मोहभंग भी करता है। इन्द्र का रूप मोह उत्पन्न करता है, जबकि राम के रूप ने अहल्या का मोहभंग किया है। मोह और मोहभंग के उतार-चढ़ाव के बीच आत्ममुग्धा अहल्या स्वयं ही बन गईं मोह का कारण और स्वयं ही मोह का लक्ष्य। इन्द्र मोह ने अहल्या को पाप की ओर प्रेरित किया था, जबकि राम-भाव ने प्रेरित किया था—मोक्ष की ओर। पाप से मोक्ष तक के उत्तरण पथ पर गौतम थे एक दंडाधिकारी प्रशासक मात्र। अहल्या की प्रेमाकांक्षा का रामाकांक्षा में बदल जाना ही अहल्या की तपस्या और मोक्ष है।
युगों से परे ‘महामोह’ है इन्द्र, गौतम और अहल्या के मोह एवं मोहभंग का आख्यान—भ्रान्ति और उत्थान की आख्यायिका।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...