Ahasas-E-Ishtiyara
Author:
Tanuj KumarPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 240
₹
300
Unavailable
इस काव्य-संकलन के माध्यम से रचनाकार तनुज कुमार ने जीवन के भिन्न-भिन्न आयामों को शायरी, गजलों एवं कविताओं द्वारा अभिव्यक्त करने का प्रयास किया है। रचनाकार ने अहसासों एवं हालातों को कलम के जरिए मूर्त रूप दिया है, ताकि इसे पढक़र आम जनमानस अपने अंदर छिपी हुई भावनाओं को स्वत: अनुभव कर सके। रचनाकार ने भाषाई सीमाओं को लाँघते हुए हिंदी, उर्दू, अरबी, फारसी एवं अंग्रेजी के शब्दों का न्यायोचित उपयोग करते हुए अपनी रचनाओं को प्रभावशाली एवं दिल को छूने वाली बनाया है। इस कविता-संग्रह के माध्यम से रचनाकार ने अपने निजी अनुभवों को सर्वमान्य बनाने का प्रयास किया है।
पुस्तक ‘अहसास-ए-इश्तियारा’—जैसा नाम से विदित है—में रचनाकार ने इनसानी अहसासों को रूपक के माध्यम से रेखांकित किया है, जिसमें जीवन के कटु अनुभवों, सामाजिक व्यवस्थाओं एवं प्रेमानुकूल भावनाओं का यथासंभव चित्रण किया है। इस पुस्तक की कई रचनाएँ एक तरफ जहाँ हमें भाव-विभोर करती हैं, वहीं दूसरी तरफ आत्मचिंतन को भी विवश कर देती हैं। सुधी पाठकगण जब लेखक की रचनाओं का पठन करेंगे तो निश्चित तौर पर कोई अपने बिछड़े प्रेम को याद करेगा तो कोई अपने साथ हुए अन्याय को याद करेगा तो किसी के अंदर नई ऊर्जा का प्रादुर्भाव होगा।
ISBN: 9789392013379
Pages: 192
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: ईसा की प्रथम शताब्दी में महाकवि इलंगोवन रचित तमिल महाकाव्य ‘शिलप्पदिकारम्’ भारतीय साहित्य की एक अनमोल रचना है। प्रस्तुत उपन्यास उक्त महाकाव्य की कथावस्तु पर आधारित पहली हिन्दी कृति है, जिसमें दक्षिण भारत के ऐतिहासिक जीवन का विस्तृत और विश्वसनीय चित्रण हुआ है। तत्कालीन पृष्ठभूमि को सँजोने में लेखक ने इतिहास-ग्रन्थों का अवगाहन करके अपने चित्रणों को यथासम्भव प्रामाणिक बनाने की चेष्टा की है और इस प्रकार उक्त महाकाव्य पर आधारित होते हुए भी यह प्रायः एक स्वतंत्र रचना बन गई है। स्वयं लेखक के शब्दों में : ‘‘घिसी-पिटी थीम होने पर भी पापुलर उपन्यास के लिए मुझे वह अच्छी लगी; मैं अपने दृष्टिकोण से उसमें नवीनता देख रहा था।’’ मिली-जुली सरल भाषा में लिखे गए इस उपन्यास का यह छठा संस्करण पाठकों के सामने है, जो इसकी लोकप्रियता का अकाट्य प्रमाण है।
Krishnavtar : Vol. 1 : Bansi Ki Dhun
- Author Name:
K. M. Munshi
- Book Type:

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Description:
परम पुरुष श्रीकृष्ण की जीवन-लीला पर देश की किसी भी भाषा में आधुनिक उपन्यास लिखने का शायद यह पहला प्रयास है। पौराणिक परम्पराओं, विविध भाषाओं के काव्य-ग्रन्थों और लोक-साहित्य ने श्रीकृष्ण का जो बहुविध व्यक्तित्व और रूप हमारे सामने प्रस्तुत कर रखा है, वह अनन्य है, लेकिन उसे उपन्यास की विधा में बाँध लेने का श्रेय गुजराती के प्रमुख कथाकार कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी को ही प्राप्त है।
‘बंसी की धुन’ श्रीकृष्ण-चरित्र के अनेक खंडों में सम्पूर्ण होनेवाले उपन्यास ‘कृष्णावतार’ का पहला खंड है, जिसमें श्रीकृष्ण के प्रारम्भिक जीवन की कथा कही गई है। अत्यन्त सरल और सरस भाषा-शैली में लिखे गए इस उपन्यास की विशेषता यह है कि श्रीमद्भगवत की अलौकिक घटनाओं को बीसवीं शताब्दी के परिप्रेक्ष्य में अत्यन्त विश्वासोत्पादक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। यही कारण है कि भक्त-हृदय और वैज्ञानिक दृष्टिसम्पन्न दोनों श्रेणियों के पाठकों में यह समान रूप से लोकप्रिय हुआ है। इसका प्रत्येक खंड अपने में सम्पूर्ण और पठनीय है।
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