Supreme Court Mein Ramlala
Author:
Pawan KumarPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
History-and-politics0 Reviews
Price: ₹ 240
₹
300
Available
Awating description for this book
ISBN: 9789353229184
Pages: 232
Avg Reading Time: 8 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Description:
भारत में जहाँ दोनों समुदायों का समान इतिहास और एक समान संस्कृति की साझेदारी है, उनकी राष्ट्रीयता एक है। कुछ मुसलमान हैं और कुछ हिन्दू हैं किन्तु दोनों भारतीय हैं। न्यस्त स्वार्थों या धार्मिक नेताओं द्वारा इनके बीच जानबूझकर अलगाव पैदा किया जाता है और फिर उसे बढ़ावा दिया जाता है जिससे कि चुनावी तथा अन्य कारणों के लिए दोनों समुदायों को एक-दूसरे से दूर रखा जाए। यह अलगाव पूर्वग्रह और धर्मान्धता का पोषण करता है।
एक विख्यात प्रशासनिक शासकीय अधिकारी पी.के. लाहिरी ने जो महत्त्वपूर्ण कार्य किया है, उसके समक्ष मेरी अच्छी-से-अच्छी कोशिश भी तुच्छ लगेगी। उन्होंने अनेक हिन्दू-मुसलमान दंगों को क़रीब से देखा है और उनके कारणों और प्रभावों का विश्लेषण करने का उत्कृष्ट कार्य किया है। उन्होंने दंगों का जो विवरण दिया है, उसमें छोटी-से-छोटी बात भी शामिल है, उससे मैं मंत्रमुग्ध हो गया हूँ।
मैं श्री लाहिरी से सहमत हूँ कि हिन्दू-मुसलमान दंगों की तुलना सभ्यताओं के संघर्ष से नहीं की जा सकती है और न ही उनका सम्बन्ध नस्लवाद के प्रश्न से है। इसका ज़्यादा सम्बन्ध पहचान को लेकर है, उस भय से कि बहुसंख्यक लोग कम संख्या वाले लोगों का नाश कर देंगे। शेष बात पूर्वग्रह या पक्षपात की है। धर्मान्ध और धार्मिकता के प्रति रूझान वाले राजनीतिक दल इसके लिए ज़िम्मेवार हैं। लाहिरी की पुस्तक ने मेरे ज्ञान को बढ़ाया है। पाठको, आपके साथ भी यही होगा। आपको भी यही अनुभव होगा। इस विद्वत्तापूर्ण कार्य को करने के लिए लाहिरी डॉक्टरेट के हक़दार हैं। मैं उम्मीद करता हूँ कि कोई विश्वविद्यालय उन्हें यह सम्मान देगा।
—कुलदीप नैयर
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