Bhartiya Samantwad
Author:
Ramsharan SharmaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
History-and-politics0 Reviews
Price: ₹ 796
₹
995
Available
भारतीय इतिहास में सामन्ती ढाँचे के स्वरूप को लेकर इतिहासकारों के बीच आज भी मतभेद बरक़रार हैं, अब भी पत्र-पत्रिकाओं में इस विषय पर बहस चलती रहती है। प्रस्तुत पुस्तक में प्रो. रामशरण शर्मा ने पहली बार भारतीय सामन्तवाद के सम्पूर्ण पक्षों को लेकर उन पर सांगोपांग विवेचन प्रस्तुत किया था। तब से लेकर आज तक न केवल इस पुस्तक के अंग्रेज़ी में एक से अधिक संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं, बल्कि भारतीय सामन्तवाद के सर्वांगीण अध्ययन के लिए दूसरी कोई पुस्तक आज तक सामने नहीं आई है।</p>
<p>प्रस्तुत पुस्तक में प्रो. शर्मा ने भारतीय सामन्तवाद के जन्म से लेकर उसके प्रौढ़ होने तक प्रायः नौ सौ वर्षों के इतिहास का विवेचन किया है, जिसके दायरे में उन्होंने अनेक समस्याएँ उठाई हैं और कालान्तर से उनके विशद विवेचन का मार्ग प्रशस्त किया है। क्षेत्र की दृष्टि से उनका यह अध्ययन मुख्यतः उत्तर भारत तक सीमित है और इसमें उन्होंने सामन्तवाद के राजनीतिक तथा आर्थिक पहलुओं पर ही विशेष रूप से विचार किया है। सामन्तवादी व्यवस्था में किसानों और किराए के मज़दूरों की दुर्दशा का सविस्तार विवेचन करते हुए प्रो. शर्मा ने दिखाया है कि कैसे श्रीमन्त वर्ग अपने उच्चतर अधिकारों के द्वारा उपज का सारा अतिरिक्त हिस्सा हड़प लेता था और किसानों के पास उतना ही छोड़ता था जितना खा-पीकर वे उस वर्ग के लाभ के लिए आगे भी मेहनत-मशक़्क़त करते रह सकें।</p>
<p>भारतीय इतिहास, भारतीय समाज और भारतीय संस्कृति के अध्येताओं के लिए यह पुस्तक न सिर्फ़ उपयोगी है बल्कि अपरिहार्य भी है। इसमें प्रस्तुत की गई मूल स्थापनाएँ आज भी अकाट्य हैं।
ISBN: 9788171782826
Pages: 274
Avg Reading Time: 9 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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K.K. Upadhyaya
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- Description: उत्तर प्रदेश वह प्रदेश है जिसे हम देश की धड़कन कह सकते हैं। सन् 2014 में जब भाजपा ने प्रचंड विजय हासिल की तब किसी ने नहीं सोचा था कि परिणाम ऐसे आएँगे। पुराने फॉर्मूले फेल हो गए। नई इबारत लिखी जाने लगी। इस बीच सन् 2017 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज उठा। राजनीतिक पंडित कह रहे थे कि अब भाजपा की डगर आसान नहीं है। वे गलत भी नहीं थे। यहाँ चुनाव का मतलब वोटों का गठजोड़ और जातियों का समूह था। कोई नहीं जानता था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाएँ गरीबों तक पहुँचने लगी थीं। उसका असर भी होने लगा था। भाजपा यहाँ संगठन में लगी थी। मेहनत रंग लाई। भाजपा ने उ.प्र. में ऐसा परचम फहराया कि सब अवाक रह गए। अब बारी थी काम की। मोदीजी का विजन और योगीजी की मेहनत ने उत्तर प्रदेश की तसवीर बदल दी। गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनओं पर काम होने लगा। श्रीराम मंदिर का निर्माण-कार्य प्रारंभ हो गया। सपने साकार होने लगे। इस पुस्तक में इन्हीं सब कामों को सँजोने का प्रयास किया है। भाजपा की जीत की रणनीति का खुलासा भी इस पुस्तक में हैं। वरिष्ठ पत्रकार श्री के.के. उपाध्याय के दीर्घ अनुभव और सूक्ष्म अंतर्दृष्टि से आकल्पित उत्तर प्रदेश के चहुँमुखी विकास का व्यावहारिक दिग्दर्शन कराती प्रामाणिक पुस्तक।
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