Bharat Ke Ateet Ki Khoj
Author:
Virendra Kumar PandeyPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
History-and-politics0 Reviews
Price: ₹ 556
₹
695
Available
भारतीय धर्म ग्रंथ यह स्पष्ट संदेश देते हैं कि आधुनिक इतिहासकार जिन्हें भारतीय आर्य कहते हैं वे प्रथमत: हिमालय के उस पार के पर्वतीय अंचल में रहते थे। सीमित संसाधन और बढ़ते जन-घनत्व के कारण यहाँ के लोग हिमालय के इस पार आने और बसने लगे। ये लोग मुख्य रूप से दो शाखाओं में बँटकर दो भिन्न कालों में आये। एक शाखा कश्मीर में (हिमालय के आर-पार) बसी और दूसरी शाखा सरस्वती एवं सिन्धु के मैदानी भागों में जगह-जगह आबाद हुई। इन्हीं लोगों ने तथाकथित सिन्धु घाटी सभ्यता को जन्म दिया।</p>
<p>पौराणिक साक्ष्यों के अनुसार 3200-3100 ई.पू. में कश्मीर मंडल में एक महाप्रलय आया और बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हुए। उनमें से एक समूह सरस्वती के पार कुरुक्षेत्र में अपना राज्य स्थापित किये। समय के साथ इनका राज्य पूरे भारत में फैल गया। इन्हीं लोगों ने सर्वप्रथम अपने को आर्य घोषित किया और इसी वंश के एक प्रतापी राजा भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा। इस प्रकार आर्य और भारत दोनो समानार्थी शब्द हैं।</p>
<p>अतएव शब्द आर्य भारत की शाब्दिक सम्पत्ति है, इसे भारतीयों ने जन्म दिया, कभी प्रजाति के अर्थ में प्रयोग नहीं किया, इसे केवल श्रेष्ठता के अर्थ में प्रयोग किया जाता रहा है और इतिहास को इसी अर्थ में इसे संरक्षित करना चाहिए। इसलिए किसी अन्य देश का इसपर कोई दावा नहीं बनता है और न ही किसी इतिहासकार द्वारा किसी भी अन्य देश में आर्यों के मूल स्थान को ढूँढ़ने का आधार प्रदान करता है।
ISBN: 9789390625000
Pages: 230
Avg Reading Time: 8 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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लेखक के अनुसार नगर-जीवन के लोप होने के कारणों में साम्राज्यों का पतन तो है ही, सामाजिक अव्यवस्था और दूरवर्ती व्यापार का सिमट जाना भी है। लेकिन नगर-जीवन के बिखराव को यहाँ सामाजिक प्रतिगामिता के रूप में नहीं, बल्कि सामाजिक रूपान्तरण के एक अंग की तरह देखा गया है, जिसने क्लासिकी सामन्तवाद को जन्म दिया और ग्रामीण जीवन को विस्तारित एवं संवर्धित किया। यह कृति नगर-जीवन के ह्रास और शासकीय अधिकारियों, पुरोहितों, मन्दिरों एवं मठों को मिलनेवाले भूमि-अनुदानों के बीच सम्बन्ध-सूत्रों की भी तलाश करती है। यह भी दिखाया गया है कि भूमि-अनुदान प्राप्त करनेवाले वर्ग किस प्रकार अतिरिक्त उपज और सेवाएँ सीधे किसान से वसूलते थे तथा नौकरीपेशा दस्तकार जातियों को भूमि-अनुदान एवं अनाज की आपूर्ति द्वारा पारिश्रमिक का भुगतान करते थे।
इस सबके अलावा प्रो. शर्मा की यह कृति ई.पू. 1000 के उत्तरार्द्ध और ईसा की छठी शताब्दी के दौरान आबाद उत्खनित स्थलों के नगर-जीवन की बुनियादी जानकारी भी हासिल कराती है। कहना न होगा कि यह पुस्तक उन तमाम पाठकों को उपयोगी और रुचिकर लगेगी, जो कि गुप्त एवं गुप्तोत्तर काल की समाजार्थिक व्यवस्था में परिवर्तन की प्रक्रियाओं का अध्ययन करना चाहते हैं।
The Jungle Book
- Author Name:
Rudyard Kipling
- Book Type:

- Description: Among the best-loved of all children's classics, Rudyard Kipling's The Jungle Book is set among a community of animals in the jungles of India, where Kipling was born and grew up. Three of the stories feature the adventures of an abandoned "man cub", a boy named Mowgli, who is raised by wolves in the jungle. Other well-known stories in the collection include "Rikki-Tikki-Tavi", the tale of a heroic mongoose who outwits vicious cobras in order to save his human benefactors, and "Toomai of the Elephants" the story of a ten-year-old elephant-handler. World's most favourite and popular book which fantasises children.
Smriti Sakshya
- Author Name:
Ganga Prasad
- Book Type:

- Description: बिहार में 1974 में भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, तानाशाही, संविधान एवं न्यायालय विरोधी सरकार के कार्य जैसे मुद्दों को लेकर छात्र आंदोलन शुरू हुआ और इसने प्रचंड रूप धारण कर लिया था। बाद में जयप्रकाश नारायणजी भी आंदोलन के समर्थन में आ गए थे। उस आंदोलन में मैं भी छात्रों का समर्थन कर रहा था, इस कारण मुझे आपातकाल के पूर्व दो बार जेल जाना पड़ा । फिर कुछ ही दिन बाद हम जेल से बाहर आए देशव्यापी आंदोलन से असहज होकर तत्कालीन केंद्र सरकार ने आपातकाल की घोषणा कर दी। आपातकाल के दौरान पटना शहर से कुछ दूर खाजपुरा गाँव स्थित मेरा पैतृक निवास 'आर्य भवन' आंदोलन संबंधी गतिविधियों के संचालन का गुप्त केंद्र बन गया था, इस बीच संघ एवं जनसंघ की आंतरिक गुप्त बैठकें 'आर्य भवन' में ही होती थीं। जिसमें संघ के अखिल भारतीय अधिकारी, जनसंघ एवं दूसरे दलों के भूमिगत शीर्षस्थ नेता भी शामिल होते थे। इस दृष्टि से 'आर्य भवन' आंदोलन संचालन का मुख्यालय बन गया था।
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