Jara Yaad Unhen Bhi Kar Lo
Author:
Chiranjeev SinhaPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Historical-fiction0 Reviews
Price: ₹ 320
₹
400
Available
साधारणतया भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का कालखंड 1857 से 1947 तक माना जाता है, लेकिन विदेशी शासन का सबल प्रतिरोध इससे 332 वर्ष पहले सन् 1525 में ही प्रारंभ हो गया था, जब कर्नाटक के उलल्लाल नगर की रानी अब्बका चौटा, जो अग्निबाण चलानेवाली भारतवर्ष की अंतिम योद्धा थी, ने बढ़ते पुर्तगाली आधिपत्य को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था।
इस संग्रह में 1525 से 1947 अर्थात् लगभग सवा चार सौ वर्षों तक अनवरत प्रवहमान रहे विश्व के सर्वाधिक लंबे समय तक चले स्वतंत्रता संग्राम का वर्णन किया गया है। सबसे कम आयु में माँ भारती के लिए बलिदान होनेवाले ओडिशा के 12 वर्षीय बाजीराव राठउत के अमर बलिदान को पढ़कर भला कौन किशोर और युवा रोमांचित नहीं होगा! दुर्गा भाभी तमाम बंदिशों को धता बताते हुए किस चतुराई से भगत सिंह को अंग्रेजों की नाक के नीचे से लाहौर से कलकत्ता निकाल ले गईं, यह आज भी मिशन शक्ति की प्रेरणा है। तात्या टोपे की बिटिया मैना देवी ने जनरल आउट्रम के सामने झुकने की जगह जिंदा आग में जलना स्वीकार किया और अजीजन बाई ने यह दिखाया कि समाज का हर तबका चाहे वह तवायफ ही क्यों न हो, देश की आजादी के लिए मर-मिटने को तैयार रहता है।
भारतवर्ष के ऐसे ही 75 वीरों और वीरांगनाओं का दाँतों तले उँगली दबाने सदृश अनछुआ वर्णन जो इन अनजाने क्रांतिवीरों के प्रति स्वाभाविक श्रद्धा और सम्मान सृजित करेगा ।
ISBN: 9789355213815
Pages: 208
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Tejo Tungabhadra: Tributaries of Time
- Author Name:
Maithreyi Karnoor +1
- Book Type:

- Description: Tejo Tungabhadra narrates the story of two rivers on different continents whose souls are interconnected through history. On the banks of the river Tejo in Lisbon, Bella, a young Jewish refugee, and her family face daily threats to their lives and dignity from a deeply antisemitic society. Gabriel, her lover, sails to India with General Albuquerque's fleet, seeking wealth and a secure future. Meanwhile, on the banks of the Tungabhadra in the Vijayanagara Empire, the young couple Hampamma and Keshava find themselves caught in a storm of religious violence and the harsh cycle of tradition. The two stories come together in Goa with the power and energy of meeting rivers. Set in the late 15th and early 16th centuries, Tejo Tungabhadra is a grand saga of love, ambition, greed, and a lively passion for life amid the turbulent waves of history.
Gulara Begum
- Author Name:
Sharad Pagare
- Book Type:

- Description: "रुचि बराबर क़ायम रहती है, जो सफलता का बड़ा प्रमाण है। ऐतिहासिक विषय के साथ न्याय किया गया है, उपन्यास की माँग को निबाहते हुए भी। यह क्षमता रचना से सिद्ध होती है।" ~जैनेन्द्र कुमार "किसी अच्छी रचना का पहला गुण सम्प्रेषणीयता होती है, वह इसमें है। निरन्तर आगे पढ़ते रहने की उत्सुकता बनी रहती है। उस युग का वातावरण प्रामाणिक लगता है। कहानी का ढंग आकर्षक है। जो चरित्र निर्मित हुए हैं, वे भी विश्वसनीय लगते हैं। अबू-छंगी, इनू-सलमा की कहानियाँ अधिक प्रामाणिक बन गई हैं। चरित्र की दृष्टि से सलमा सर्वोत्तम है। पढ़ने में मन रमता है। कहानी कहने के ढंग से रोचकता बढ़ गई है।" ~विष्णु प्रभाकर "उपन्यास के बुनने में बड़ा परिश्रम किया है। और इसकी अन्तर-कथाओं के ताने-बाने बड़े कौशल से तैयार किए गए हैं। भाषा को भी सँवारा है।" ~शिवमंगलसिंह ‘सुमन’
Draupadi
- Author Name:
Yarlagadda Lakshmi Prasad +1
- Rating:
- Book Type:

- Description: Draupadi, originally written in Telugu, was first serialised in Andhra Jyoti before it came out in book form. The novel presented in a unique style, is not just an account of the different incidents occur around Draupadi but these incidents have been fused together into a fascinating story. The narrative process and the structural method of description used by Lakshmi Prasad fully engage the reader.
Gods, Guns And Missionaries
- Author Name:
Manu S Pillai
- Rating:
- Book Type:

- Description: When European missionaries first arrived in India in the sixteenth century, they entered a world both fascinating and bewildering. Hinduism, as they saw it, was a pagan mess: the worship of devils and monsters by a people who burned women alive, performed outlandish rites and fed children to crocodiles. But soon it became clear that Hindu ‘idolatry’ was far more complex than white men’s stereotypes allowed, and Hindus had little desire to convert. But then, European power began to grow in India, and under colonial rule, missionaries assumed a forbidding appearance. During the British Raj, Western frames of thinking gained ascendancy and Hindus felt pressed to reimagine their religion. This was both to fortify it against Christian attacks and to resist foreign rule. It is this encounter which has, in good measure, inspired modern Hinduism’s present shape. Indeed, Hindus subverted some of the missionaries’ own tools and strategies in the process, triggering the birth of Hindu nationalism, now so dominant in the country. In Gods, Guns and Missionaries, Manu S. Pillai takes us through these remarkable dynamics. With an arresting cast of characters—maharajahs, poets, gun-wielding revolutionaries, politicians, polemicists, philosophers and clergymen—this book is ambitious in its scope and provocative in its position. Lucid and exhaustive, it is, at once, a political history, a review of Hindu culture and a study of the social forces that prepared the ground for Hindu nationalism. Turning away from simplistic ideas on religious evolution and European imperialism, the past as it appears here is more complicated—and infinitely richer—than popular narratives allow.
Mazzini Charitra
- Author Name:
Vinayak Damodar Savarkar
- Book Type:

- Description: नहीं-नहीं, राष्ट्र कभी मरते नहीं । ईश्वर पीड़ितों का रक्षक है । उसने मनुष्य को स्वाधीनता में साँस लेने के लिए उत्पन्न किया है । यदि तुम ठान लो तो समझो, देश स्वतंत्र हो ही गया । इससे अधिक प्रोत्साहक राष्ट्रमंत्र अन्य कौन सा है? एक बार मनुष्य ने ठान लिया कि मैं स्वाधीनता, स्वदेश और मानवता का परम भक्त हूँ फिर उसे स्वाधीनता, स्वदेश और मानवता के लिए लड़ना ही होगा, निरंतर आजीवन लड़ना होगा ।'' '' मेरी इटली की जनसंख्या दो करोड़ है । यदि इन दो करोड़ लोगों ने मन में निश्चय किया तो विदेशियों के वे पचहत्तर हजार सिपाही उन्हें दबा थोड़े सकते हैं! दो करोड़ लोग और उनका सहायक ईश्वर! ऐसी स्थिति में इटली पलक झपकते ही विदेशी सत्ता को चूर-चूर कर देगी । '' - जोसेफ मैझिनी उपर्युक्त कथन 22 जून, 1805 को इटली में जनमे महान् क्रांतिकारी जोसेफ मैझिनी के हैं, जिन्होंने अपनी प्रखर देशभक्ति से इटली के स्वाधीनता आंदोलन को अनुप्राणित किया । प्रस्तुत पुस्तक ऐसे महान् राष्ट्रभक्त का भारत के महान् क्रांतिकारी स्वातव्यवीर विनायक दामोदर सावरकर द्वारा रचित जीवन-चरित्र है । इसमें इटली के स्वातंत्र्यवीर, देशभक्त मैझिनी का आत्मचरित्र और कुछ राजनीतिक लेख संकलित हैं । इन लेखों ने दो करोड़ लोगों में चेतना भर दी । इन लेखों से यूरोपीय सिंहासन उलट-पुलट हो गए । इन लेखों से इटली स्वतंत्र हुआ । इन लेखों में सभी पराधीन देशों को स्वतंत्र करने की शक्ति ठूस-ठूसकर भरी हुई है । मैझिनी के तत्त्व केवल इटली के लिए ही लागू नहीं होते, इटली केवल निमित्त बना है । राजनीति-शास्त्र के ये महत् सत्य उस महात्मा ने अखिल मानव-जाति के लिए प्रकट किए हैं । इस स्वतंत्रता-सुधा का मिष्टान्न सभी संतप्त भूमिकाओं की ओर मुड़ गया है ।
The Lost Diary of Kastur, My Ba
- Author Name:
Tushar Gandhi +1
- Book Type:

- Description: तिच्या सोबतीवाचून अहिंसा आणि आत्मशिस्तीच्या माझ्या प्रयत्नांमध्ये मला यश मिळालं नसतं, हे सत्य मी मान्य करायला हवं. इतर कुणाच्याही तुलनेत ती मला अधिक चांगलं समजून घेऊ शकायची. तिची निष्ठा अद्वितीय होती. आयुष्याचा निरोप घेताना ती कुणाच्या मांडीवर, त्या क्षणी डोके टेकवून डोळे मिटेल हे मलाही शेवटपर्यंत माहीत नव्हतं, पण तिनं शेवटच्या क्षणी मला बोलावलं आणि माझ्या मांडीवर डोकं ठेवून अखेरचा श्वास घेतला. अशी होती बा! तिच्यासारखी निर्दोष श्रद्धा, नि:स्वार्थ भक्ती आणि सेवाभाव माझ्या पाहण्यात नाही. आमचं लग्न झाल्यापासून ती माझ्या आयुष्यातील सर्व संघर्षांमध्ये अतूट निष्ठेनं माझ्या पाठीशी उभी राहिली. शरीर-आत्म्यासह आपलं सर्वस्व अर्पून तिनं स्वत:ला माझ्या जीवनकार्याला वाहून घेतलं. अशा प्रकारच्या समर्पणाचं दुसरं उदाहरण क्वचितच सापडेल. महात्मा गांधी कस्तुरबांच्या तिसऱ्या स्मृतिदिनानिमित्त बोलताना 22 फेब्रुवारी 1947, नोआखाली. The Lost Diary of Kastur, My Ba | Tushar Gandhi Translated by : Sonali Navangul द लॉस्ट डायरी ऑफ कस्तुर, माय बा । तुषार गांधी अनुवाद : सोनाली नवांगुळ
Badass Begums
- Author Name:
Anoushka Jain
- Book Type:

- Description: History rarely highlights the formidable Mughal begums who boldly navigated imperial courts, brokered powerful deals, reshaped Delhi's skyline, created private spaces for women, fought battles, and resisted patriarchy - all from behind the purdah. In Badass Begums, Anoushka Jain introduces you to ten Mughal-era women whose lives were filled with ambition, romance, intrigue, and fierce resilience. Jahanara Begum, Shah Jahan's favorite daughter who designed Chandni Chowk; her sister, the fiery Roshanara Begum, who schemed with Aurangzeb to take over her father's empire; the indomitable Begum Samru, a tawaif-turned-ruler who led her own army into battles; Maham Anga and Mubarak Begum, whose counsel rivaled that of chief ministers; and the steadfast Qudsia Begum, who built riverfront gardens only to see them battered by rebellions - these stories come alive through a captivating narrative and walking tour maps of the places they inhabited or curated. Based on meticulous research and written with warmth, Badass Begums offers an eye-opening journey through the breathtaking legacies still hidden in Delhi’s by-lanes.
Charitani Rajgondanaam
- Author Name:
Shivkumar Tiwari
- Book Type:

- Description: इस पुस्तक में गोंड राजाओं के प्रेरणादायी जीवन-प्रसंगों को रेखांकित किया गया है जिन्होंने अपने समय की तमाम धार्मिक, राजनैतिक और सामाजिक व्यवस्थाओं को आत्मसात् करके, इतिहास के हाशिए से उठकर अपना एक अनूठा साम्राज्य क़ायम किया। यह पुस्तक हमें राजगोंडों की अद्वितीय जिजीविषा के बारे में विस्तार से बताती है। एक तरफ़ यहाँ अगर गढ़ा-कटंगा के राजा संग्रामशाह की दूरदृष्टि व कूटनीतिज्ञता की झलक मिलती है तो दूसरी तरफ़ शक्तिशाली मुग़ल साम्राज्य से लोहा लेनेवाली रानी दुर्गावती की धर्मपरायणता व साहसिकता भी हमें प्रेरित करती है। राजगोंड राजाओं के जीवट से देदीप्यमान कहानियों के साथ-साथ यह पुस्तक हमें उनकी मानवीय संवेदना, ज्ञानपिपासा, चारित्रिक दृढ़ता, धर्मनिरपेक्षता, विश्वास, रूढ़ियों और रुचियों के बारे में भी क्रमबद्ध ढंग से बताती है, कुछ इस तरह कि पाँच शताब्दी पूर्व के गोंडों का इतिहास हमारे सामने साकार हो उठता है। रोचक उतार-चढ़ावों से लबालब और सरल भाषा में सँजोयी गई यह पुस्तक ज्ञानपिपासुओं और इतिहास के गर्त में कुछ ढूँढ़ने का प्रयत्न करनेवाले शोधकर्ताओं के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।
Ravana’S Lanka
- Author Name:
Sunela Jayewardene
- Rating:
- Book Type:

- Description: The story of the kingdom that Ravana had ruled lay over the island like a fading, antique map. The edges of the story were frayed and there were lines disconnected by time, but the landscape it traced, exists. Demonized as he was after his death, the reign of King Ravana of Lanka, and his ancestors, the powerful Mayuranga, has long been obscured and shrouded in myth. Once, their kingdom is believed to have reached beyond the shores of the island, capturing lands across the seas—a kingdom of that magnitude was never seen again on Lanka. In a bid to shed light on this lost era, Sunela Jayewardene travelled through Sri Lanka, and listened to the storytellers and poets, researched Sri Lanka’s folklore, sifted through race and religion . . . to stitch together a history of a forgotten landscape. This remarkable, vivid book is the story Sunela learnt of King Ravana and the kingdom that he lost.
Jalianwala Bagh Ki Karahein : Pratibandhit Hindi Sahitya
- Author Name:
Rajwanti Mann
- Book Type:

- Description: ग़ुलामी के दौरान पंजाब पर अकल्पनीय अत्याचार के प्रतिवाद में रचित तथा ब्रिटिश शासन द्वारा प्रतिबन्धित और ज़ब्त रचनाएँ ‘जलियाँवाला बाग़ की कराहें’ पुस्तक जलियाँवाला बाग़ के नरसंहार की अतिशय वेदना और अंग्रेज़ी जुल्मों की व्यथा-कथा है जिसे हिन्दुस्तानियों ने अपनी आत्मा पर झेला, अपनी आँखों से देखा और साहित्यकारों ने अपनी क़लम से उकेरा। यह जनता का, जनता के द्वारा और जनता के लिए लिखा गया साहित्य है जो एक सदी तक अन्वेषकों की नज़रों से लगभग छिपा रहा। इन रचनाकारों ने अंग्रेज़ी राज की प्रताड़नाएँ सहते हुए औपनिवेशिक काल की त्रासद स्थितियों को कलमबद्ध किया। रचनाएँ मौखिक यात्रा करती हुईं जन-चेतना के उद्देश्य तक पहुँचती रहीं। पुस्तक में कुल नौ अध्याय हैं जिनमें जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड के बाद रचित वे नाटक, कविताएँ, दोहे, ठुमरी, लावणी, क़व्वाली, ग़ज़ल आदि सम्मिलित हैं जो अलग-अलग पुस्तिकाओं में प्रकाशित हुईं। लगभग सभी विधाओं में रचित यह साहित्य जलियाँवाला बाग़ की पृष्ठभूमि से लेकर हर छोटी-बड़ी घटना, अंग्रेज़ों की क्रूरता, जुल्म और यातनाओं, लोगों की बेबसी, लाचारी, सामाजिक दशा-दुर्दशा का निर्भीक और वास्तविक विवरण प्रस्तुत करता है तो दूसरी तरफ़ साहस से उठ खड़े होने का आह्वान भी करता है। इनमें नृशंस हत्याओं के साथ-साथ हरे-भरे पेड़-पौधों की उखड़ी-जली छालों, घास चरती हुईं गाय-भैंसों का चरते-चरते मारे जाना, तोते, कोयल और मैना आदि पक्षियों तक का भी गोलियों से डरकर मरने का मार्मिक चित्रण है। इन रचनाओं की सत्यता पर कोई सन्देह इसलिए नहीं किया जा सकता कि आधिकारिक ऐतिहासिक दस्तावेज़ों में भी किसी न किसी रूप में इनका ज़िक्र है और इतिहास की पुस्तकों में भी इन्हें प्राय: उसी रूप में अभिव्यक्त किया गया है।
An Account of the Maithil Marriage
- Author Name:
Pt. Bhavnath Jha
- Book Type:

- Description: Maharajadhiraja Rameshwar Singh (16 January 1860 – 3 July 1929) was the 21st ruler of the Khandawala dynasty of Darbhanga in the Mithila region from 1898 till his death. On the one hand, he was a scholar of Indian scriptures and worshiper of divine powers, on the other hand, he was proficient in the English language and an efficient administrator. As the president of Bharat Dharma Mahamandal, he propagated Sanatan Dharma all over India and strengthened it socially and religiously. For the promotion of education in Mithila as well as social political awakening, he established a press and started a newspaper Mithila Mihir. Many important books were published under his supervision. Maharaj Rameshwar Singh established many factories for economic development and played an important role in the establishment of Kashi Hindu University. The ruins of the grand palace of Rajnagar in the present Madhubani district and many grand temples in that complex remind us of his glory. He was made a Knight Commander of the Order of the Indian Empire (KCIE) and was promoted to a Knight Grand Commander (GCIE) and a Knight Commander of the Order of the British Empire, Civil Division (KBE).
TEESA
- Author Name:
Nandani Agrawal
- Book Type:

- Description: "भारत में किस्से-कहानियों में राजा और उनकी रियासत को आज भी जिंदा रखा गया है। राजाओं के भोग-विलास की कहानियाँ उस दौर में प्रजा के साथ हुई घटनाओं और राजा के कुटिल स्वभाव को भी बयान करती हैं। ‘तीसा’ उपन्यास का तानाबाना भी राजा और मंत्री की चालबाजी से शुरू होता है। जहाँ राजा लालची तो है ही लेकिन एक खौफ के साये में अपनी जिंदगी को जी रहा है। राजा का अपनी ही रानी से मोहभंग सिर्फ इसलिए हो जाता है क्योंकि रानी राजा की कुटिल करतूतों पर खामोश नहीं होती है। कहानी का केंद्र बिंदु तीसा का शांत स्वभाव और चाँद सी शीतलता ओढ़े उसकी खूबसूरती है जो जंगल में चंदन की खूशबू फैलाती हुई सी लगती है। अब जहाँ चंदन हो, वहाँ विषैले साँप तो होंगे ही। ऐसे में राजा के मायाजाल से खुद को बचाना, यह चुनौती का काम तो होगा ही। तीसा कैसे मुश्किल समय में धैर्य और साहस से अपनी जीत को सुनिश्चित करती है, यह हम सबके लिए एक सबक की तरह हो सकता है। आप किसी भी मुश्किल समय में क्यों न हों, बस उम्मीद रखिए कि बुरा समय जरूर बीत जाएगा और अधर्म कितना भी क्यों न पाँव पसारे, जीत अंत में धर्म की ही होती है।"
Krantiveer Bhagat Singh : 'Abhyudaya' Aur 'Bhavishya'
- Author Name:
Chaman Lal
- Book Type:

- Description: ‘क्रान्तिवीर भगत सिंह : ‘अभ्युदय’ और ‘भविष्य’’ आज़ादी की लड़ाई, ख़ासकर इन्क़लाबी नौजवानों के संघर्ष की हक़ीक़त तलाशती कोशिश का नतीजा है। पुस्तक में शामिल पत्रिकाओं ‘अभ्युदय’ और ‘भविष्य’ की सामग्री हिन्दुस्तान की आज़ादी के संग्राम को ठीक से समझने के लिए बेहद ज़रूरी है। ‘अभ्युदय’ ने भगत सिंह के मुक़दमे और फाँसी के हालात पर भरपूर सामग्री छापी और 8 मई, 1931 को प्रकाशित उसका ‘भगत सिंह विशेषांक’ ब्रिटिश सरकार द्वारा ज़ब्त कर लिया गया। भगत सिंह के जीवन, व्यक्तित्व और परिवार को लेकर जो सामग्री ‘अभ्युदय’ व ‘भविष्य’ में छापी गई—विशेषतः भगत सिंह व उनके परिवार के चित्र—उसी से पूरे देश में भगत सिंह की विशेष छवि निर्मित हुई। ‘भविष्य’ साप्ताहिक इलाहाबाद से रामरख सिंह सहगल के सम्पादन में निकलता था। पहले पं. सुन्दरलाल के सम्पादन में ‘भविष्य’ निकलता था, जिसमें रामरख सिंह सहगल काम करते थे। 2 अक्टूबर, 1930 को गांधी जयन्ती पर रामरख सिंह सहगल ने, जो स्वयं युक्तप्रान्त कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य थे, ‘भविष्य’ साप्ताहिक का प्रकाशन शुरू किया। पहले अंक से ही भगत सिंह आदि पर सामग्री प्रकाशित कर, ‘भविष्य’ ने सनसनी फैला दी। ‘भविष्य’ में भगत सिंह की फाँसी के बाद के हालात का जीवन्त चित्रण हुआ है। ‘भविष्य’ और ‘अभ्युदय’ से कुछ चुनिन्दा चित्र इस किताब में शामिल किए गए हैं। सम्पादक प्रो. चमन लाल ने विलुप्तप्राय तथ्यों को इस पुस्तक में सँजोकर ऐतिहासिक कार्य किया है। वस्तुतः इस इन्क़लाबी वृत्तान्त को पढ़ना स्वतंत्रता की अदम्य जिजीविषा से साक्षात्कार करना है।
Sampradayikta Ka Zahar
- Author Name:
Ranjit
- Book Type:

- Description: इस पुस्तक में महात्मा गाँधी, जवाहर लाल नेहरू, मौलाना अब्दुल कलाम आज़ाद, आचार्य नरेन्द्रदेव, जयप्रकाश नारायण, डॉ. भीमराव आंबेडकर, डॉ. राममनोहर लोहिया, शहीदे आज़म भगतसिंह, किशन पटनायक, गणेशशंकर विद्यार्थी, प्रेमचन्द, कमलेश्वर, राजेन्द्र यादव, मस्तराम कपूर, विभूति नारायण, पुरुषोत्तम अग्रवाल, असगर अली इंजीनियर, राजकिशोर, डॉ. रमेन्द्र, डॉ. राम पुनियानी, तस्लीमा नसरीन, मधु किश्वर, इरफ़ान इंजीनियर आदि के लेख संकलित हैं। स्पष्ट है कि इसमें स्वाधीनता से पूर्व और स्वाधीनता के बाद के भारत में साम्प्रदायिकता की समस्या के बदलते हुए रूपों और फैलते हुए आयामों पर, भारतीय मनीषा ने जो भी कुछ सोचा है, एक प्रकार से उसका निचोड़ आ गया है। हिन्दी में शायद ही कोई और ऐसी पुस्तक हो, जिसमें इतने व्यापक फ़लक पर इस समस्या को रखकर देखा गया है। अन्त में देवी प्रसाद मिश्र की कविता के द्वारा हमारे सबसे बड़े अल्पसंख्यक वर्ग को, हमारे आम नज़रिये की रौशनी में, मर्मस्पर्शी, प्रस्तुति ने, सोने में सुहागे का काम किया है। अपने विषय की एक अपरिहार्य पुस्तक।
Jab Jyoti Jagi
- Author Name:
Sukhdev Raj
- Book Type:

- Description: भारतीय स्वाधीनता-आन्दोलन में बिना किसी प्रकार की सुयश-प्राप्ति की कामना किए हँसते-हँसते फाँसी के तख़्ते पर झूल जानेवाले मृत्युंजयी वीरों के बलिदान का सर्वाधिक महत्त्व रहा है। उन वीरों को जितनी प्रतिष्ठा और सम्मान प्राप्त होना चाहिए था, उसकी उपेक्षा एवं अवहेलना सत्ता-लोलुप स्वार्थियों ने सदैव ही की है। यदि उन वीरों की नि:स्वार्थ मातृ-भूमि-सेवा का अनुकरण किया गया होता तो भारतीय जनता आज स्वर्ग-सुख का उपभोग निस्सन्देह करती होती। पराधीनता के समय जो भी क्रान्तिकारी साहित्य उपलब्ध था उसे भारतीय युवक बड़े उत्साह से पढ़ते थे; इसीलिए तत्कालीन युवकों में देश के प्रति नि:स्वार्थ सेवा की सच्ची लगन थी। आज भारतीय जनता, विशेषतः युवकों में सुषुप्त त्याग और सेवा की भावना को जाग्रत करने के लिए उन क्रान्तिकारी वीरों के इतिहास के पठन-पाठन की अत्यधिक आवश्यकता है। भारतीय क्रान्तिकारियों के सम्बन्ध में अभी तक बहुत कम लिखा गया है। इन क्रान्तिकारियों के सम्बन्ध में पुस्तक लिखने का कार्य अत्यन्त कठिन है क्योंकि सभी क्रान्तिकारी अपने कार्य-कलापों को एकदम गुप्त रखते थे, उनके निकटतम सहयोगी भी उनकी बहुत सी बातों से अपरिचित रहते थे। प्रस्तुत पुस्तक अमर शहीद स्व. चन्द्रशेखर आज़ाद और भगवतीचरण बोहरा के अत्यन्त विश्वासपात्र, क्रान्तिकारी आन्दोलन में निरन्तर कार्य करनेवाले भाई सुखदेव राज जी ने लिखी है। अस्तु, पुस्तक की उपादेयता निर्विवाद है।
Ambapali: A Novel
- Author Name:
Tanushree Podder
- Book Type:

- Description: Not every courtesan has gone down in the annals of history like Ambapali. She was beautiful, intelligent, talented and, as the nagarvadhu janpad kalyani-the bride of the city-she went on to wield immense power amongst the nobles. Until she renounced all worldly pleasures to embrace Buddhism. This vivid narrative tells the story of a young woman forced to follow a path because of the machinations of powerful people. Propelled onto the cultural centerstage in the Vajji republic against her wishes, betrayed in love, disappointed by friends, Ambapali’s is yet the story of a strong woman determined to take control over her life. A remarkable, poignant novel about the dazzling glamour, daring romance, and sacrifice that marked Ambapali’s life.
Sambhaji Maharaj (Hindi Translation of Life and Death of Sambhaji)
- Author Name:
Medha Deshmukh Bhaskaran
- Book Type:

- Description: संभाजी महाराज की नजर महादजी की ओर जाती है। यह सही बातें कहने और करने का समय है। अभी वे जो करेंगे, वह उनके देश की नियति बदल देगा। वे मराठी में कहते हैं, ''महादजी, आबा साहिब ने हर सैनिक के जीवन का सम्मान किया। वे चाहते थे कि हम बेवजह शहादत से बचें और जीवित रहें, ताकि हम स्वराज के लिए, मराठा राष्ट्र के लिए एक और लड़ाई लड़ सकें, लेकिन उन्होंने कभी भी मराठा राष्ट्र के बदले में जीवन को गले नहीं लगाया होता। संभाजी महाराज फर्श पर एक ढेर की तरह गिर जाते हैं। वे जानते हैं कि कुछ ही दिनों में उनकी आँखें निकाल ली जाएँगी। लेकिन औरंगजेब बस इतना ही कर सकता है। संभाजी महाराज मराठों के दिलों में एक आग जला जाएँगे और वे दावानल में बदल जाएँगे, जो औरंगजेब के सपनों को जलाकर राख कर देंगे। युद्ध चलता रहेगा लेकिन वह कभी दक्कन नहीं जीत पाएगा। —इसी पुस्तक से छत्रपति शिवाजी महाराज के उतने ही प्रतापी पुत्र संभाजी महाराज के शौर्य और पराक्रम की यशोगाथा बताती अनुपम कृति। आक्रांताओं के दाँत खट्टे कर मराठा स्वाभिमान को जाग्रत करने में संभाजी महाराज के योगदान को रेखांकित करनेवाली कृति। हर भारतीय के राष्ट्रभाव को जाग्रत करनेवाली पठनीय कृति।
Chhaha Swarnim Pristha
- Author Name:
Vinayak Damodar Savarkar
- Book Type:

- Description: भारतीय वाड.मय में सावरकर साहित्य का महत्त्वपूर्ण स्थान है। मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए प्राण हथेली पर रखकर जूझनेवाले महान् क्रांतिकारी; जातिभेद, अस्पृश्यता, अंधश्रद्धा जैसी सामाजिक बुराइयों को समूल नष्ट करने का आग्रह रखनेवाले स्वातंत्र्यवीर सावरकर ने इस ग्रंथ में भारतीय इतिहास पर विहंगम दृष्टि डाली है। विद्वानों में सावरकर लिखित इतिहास जितना प्रामाणिक और निष्पक्ष माना गया है उतना अन्य लेखकों का नहीं। प्रस्तुत ग्रंथ ‘छह स्वर्णिम पृष्ठ’ में हिंदू राष्ट्र के इतिहास का प्रथम स्वर्णिम पृष्ठ है यवन-विजेता सम्राट् चंद्रगुप्त की राजमुद्रा से अंकित पृष्ठ, यवनांतक सम्राट् पुष्यमित्र की राजमुद्रा से अंकित पृष्ठ भारतीय इतिहास का द्वितीय स्वर्णिम पृष्ठ, सम्राट् विक्रमादित्य की राजमुद्रा से अंकित पृष्ठ इतिहास का तृतीय स्वर्णिम पृष्ठ है। हूणांतक राजा यशोधर्मा के पराक्रम से उद्दीप्त पृष्ठ इतिहास का चतुर्थ स्वर्णिम पृष्ठ, मुसलिम शासकों के साथ निरंतर चलते संघर्ष और उसमें मराठों द्वारा मुसलिम सत्ता के अंत को हिंदू इतिहास का पंचम स्वर्णिम पृष्ठ कह सकते हैं और अंतिम स्वर्णिम पृष्ठ है अंग्रेजी सत्ता को उखाड़कर स्वातंत्र्य प्राप्त करना। विश्वास है, क्रांतिवीर सावरकर के पूर्व ग्रंथों की भाँति इस ग्रंथ का भी भरपूर स्वागत होगा। सुधी पाठक भारतीय इतिहास का सम्यक् रूप में अध्ययन कर इतिहास के अनेक अनछुए पहलुओं और घटनाओं से परिचित होंगे।
Chakka Jaam
- Author Name:
Gautam Choubey
- Rating:
- Book Type:

- Description: ‘चक्का जाम’ की क़िस्सागोई बहा ले जाती है। देवानन्द दूबे की इस दुनिया में बंगाली माई का चमत्कार भी है और आज़ाद भारत में बचे एंग्लो-इंडियन समुदाय की त्रासदी भी; हवा में उड़ते संन्यासी भी हैं और छात्र-आन्दोलन को संरक्षण देती गृहिणियाँ भी। यह उपन्यास एक बड़े देश की बड़ी घटनाओं में उलझे इनसान के छोटे सपनों की कहानी है। यहाँ व्यक्तिगत आदर्श पारिवारिक, ऐतिहासिक और राजनैतिक आदर्शों की छाया से दूर, खुले आकाश में आज़ाद खिलने को बेचैन है। यह मासूम बेचैनी इस उपन्यास में कुछ इस तरह उभरती है कि पात्र, घटनाएँ और उनकी बोली-बानी पाठकों के दिल-दिमाग में हमेशा के लिए दर्ज हो जाती हैं।
Chhatrapati Sambhaji Maharaj
- Author Name:
Dr. Ismail Pathan
- Book Type:

- Description: डॉ. पठाण यांच्या संभाजी चरित्राचे वैशिष्ट्य काय? या प्रश्नाचे उत्तर शोधण्याचा जेव्हा आम्ही प्रयत्न केला तेव्हा आमच्या लक्षात आले की, एका धर्मनिरपेक्षवादी मुस्लीम लेखकाने लिहिलेले हे महाराष्ट्रातील पहिले संभाजी चरित्र आहे. आज समाजातील काही विशिष्ट गट संभाजी महाराजांनी दिलेल्या लढ्यास हिंदू विरुद्ध मुस्लीम असा रंग देऊन तो धार्मिक लढा होता, असे भासवून या राजास ‘धर्मवीर' म्हणून घोषित करीतअसताना या ग्रंथाने या घोषणेला छेद दिला आहे. औरंगजेबाने सुरु केलेले हे युद्ध खऱ्या अर्थाने साम्राज्यवादी होते व त्याला विरोध करून त्याच्याशी लढणाऱ्या मराठ्यांचे युद्ध हे त्याच अर्थाने स्वातंत्र्यवादी होते. इथे हिंदू विरुद्ध मुस्लीम असा धर्माचा काही प्रश्नच निर्माण होत नाही, हे ऐतिहासिक सत्य डॉ. पठाण यांच्या या ग्रंथातून दृग्गोचर होते आहे आणि हेच सत्यकथन या ग्रंथाचे यश आहे असे आम्हांस वाटते. - डॉ. जयसिंगराव पवार ज्येष्ठ इतिहासकार Chhatrapati Sambhaji Maharaj | Dr. Ismail Pathan छत्रपती संभाजी महाराज । डॉ. इस्माईल पठाण
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...