Nayika: A Girl with Dreams
Author:
Abhinav JainPublisher:
FlyDreams PublicationsLanguage:
HindiCategory:
General-non-fiction0 Reviews
Price: ₹ 176
₹
220
Available
अवनि को खुद पर तो हमेशा से था पर वह अपने प्यार पर भी पूरा भरोसा करने लगी थी। इसीलिए उसमें अब इतनी शक्ति आ गयी थी कि वह खुद के लिए रास्ते चुनने लगी थी। पर अवनि जो कदम आगे बढ़ा चुकी थी उससे भी पीछे नहीं हटा सकती थी। उसने अक्षय को अँधेरे में एक रौशनी किरण दी थी और वो उसे फिर से अंधेरों के गर्त में नहीं धकेलना चाहती थी। पर फ़िलहाल वो पापा की बातों को सुनकर बहुत परेशान हो गयी थी। उनकी बातें कहीं न कहीं सही भी थी।
ISBN: 9789391439293
Pages: 200
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: नई शिक्षा नीति से विद्यार्थियों, अध्यापकों, शोधार्थियों व शैक्षिक नेतृत्व की सोच में व्यापक बदलाव होगा। समकालीन विषय, जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डिजाइन थिंकिंग, होलिस्टिक हेल्थ, ऑर्गेनिक लिविंग, इनवायरनमेंटल एजुकेशन, ग्लोबल सिटिजनशिप एजुकेशन आदि शामिल करने से शिक्षा के स्तर में काफी बढ़ोतरी होगी। नई शिक्षा नीति में हमारा पूरा ध्यान इस बात पर केंद्रित है कि हमारी बालिकाएँ कहीं भी पीछे नहीं रहें। केवल भारत ही एक ऐसा देश है, जहाँ पर अल्पसंख्यकों के साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं हुआ। जहाँ एक ओर हमने हमेशा विदेशी भूमि से लोगों का स्वागत किया है और उन्हें गले लगाया है, उनके मूल्यों और परंपराओं को समाहित करती हमारी संस्कृति अत्यंत विविधताओं को समेटे हुए एक खूबसूरत जीवंतता के दर्शन कराती है। आज पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है, क्योंकि विषम परिस्थितियों में भी अद्भुत जिजीविषा का परिचय देकर भारतीयों ने हर क्षेत्र—शिक्षा, उद्योग, विज्ञान, पर्यावरण, अनुसंधान में मुँह बाए खड़ी चुनौतियों को अवसर में बदलकर अपनी श्रेष्ठता सिद्ध की है। प्रस्तुत पुस्तक भारतीय कर्मशीलता और कर्तव्यबोध का दिग्दर्शन कराती सकारात्मकता जाग्रत् करनेवाली कृति है।
Naya Sahitya, Nai Sambhavanayein
- Author Name:
Radhavallabh Tripathi
- Book Type:

- Description: ‘अज्ञेय अपनी विलक्षण मेधा के साथ पारम्परिक प्रज्ञा से संवाद और विसंवाद दोनों का सिलसिला रचते हैं। इसके द्वारा पुरानी अवधारणाएँ पुनरीक्षित और पुनःपरिभाषित भी हो जाती हैं।’ और, ‘शमशेर अमूर्त उपमा के जितने प्रकार अपनी कविता में रचते हैं, उतने अन्यत्र कम मिलते हैं। वे अमूर्त से मूर्त को उपमित करते हैं, मूर्त से अमूर्त को उपमित करते हैं, तो अमूर्त से अमूर्त को भी उपमित करते हैं।’ हिन्दी के दो विशिष्ट कवियों के विषय में ये टिप्पणियाँ हैं वरिष्ठ साहित्य-चिन्तक एवं संस्कृति-चेता राधावल्लभ त्रिपाठी की, जो ‘नया साहित्य, नई सम्भावनाएँ’ पुस्तक में संकलित आलेखों का हिस्सा हैं। इनके अलावा इस पुस्तक में धर्मवीर भारती, आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी, हरिशंकर परसाई, नामवर सिंह, अष्टभुजा शुक्ल, अनामिका और गगन गिल की पुस्तकों और उनके रचनात्मक आयामों पर विवेचनात्मक आलेख भी शामिल हैं। कुछ वे निबन्ध भी इस पुस्तक में संकलित हैं जिनमें वे विमर्श के ऐसे सैद्धान्तिक आधारों की तलाश करते हैं जो समकालीन रचनात्मकता के अनुशीलन के लिए आलोचना की भूमि बन सकें। राधावल्लभ त्रिपाठी हिन्दी के वर्तमान परिदृश्य में उपस्थित ऐसे कुछ आलोचक-चिन्तकों में से एक हैं जिनकी विवेचना हमें सोचने और बरतने के लिए एक समृद्ध भाषा देती है और भारतीय चिन्तन के लम्बे इतिहास में गढ़े गए सैद्धान्तिक उपकरणों से परिचित कराती है। उनके इधर के चिन्तन से उपजे इन निबन्धों से साहित्य के अध्येता और सर्जक, दोनों ही निस्सन्देह लाभान्वित होंगे।
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