Hindi Kahani
Author:
Rajeev kumarPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Contemporary-fiction0 Ratings
Price: ₹ 280
₹
350
Available
यूजीसी (नेट/जेआरएफ) पाठ्यक्रम पर आधारित हिंदी कहानियों का संग्रह|
ISBN: 9788199312241
Pages: 336
Avg Reading Time: 11 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: पहाड़, उसकी बर्फीली चोटियाँ और शांत वातावरण शुरू से लोगों के आकर्षण का केंद्र रहे हैं लेकिन इस पर्यटकीय छवि से इतर पहाड़ की गोद में बसे सैकड़ों छोटे गाँवों की तरफ लोगों का ध्यान अपेक्षाकृत कम जाता है। अपने पहले उपन्यास 'समय मेरे अनुरूप हुआ' से ही चर्चा में आईं वरिष्ठ लेखिका चंद्ररेखा ढडवाल अपने नये उपन्यास 'आग' में हिमाचल प्रदेश के एक ऐसी ही पहाड़ी गाँव की कहानी कहती हैं, जिसमें ग्रामीण परिवेश का संघर्षों से भरा जीवन है। प्रेम है। बैर है। लोकगीत और किस्से-कहानियाँ हैं। पर्व-त्यौहार, मेले-ठेले और खान-पान हैं। एक खिलंदड़ और मनमौजी मिज़ाज की लड़की लोइना है। उसी घर में पला-बढ़ा खेत-खलिहान में काम करने के लिए रखा गया बाहर का एक लड़का प्रीतो है। दोनों के भीतर सुलगती एक प्रेम आग है। लेकिन इससे पहले कि इनके प्रेम को हवा मिलती, लोइना ब्याह दी जाती है। और यहीं से शुरू होती है, लोइना के जीवन की दुश्वारियाँ। फौजी पति शादी के दूसरे रोज़ ही मोर्चे पर चला जाता है और गायब हो जाता है। एक चुलबुली लड़की के लिए, जिसने अभी-अभी जवानी के आँगन में पैर रखे हैं, उसके जीवन की इससे बड़ी विडम्बना क्या हो सकती है!... अपने भीतर ग्रामीण संस्कृति, विशेष बोली और आंचलिकता का प्रवाह समेटे यह एक ऐसा उपन्यास है, जिसे पढ़ते हुए लगता है, आप किसी पहाड़ी गाँव के मेंड़ों पर चलते हुए इसे सुन रहे हों। अपने सम्मान और स्वाभिमान की लड़ाई लड़ती लोइना, पीपल सरीखे छाया देने वाले शांत प्रीतो और प्यारी सास मस्या की एक रुला देने वाली कहानी है 'आग'। कथ्य के साथ-साथ यह उपन्यास में बरती गई लोकधर्मी भाषा की खूबी है कि बढ़ते पन्नों के साथ ही आप इसके चरित्रों की गर्माहट महसूस करने लग जाते हैं। —मिथिलेश प्रियदर्शी
Rameau Ka Bhatija
- Author Name:
Denis Diberot
- Book Type:

- Description: ‘रामो का भतीजा’ को अधिकांश विद्वान दिदेरो की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण साहित्यिक रचना मानते हैं। यह दार्शनिक और नीतिशास्त्रीय होने के साथ ही एक सौन्दर्यशास्त्रीय कृति भी है जो अपने समय के तमाम नैतिक-वैधिक-सामाजिक-सौन्दर्यशास्त्रीय मूल्यों पर, प्रस्तरीकृत रूढ़ियों पर अनूठे कोण और मारक ढंग से सवाल उठाती है, जिरह करती है और बिना फ़ैसला सुनाए दो अवस्थितियों के दोनों पक्षों पर सोचने और सापेक्षत: सही-ग़लत की शिनाख़्त करने के लिए पाठक को तर्क एवं दृष्टि देकर खुला छोड़ देती है। इसीलिए इसे द्वन्द्ववाद की अनुपम कृति भी माना जाता। ‘रामो का भतीजा’ में स्वयं दिदेरो और रामो का भतीजा—दो ही मुख्य पात्र सामने हैं जिनके बीच एक लम्बे संवाद के रूप में रचना अन्त तक की यात्रा पूरी करती है। रामो का भतीजा भी तत्कालीन पेरिस का एक वास्तविक चरित्र है। प्रसिद्ध फ़्रांसीसी संगीत-रचनाकार रामो उसका चाचा है। (भतीजा) रामो एक ग़रीब संगीतकार है जो पेरिस के बोहेमियाई जीवन का एक प्रतिनिधि है—पूरी तरह से अनैतिक, बिना किसी उसूल का, मानवद्वेषी चरित्र, जो घूसखोर, धनलोलुप, प्रतिक्रियावादी पत्रकारों का मित्र है और एक ऐसा परजीवी जो धनी अभिजातों के घरों में घुसने की जुगत भिड़ाने में दक्ष है। रामो समाज के नैतिक मानदंडों को ख़ारिज करता है। वह उन्हें एक ऐसी ताक़त मानता है जो उसके लिए बेगानी है, उसके ख़िलाफ़ है और इसलिए बुरी है। अपनी कामनाओं-वासनाओं-आवश्यकताओं की पूर्ति—जीवन में बस इसी एक चीज़ को वह मूल्य के तौर पर स्वीकार करता है। लेकिन रचना का कौशल यह है कि अपने अनैतिक व्यवहार और मानवद्वेषी अभिव्यक्तियों के ज़रिए रामो अपने आसपास की दुनिया को बेनकाब करता जाता है। वह समाज के पाखंडों के मुखौटों को नोच देता है और उसके सारतत्त्व को सामने ला देता है। वह दार्शनिक (जिसका प्रतिनिधित्व संवाद में दिदेरो करता है) के आदर्शों की निर्जीविता और अमूर्तता को भी उजागर करता है। वह स्पष्टत: देख रहा है कि धन समाज की मुख्य शक्ति बनता जा रहा है, लेकिन दूसरी ओर ग़रीबी भी मौजूद है। इस स्थिति में किसी भी तरह की स्वतंत्रता का बोध भ्रामक है। हर व्यक्ति भाँति-भाँति की मुद्राएँ-मुखौटे ओढ़े हुए है और कोई भी अपने प्रति सच्चा और ईमानदार नहीं है।
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