Diyasalai
Author:
Kailash SatyarthiPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 479.2
₹
599
Available
‘दियासलाई’ नोबेल शान्ति पुरस्कार से सम्मानित और भारत समेत पूरे विश्व में बच्चों के प्रति संवेदना को एक आवश्यक लोकतांत्रिक मूल्य के रूप में स्थापित करनेवाले कैलाश सत्यार्थी की आत्मकथा है। अपनी इस आत्मकथा में वे हमें अपने संघर्षपूर्ण जीवन की कथा भी बताते हैं और अपने उन प्रयासों की भी जानकारी देते हैं जो उन्होंने भारत और विश्व-भर के बच्चों की मुक्ति और कल्याण के लिए किए।
वे ही थे जिन्हें ‘ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर’ जैसे महा-आन्दोलन का विचार आया और जिसके तहत उन्होंने दुनिया के 186 देशों की यात्रा करते हुए लाखों बच्चों से सम्पर्क किया और उन्हें आजादी के विचार से अवगत कराया।शिक्षा के लिए भी उन्होंने विश्व-स्तर पर कैम्पेन चलाया।
अपने मानवीय और सामाजिक कार्यों के लिए उन्हें अनेकों बार पुरस्कृत भी किया गया लेकिन अपना वास्तविक पुरस्कार वे उन बच्चों की मुस्कराहट को मानते हैं, जो उन्होंने हर ओर से निराश और समाज के क्षुद्र स्वार्थों की भेंट चढ़े बच्चों को दी।
सहज और सम्प्रेषणीय भाषा में लिखी हुई उनकी यह आत्मकथा हमें प्रेरित भी करती है, संवेदनशील भी बनाती है और उन भीषण तथ्यों से भी परिचित कराती है जाे हमारे सामने दुनिया के विराट नक़्शे पर बिलखते बच्चों का पता देते हैं।
ISBN: 9789360867362
Pages: 420
Avg Reading Time: 14 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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बलिया के एक किसान परिवार में जनमे चन्द्रशेखर अपनी जीवन-यात्रा में अनेक पड़ावों से गुज़रे। स्वाधीनता-आन्दोलन में शिरकत की। आज़ादी के बाद समाजवाद के लिए चलाए जानेवाले संघर्ष को आगे बढ़ाया। कांग्रेस को प्रगतिशील बनाने के लिए नए कार्यक्रम रखे। आपातकाल की जेल-यात्रा के बाद जनता पार्टी के पहले अध्यक्ष बने। जनता दल की सरकार के जाने के बाद देश के प्रधानमंत्री पद पर पहुँचे और समझौताविहीन व्यक्तित्व के कारण अन्तत: इस्तीफ़ा दिया। उदारीकरण और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के नव-साम्राज्यवाद का वे विरोध करते रहे। उनकी इस आत्मकथा में बाहरी संसार के अलावा उनके व्यक्तित्व की गहरी संवेदनशीलता और मानवीय पक्ष का वृत्तान्त भी शामिल है। हिन्दी में आत्मकथा साहित्य की परम्परा में चन्द्रशेखर की यह आत्मकथा एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।
Boskiyana
- Author Name:
Gulzar
- Rating:
- Book Type:

- Description: गुलज़ार से बातें...'माचिस' के, 'हू-तू' के, 'ख़ुशबू', 'मीरा' और 'आँधी' के बहुरंगी लेकिन सादा गुलज़ार से बातें...फ़िल्मों में अहसास को एक किरदार की तरह उतारनेवाले और गीतों-नज़्मों में ज़िंदगी के जटिल सीधेपन को अपनी विलक्षण उपमाओं और बिम्बों में खोलनेवाले गुलज़ार से उनकी फ़िल्मों, उनकी शायरी, उनकी कहानियों और उस मुअम्मे के बारे में बातें जिसे गुलज़ार कहा जाता है। उनके रहन-सहन, उनके घर, उनकी पसंद-नापसंद और वे इस दुनिया को कैसे देखते हैं और कैसे देखना चाहते हैं, इस पर बातें...यह बातों का एक लम्बा सिलसिला है जो एक मुलायम आबोहवा में हमें समूचे गुलज़ार से रू-ब-रू कराता है। यशवंत व्यास गुलज़ार-तत्त्व के अन्वेषी रहे हैं। वे उस लय को पकड़ पाते हैं जिसमें गुलज़ार रहते और रचते हैं। इस लम्बी बातचीत से आप उनके ही शब्दों में कहें तो 'गुलज़ार से नहाकर' निकलते हैं।
Jeevan Kya Jiya
- Author Name:
Namvar Singh
- Book Type:

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Description:
नामवर सिंह ने आत्मकथा नहीं लिखी, इसके बावजूद उनकी आत्मकथा अंशों में प्रकाशित होती रही। इस पुस्तक में उनके वाचिक के ऐसे अंशों को एकत्र और क्रमबद्ध किया गया है कि उसे व्यवस्थित रूप में पढ़ा जा सके। बचपन के दिनों से लेकर आखिर दिनों तक की सिलसिलेवार स्मृतियाँ पहले खंड में मौजूद हैं। विशिष्ट व्यक्तियों से जुड़ी स्मृतियों को दूसरे खंड में रखा गया है। नामवर जी के रोजमर्रा के जीवन को समझने के दृष्टिकोण से डायरी का एक अंश तीसरे खंड में प्रस्तुत है। डायरी के अतिरिक्त पूरी पुस्तक में कुल मिलाकर लिखित अंश दो ही हैं : ‘एक किताब पृथ्वीराज रासो : भाषा और साहित्य’ और ‘शमशेर से वह आखिरी मुलाकात’। शेष सभी ‘नामवर का वाचिक’ हैं। समय-समय पर दिये गए व्याख्यानों और साक्षात्कारों के अंशों को जोड़कर यह 'आत्मकथा' रची गई है। नामवर-कथा को जानने में दिलचस्पी रखनेवाले पाठकों को इसमें रुचि होगी। इस पुस्तक का शीर्षक मुक्तिबोध की सुविख्यात कविता
‘अँधेरे में’ की एक पंक्ति से लिया गया है। ‘अँधेरे में’ कविता के जिस अंश से यह पंक्ति ली गई है, उसका केन्द्रीय भाव मध्यवर्ग का आत्मलोचन है। नामवर जी अक्सर इस अंश का उपयोग अपनी बातचीत में किया करते थे। ‘तद्भव’ पत्रिका में प्रकाशित सुदीर्घ स्मृति-कथा का समापन भी उन्होंने इसी अंश से किया था।
Ek Thi Ramrati
- Author Name:
Shivani
- Book Type:

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Description:
कथाकार और उपन्यासकार के रूप में शिवानी की लेखनी ने स्तरीयता और लोकप्रियता की खाई को पाटते हुए एक नई ज़मीन बनाई थी, जहाँ हर वर्ग और हर रुचि के पाठक सहज भाव से विचरण कर सकते थे। उन्होंने मानवीय संवेदनाओं और सम्बन्धगत भावनाओं की इतने बारीक और महीन ढंग से पुनर्रचना की कि वे अपने समय में सबसे ज़्यादा पढ़े जानेवाले लेखकों में एक होकर रहीं।
कहानी, उपन्यास के अलावा शिवानी ने संस्मरण और रेखाचित्र आदि विधाओं में भी बराबर लेखन किया। अपने सम्पर्क में आए व्यक्तियों को उन्होंने करीब से देखा, कभी लेखक की निगाह से तो कभी मनुष्य की निगाह से, और इस तरह उनके भरे-पूरे चित्रों को शब्दों में उकेरा और कलाकृति बना दिया।
इस पुस्तक में ‘वाग्देवी का अदूभुत वरदान हे विदेशिनी!’, ‘हम तुम्हें पहचानते हैं’,‘...मुरलिया तू कौन गुमान भरी? जो मिले सुर स्वर-लय नटिनी’, ‘के रहीम अब बिरछ करूँ’, ‘माताहारी?’, ‘नदी जो मरुस्थल में खो गई’, ‘स्वरलय नटिनी’, ‘ननिया ने हाय राम’, ‘एक थी रामरती’, ‘चिरस्थायी शेर वन्दन’, ‘दाना मियाँ?’, ‘मत तोड़ो चटकाय’, ‘परमतृप्ति जन्मदिन’ आदि संस्मरण और रेखाचित्र शामिल हैं। आशा है, शिवानी के कथा-साहित्य के पाठकों को उनकी ये रचनाएँ भी पसन्द आएँगी।
Narayana Murthy: A Complete Biography of Indian Businessman
- Author Name:
Dinkar Kumar
- Book Type:

- Description: This book takes you on an inspiring journey through the life of a visionary who transformed the global business landscape. From his modest beginnings in a small town to becoming the co-founder of Infosys, this is the story of how one man's determination and values reshaped India's IT industry. Discover how Murthy's bold decisions, unwavering ethics and innovative thinking propelled Infosys from a fledgling startup to a global powerhouse. Explore the challenges he faced, the milestones he achieved and the leadership philosophies that made him a revered icon in the corporate world. Beyond the boardroom, this biography delves into Murthy's personal life, his enduring partnership with Sudha Murthy and their shared commitment to giving back to society. It captures the essence of a man who believes in the power of simplicity, hard work and compassionate capitalism. Told with authenticity and insight, this book is not just a biography it's a testament to the transformative power of vision and values
Shirdi Sai Baba : Divya Mahima
- Author Name:
Ganpatichandra Gupt
- Book Type:

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Description:
‘शिरडी साईं बाबा दिव्य महिमा’ प्रस्तुत पुस्तक की रचना भगवान श्रीशिरडी साईं बाबा की प्रेरणा से हुई है। इसमें लेखक ने शिरडी साईं बाबा के व्यक्तित्व की दिव्यता का बोध विभिन्न संस्मरणों एवं अनुभवों के माध्यम से प्रस्तुत करने का सफल प्रयास किया है। इसका लक्ष्य शिरडी साईं के व्यक्तित्व, चरित एवं दर्शन का बौद्धिक विश्लेषण करने का नहीं था, अपितु उनसे सम्बन्धित भक्तों के अनुभवों को यथार्थ रूप में प्रस्तुत करके पाठकों को भक्ति-रस का आस्वाद प्रदान करने का रहा है। शुरू में लेखक ने अपने उन अनुभवों को प्रस्तुत किया है, जिनसे उनका शिरडी साईं बाबा के प्रति विश्वास दृढ़ हुआ। बाबा के जीवन-चरित की एक रूपरेखा संक्षेप में प्रस्तुत की गई है।
कई भक्तों के संस्मरण प्रस्तुत किए गए हैं जो कि शिरडी साईं बाबा के समकालीन थे और जिन्हें बाबा के निकट सम्पर्क में आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। ऐसे भक्तों के भी अनुभव प्रस्तुत किए गए हैं जिन्होंने बाबा के देह-त्याग के अनन्तर भी उनकी कृपा से विभिन्न कष्टों से मुक्ति या अपने किसी लक्ष्य में सफलता प्राप्त की। इन अनुभवों से स्पष्ट है कि बाबा आज भी पूर्ण शक्ति से कार्यरत हैं तथा वे भक्तों की प्रार्थनाओं का उत्तर देते हैं।
पुस्तक के अन्त में बाबा की एक शिष्या शिवम्माताई के द्वारा वर्णित अनुभव प्रस्तुत किए गए हैं। शिवम्माताई ने अपनी युवावस्था में ही बाबा से दीक्षा ग्रहण करके उनकी आराधना में लग गई थीं। उन्होंने उस समय की घटनाओं का आँखों-देखा हाल वर्णित किया है जिससे बाबा के सम्बन्ध में नई जानकारी मिलती है। बाबा की शिक्षाओं और उनके दिव्यत्व पर भी प्रकाश डाला गया है।
Janam Jua Mat harhu
- Author Name:
Haridas
- Book Type:

- Description: Autobiography हरिदास जीक आत्मकथा मे जाहि तरहक जीवन संघर्षक मार्मिक वर्णन भेल अछि तकरा लगातार पढ़ब मुश्किलअछि। कोसीक विभीषिका मे माय, पिता, भाइ, परिवार खतम भेलाक बादो अपन इच्छाशक्ति आ संकल्प सँ एक टा व्यक्ति आपदा सँ कोना बाहर निकलैत अछि तकर प्रमाण ई आत्मकथा थिक। हरिदास जिजीविषाक प्रतिमूर्ति बनि क' हमरा सोझाँ अबैत छथि। एक टा बीतराग व्यक्ति करोड़ोक संपत्ति केँ अनुराग भावना सँ त्याग क' अही लेल विवाह करैत छथि किएक त' हिनका परिवार मे पचासोक संख्या रहनि जे चारि-पाँच वर्षक भीतर मात्र किछुए व्यक्ति बचि जाइत अछि... मृत मायक छाती पर दूध पिबैत छओ मासक बच्ची... पुतोहु केँ जे ससुर आगि देलनि सेहो ओही राति मरि गेलाह आ भोरे हुनको ओही अछिया पर जरा देल गेलनि... मैथिली मे एक सँ एक नामवर व्यक्ति द्वारा आत्मकथा लिखल गेल अछि मुदा एहि आत्मकथा मे ओ ताकत छै जे एहि लेखक केँ नामवर बना देत। ओहने नामवर बना देत जेहन नामवर व्यक्तिक लिखल आत्मकथा होइत अछि। हरिदास गृहस्थ रहितो हृदय सँ संन्यासी रहथि तेँ अपना सताबैवला गार्जियनक बारे मे एको शब्द अमर्यादित नहि लिखैत छथि। ई आत्मकथा एक टा सामान्य लेखक केँ महान बनाबयवला महत्त्वपूर्ण कृति थिक। —डॉ भीमनाथ झा मिथिला मे सबाल्टर्न इतिहास लिखबाक परंपरा नहि रहल अछि मुदा हरिदास जीक आत्मकथा अही इतिहास सँ शुरू होइत अछि... एहि आत्मकथा मे जतेक कम शब्द मे पैघ बात कहल गेल अछि तकर टीका सैकड़ो शब्द मे कैल जा सकैत छै। हरिदास अपन जीवन-संघर्षक क्रम मे एक टा विरक्तक जीवन छोड़ि गृहस्थक जीवन चुनैत छथि। असल मे ई आत्मकथा विरक्ति पर अनुरक्तिक कथा थिक। ई आत्मकथा मैथिली मे बहुत समय धरि मन राखल जायत। —अशोक
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