
Asahmati Mein Utha Ek Hath : Raghuvir Sahay Ki Jeewani
Author:
Vishnu NagarPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 399.2
₹
499
Available
रघुवीर सहाय का जीवन-भर का काम प्रभूत और बहुमुखी है, जैसा कि इस जीवनी से एक बार और स्पष्ट होगा। इतना बहुमुखी और इतना मौलिक है कि सब कुछ पर यहाँ लिखा भी नहीं जा सका लेकिन उनके सोच के दायरे में आनेवाली कुछ चीज़ों का संकेत और सार यहाँ है, जिन पर अभी तक दुर्भाग्य से हमारा ध्यान नहीं गया है। मेरे ख़याल से उन बातों को भी जीवनी का अंग बनाना चाहिए, जो किसी लेखक के यहाँ अलग से दिखाई देती हैं और साहसिक ढंग से दिखाई देती हैं। उनकी कविताओं-कहानियों का कोई मूल्यांकन यहाँ करने से यथासम्भव बचा गया है, क्योंकि मेरे मत में यह जीवनी का काम नहीं है और रघुवीर जी के मूल्यांकन की बहुत-सी अच्छी कोशिशें हुई भी हैं। यहाँ प्रयत्न यह है कि उन्होंने ख़ुद अपने काम के बारे में क्या कहा है, क्या बताया है, यह अधिकाधिक सामने लाया जाए।
एक आपत्ति यह हो सकती है कि किताब रघुवीर जी के बारे में कुछ अधिक प्रशंसात्मक हो गई है। अगर यह सही है तो इसका 'दोष' कुछ हद तक रघुवीर जी के व्यक्तित्व में है, कुछ उनके बारे में अच्छी-अच्छी बातें करनेवालों में और अन्त में सबसे अधिक मेरा है।
—विष्णु नागर (प्रस्तावना से)
ISBN: 9789388753739
Pages: 398
Avg Reading Time: 13 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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- Description: पीयूष मिश्रा जब मंच पर होते हैं तो वहाँ उनके अलावा सिर्फ़ उनका आवेग दिखता है। जिन लोगों ने उन्हें मंडी हाउस में एकल करते देखा है, वे ऊर्जा के उस वलय को आज भी उसी तरह गतिमान देख पाते होंगे। अपने गीत, अपने संगीत, अपनी देह और अपनी कला में आकंठ एकमेक एक सम्पूर्ण अभिनेता! अब वे फिल्में कर रहे हैं, गीत लिख रहे हैं, संगीत रच रहे हैं; और यह उनकी आत्मकथा है जिसे उन्होंने उपन्यास की तर्ज पर लिखा है। और लिखा नहीं; जैसे शब्दों को चित्रों के रूप में आँका है। इसमें सब कुछ उतना ही ‘परफ़ेक्ट’ है जितने बतौर अभिनेता वे स्वयं। न अतिरिक्त कोई शब्द, न कोई ऐसा वाक्य जो उस दृश्य को और सजीव न करता हो। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक ‘अनयूजुअल’—से परिवार में जन्मा एक बच्चा चरण-दर-चरण अपने भीतर छिपी असाधारणता का अन्वेषण करता है; और क़स्बाई मध्यवर्गीयता की कुंठित और करुण बाधाओं को पार करते हुए धीरे-धीरे अपने भीतर के कलाकार के सामने आ खड़ा होता है। अपने आत्म के सम्मुख जिससे उसे ताज़िन्दगी जूझना है; अपने उन डरों के समक्ष जिनसे डरना उतना ज़रूरी नहीं, जितना उन्हें समझना है। इस आत्मकथात्मक उपन्यास का नायक हैमलेट, यानी संताप त्रिवेदी यानी पीयूष मिश्रा यह काम अपनी ख़ुद की कीमत पर करता है। यह आत्मकथा जितनी बाहर की कहानी बताती है—ग्वालियर, दिल्ली, एनएसडी, मुम्बई, साथी कलाकारों आदि की—उससे ज़्यादा भीतर की कहानी बताती है, जिसे ऐसी गोचर दृश्यावली में पिरोया गया जो कभी-कभी ही हो पाता है। इसमें हम दिल्ली के थिएटर जगत, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय और मुम्बई की फ़िल्मी दुनिया के कई सुखद-दुखद पहलुओं को देखते हैं; एक अभिनेता के निर्माण की आन्तरिक यात्रा को भी। और एक संवेदनशील रचनात्मक मानस के भटकावों-विचलनों-आशंकाओं को भी। लेकिन सबसे बड़ी उपलब्धि इस किताब की इसका गद्य है। पीयूष मिश्रा की कहन यहाँ अपने उरूज़ पर है। पठनीयता के लगातार संकरे होते हिन्दी परिसर में यह गद्य खिली धूप-सा महसूस होता है।
Delhi Ke Chatkhare
- Author Name:
Shahid Ahmed Dehalvi
- Book Type:
- Description: "दिल्ली के चटख़ारे" शाहिद अहमद देहलवी की उन मज़ामीन का मज्मूआ है जिनमें गुज़रे ज़माने के दिल्ली शहर को बड़े ही दिलचस्प तरीक़े से बयान किया गया है। इन मज़ामीन में दिल्ली के बाज़ार, कटरे, मुहल्ले की खिड़कियाँ, फेरी वालों की सदाएँ, देग़ों और भट्टियों से उठने वाली महक का ऐसा बयान है कि पढ़ते हुए सारा मंज़र आँखों के सामने आ जाता है।
Bisnath Ka Balrampur
- Author Name:
Vishwanath Tripathi
- Book Type:
-
Description:
‘नंगातलाई का गाँव’ के बाद ‘बिसनाथ का बलरामपुर’। इसमें विश्वनाथ त्रिपाठी वर्णन कर रहे हैं अपने विद्यार्थी जीवन और उस समय की सामाजिक-राजनीतिक आबोहवा का। आजादी के ठीक पहले का वातावरण जिसे हम इतिहास की पुस्तकों में उस तरह महसूस नहीं कर सकते, जैसे यहाँ कर सकते हैं—इस आख्यान में।
बलरामपुर यहाँ स्वतंत्रता-पूर्व के मिनी भारत के रूप में दिखाई देता है—वहाँ रियासत है, अंग्रेज अधिकारी हैं, स्वतंत्रता आन्दोलन और उसके नेताओं को लेकर बड़े शहरों जैसी सजगता-सक्रियता है, हिन्दू-मुसलमान के प्रश्न हैं, मुस्लिम लीग है और आर.एस.एस. है जिसके जादुई आकर्षण ने युवा और विचारशील बिसनाथ को सालों बाँधे रखा। वे उसके लिए जेल भी गए, और फिर अपनी विचारशीलता के चलते उससे मुक्त हुए।
विश्वनाथ त्रिपाठी बतौर आलोचक पाठ की जितनी तहों को देख पाते हैं, रचनात्मक आख्यान में उससे भी ज्यादा समाज की और मनुष्य की परतों को देख लेते हैं, और उसे जिस तरह लिखते हैं, वह उन्हें उत्तम कोटि का किस्सागो बनता है।
इस स्मृति-यात्रा में उन्होंने पूर्वी अवध के सांस्कृतिक-सामाजिक और राजनीतिक जीवन का अत्यन्त जीवन्त और व्यापक चित्र खींचा है। बच्चों के खेलों से लेकर लोक में रचे-बसे कला-रूपों, गीत-संगीत और जीवन की दैनन्दिनी में दिखाई पड़नेवाली विडम्बनाओं, आपदाओं और संकटों को भी उन्होंने बहुत नजदीक से देखा-जाना है; और यह सब एक सामर्थ्यवान गद्य के रूप में इस पुस्तक के पन्नों पर अंकित हुआ है। ‘संकट के समय में कविता’ शीर्षक अध्याय में उनकी स्मृतियाँ वर्तमान तक चली आती हैं जिसमें उन्होंने कोविड के दौर के साथ-साथ कुछ और मार्मिक क्षणों को भी लिपिबद्ध किया है।
Lok Ka Prabhash
- Author Name:
Ramashankar Kushwaha
- Book Type:
-
Description:
प्रभाष जोशी ने हिन्दी पत्रकारिता को नए मुक़ाम तक पहुँचाया। शब्द और कर्म की एकता के विश्वासी प्रभाष जोशी ने जन-सम्बद्ध पत्रकारिता के एक नए दौर की शुरुआत की। उनके द्वारा सम्पादित 'जनसत्ता' अपने समय की जन-संवेदना का नायाब दस्तावेज़ है।
हिन्दी पत्रकारिता के विकास में ऐतिहासिक भूमिका निभानेवाले प्रभाष जोशी के जीवन की यह कहानी उनके समय की भी कहानी है, क्योंकि उनके लिखने और जीने की एक ही मंज़िल थी—लोक-सम्बद्धता।
इस लोक-सम्बद्ध व्यक्तित्व की जीवन-गाथा के अनेक पड़ाव हैं। इस जीवनी में आपको उन पड़ावों का विस्तृत और प्रामाणिक विवरण मिलेगा। प्रभाष जी के व्यक्तिगत जीवन के अनजाने प्रसंगों से आप रू-ब-रू होंगे। उनके सार्वजनिक जीवन के निर्भय सोच के सन्दर्भों से आप अवगत होंगे।
हिन्दी के जीवनी साहित्य की परम्परा में प्रभाष जी की यह शोधपरक जीवनी एक नई पहल है। प्रभाष जी की लोक-सम्बद्ध जीवन-दृष्टि को समझने और उसका विस्तार करने में यह जीवनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
Apani Dhun Mein
- Author Name:
Ruskin Bond
- Book Type:
- Description: यह ज़िन्दगी का ऐसा सुचिंतित और भावपूर्ण आख्यान है, जिसमें प्रकृति की उत्कृष्ट छवियाँ हैं, और छोटे-बड़े लोगों की गर्मजोशी से भरी यादें टँकी हुई हैं। - दि इंडियन एक्सप्रेस बॉन्ड अपनी ज़िन्दगी और हमारे आसपास की दुनिया के प्रति ऐसा सद्भावपूर्ण नज़रिया रखते हैं कि पढ़नेवालों को महसूस होने लगता है कि आख़िरकार यह दुनिया इतनी ख़राब जगह भी नहीं है! —दि ट्रिब्यून पिछले सात दशकों से, बड़े-छोटे शहरों, गाँव और क़स्बों में आबाद हर उम्र के बेशुमार पढ़नेवालों के लिए रस्किन बॉन्ड बेहतरीन साथी रहे हैं। अपनी किताबों और कहानियों से वह हमें रिझाते आए हैं। उनकी जादुई क़िस्सागोई सम्मोहन जगाती है। कभी-कभार डराती भी है और रोज़मर्रा की ज़िन्दगी की ख़ूबसूरती और प्रकृति के टटके सौन्दर्य से हमारा परिचय कराती है। उनकी इस अनूठी आत्मकथा में आप उस पृष्ठभूमि को जान पाएँगे जहाँ से उन्होंने वे कहानियाँ और क़िस्से उठाए हैं। एक पुरअसर सपने से शुरुआत करके पाठकों को वह अरब सागर के किनारे बसे जामनगर में अपने ख़ुशनुमा बचपन में ले जाते हैं, जहाँ उन्होंने अपनी पहली कविता लिखी और फिर 1940 के दशक की नई दिल्ली में, जहाँ हुए तज़ुर्बों के हवाले से उन्होंने अपनी पहली कहानी लिखी थी। यह उनकी ख़ुशियों का मुख़्तसर-सा दौर था, जो उनके माता-पिता के अलगाव और बेहद अज़ीज़ पिता की असामयिक मृत्यु के साथ ख़त्म हो गया था। बेहद आत्मीयता और साफ़गोई के साथ, वे शिमला में अपने बोर्डिंग स्कूल के दिनों और देहरादून में सर्दियों की उन छुट्टियों को याद करते हैं, जब उन्होंने अपने अकेलेपन से उबरने की कोशिश की, दोस्त बनाए और उन्हें खोया भी, महत्त्वपूर्ण किताबें खोजीं और अपनी ज़िन्दगी का मक़सद भी तलाश किया। लेखक बनने के अपने मज़बूत इरादे के साथ उन्होंने इंग्लैंड में मुश्किल-भरे चार साल बिताए। वहाँ की अपनी एकाकी ज़िन्दगी और दिल टूटने के वाक़ियों के बारे में उन्होंने ख़ासा मर्मस्पर्शी आख्यान रचा है। मगर इस सबके बावजूद उन्होंने अपना संकल्प नहीं छोड़ा और एक उपन्यास, ‘द रूम ऑन द रूफ़’ लिखकर लेखक बनने की दिशा में पहला निर्णायक क़दम उठाया। किशोरवय का यह क्लासिक उपन्यास भारत के प्रति उनके लगाव को दर्शाता है। आत्मकथा के आख़िरी खंड में वह अपने भटकाव से छुटकारे और मसूरी की पहाड़ियों में आबाद होने के बाद ज़िन्दगी में आए ठहराव के बारे में लिखते हैं। मसूरी, जहाँ चारों तरफ़ हरियाली है, धूप और धुंध है, परिन्दों का कलरव और मायावी तेन्दुए हैं, नए दोस्तों और विलक्षण लोगों की सोहबत है, और एक ऐसा परिवार भी है जो धीरे-धीरे उनका अपना परिवार बन गया। दूसरे विश्वयुद्ध के समय भारत का माहौल और स्वतंत्रता-प्राप्ति के समय देश के दिनोंदिन बदलते हालात के कुछ दुर्लभ विवरण भी आप इस आत्मकथा में पाते हैं।
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