Irina Lok : Kachchh Ke Smriti Dweepon Par
Author:
Ajoy SodaniPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Travelogues0 Reviews
Price: ₹ 239.2
₹
299
Available
संस्कृति की लीक पर उल्टा चलूँ तो शायद वहाँ पहुँच सकूँ, जहाँ भारतीय जनस्मृतियाँ नालबद्ध हैं। वांछित लीक के दरस हुए दन्तकथाओं तथा पुराकथाओं में और आगाज़ हुआ हिमालय में घुमक्कड़ी का। स्मृतियों की पुकार ऐसी ही होती है। नि:शब्द। बस एक अदृश्य-अबूझ खेंच, अनिर्वचनीय कर्षण। और चल पड़ता है यायावर वशीभूत...दीठबन्द...। जगहों की पुकार गूगल गुरु की पहुँच से परे। गूगल मैप के अनुगमन से रास्ते तय होते हैं, जगहें मिलती हैं पर क्या उनसे राबता हो पाता है? जब चित्त संघर्ष, त्याग, आत्मा का अनुगामी हो जाए तब हासिल होती है आलम-ए-बेख़ुदी। जाग्रत होती हैं सुषुप्त स्मृतियाँ। खेंचने लगती हैं जगहें। घटित होता है असल रमण। अगस्त दो हज़ार दस में, ऐसी ही आलम-ए-बेख़ुदी में, हम पहुँचे थे हिमालय में—सरस्वती नदी के उद्गम स्थल पर। परन्तु आन्तरिक जगत में चपल चित्त अधिक ठहर थोड़े ही सकता है, सो बेख़ुदी के वे आलम भी अल्पकालिक ही होते हैं। इस वर्ष भी वही हुआ। हिमालय की ना-नुकुर से आजिज़ आ, हमने चम्बल के बीहड़ों में जाने का मन बनाया। जानकारियाँ जुट गईं, तैयारियाँ मुकम्मल हुईं। किन्तु घर से निकलने के ठीक पहले अनदेखे ‘रन’ का धुँधला-सा अक्स ज़ेहन में उभरा और मैं वशीभूत-सा चल दिया गुजरात की ओर। किसे ख़बर थी कि यह दिशा परिवर्तन अप्रत्याशित नहीं वरन् सरस्वती नदी की पुकार के चलते है, कि यह असल में ‘धूमधारकांडी’ अभियान की अनुपूरक यात्रा ही है। तो साहेब लोगो, आगे के सफहों पर दर्ज हर हर्फ दरअसल गवाह है उस परानुभूति का जिसके असर में मुझे शब्दों में मंज़र और मंज़रों में शब्द नज़र आए। या यूँ कहूँ कि प्रचलित किसी शब्द में इतिहास या परिपाटी में समूचा कालखंड अनुभूत हुआ यानी कि यह किताब यायावरी का ‘डबल डोज़’ है।
ISBN: 9789388933667
Pages: 278
Avg Reading Time: 9 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Rashmi Sharma
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- Description: सुपरिचित रचनाकार रश्मि शर्मा के यात्रा-संस्मरणों की इस पहली पुस्तक में झारखंड और लद्दाख, दोनों ही प्रदेशों के यात्रा-वृत्तांत सम्मिलित हैं। यात्राएँ मन की हो, देश-दुनिया की या फिर सभ्यताओं की, मानव इतिहास की निर्मिति में इनकी बड़ी भूमिका होती है। दुनिया के जाने कितने अनजाने प्रदेश किसी ऐतिहासिक यात्रा और यायावरी के बाद ही प्रकाश में आए। झारखंड से लद्दाख तक का यह सफर ऐसी कितनी ही अनदेखी, अनजानी वीथियों का पता अपने भीतर छुपाए बैठा है। झारखंड और लद्दाख का प्राकृतिक सौंदर्य जहाँ एक तरफ सैलानियों को लुभाता है, वहीं दूसरी तरफ वहाँ की जनजातीय जीवनशैली, लोक-कलाएँ, रीति-रिवाज देश और दुनिया के दूसरे हिस्से के निवासियों के भीतर कौतूहल और संवेदनाओं के नए संसार की रचना करते हैं। रश्मि शर्मा की यायावर दृष्टि इन प्रदेशों के बाह्य सौंदर्य को किसी छायाकार की तरह सहेजती तो है ही, उस भूगोल और लोक के भीतर स्पंदित होते जीवन को उसके संपूर्ण वैभव के साथ दर्ज भी करती चलती है। कविता की तरह तरल और कथा की तरह कौतूहल से भरी ये यात्रा-छवियाँ किसी इनसाइडर की-सी सूक्ष्मता और आत्मीयता के साथ परिचित प्रदेशों के अनजान जीवन-क्षेत्रों का गहन अनुसंधान करती हैं। इस पुस्तक को पढऩा प्रकृति और जीवन की खूबसूरत जुगलबंदी सुनने जैसा है।
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