Katha Saptak - Anju Sharma
Author:
Anju SharmaPublisher:
Shivna PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 120
₹
150
Available
Description Awaited
ISBN: 9788119018345
Pages: 72
Avg Reading Time: 2 hrs
Age: 11-18
Country of Origin: India
Recommended For You
SAB SAALE MARD HAIN
- Author Name:
Sushil Choubay
- Book Type:

- Description: Collection of hindi short stories
Panchtantra Ki Kahaniyan
- Author Name:
Rampratap Tripathi Shastri
- Book Type:

- Description: पंचतंत्र की कहानियों में पांडित्य और हास्यरस का जो अपूर्व समन्वय देखने को मिलता है, उससे ज्ञात होता है कि इसका रचयिता कितना मधुर कथाकार तथा निपुण लेखक था। उसकी तीक्ष्ण बुद्धि राजनीति और कूटनीति की गुत्थियों में जितनी रमती थी, उतनी ही पाठकों तथा श्रोताओं की सहानुभूति, अभिरुचि, कल्पना एवं मनोरंजन की भावना को तुष्ट करने के लिए प्रयत्नशील रहती थी। उसने एक ऐसी कथाशैली का आविष्कार किया, जो आज के युग में भी अनुकरणीय बनी हुई है। उसकी प्रत्येक कहानी स्वयं कहानी के रूप में जितनी मनोहारिणी तथा लोकरंजक है, उतनी ही किसी धर्म-कथा, राजनीति, कूटनीति अथवा सामाजिक हित-चिन्ता का मनोहर दृष्टान्त उपस्थित करनेवाली भी है।
Kuchchi Ka Kanoon
- Author Name:
Shivmurti
- Book Type:

-
Description:
शिवमूर्ति की कहानियों का जितना साहित्यिक महत्त्व है, उतना ही समाजशास्त्रीय भी। आप उन्हें गाँव के ‘रियलिटी चेक’ के रूप में पढ़ सकते हैं। उनमें गाँव का वह सकारात्मक पक्ष भी है जिसे हम गाँव की थाती कहते हैं और वह नकारात्मक भी जो गाँव ने पुराना होते जाने के क्रम में धीरे-धीरे अर्जित किया। यथार्थ की इस समृद्धि की ओर ध्यान तब जाता है जब हम देखते हैं कि शिवमूर्ति गाँव और उनमें बसे मनुष्यों को गहन आत्मीयता देने के बावजूद इस परिवेश में व्याप्त संकट, दुख, विषमता और विसंगति को दृष्टि-ओझल नहीं होने देते। वे वहाँ व्याप्त आत्मविनाशी प्रवृत्तियों और लोकाचार के कारकों की शिनाख़्त करते हुए उन पर प्रहार करते हैं। इस तरह शिवमूर्ति की कहानियाँ ग्रामीण समाज के जातिवाद, राजनीतिक क्षरण, धर्मभीरुता, स्त्री-दमन और ताक़त की हिंसा का प्रतिपक्ष बनती हैं।
‘बनाना रिपब्लिक’ कहानी की उपलब्धि यह है कि वह दलित चेतना को उनकी मुक्ति की राह के रूप में सामने लाती है और पंचायत चुनाव की परिणति कैरेबियन देशों के ‘बनाना रिपब्लिक’ में रिड्यूस हो जाने की आशंका को निर्मूल कर देती है। मतदान प्रक्रिया का जैसा उत्खनन यह कहानी करती है वह देर तक स्तब्ध किए रहता है। ‘कुच्ची का क़ानून’ गाँव के गहरे कुएँ से बाहर जाते रास्ते की कहानी है जिसे कुच्ची नाम की एक युवा विधवा अपनी कोख पर अपने अधिकार की अभूतपूर्व घोषणा के साथ प्रशस्त करती है। वरिष्ठ आलोचक विश्वनाथ त्रिपाठी के शब्दों में, “एक भी ऐसा समकालीन रचनाकार नहीं है जिसके पास कुच्ची जैसा सशक्त चरित्र हो। यह चरित्र निर्माण क्षमता शिवमूर्ति को बड़ा कथाकार बनाती है।’’
‘ख़्वाजा ओ मेरे पीर!’ एक विरल-कथा है जिसमें स्त्री-पुरुष सम्बन्ध के एक दारुणपक्ष को रेखांकित करते हुए उस करुणा के अविस्मरणीय बिम्ब रचे गए हैं जो नागर सभ्यता में शायद ही कहीं देखने को मिलें। संग्रह की अन्तिम कहानी ‘जुल्मी’ 1970 के आसपास लिखी गई शुरुआती रचना है। इसे इस आग्रह के साथ प्रस्तुत किया जा रहा है कि पाठक देखें, उनका प्रिय कथाकार अपनी रचना-यात्रा में कहाँ से कहाँ तक पहुँचा है?
निश्चय ही ‘कुच्ची का क़ानून’ की कहानियों से गुज़रकर आप शिवमूर्ति को सूचित करना चाहेंगे कि वे एक जन्मजात कथाकार हैं जिनके होने पर कोई भी भाषा गर्व कर सकती है।
Shahar Ki Aakhiri Chidiya
- Author Name:
Prakash Kant
- Book Type:

- Description: Short Stories
Kuchh Udas Kahaniyan
- Author Name:
Pankaj Subeer
- Book Type:

- Description: Description Awaited
Chand Ke Paar Ek Chabhi
- Author Name:
Avadhesh Preet
- Book Type:

-
Description:
कोई भी विधा जितना कथ्य होती है, उससे कुछ ज़्यादा फ़ॉर्म होती है। फ़ॉर्म से ही पता चलता है कि रचनाकार ने सामाजिक के रूप में अपने समय में ख़ुद को कहाँ स्थित किया है। अवधेश प्रीत का कहानीकार अपने कथ्य को एक सन्तुलित दूरी से देखता और उसका अंकन करता है जिसके बल ही शायद उनकी कहानी भी पाठक को अपने आनन्द में डुबो लेने के बजाय एक ख़ास दूरी पर खड़ा रखकर अपने कथ्य को वस्तुगत ढंग से देखने को बाध्य करती है। इसी संग्रह में शामिल शीर्षक कहानी 'चाँद के पार एक चाभी' जाति की जड़ और विकट संरचना, उसके सम्मुख प्रेम की असहायता और असम्भवता, और साथ ही आधुनिकता के साथ जगती उम्मीदों के नए अंकुरों की कहानी है। यह कहानी आँसुओं की बाढ़ ला सकती थी, लेकिन अगर नहीं लाती और पढ़ने के बाद डूबने के बजाय चिन्ता में डाल देती तो यह उसके शिल्प के चलते है।
शिल्प का यह जादू वे भाषा के प्रयोग में ख़ास तौर पर साधते हैं। उनका क़िस्सागो दृश्य को बखानने की प्रक्रिया में चीज़ों को देखने का एक नज़रिया पाठक को देता चलता है जो गुदगुदाता भी है और कहानी के साथ-साथ पात्रों के चरित्र की रेखाओं को भी उभारना चलता है।
अवधेश प्रीत जाने-माने कथाकार हैं। लगातार पढ़े जाते रहे हैं। मनुष्यता के हामी किसी भी लेखक को समाज में जिन चीज़ों से विचलित होना चाहिए, उन सबको ईमानदारी से देखने के साक्ष्य इन कहानियों में भरे पड़े हैं।
Katha Saptak Urmila Shirish
- Author Name:
Urmila Shirish
- Book Type:

- Description: Book
Beech Bahas Mein
- Author Name:
Nirmal Verma
- Book Type:

-
Description:
बीच बहस में निर्मल वर्मा की चार चर्चित कहानियों का संकलन है। इन चारों ही कहानियों में वे सम्बन्धों की पारम्परिक भारतीय अवधारणा और पश्चिम में इन सम्बन्धों के बदलते स्वरूप का चित्रण करते हैं।
व्यक्ति की स्वतंत्रता, जीने के अपने ढंग को चुनने की आजादी, नैतिक वर्जनाओं से टकराहट, मानवीय जवाबदेही का गहरा बोध और इन सबका परस्पर संघर्ष इन कहानियों की आधारभूत भाव-भूमि है।
यह निर्मल जी का चौथा संग्रह है जिसका प्रथम प्रकाशन 1973 में हुआ था। इसमें भूमिका की तरह उनका एक संक्षिप्त आलेख भी शामिल है—‘अपने देश वापसी’। विदेश-प्रवास के उपरान्त भारत वापसी पर वे जैसे अपने समाज और परिवेश को देखते हैं उसका अत्यन्त विचारोत्तेजक विवेचन वे इसमें करते हैं। मिसाल के तौर पर ये पंक्तियाँ—“ग़रीबी और दरिद्रता में गहरा अन्तर है। भारत लौटने पर जो चीज़ सबसे तीखे ढंग से आँखों में चुभती है, वह ग़रीबी नहीं (ग़रीबी पश्चिम में भी है), बल्कि सुसंस्कृत वर्ग की दरिद्रता। एक अजीब छिछेरापन, जिसका ग़रीबी के आत्मसम्मान से दूर का भी रिश्ता नहीं।”
‘बीच बहस में’ शीर्षक कहानी पारिवारिक रिश्तों के भीतर फैलती सम्बन्धहीनता को जितनी तीव्रता के साथ रेखांकित करती है, वह विस्मयकारी है। इसी तरह अन्य कहानियाँ भी अपने-अपने परिवेश में सामाजिक यथार्थ के उस पक्ष पर प्रकाश डालती हैं, जिसका सामना तो कुछ व्यक्ति कर रहे होते हैं, लेकिन उसकी जड़ें समाज में दूर तक फैली होती है।
Shea Butter
- Author Name:
Kaifi Hashmi
- Book Type:

-
Description:
जब समय और वस्तुजगत को किसी भाषा में व्यक्त या उत्कीर्ण करने की तमाम प्रविधियाँ आजमाई जा चुकी हों और उनकी असफलताएँ हर जगह दर्ज हो रही हों, ऐसे समय में कैफ़ी हाशमी का हिन्दी कहानी के परिक्षेत्र में आना किसी महत्वपूर्ण घटना की तरह है। अवाक् और अचम्भित करनेवाली प्रामाणिक-विश्वसनीयता के साथ, भाषिक अवबोध और उसे विन्यस्त करने में सक्षम मौलिक संरचना के साथ ‘शिया बटर’, ‘कैफ़े कॉफ़ी डे’, ‘बंकर’ जैसी कहानियों का आना कहानियों की प्रचलित निरन्तरता में एक नए प्रस्थान की तरह है। जैसे किसी ट्रेन ने अपनी पटरी और यात्री ने अपना रास्ता बदल दिया हो।
पिछली सदी के एक विख्यात और हमारे भर्तृहरि जैसे भाषा-चिन्तक ने कहा था कि कोई भी भाषा असंख्य पगडंडियों की एक लम्बी और रहस्यपूर्ण सुरंग जैसी होती है। आप एक दरवाज़े से इसमें दाख़िल होते हैं, तो सब कुछ वहाँ जाना-पहचाना, स्मृतियों में पहले से ही मौजूद गली-मोहल्लों, पड़ोसियों-परिजनों, चौराहों-बाज़ारों और उनमें घूमते-टहलते पात्रों के साथ दृश्यमान होता है। सारे लैंडस्केप वही होते हैं, लेकिन अगर कहीं आप दूसरे दरवाज़े से दाख़िल हुए तो वही जगह एक ऐसे मायालोक या भूल-भुलैयाँ में तब्दील हो जाती है, जिससे बाहर निकल पाना न सिर्फ़ असम्भव-सा हो जाता है, बल्कि किसी एडिक्ट जैसे खुमार में आप वहीं रह जाना चाहते हैं, मुक्ति की किसी भी आशा और कामना को त्याग कर।
कैफ़ी हाशमी की कहानियाँ बहुत गहरी और एकाग्र संवेदना के साथ उस दुर्लभ संरचना को प्रत्यक्ष करती हैं, जहाँ बाह्य वस्तुजगत की समस्त सचल और अचल उपस्थितियाँ एक-दूसरे में पिघलती और विलीन होती हुई क़िस्से के उस जादू को पैदा करती हैं, जो पुरानी फ़ैंटसी और जादुई यथार्थवाद के बाद का जादू है। लेकिन सबसे महत्त्वपूर्ण यह तथ्य है कि ये कहानियाँ हमारे आज के ही जीवन की भयग्रस्त, मार्मिक लेकिन फिर भी ख़ुशियों, प्यार, उम्मीदों से भरी हुई टाइमलाइन की अनमोल कहानियाँ हैं।
—उदय प्रकाश
Dola Bibi Ka Mazaar
- Author Name:
Jabir Husain
- Book Type:

- Description: मैंने कब कहा कि मैं कहानियाँ लिखता हूँ। मैं तो बस अपने आसपास जो कुछ देखता हूँ, महसूस करता हूँ, वही लिखता हूँ। मेरे किरदार मेरी उन अनगिनत लड़ाइयों की खोज और उपज हैं, जो दशकों बिहार के गाँवों में लड़ी गई हैं, बल्कि आज भी लड़ी जा रही हैं। मैंने ये भी कब कहा कि मेरे पास गाँवों के दु:खों का इलाज हैं। मैं तो बस अपने किरदारों के यातनापूर्ण सफ़रनामे का एक अदना साक्ष्य हूँ। एक साक्ष्य, जो कभी अपने किरदारों की रूह में उतर जाता है, और कभी किरदार ही जिसके वजूद का हिस्सा बन जाते हैं। मैं तटस्थ नहीं हूँ। मैं तटस्थ कभी नहीं रहा। आगे भी मेरे तटस्थ होने की कोई गुंजाइश नहीं है। मैं ख़ुद अपनी लड़ाइयों का एक अहम हिस्सा रहा हूँ, आज भी हूँ। मेरी नज़र में, तटस्थता किसी भी संवेदनशील आदमी या समाज के लिए आत्मघाती होती है। मैंने झंडे उठाए हैं, परचम लहराए हैं, नारे बुलन्द किए हैं। जो ताक़तें सदियों राज और समाज को अपनी मर्ज़ी से चलाती रही हैं, उनकी बख़्शी हुई यातनाएँ झेली हैं। लेकिन अपनी डायरी के पन्ने स्याह करते वक़्त मैंने, कभी भी, इन यातनाओं को बैसाखी की तरह इस्तेमाल नहीं किया है। न ही मैंने इन्हें अपने डायरी-शिल्प का माध्यम ही बनने दिया है। अतः मैं आप से कैसे कहूँ कि इस पुस्तक में शामिल तहरीरों को आप कहानी के रूप में स्वीकारें।
Kahani Ki Talash Main
- Author Name:
Alka Saraogi
- Book Type:

-
Description:
अलका सरावगी की कहानी-यात्रा कोई आयोजित भ्रमण नहीं है, यह जानने और जताने की है कि कैसे कोई कहानी के संसार की यात्रा शुरू कर देता है तो उसे पग-पग पर कहानियाँ मिलती रहती हैं। हाँ, इस मिलने में तलाशना जुड़ा है, मिलना सहज संयोग नहीं। लेखिका को सुन्दरता और परिपूर्ण जीवन की तलाश है और उसी की तलाश में वह कहानी पा लेती है—इसमें वह ऐसी सृजनात्मकता का वरण करती है जो सहज है पर जिसमें जटिलताओं का नकार नहीं।
संग्रह की दो कहानियाँ—‘कहानी की तलाश में’ और ‘हर शै बदलती है’ समकालीन हिन्दी कहानी के ढर्रे से कुछ अलग हैं, पर वे जैनेन्द्र कुमार और रघुवीर सहाय जैसे पूर्ववर्ती लेखकों की कहानियों की भी याद दिलाती हैं। इन कहानियों को जीवन की कहानियाँ कहने को मन करता है—रोज़मर्रा की ज़िन्दगी का मतलब एक पिटी-पिटाई और ढर्रे की ज़िन्दगी नहीं होता, आख़िर हर दिन एक नया दिन भी होता है। यह एहसास कहानियाँ करवाती हैं जो निश्चय ही आज एक अत्यन्त विरल अनुभव है।
कहानियों में कुछ चरित्र-प्रधान हैं, लेकिन उनका मर्म किसी चरित्र के मनोवैज्ञानिक उद्घाटन के बजाय ‘आधुनिकतावादी’ जीवन की संवेदनहीनता और विसंगतियों को उजागर करने में ज़्यादा प्रकट है। ऐसी कहानियों में ‘आपकी हँसी’, ‘ख़िज़ाब’, ‘महँगी किताब’, ‘सम्भ्रम’ की याद आती है।
ये कहानियाँ हिन्दी कहानी की अमित सम्भावनाओं को प्रकट करती हैं और यह कोई कम बड़ी बात नहीं।
Taki Sanad Rahe
- Author Name:
Abdul Bismillah
- Book Type:

-
Description:
अब्दुल बिस्मिल्लाह उस जीवन-यथार्थ के कहानीकार हैं, जहाँ छोटी-से-छोटी इच्छा पूरी करने के लिए अथक संघर्ष करना पड़ता है। इस जीवन को व्यापक सामाजिकता के कुलीन विवरणों के बीच पहचानना एक दृष्टि-सम्पन्न रचनाकार का ही काम है। हाशिए पर चल रही सक्रियताओं को रचनाशीलता के केन्द्र में प्रतिष्ठित करते हुए अब्दुल बिस्मिल्लाह ने अपनी कहानियों को आकार दिया है।
‘ताकि सनद रहे’ अब्दुल बिस्मिल्लाह के चार कहानी-संग्रहों—'रैन बसेरा', ‘कितने-कितने सवाल’, ‘टूटा हुआ पंख’ और ‘ज़ीनिया के फूल’ में शामिल रचनाओं का समग्र है। इनमें से बहुत सारी कहानियाँ पाठकों व आलोचकों के बीच चर्चित हो चुकी हैं।
यदि हम मध्य वर्ग और निम्न वर्ग के जीवन का समकालीन यथार्थ पहचानना चाहते हैं तो इन कहानियों में क़दम-क़दम पर ठहरकर हमें ग़ौर से देखना होगा। लेखक ने सामाजिक विकास की आलोचना इस तरह की है कि स्थितियों को जीनेवाले चरित्र पाठक की संवेदना का हिस्सा बन जाते हैं। अलग से यह घोषित करने की ज़रूरत नहीं कि लेखक की प्रतिबद्धता क्या है और उसके सरोकार क्या हैं।
अब्दुल बिस्मिल्लाह की भाषा पारदर्शी है। सहज और अर्थ की त्वरा से भरी। इस सहजता की अन्विति कई बार ऐसे होती है, ‘नाले के इस पार सड़क थी और उस पार जंगल। उन दिनों जंगल का रंग इस क़दर हरा हो गया था कि वह हमेशा काले बादलों में डूबा हुआ नज़र आता था। वहाँ जो एक छोटी-सी, ऊँची-नुकीली पहाड़ी थी, वह घास के ताजिए की तरह लगती थी। उस जंगल में शाजा, सलई, धवा, हर्रा, पलाश, कुसुम और जामुन के पेड़ कसरत से भरे हुए थे। उन दिनों कुसुम के फल तो झड़कर ख़तम हो गए थे, पर जामुन अभी बचे हुए थे। हवा चलती तो काले-काले जामुन भद-भद नीचे गिरते और ऐसा लगता मानो प्यार के रस में डूबी हुई आँखें टपकी पड़ रही हों।'
वस्तुतः इन कहानियों को समग्रता में पढ़ना परिचित परिवेश में भी अप्रत्याशित यथार्थ से साक्षात्कार करने सरीखा है।
Smriti Gandh
- Author Name:
Veena Sinha
- Book Type:

-
Description:
‘ब्लर्ब’ पर छपनेवाली सम्मतियाँ अक्सर खातिरन् लिखी जाती हैं, जिनमें अमूमन तआरुफ़ और तारीफ़ की बातें रहती हैं—कोई मूल्यांकन नहीं। शायद, कहानियों की इस किताब को रस्मी तौर पर लिखी गई ऐसी सम्मति की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि इस संग्रह की कई कहानियों की अपनी औक़ात है।
अधिकतर कहानियों के कथा-कलन में बया के घोंसले जैसी संकुल और कलापूर्ण बुनावट है, जिसमें लेखिका इशारतन एक साथ कई बातें कह देती है। मानो इसकी कहानी उस चाकू या क़लमतराश की तरह है, जिसमें कई छुरियाँ एक साथ रहती हैं। ख़ासकर स्त्री-विमर्श से जुड़ी हुई कहानियाँ पठनीय हैं, जो मुनिया और अंजू जैसे चरित्रों के पक्ष में खुलकर खड़ी हैं और पुंप्रभुत्व से पीड़ित इस अलील समाज को दवा की कड़ी खुराक ही नहीं देना चाहती हैं, बल्कि उसे बेहोश किए बिना नश्तर भी लगा देना चाहती हैं। यह दूसरी बात है कि इस तासीर की कहानियों में भी कहीं-कहीं पुराने समाज के ‘सेंसर-मोरोंस’ के भय के साथ-साथ ‘प्यूडेंडा’—केन्द्रिक शब्दों व क्रियाओं के कथन से परहेज़ की झलक मिल जाती है।
अन्तर्यात्रा की ख़ास बातों को इशारों से कहने में माहिर और बर्फ़ के गाले में ‘आग’ को ढोने-सुलगानेवाली ये कहानियाँ इसलिए भी सराही जाएँगी कि घन की चोट से यथास्थिति को तोड़कर ‘अदल-बदल’ लाने की सूझ-समझ वाली हर कोशिश किसी नए ‘भिनसार’ को क़रीब लाती है।
—डॉ. कुमार विमल।
Tark ka Toofan
- Author Name:
Yashpal
- Book Type:

-
Description:
यशपाल के लेखकीय सरोकारों का उत्स सामाजिक परिवर्तन की उनकी आकांक्षा, वैचारिक प्रतिबद्धता और परिष्कृत न्याय-बुद्धि है। यह आधारभूत प्रस्थान बिन्दु उनके उपन्यासों में जितनी स्पष्टता के साथ व्यक्त हुए हैं, उनकी कहानियों में वह ज़्यादा तरल रूप में, ज़्यादा गहराई के साथ कथानक की शिल्प और शैली में न्यस्त होकर आते हैं। उनकी कहानियों का रचनाकाल चालीस वर्षों में फैला हुआ है। प्रेमचन्द के जीवनकाल में ही वे कथा-यात्रा आरम्भ कर चुके थे, यह अलग बात है कि उनकी कहानियों का प्रकाशन किंचित् विलम्ब से आरम्भ हुआ। कहानीकार के रूप में उनकी विशिष्टता यह है कि उन्होंने प्रेमचन्द के प्रभाव से मुक्त और अछूते रहते हुए अपनी कहानी-कला का विकास किया। उनकी कहानियों में संस्कारगत जड़ता और नए विचारों का द्वन्द्व जितनी प्रखरता के साथ उभरकर आता है, उसने भविष्य के कथाकारों के लिए एक नई लीक बनाई, जो आज तक चली आ रही है। वैचारिक निष्ठा, निषेधों और वर्जनाओं से मुक्त न्याय तथा तर्क की कसौटियों पर खरा जीवन—ये कुछ ऐसे मूल्य हैं जिनके लिए हिन्दी कहानी यशपाल की ऋणी है।
‘तर्क का तूफ़ान’ कहानी-संग्रह में उनकी ये कहानियाँ शामिल हैं : ‘निर्वासिता’, ‘अपनी करनी’, ‘तर्क का तूफ़ान’, ‘मेरी जीत’, ‘जन सेवक’, ‘उतरा नशा डायन’, ‘सोम का साहस’, ‘होली नहीं खेलता’, ‘क़ानून’, ‘जादू के चावल’, ‘औरत’, ‘भाषा’, ‘पर्दा’, ‘रजा’ और ‘तर्क का फल’।
Thumari
- Author Name:
Phanishwarnath Renu
- Book Type:

-
Description:
अमर कथाशिल्पी फणीश्वरनाथ रेणु के उपन्यास अगर लोकजीवन के महाकाव्य हैं, तो उनकी कहानियाँ अविस्मरणीय कथा-गीत। ये मन के अछूते तारों को झंकृत करती हैं। इनमें एक अनोखी रसमयता और एक अनोखा सम्मोहन है।
‘ठुमरी’ में रेणु की नौ अतिचर्चित कहानियाँ संगृहीत हैं। इन कहानियों में जैसे कथाकार ने अपने प्राणों का रस घोल डाला है। इन्हें पढ़ते-पढ़ते कोमलतम अनुभूतियाँ अपने-आप सुगबुगा उठती हैं। चाहे वह ‘रसप्रिया’ या ‘लाल पान की बेगम’ हो, या ‘तीसरी क़सम’—इस संग्रह की लगभग हर कहानी मन पर अपनी कभी न मिटनेवाली छाप छोड़ जाने में समर्थ है।
‘ठुमरी’ की कहानियाँ जीवन की सहज लय को मोहक सुरों में बाँधने का कलात्मक प्रयास हैं। इनमें पीड़ा और अवसाद की अनुगूँजें हैं, आनन्द और उल्लास के मुखरित कलरव-गान हैं।
‘ठुमरी' की कहानियाँ एक समय-विशेष की पहचान हैं। जीवन की एक विशिष्ट लयधारा इनमें पूरी प्राणमयता से प्रवाहित है।
Kala Sona
- Author Name:
Dr. Renu Yadav
- Book Type:

- Description: collection of seven brilliant stories
Sampoorna Balrachanayen
- Author Name:
Amritlal Nagar
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Pratiroop
- Author Name:
Manoj Kumar Pandey
- Book Type:

-
Description:
प्रतिरूप मनोज कुमार पांडेय का पाँचवाँ कहानी-संग्रह है। इस संकलन में मौजूद सभी कहानियाँ अपने आपको अलग-अलग ढंग से कहती हैं। स्मृति, स्वप्न, फंतासी, स्वगत, एकालाप, इन सभी विधियों से उन्होंने जीवन के कुछ विशिष्ट क्षणों को पकड़ा है। बचपन का चित्रण इस संग्रह की एकाधिक कहानियों में हुआ है; और वह सचमुच ही हम सबकी स्मृतियों के इस मूल्यवान खंड को आलोकित कर जाता है। ‘खेल’ और ‘बिच्छू’ इस लिहाज से बेहद सशक्त कहानियाँ हैं।
प्रेम को महसूस करने और एक रचनाकार की हैसियत से उसे शब्द देने की कला उनके पास अनुपम है। इस संग्रह में शामिल ‘पुरइन की ख़ुशबू’ जितनी कहानी है, उससे ज्यादा कविता है जो गन्ध की तरह हमारे अनुभव का हिस्सा हो जाती है। इसी तरह ‘पैर’ शीर्षक कहानी भी, जो प्रेम के एहसास को संवेदना के एक अपेक्षाकृत वयस्क इलाक़े में लेकर जाती है। दरअसल, कवि-कथाकार मनोज पांडेय ने कविता और कहानी दोनों ही विधाओं में अपनी एक निजी भाषा विकसित की है। कहानी की बात करें तो भाषा के साथ विभिन्न कथा-प्रविधियों में काम लेने की भी उनमें अद्भुत क्षमता है।
‘जेबकतरे का बयान’ और ‘तितलियाँ’ भी ग़ैर-पारम्परिक इलाकों में देखने की उनकी ललक को दर्शाती हैं जिनमें उन्होंने सभ्य समाज की निगाह में अपराधी माने जाने वाले लोगों के मन में झाँकने की कोशिश की है। समकालीन समय की राजनीतिक, सामाजिक और पेशागत कई चुनौतियों को सम्बोधित कहानियाँ भी इस संग्रह में शामिल हैं जो हमारे समय की भयावहताओं को अलग-अलग ढंग से रेखांकित करती हैं।
एक पठनीय कथा-संग्रह!
Pratinidhi Kahaniyan : Sanjeev
- Author Name:
Sanjeev
- Book Type:

- Description: संजीव ऐसे अकेले हिन्दी कथाकार हैं जो अपने कथानकों में तथ्यात्मक ‘एक्यूरेसी’ पर किसी समाजशास्त्री की तरह ध्यान देते हैं, उनके लिए शोध करते हैं और उन्हें पात्रों के जीवन्त अनुभव का हिस्सा बनाकर कहानी में लाते हैं। महत्त्वपूर्ण यह कि इस प्रक्रिया में न कहीं उनकी भाषा डगमगाती है, न ही कहानी का खाका असन्तुलित होता है। उनकी कहानियों को पढ़ना जैसे एक सचमुच के समाज को सीधे-सीधे देखना है, उसके प्रामाणिक स्वरूप में। उसकी सामाजिक-राजनीतिक तमाम प्रक्रियाओं के साथ। प्रामाणिकता उनकी विशेषता है जो उनकी भाषा में भी दिखाई देती है। देशज और आंचलिक भाषाओं के शब्दों, वाक्यों का प्रयोग करते हुए भी वे उतने ही सजग रहते हैं जितने कथा-परिवेश से सम्बन्धित अन्य कारकों को कहानी में अंकित करते हुए। उनके अनुभव संसार की परिधि भी आश्चर्यजनक हद तक व्यापक रही है जिसे वे मनुष्यता के गहरे सरोकारों से एक रचनात्मक अन्विति देते हैं। उनके यहाँ न कहीं बिखराव है, न भटकाव, न विचार के स्तर पर, न ही शिल्प के स्तर पर। उनकी कहानियों को केवल रसास्वाद के लिए नहीं, एक अध्ययन की तरह पढ़ा जाता है जिनसे हमारी संवेदनात्मक गहराई के साथ-साथ हमारा ज्ञानात्मक वलय भी विस्तृत होता है।
The Best Stories of Mohapatra Nilamani Sahoo
- Author Name:
Guruprasad Mohapatra +1
- Book Type:

- Description: The Best Stories of Mohapatra Nilamani Sahoo: This book is a translation of Mohapatra Nilamani Sahoo's short stories, written in his inimitable style. The stories, originally written in Odia, were truly representative of Odia culture and traditions; the narrative is unique and deeply emotional and carries the readers with the flow. This volume is a specimen of Mohapatra Nilamani Sahoo's short stories for the wider readership
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...