Parmanu Vigyan Ke Badhte Charan
Author:
Gunakar MuleyPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Science0 Reviews
Price: ₹ 316
₹
395
Available
परमाणु, जीवन का भी स्रोत हो सकता है, और विनाश का भी। मनुष्य ने उसे ऊर्जा के उत्पादन के लिए प्रयोग किया है तो बमों के रूप में इस ऊर्जा का विनाशकारी संचयन भी किया है जो एक ही बार में समूची पृथ्वी और जीव-जगत को नष्ट कर सकता है।
विज्ञान-लेखक गुणाकर मुळे की यह पुस्तक परमणु की खोज, उसके इतिहास और संभावनाओं के बारे में तथ्यपरक जानकारी देते हुए उन सवालों पर भी विचार करती है जो परमाणु के ग़ैर जिम्मेदार इस्तेमाल के सन्दर्भ में हमारी स्थायी चिन्ता बने हुए हैं। विश्व के मौजूदा हालात को देखते हुए आज यह और भी ज़रूरी हो गया है कि 'परमाणु क्या है' से लेकर 'परमाणु क्या कर सकता है' तक के सभी पहलुओं की जानकारी बतौर एक जिम्मेदार नागरिक हमारे पास हो।
यह पुस्तक यही करती है। न सिर्फ़ परमाणु, बल्कि उसकी आन्तरिक संचरना के बारे में अब तक की खोजों की विस्तृत पड़ताल करते हुए उन वैज्ञानिकों के बारे में यहाँ हमें पर्याप्त सूचनाएँ प्राप्त होती है जिन्होंने इस पर काम किया। भारत के प्राचीन ऋषि कणाद को भी मुळे जी चिन्तकों की उसी परम्परा में मानते हैं। उनका नाम ही 'कणाद' इसलिए पड़ा था कि उन्होंने सबसे पहले यह कल्पना की थी कि संसार का सब कुछ अत्यन्त छोटे-छोटे कणों से निर्मित है।
छात्रों और सामान्य पाठकों के लिए सरल और सुग्राह्य भाषा में लिखित यह पुस्तक परमाणु विज्ञान की वृहत्तर समझ प्रदान करती है।
ISBN: 9788119028191
Pages: 104
Avg Reading Time: 3 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: पाश्चात्य देशों के वैज्ञानिकों के बारे में अंग्रेज़ी तथा भारतीय भाषाओं में काफ़ी साहित्य उपलब्ध है। इन वैज्ञानिकों के बारे में स्कूल-कॉलेजों के अध्यापकों से भी विद्यार्थियों को थोड़ी-बहुत जानकारी मिल ही जाती है, पर खेद की बात है कि अपने देश के चरक, सुश्रुत, आर्यभट तथा भास्कराचार्य जैसे चोटी के वैज्ञानिकों के बारे में हमारे विद्यार्थियों को नहीं के बराबर जानकारी है। विद्यार्थियों और सामान्य पाठकों को दृष्टि में रखकर प्रस्तुत पुस्तक में प्राचीन भारत के दस वैज्ञानिकों का संक्षिप्त परिचय दिया गया है। इन वैज्ञानिकों के ग्रन्थ तो प्राप्त हैं, किन्तु इनके जीवन के बारे में हमें ठोस जानकारी नहीं मिलती। मूल ग्रन्थ संस्कृत भाषा में होने से प्रस्तुत पुस्तक की सीमा में विषयों की विशद व्याख्या सम्भव नहीं थी, इसके बावजूद यह पुस्तक प्राचीन भारत के विज्ञान एवं वैज्ञानिकों का प्रारम्भिक परिचय कराने में बहुत ही उपयोगी सिद्ध होती है।
Jyotish Vikas, Prakar Aur Jyotirvid
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Gunakar Muley
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- Description: ज्योतिष शब्द का नाम आते ही हमारा ध्यान भाग्यफल या फलित ज्योतिष की ओर जाता है। आज टी.वी. चैनलों और अख़बारों में ज्योतिष विद्या और ज्योतिषियों की बाढ़ आई हुई है। लोग सड़क पर, मन्दिर में बैठे ज्योतिषियों से अपने भविष्य और भाग्य का पता लगाते रहते हैं। इस तरह लोक-व्यवहार में, ज्योतिष का अर्थ हो गया है—फलित ज्योतिष, यानी ग्रह-नक्षत्रों के शुभाशुभ फल बतानेवाली विद्या। परन्तु आरम्भ में इस शब्द का यह अर्थ नहीं था। वस्तुत: ज्योतिष खगोल विज्ञान का हिस्सा है। यह सूर्यादि ग्रह और काल का बोध करानेवाला शास्त्र है। आदिमानव से लेकर आज तक मानव को काल-ज्ञान, स्थिति-ज्ञान और दिशा-ज्ञान की जिज्ञासा रही है। उसने इसी जिज्ञासा के समाधान के लिए प्रयत्न किया और इसी से ज्योतिष का उदय हुआ। आकाशीय ज्योतियों अर्थात् सूर्यादि नक्षत्रों तथा ग्रहों आदि की गतियों को जानना और उनकी गणना करना मुख्य रूप से इसके अन्तर्गत आता है। गुणाकर मुळे स्वयं खगोल विज्ञान के विद्यार्थी थे। नक्षत्रों और ग्रहों के बारे में उन्होंने गहन अध्ययन किया था। उन्होंने 'ज्योतिष : विकास, प्रकार और ज्योतिर्विद्’ पुस्तक में ज्योतिष के विकास-क्रम पर तो प्रकाश डाला ही है, ज्योतिष के वैज्ञानिक और तार्किक पक्ष को भी उभारा है। उन्होंने इस पुस्तक में यह भी स्थापित किया है कि फलित ज्योतिष अवैज्ञानिक और अभारतीय है।
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