Bahudha aur 9/11 ke baad ki dunia

Bahudha aur 9/11 ke baad ki dunia

Language:

Hindi

Pages:

419

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

838 mins

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Book Description

इधर आतंकवाद और पुनरुत्थानवाद के उदय के कारण वैश्विक राजनीति में कुछ अहम परिवर्तन आए हैं। ये अभूतपूर्व चुनौतियाँ विश्व के नेताओं से एक नई, साहसी और कल्पनाशील राजनीति की माँग कर रही हैं। शान्ति की सदियों पुरानी तकनीकों से ऊपर उठने और विमर्श की हमारी भाषा की पुनर्रचना करने की ज़रूरत को रेखांकित करते हुए यह पुस्तक ‘बहुधा’ की अवधारणा को प्रस्तुत करती है; ‘बहुधा’—यानी एक शाश्वत सचाई, एक सातत्य; शान्तिपूर्ण जीवन और सौहार्द का संवाद। यह अवधारणा बहुजातीय समाजों और बहुवाद के अन्तर को बताती है, वैचारिक आदान-प्रदान की गुंजाइश देती है और सामूहिक कल्याण की समझ को प्रोत्साहित करती है।</p> <p>पुस्तक को पाँच भागों में विभाजित किया गया है। पहले भाग में 1989 से 2001 की अवधि में घटी घटनाओं और विभिन्न देशों, संस्कृतियों और अन्तरराष्ट्रीय शान्ति पर पड़े उनके प्रभावों पर विचार किया गया है। मसलन—बर्लिन की दीवार का गिरना, हांगकांग का चीन में जाना और सितम्बर 11 को अमेरिका में हुआ हमला। दूसरे भाग में वेदों और पुराणों के उदाहरणों और अशोक, कबीर, गुरु नानक, अकबर व महात्मा गांधी की नीतियों के विश्लेषण के द्वारा बहुवादी चुनौतियों से निबटने के भारतीय अनुभवों को परखा गया है।</p> <p>आगे के भागों में लेखक ने ‘बहुधा’ को सामूहिक सौहार्द की एक नीति के रूप में रेखांकित करते हुए विश्वस्तर पर इस दृष्टिकोण के अनुकरण पर विचार किया है। एक सद्भावनापूर्ण समाज की रचना के लिए लेखक शिक्षा और धर्म की भूमिका को केन्द्रीय मानते हैं और वैश्विक विवादों को हल करने के लिए संयुक्त राष्ट्रसंघ को शक्तिशाली बनाने की वकालत करते हैं।</p> <p>लेखक की मान्यता है कि आतंकवाद का जवाब मानवाधिकारों के सम्मान और विभिन्न संस्कृतियों और मूल्य-व्यवस्थाओं के सम्मान में छिपा है। शान्तिपूर्ण विश्व के निर्माण के लिए, आवश्यक संवाद-प्रक्रिया को आरम्भ करने के लिए यह ज़रूरी है।</p> <p>कई-कई विषय-क्षेत्रों में एक साथ विचरण करनेवाली यह कृति विद्यार्थियों, विद्वानों और इतिहास, दर्शन, राजनीति तथा अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धों के शोधार्थियों के लिए समान रूप से रुचिकर साबित होगी।

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