Sukh Ko Bhi Dukh Hota Hai
Author:
Shruti KushwahaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
श्रुति की कविता का मानवीकरण किया जाए तो वह दिखेगी कच्ची लकड़ी के धुएँ से घिरी उस स्त्री की तरह जो जीवन का बुझता चूल्हा पूरे प्राणपण से फूँके जा रही है। कभी इधर से उचकुन लगाती, कभी उधर से यानी कभी इस ध्रुवान्त से, कभी उस ध्रुवान्त से और अन्त में उसकी धौंकनी देखती है कि आग तो दोनों ध्रुवान्तों के बीच से निकलती ऊर्ध्वमुखी हुई जा रही है। न इस अतिरेक में, न उसमें बल्कि उस सम्यक् दृष्टि में जो बुद्ध और गांधी की है : ‘जिन्होंने दुख दिया/उनके लिए अतिरिक्त उदार’, ‘जब भी मिलूँ ख़ुद से, आँखें नीची न हों’, ‘छोड़ना सबसे आसान हो जब, तब रोक लेना उसे’, ‘कड़वी बात निगल जाएँ बुख़ार की गोली की तरह’—इस तरह के कई आप्त वाक्य मिलेंगे इस संग्रह में जो यह सिद्ध करते हैं कि वैयक्तिक नैतिकता में इनकी आस्था है और ये बख़ूबी समझती हैं कि स्वयं में आचरणगत परिवर्तन घटित किए बिना कोई स्थायी परिवेशगत परिवर्तन असम्भव है।
इस महीन प्रज्ञा पारमिता के बिना जीवन का गम्भीर सत्य अदेखा ही छूट जाता है—‘माँ की कोख’ और ‘पेड़ की जड़ों’ की तरह। जो भी ‘बत्तीस दिसम्बर’ को घटना है, यानी कि कभी नहीं घटना, उस बदलाव में और जो ‘रेगुलेटर’ से मौसम सँवारता है, उस परिवर्तन में कवि की आस्था नहीं है। वह हैरान है यह देखकर कि दुनिया ने चकित होना छोड़ दिया है, जबकि उसके लिए तो प्रकृति से निःशब्द ध्वनियाँ सीखने का सिलसिला ख़त्म ही नहीं होता। तभी तो उसके लिए पूरी पृथ्वी ही प्रेमपत्र है। वाक् संयम और कुछ प्रसिद्ध कविताओं से अन्तःपाठीय संवाद इस संग्रह को एक अलग खनक देते हैं।
—अनामिका
ISBN: 9789360868079
Pages: 152
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: हूँ न मैं हूँ धीरे-से इतना बस / थकी हुई चिड़िया से कहता है / पानी में फूला हुआ दाना।अनुभूति के बहुस्तरीय सच को कविता में पूरा-पूरा कह सकने वाली, हमारे समय की समर्थ कवि अनामिका की प्रेम कविताओं का यह संग्रह ‘आपै आपन पार’ प्रेम का जैसे एक सम्पूर्ण पाठ है। ‘लरिकाई को प्रेम’ से चलकर ‘वार्धक्य में प्रेम की दस्तक’ और घनानंद से लेकर आज के तकनीक-समृद्ध समय तक फैला प्रेम का यह आख्यान प्रेम के अनेक पड़ावों से गुज़रता है और जीवन के इस आधारभूत तत्त्व को हिंसाओं और अतिक्रमणों की दलदल से निथारकर हमारे सामने मूर्त करता है, जिस दलदल और जिस शोर को हमने शायद प्रेम की चुनौती से भागने के लिए ही रचा है। प्रेम जो अगर बुलाता है, तो परीक्षा भी लेता है, कसौटी भी बनता है प्रेमी के समर्पण की, उसकी; सीमाओं को बताते हुए, कहते हुए कि और बड़े होकर आओ; और परिष्कृत, और ज्यादा मनुष्य। वह चाहता है कि मनुष्य विभाजनों से ऊपर उठे, समाज के भी और मन के भी। इन कविताओं में प्रेम की पीड़ा भी है, आकांक्षा भी है, लोक और साहित्य में रची-बसी प्रेम की छवियाँ भी हैं, परम्परा और आधुनिकता के बीच जो पुल प्रेम बनाता है, वह भी है। कहना अतिशयोक्ति न होगी कि ‘आपै आपन पार’ से गुज़रना प्रेम के एक समूचे अनुभव से गुज़रना है और उसके विमर्श से भी। कविताओं के साथ इस पुस्तक में प्रेम-कविता को लेकर एक ‘उपरान्त कथन’ भी है जो हिन्दी और विश्व-साहित्य में प्रेम की अभिव्यक्ति पर विहगावलोकन करते हुए प्रेम के सूक्ष्म का अन्वेषण समय और भूगोल के एक बड़े वृत्त में करता है|
Kabeer Bani
- Author Name:
Ali Sardar Zafari
- Book Type:

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Description:
हमें आज भी कबीर के नेतृत्व की ज़रूरत है, उस रोशनी की ज़रूरत है जो इस सन्त सूफ़ी के दिल से पैदा हुई थी। आज दुनिया आज़ाद हो रही है। विज्ञान की असाधारण प्रगति ने मनुष्य का प्रभुत्व बढ़ा दिया है। उद्योगों ने उसके बाहुबल में वृद्धि कर दी है। मनुष्य सितारों पर कमन्दें फेंक रहा है। फिर भी वह तुच्छ है, संकटग्रस्त है, दुःखी है। वह रंगों में बँटा हुआ है, जातियों में विभाजित है। उसके बीच धर्मों की दीवारें खड़ी हुई हैं। साम्प्रदायिक द्वेष है, वर्ग-संघर्ष की तलवारें खिंची हुई हैं। बादशाहों और शासकों का स्थान नौकरशाही ले रही है। दिलों के अन्दर अँधेरे हैं। छोटे-छोटे स्वार्थ और दंभ हैं जो मनुष्य को मनुष्य का शत्रु बना रहे हैं। जब वह शासन, शहंशाहियत और प्रभुत्व से मुक्त होता है तो ख़ुद अपनी बदी का ग़ुलाम बन जाता है। इसलिए उसको एक नए विश्वास, नई आस्था और नए प्रेम की आवश्यकता है जो उतना ही पुराना है जितनी कबीर की आवाज़ और उसकी प्रतिध्वनि इस युग की नई आवाज़ बनकर सुनाई देती है।
—भूमिका से
Pakistani Urdu Shayari Vol. 3
- Author Name:
Narendra Nath
- Book Type:

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Description:
भारत के मुक़ाबले पाकिस्तान में रचनाकारों के सामने कहीं ज़्यादा चुनौतियाँ रही हैं। ‘पाकिस्तानी उर्दू शायरी’ शृंखला के सम्पादक इस तथ्य को रेखांकित करते हुए कहते हैं कि हिन्दुस्तान में जिस विद्रोह को हेडलाइन बनाया जा सकता है, पाकिस्तान में उसी विद्रोह को वर्ग पहेली के गुप्तार्थों की तरह रचना में छिपाया जाता है। इसलिए वहाँ के लेखकों-शायरों ने अपने तर्ज़े-बयाँ को ऐसे तराशा है कि जो कहना था, वह तो कहा ही गया, उससे कविता का मेयार भी उठा।
‘पाकिस्तानी उर्दू शायरी’ शीर्षक यह शृंखला और इसमें शामिल रचनाएँ बताती हैं कि उधर के शायरों ने अपनी राजनीतिक चुनौतियों का सामना करते हुए कैसे अपनी कहन को और ज़्यादा असरदार, ज़्यादा मारक और अचूक बनाया है।
इनमें से अनेक नाम हिन्दी पाठक के लिए नये होंगे, क्योंकि ऐसे लोग कुछ ही हैं जिनकी रचनाएँ हिन्दी लिप्यंतरण में इधर आईं और मक़बूल हुईं। इस शृंखला का उद्देश्य ही दरअसल पाकिस्तान के उन शायरों को हिन्दी समाज तक पहुँचाना है जिन्होंने बहुत अच्छा लिखा है, लेकिन जो अभी तक किसी हिन्दी संकलन में नहीं आ पाए।
यह शृंखला और इसमें शामिल रचनाएँ यह भी बताती हैं कि बँटवारे के बावजूद भारत और पाकिस्तान का आधारभूत ‘ईथॉस’ एक ही है; कितने शे’र, कितनी नज़्में बिना बाधा के अपने बिम्बों और रूपकों के साथ हमारी अपनी कविताओं के साथ आ बैठती हैं। इस खंड में बारह शायरों की ग़ज़लें, नज़्में और फुटकर शे’र शामिल हैं।
Indraprasth Ke Kash-Pushp
- Author Name:
Kantesh Mishra
- Book Type:

- Description: भले हम किसी की आशाओं में न हों। हम हों हर प्रकार से बहिष्कृत विकल्प। हमारी प्रार्थना में किसी एक का भी होना, पृथ्वी पर प्रेम की सम्भावना, प्रबल बनाता है। -इसी पुस्तक से
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