Beautiful Poem (Series-3)
Author:
Dr.Sanjay RoutPublisher:
ISL PUBLICATIONSLanguage:
EnglishCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 170
₹
200
Available
This book is not just a collection of poems, but it is also a platform for young artists to showcase their talent. The beauty and grace of these poems will touch the hearts of readers, who are sure to appreciate the sense of optimism and pride that these young writers have imbibed in their words.
ISBN: 8222665224
Pages: 79
Avg Reading Time: 3 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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Description:
इक़बाल की फ़ारसी मसनवी ‘अस् रारे ख़ुदी’ (ख़ुदी या अहम् के रहस्य) एक दार्शनिक कविता है, जिसे ख़ुदी या अहम् (Ego) अथवा आत्मन् (Self) के अर्थ, उसकी यथार्थता, अभिपुष्टि एवं स्थिरता का एक प्रकार का उपनिषद् कहा जा सकता है। यह कविता जगत् विषयक संकल्पना से प्रेरित होती है तथा अस्तित्व के महानाटक में मानवीय अहम् (Human Ego) या मानवीय आत्मशक्ति तथा उससे उद्भूत चारित्रिक एवं नैतिक गुणों की भूमिका का निरूपण करती है। कवि की भावप्रवणता तथा उस भावप्रवणता की सशक्त और प्रभावकारी अभिव्यक्ति की शैली इस दार्शनिक एवं तत्त्वमीमांसीय कविता को उच्चतर कविता के अवस्थान का अधिकारी बना देती है। स्पष्टतया यह एक विचार-प्रधान कविता है और कवि के विचार हृदयानुभूत हैं तथा उनकी अभिव्यक्ति प्रांजल एवं वाग्मितापूर्ण भाषा तथा उदात्त एवं मनोरम शैली में हुई है। प्रथम विश्वयुद्ध आरम्भ होने के एक वर्ष बाद 1915 में इसका प्रकाशन विश्व-साहित्य की एक अभूतपूर्व घटना थी, क्योंकि इसके पूर्व इस विषय को एक अनूठे अन्दाज़ में उदात्त काव्यात्मक अभिव्यक्ति प्रदान करने का उदाहरण विश्व-साहित्य में नहीं मिलता। प्रकाशित होते ही यह कविता फ़ारसी में क्लासिक बन गई तथा 1920 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध प्राच्यविद् प्रो. निकल्सन के अंग्रेज़ी अनुवाद के फलस्वरूप यह यूरोप व अमेरिका के पाठकों की पहुँच में आ गई। इसे विश्व-साहित्य की एक महान उपलब्धि क़रार देते हुए प्रसिद्ध अमेरिकी कवि, समालोचक तथा आधुनिक कला के दार्शनिक हर्बट रीड (Herbert Read) ने टिप्पणी की कि यह कविता ‘‘धारणाओं के नानात्व में से आस्था के एकत्व तथा विचारधाराओं के गुह्य तर्क में से एक वैश्विक स्फूर्ति का सृजन करती हुई अपनी सुन्दरता में आधुनिक दर्शन की आधारभूत अवस्थाओं को प्रतिबिम्बित करती है।’’ आख्यानों का प्रयोग वृत्तान्त में पाठकों की दिलचस्पी बनाए रखता है तथा कविता को सजीवता प्रदान करता है। ‘अस् रारे ख़ुदी’ की रचना के साथ फ़ारसी शाइरी में इक़बाल ने एक नए दबिस्तान (School) और तर्ज़ की नींव डाली, जिसे आजकल ईरानी विद्वान ‘सब्के इक़बाल’ अर्थात् ‘इक़बालीय शैली’ (Iqbalian Style) कहते हैं।
इक़बाल के काव्य और चिन्तन के अनुशीलन के लिए ‘अस् रारे ख़ुदी’ मूलाधारात्मक है।
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