
Seven Leaves One Autumn
Author:
Sukrita Paul KumarPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 156
₹
195
Available
Awating description for this book
ISBN: 9788126721108
Pages: 160
Avg Reading Time: 5 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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—केदारनाथ सिंह
Kavi Man Jani Man :Aadivasi Stri Kavitayen
- Author Name:
Vandana Tete
- Book Type:
- Description: वासी जनी (स्त्री) मन का धरातल बिलकुल दूसरी तरह का है। आदिवासियत के दर्शन पर खड़ा। समभाव जिसकी मूल प्रकृति है। प्राकृतिक विभेद के अलावा जहाँ इनसान अथवा सत्ता द्वारा कृत्रिम रूप से थोपा हुआ कोई दूसरा भेद नहीं है। हालाँकि कुछ बन्दिशें हैं, परन्तु सामन्ती क्रूरता और धार्मिक आडम्बरों के क़िले में आदिवासी स्त्री बिलकुल क़ैद नहीं है। ‘कवि मन जनी मन’ संकलन में वृहत्तर झारखंड के आदिवासी समुदायों की स्त्री-रचनाकारों की कविताएँ शामिल हैं। कवियों में से एक या दो को छोड़कर प्राय: सभी अपनी-अपनी आदिवासी मातृभाषाओं में लिखती हैं। परन्तु संकलन में शामिल कविताएँ मूल रूप से हिन्दी में रची गई हैं। कुछ का हिन्दी अनुवाद है जिसे कवयित्रियों ने स्वयं किया है। हिन्दी में आदिवासी स्त्री-कविताओं का मूल या अनुवाद लाना इसलिए ज़रूरी लगा कि यह समझ बिलकुल साफ़ हो जाए कि नसों में दौड़नेवाला लहू चाहे कितनी पीढ़ियों का सफ़र तय कर ले, अपना मूल स्वभाव नहीं छोड़ता। यानी रचने का, गढ़ने का और बचाने का स्वभाव। अपने लिए ही नहीं बल्कि सबके लिए सम्पूर्ण समष्टि की चिन्ता का स्वभाव। पहाड़ी नदी की तरह चंचल, पोखरे की तरह गम्भीर, घर के बीचोंबीच खड़ा मज़बूत स्तम्भ या कि आर्थिक-सांस्कृतिक पौष्टिकता लिये महुआ-सी महिलाएँ अपने समुदाय की रीढ़ हैं। ठीक वैसे ही उनका लेखन है। वे अपनी कविताओं से विमर्श करती हैं। उनके विमर्श में वर्चस्व की आक्रामकता नहीं बचाव के युद्धगीत हैं। और है रचने का दुर्दम्य आग्रह जिसका सबूत यह संकलन
Kavitavali (Tulsidass Kart)
- Author Name:
Tulsidass
- Book Type:
-
Description:
गोस्वामी तुलसीदास का सम्पूर्ण जीवन और कृतित्व राम के प्रति समर्पित और राममय था। यद्यपि ‘कवितावली’ तुलसी के मुक्तक पदों का संग्रह है, किन्तु इसमें राम के बालरूप से लेकर राम के सभी रूपों की झाँकी है। तुलसी के अतिप्रिय राम सम्बन्धित मार्मिक प्रसंग भी इन मुक्तकों में मिलते हैं। ‘कवितावली’ तुलसीदास की ऐसी कृति है जिसमें उनका व्यक्तित्व राम-महिमा के साथ देश-काल से तादात्म्य करता हुआ एक संघर्षशील सर्जनात्मक, लोकमंगलाकांक्षी भक्त के रूप में प्रकट होता है। इस काव्य में रामचरित और उनसे सम्बद्ध चरित्रों की तथा उनके चरित्र की महिमा का आख्यान तो है ही, इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उन स्थानों, उन तत्त्वों के भी सम्बन्ध में तुलसीदास स्पष्ट प्रकट होते हैं जो उनके जीवन में गुण-धर्म के समान समा गए हैं और जो उनके व्यक्तित्व को प्रकट करते हैं। तुलसीदास के महान व्यक्तित्व के पीछे देश-काल को देखने की उनकी जो सर्जनात्मक दृष्टि है, उसका भी हमें इसमें ज्ञान प्राप्त होता है।
तुलसीदास जी केवल द्रष्टा ही नहीं कर्मजयी स्रष्टा भी हैं और उनकी जीवन-गति में जो अवरोध समाज के सम्मुख आते हैं, उनसे संघर्षकर्ता तथा अजेय योद्धा के रूप में भी ‘कवितावली’ में अपने को प्रकट करते हैं। जाति-पाति के बन्धन से मनुष्य के व्यक्तित्व को ऊँचा उठाने का आह्वान भी ‘कवितावली’ में है। ‘कवितावली’ के भीतर उनकी उन मान्यताओं की भी प्रभा है, जिनके कारण उन्हें लोग समवन्यवादी मानते हैं। लोक में प्रचलित और प्रिय कवित्त, सवैया और छप्पय की पद्धति अपनाकर तुलसी ने राम के विभिन्न रूपों की राममय रचना की है। उनके आदर्श राम थे और उनका सम्पूर्ण कृतित्व राममय था। उन्होंने मुक्तक मणि के रूप में इसे प्रचारित किया। ‘कवितावली’ में रामचरित के स्फुट मुक्तक संगृहीत हैं। इनका संयोजन और सम्पादन तुलसी के समय में ही हो चुका था। बालकांड से लेकर उत्तरकांड तक के रामचरितमानस के अनुरूप सातों कांड कवितावली में भी हैं। इन चार सौ पचीस पदों की विशेषता और रामचरितमानस से इनकी विभिन्नता यही है कि ये सभी मूलक छन्द हैं। कवितावली में ‘हनुमान बाहुक’ स्वतंत्र रूट-रचना है। तुलसी के जीवन से सम्बद्ध अनेक रचनाएँ भी कवितावली में हैं। उन्होंने हनुमान की अपनी आराधना को भी इस रचना में स्थान दिया है।
तुलसी के सम्पूर्ण जीवन-काल की स्फुट रचनाओं को सुधाकर पाण्डेय जी ने इस ग्रन्थ में संगृहीत किया है। छात्रों की सुविधा के लिए शब्दार्थ, भावार्थ और पदों की विशिष्टता और विशेषता को भी उन्होंने इस ग्रन्थ में प्रस्तुत किया है। इससे यह ग्रन्थ छात्रों के लिए अतिमहत्त्वपूर्ण तथा उपयोगी बन गया है।
Kashtiyon Wala Safar
- Author Name:
Satyamohan Verma
- Book Type:
-
Description:
सत्यमोहन की कविताएँ दो स्तरों पर विकसित होती हैं—एक सामाजिक अनुभूति और दूसरा व्यक्तिगत द्वंद्व। उनकी कविताओं का शिल्प बहुत सुगठित है। उनके प्रयोग नई कविताएँ और नवगीत की भावभूमि पर ले जाते हैं।
—दिनकर सोनवलकर
सघन वैचारिकता और आकांक्षा सत्यमोहन की रचनाओं की अपनी ख़ासियत है। इनमें आस्थामय सम्भावनाएँ हैं और जीवन की रंगोली सजाने की कोशिश है। सत्यमोहन का कवि यथार्थ की क्रूरताओं से वाक़िफ़ है और प्रकृति के सहज चित्रों से तन्मयता से आबद्ध। वह सजग अभिव्यक्ति का धनी है।
—डॉ. संतोष कुमार तिवारी
सत्यमोहन वर्मा कविताओं के बनते-बदलते तेवरों के न केवल साक्षी हैं—उनका उनमें रचनात्मक हस्तक्षेप भी है। उन्होंने यथेष्ट लिखा है और अभी भी अनन्त अनकहे के धनी हैं। असन्तोष से उपजा उन्मेष उनकी कविताओं और ग़ज़लों में प्रभावी अभिव्यक्ति बन गया है।
—प्रो. सरोज कुमार
सत्यमोहन और उनकी रचनाओं की पूरी बनावट प्यार से प्यार तक की अनन्त यात्रा है। उनकी कविताएँ, गीत, ग़ज़लें विराट होने का दम नहीं भरतीं किन्तु इनमें अनेक स्वर और रंग हैं जिनकी ताज़गी मन को छूती है।
—डॉ. प्रभात कुमार भट्टाचार्य
Navin
- Author Name:
Gopal Singh 'Nepali'
- Book Type:
- Description: हिन्दी कविता को जनमानस तक पहुँचाने में गोपाल सिंह नेपाली का अद्वितीय योगदान है। -हरिवंशराय बच्चन ‘हम राजनीति में नौजवान और साहित्य में बूढ़े एक साथ नहीं बने रह सकते’—इस कविता-संग्रह ‘नवीन’ की भूमिका में गोपाल सिंह नेपाली यह उल्लेखनीय वक्तव्य देते हैं और एक तरह से साहित्य और साहित्यिकों के लिए भी एक कार्यभार तय कर देते हैं। इस संग्रह का समय 1940 का दशक है जब देश आजादी पाने से कुछ ही दूर था और राजनीति के साथ-साथ स्वतंत्रता आंदोलन भी एक नई करवट ले रहा था। अब जरूरत थी साहित्य के एक नया रूप लेने की। ‘नवीन’ की कविताओं में उन्होंने यही करने का प्रयास किया है। न सिर्फ कथ्य, बल्कि शिल्प, छन्द और भाषा के स्तर पर भी। संग्रह की पहली ही कविता ‘नवीन’ में वे पुराने तथा रूढ़िबद्ध को छिन्न-भिन्न करते हुए नवीन कल्पना का आह्वान करते हैं : तुम प्रार्थना किये चले, नहीं दिशा हिली/तुम साधना किये चले, नहीं निशा हिली/इस आर्त दीन देश की न दुर्दशा हिली। अब अश्रु-दान छोड़ आज शीश-दान से/तुम अर्चना करो, अमोघ अर्चना करो।... नवीन कल्पना करो। प्रकृति की महिमा के साथ-साथ इस संग्रह में राष्ट्र और जन-चेतना से सम्पन्न कविताएँ भी विशेष रूप से ध्यान खींचती हैं। ‘फुटपाथ पर खड़े दर्शकों से’ और ‘नौजवान की मृत्यु पर’ जैसी कविताएँ अपनी चुस्त गठन और स्पष्ट भावाभिव्यक्ति में जैसे आज भी पूरे समाज को झकझोर देने की क्षमता रखती हैं।
Kavitayen : Vol. 1
- Author Name:
Sarveshwardayal Saxena
- Book Type:
- Description: ‘कविताएँ–1’ में कवि सर्वेश्वर के दो संग्रहों की रचनाएँ एक साथ प्रस्तुत की गई हैं—‘काठ की घंटियाँ’ और ‘बाँस का पुल’। इन कविताओं में वह एक ओर अपनी आत्म–चेतना के प्रति अत्यधिक सजग प्रतीत होते हैं, तो दूसरी ओर व्यापक समष्टि–चेतना के प्रति उनका गहरा लगाव मन को आकर्षित करता है। इनमें रोमानी भाव–बोध जितना सत्य है, उतना ही सत्य है समसामयिक परिवेश से जुड़े रहना। इन कविताओं ने छायावाद के बाद नई कविता की पहचान बनाने में ऐतिहासिक भूमिका अदा की है और कहा गया है कि ‘हिन्दी की कविता का जहाँ भी उल्लेख होगा, सर्वेश्वर की चर्चा के बिना अधूरा ही रहेगा’। ‘सर्वेश्वर ने नई कविता नहीं लिखी वरन् स्वयं नई कविता के विशिष्ट लक्षण किसी हद तक सर्वेश्वर के काव्य के माध्यम से ही प्रस्फुटित हुए हैं।’ इन कविताओं ने दरअसल यह भी सिद्ध किया है कि साहित्यिकता और लोकप्रियता में कोई वैर नहीं होता।
Kudrat Rang-Birangi
- Author Name:
Kumar Prasad Mukherji
- Book Type:
-
Description:
भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रवाह को समझना, किसी नदी के प्रवाह को समझने जैसा ही जटिल है। किसी नदी के उद्गम, उसकी विभिन्न शाखाओं और प्रशाखाओं की भाँति भारतीय शास्त्रीय संगीत के घराने, घरानों का उद्गम, घरानों के स्रष्टा, वाहक, गुरु, परम्परा, राग, रागरूप, श्रुति, स्मृति, आरोह, अवरोह, वादी, विवादी, समवादी इत्यादि शब्दों के चलते ये पूरा विषय आम पाठक के लिए पहली नज़र में अत्यन्त जटिल प्रतीत होता है। लेकिन इस पुस्तक में शताब्दी के श्रेष्ठ कलाकारों और संगीत घराने के इतिहास एवं उनकी विशेषताओं, एक घराने के साथ दूसरे घरानों की तुलना, राग-रागिनियों के सूक्ष्मविश्लेषण आदि विषयों को अत्यन्त रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया है।
यह रोचकता ही कुमार प्रसाद मुखर्जी के लेखन की विशेषता है या कहा जा सकता है कि यह उनके लेखन का एक विशेष घराना है। लेखक स्वयं एक संगीत घराने से सम्बन्धित थे और ख़ुद भी विख्यात कलाकार रहे। अपने बचपन के दिनों से ही संगीत के मूर्धन्य विद्वानों को सामने बैठकर सुनने का मौक़ा उन्हें मिला। इसके साथ-साथ वे विदग्ध पाठक और असाधारण गुरु भी थे। प्रस्तुत पुस्तक में उनकी इन सभी प्रतिभाओं की छाप स्पष्ट दिखाई पड़ती है, इसीलिए भारतीय संगीत और उससे जुड़े विभिन्न गम्भीर विषय पाठकों के सामने अत्यन्त सरल रूप में प्रस्तुत होते हैं।
भारतीय शास्त्रीय संगीत के कलाकारों को राजाओं-महाराजाओं का आश्रय प्राप्त था, इसके अलावा संगीत कलाकारों के मनमौजी स्वभाव, उनके जीवन की रोचक घटनाओं के चलते संगीतज्ञ आम जनता के लिए आकर्षण का केन्द्र बने रहते थे। इस पुस्तक में विभिन्न स्थानों पर ऐसी रोचक घटनाओं का वर्णन भी है। लेखक के पिता धूर्जटि प्रसाद मुखोपाध्याय शास्त्रीय संगीत के प्रख्यात आलोचक व लेखक थे। स्वयं भी एक संगीतज्ञ होने के चलते लेखक की यह पुस्तक न केवल भारतीय शास्त्रीय संगीत पर एक प्रामाणिक ग्रन्थ है, बल्कि अपने आपमें भारतीय शास्त्रीय संगीत पर एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ भी है।
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