
Neeli Bayaaz
Author:
Adnan Kafeel 'Darwesh'Publisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
अदनान कफ़ील दरवेश ऐसे कवि हैं जो नए हिन्दुस्तान में जन्मे और पले-बढ़े, जिन्होंने ख़ुद को मक् तब के बजाय लड़ाई के मैदान में खड़ा पाया। अपने इर्द-गिर्द उत्तरोत्तर विषाक्त होते जाते राजनीतिक और सांस्कृतिक माहौल में कविता ही उनका शस्त्र और कवच है। वह हिन्दी में अपने समय के एक साहसी, उदास और स्वप्नशील कवि हैं।</p>
<p>जैसे-जैसे इस नए हिन्दुस्तान की मुहब्बतें और नफ़रतें, विषमताएँ और बेचैनियाँ अपना अतिक्रमण बढ़ाती जाती हैं—जिनको संज्ञान में लेना हर सच्चे रचनाकार की नियति है—वैसे-वैसे उनकी आवाज़ में पुराने हिन्दुस्तान की गूँज भी तेज़तर होती जाती है। यह नई सांस्कृतिक बर्बरता, नैतिक ख़ालीपन और साम्प्रदायिक फ़ाशीवाद के बरक्स हमारे उपमहाद्वीप के ऐतिहासिक सेकुलर-मानववादी ज़मीर की आवाज़ है।</p>
<p>बारी-बारी से उनकी आवाज़ में एक देशज-स्थानीय आवाज़ आती है तो एक शरणार्थी आवाज़ भी। वह अपने वतन में भी हैं और निर्वासन में भी, जो कि हर अच्छे कवि की पहचान है।</p>
<p>अदनान अपनी काव्यभाषा में आज़ादी और ख़ुदमुख़्तारी पर बज़िद हैं। ज़बान और लहजे के ऐतबार से वह हिन्दीवादी भाषिक और सांस्कृतिक वर्जनाओं और लिखित-अलिखित संहिताओं का उल्लंघन करते हैं। उनकी रचनाशीलता के मूल स्रोत आधुनिक हिन्दी की अलगाववादी और मनमाने ढंग से परिभाषित काव्यधारा तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उत्तर भारत की इलाक़ाई परम्परा और सैकड़ों सालों से चली आ रही समृद्ध और परिपक्व हिन्द-फ़ारसी परम्परा की अन्तर्क्रिया में हैं।</p>
<p>उनकी कविता में एक ख़ास तरह का हमदर्दाना लहजा, लयकारी, संगीतमयता और चुनौती भरा स्वर है। एक ख़ानाबदोश गायक की तरह वह अपना संगीत अपने साथ लेकर चलते हैं।</p>
<p>—असद ज़ैदी
ISBN: 9789360866174
Pages: 160
Avg Reading Time: 5 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Mirza Ghalib
- Author Name:
Mirza Ghalib
- Book Type:
- Description: हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन दिल के ख़ुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख़याल अच्छा है हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़ वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है आख़िर इस दर्द की दवा क्या है इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’ कि लगाये न लगे और बुझाये न बुझे
Meraki
- Author Name:
Harshita Ray +4
- Rating:
- Book Type:
- Description: Meraki is a journey in pages, filled with experiences and emotions that we hope you can resonate with, and realise you aren’t alone. It is bittersweet growth in words; an account of our stories that we hope, to some extent, are yours too. Describing this compilation in a few words, wouldn’t do it justice, but to put it simply- Meraki is the story of five passionate teenagers presented in forms of poetry and prose.
Thithurate Lamp Post
- Author Name:
Adnan Kafeel 'Darwesh'
- Book Type:
-
Description:
अदनान कफ़ील ‘दरवेश’ की कविता को पढ़ते हुए लगता है जैसे हम अपने समय में फिर से दाख़िल हो रहे हैं। यह एक गतिमान समय है जिसमें आगे-पीछे आवाजाही करते हुए जितना आप अतीत में जाते हैं उतना ही वर्तमान में और भविष्य में भी। कवि ने समय की जो विभाजक रेखा बनाई है, वह स्वयं भी उस रेखा से पीछे जाकर ही वर्तमान के चेहरे के नाक-नक़्श उकेरता है। इस समय की ठीक-ठीक शक्ल पहचानने के लिए शायद समय में यह आवाजाही ज़रूरी है। बिना इसके इसे पहचानना सम्भव नहीं है।
वर्तमान, जिसकी विडम्बनाओं, विद्रूपताओं और नई तकनीकों के प्रतिदिन बदलते चेहरे को हम जानते हैं। उसकी बर्बरता और अमानवीयता को हम जानते हैं और समय की गति को अचानक बदल देने वाले परिवर्तनों को भी हमने बहुत क़रीब से देखा है। लेकिन अदनान की कविता को पढ़ने के बाद चीज़ें ज़्यादा साफ़ नज़र आने लगती हैं। जैसे हमारे ऐनक का नम्बर एकाएक बदल गया हो। शायद इस कविता की एक बड़ी ख़ूबी यह भी है कि वह प्रत्यक्षतः जानने और कविता को पढ़कर जानने के बीच के अन्तर का एहसास हमें कराती है। अदनान की कविता बहुत मुखर होकर स्वयं बहुत ऊँची आवाज़ में नहीं बोलती, जीवन की वास्तविकताएँ ही उसमें से बोलती हैं। इसलिए उसकी आवाज़ ज़्यादा विश्वसनीय लगती है। उसकी कविता में वाचिक कविता जैसा प्रवाह और उसकी प्रति-गति कविता के क़द को ऊँचा कर देती है। वह हमारी संवेदनाओं को झिंझोड़कर जागृत कर देती है और चीज़ों और स्थितियों के प्रति ज़्यादा वस्तुनिष्ठ बना देती है।
अदनान की कविता अपनी अस्मिता और परम्पराओं को बचाते हुए हमारे समय के सांस्कृतिक आघात के प्रति असहमति और प्रतिरोध की कविता है। वह हिन्दी कविता के अनुभवों के लैंडस्केप को अपने अनुभवों और मिथकों से पूरा करने की बहुत सजग कोशिश है।
–राजेश जोशी
Tumhare Jane Ke Baad
- Author Name:
Krishnkant Nilose
- Book Type:
- Description: Book
Ghazal Jab Baat Karti Hai
- Author Name:
Dr. Versha Singh
- Book Type:
- Description: This book has no description
Jagannath Ka Ghoda
- Author Name:
Ravindra Bharti
- Book Type:
-
Description:
विशाल, विराट और महान दिखनेवाली चीज़ें जीवन का स्रोत नहीं होतीं, उन्हें विशेष अवसरों पर, कुछ आयोजित-प्रायोजित मन:स्थितियों में देखने और वापस आकर भूलने के लिए देखा जाता है। वे हमारे उन दिनों और रातों की साथी नहीं बनतीं जिनसे हम बनते हैं, हमारा जीवन बनता है, हमारा दैनन्दिन, हमारे अतीत और वर्तमान बनते हैं।
रवीन्द्र भारती की ये कविताएँ ऐसी ही छोटी चीज़ों की अभ्यर्थना करती हैं। 'गृहस्थ की गृहस्थी' एक कविता है जिसमें घर में आई एक नई कटोरी का स्वागत किया जा रहा है 'यह हमारी पात्र है/इसके पात्र हैं हम/ पात्र-परिचय होगा, धीरे-धीरे बढ़ेगा हेल-मेल।'
'आपा-धापी' एक कविता है जिसमें लोकन ट्रेनों और बसों की लगातार गतिमान भीड़ में एक नामालूम से रिश्ते की पहचान की गई है। रोज़-रोज़ दिखनेवाले चेहरों के बीच बननेवाला एक अबोला रिश्ता—'निर्दोष आँखों की मौन कथा/चली जाती है किसी की, किसी के साथ अकारण/अकारण ही होती है चिन्ता/जब कोई दिखता नहीं दो-चार दिन।' यह 'अकारण' जगत-गति के बड़े कहे जानेवाले सुपरिभाषित कारणों का अचीन्हा-सा स्थानापन्न है, और जीवन की डोर को थामे रखने में इसकी भी बहुत बड़ी भूमिका है।
इन कविताओं में ऐसी अनेक चीज़ें, दृश्य, पंक्तियाँ, और चित्र हैं जो हमें हमारे अनजाने ही हमारी साधारणता में आश्वस्ति भर देते हैं, जो कहते हैं कि बड़ी-बड़ी ताक़तों की दूर से दिखाई देनेवाली आकर्षक और महान आकृतियों से पहले हमारे पास भी ऐसा बहुत कुछ है जो उनके सब कुछ का विकल्प हो सकता है। मसलन 'कुलिया-चुनिया' की नन्ही बच्ची की कल्पित दुनिया जिसमें कवि अनायास सच-झूठ के स्याह-सफ़ेद में विभाजित अपनी वास्तविक दुनिया से मुक्त होकर सहर्ष चला जाता है।
देशज शब्दों, देशज सौन्दर्यबोध और देशज आत्माभिमान से रची इन कविताओं से गुज़रते हुए आप धीरे-धीरे अपनी दुनिया के सूक्ष्म से परिचित होते हैं जो वास्तव में बहुत बड़ा है।
Kamal Ki Auratein
- Author Name:
Shailja Pathak
- Book Type:
-
Description:
कमाल की औरतें हैं वो जो कितना कुछ सहकर बनी रहीं; कमाल की औरतें हैं वो जिन्होंने अपने मन की किसी हौंस के लिए सारे ज़माने को ठेंगे पर रख उड़ा दिया; कमाल की औरतें हैं वो जो अपनी हर ख़ूबी को छिपाकर पति को बड़ा बनने का मौक़ा देती रहीं; कमाल की औरतें हैं वो जो बच्चों के मज़ाक़ का विषय बनती, रहीं फिर भी उन्हें असीसती रहीं; और कमाल की औरतें हैं वो जो हमारी छोटी या बड़ी बहनें हैं, बुआ हैं, दादी फुआ हैं, जिनकी ज़िन्दगी का कितना समय इस इन्तज़ार में बीत गया कि नैहर से बुलावा आएगा कि उनके भाई-पिता-माँ-भाभियाँ, भतीजे-भतीजियाँ उन्हें गले से लगा सुनेंगे उनके दुख, पूछेंगे कि कैसी बीत रही है, कि कोई दुख तो नहीं है तुम्हें...
कमाल की औरतें संग्रह में सब तरह की औरतें मौजूद हैं—पीड़ित, अकेली, विद्रोही, दाम्पत्य को छिन्न-भिन्न करने को आतुर भी, और दाम्पत्य में खप जाने को तत्पर भी—जिन्हें शैलजा पाठक की भाव-प्रवण भाषा में अभिव्यक्ति मिली है—बिलकुल ऐसे जैसे दोपहर बाद के सुस्ताते समय की बतकहियों में।
इनमें से कई औरतें हैं जिन्हें प्रचलित स्त्री-विमर्श अच्छे से जानता है, लेकिन कुछ हैं जिनके दुख पर आधुनिक दृष्टि उस तरह नहीं पड़ी। यह अच्छी बात है कि उन्हें लेकर इस संग्रह में पर्याप्त कविताएँ हैं। समय से पहले बूढ़ी होती बहनें-बुआएँ—नैहर और ससुराल के बीच की धूल उड़ाती पगडंडियों पर जिनके असंख्य दुख अदेखे ग़ायब हो जाते हैं—इन कविताओं में उन्हें पढ़ना दुख के किसी टापू पर अचानक पहुँच जाने जैसा है...स्तब्धकारी!
Jungle Ka Dard
- Author Name:
Sarveshwardayal Saxena
- Book Type:
- Description: ‘जंगल का दर्द’ में कवि सर्वेश्वर की अपने अन्तर्जगत और बाह्य-जगत के जानवरों से लड़ाई, समसामयिक हिन्दी कविता की उपलब्धि है। ‘कुआनो नदी’ की कविताएँ डूबते सूरज की लम्बी परछाइयाँ थीं। अब ‘जंगल का दर्द’ में अंधकार सिमटकर बुलेट–सा छोटा, ठोस और भारी हो गया है। काव्य–विन्यास में इस परिवर्तन को कवि की यातना और दृष्टि से जोड़कर ही समझा जा सकता है। भेड़िए, कुत्ते, तेन्दुए, चिड़ियाँ, तितलियाँ, इस जंगल में सबसे उसका सामना होता है, उनसे वह जूझता है, बचता है, सीखता है और मानव नियति की राह टटोलता, झाड़ियों की रगड़ से अपनी देह का संगीत सुनता, ख़ुद को उधेड़ता–बुनता आगे बढ़ता जाता है। यह यात्रा जारी है, और हिन्दी कविता की भावी यात्रा के प्रति आश्वस्त करती है। यह काव्य–संग्रह ढहते मूल्यों के बीच खड़े रहने की सामर्थ्य देता है और यह स्पष्ट करता है कि कविता का मुख्य प्रयोजन सौन्दर्य–बोध के विस्तार के साथ–साथ मानव–आत्मा को निर्भीक करना और उसे कर्म से जोड़ना है।
Udaan
- Author Name:
Pukhraj Maroo
- Book Type:
-
Description:
ग़ज़ल हिन्दुस्तानी रिवायत की हसीन-तरीन विरासत है, इसको ज़बानों के संकीर्ण दायरों में क़ैद नहीं किया जा सकता। यह न उर्दू है, न हिन्दी—बस, ग़ज़ल तो ग़ज़ल होती है और उसको ग़ज़ल ही होना चाहिए, वरना सारी मेहनत और कोशिश व्यर्थ हो जाएगी। पुखराज मारू की ग़ज़लों का दीवान देखते हुए मेरे इस ख़याल को मज़ीद तक़वियत मिली। उसकी ग़ज़लें सर-सब्ज़ फलदार दरख़्तों की तरह हैं जिनमें ख़ुशज़ायका मुनफ़रिद और ख़ूबसूरत महकदार फल हैं। बाज पककर रस-भरे बन गए हैं, कुछ अधकच्चे हैं और कुछ इब्तिहाई मराहिल में। लेकिन किसी मज़मूए में बड़ी तादाद में अच्छे शे’र और ख़ूबसूरत मिसरे हों तो दाद तो देनी ही पड़ेगी।
पुखराज मारू ग़ज़ल की क्लासिकी रिवायत के रम्ज शनास हैं। उसकी बारीकियों से परिचित और शब्द पर भी उनकी पकड़ है। ख़याल भी नाज़ुक, ख़ूबसूरत और दिलनवाज़ हैं। नई-नई ज़मीनें भी तराशी हैं और ग़ज़ल के गुल-बूटे खिलाए हैं। वह इक्कीसवीं शताब्दी के बर्क़ रफ़्तार अहद में और बाज़ारवाद के युग में रहते हैं। किन्तु उनकी ग़ज़लों की दुनिया क़दीम है, इसमें शिद्दत नहीं है। समकालीन परिस्थितियों की झलक है भी तो बहुत कम-कम। यह शायर दुनिया का और मानवता का भला प्रेम के ढाई अक्षर में ही तलाश करना चाहता है। यद्यपि इश्क़ से बढ़कर और क्या है जो सारी कायनात में छाया हुआ है।
—बशीर बद्र
Pratinidhi Kavitayen : Faiz Ahmed 'Faiz'
- Author Name:
Faiz Ahmed 'Faiz'
- Book Type:
- Description: v data-content-type="html" data-appearance="default" data-element="main"><p>फूलों की शक्ल और उनकी रंगो-बू से सराबोर शायरी से भी अगर आँच आ रही है तो यह मान लेना चाहिए कि फ़ैज़ वहाँ पूरी तरह मौजूद हैं। फ़ैज़ की शायरी की ख़ास पहचान ही है—रोमानी तेवर में भी ख़ालिस इंक़िलाबी बात। कारण, इनसान और इनसानियत के हक़ में उन्होंने एक मुसलसल लड़ाई लड़ी है और उसे दिल की गहराइयों में डूबकर, यहाँ तक कि ‘ख़ूने-दिल में उँगलियाँ डुबोकर', काग़ज़ पर उतारा है। इसीलिए उनकी नज़्में तरक़्क़ी पसन्द उर्दू शायरी की बेहतरीन नज़्में हैं और नज़्म की सारी ख़ासियतें और भी निखर-सँवरकर उनकी ग़ज़लों में ढल गई हैं। ज़ाहिरा तौर पर इस पुस्तक में फ़ैज़ की ऐसी ही चुनिन्दा नज़्मों और ग़ज़लों को सँजोया गया है। आप पढ़ेंगे तो इनमें आपको दुनिया के हर ग़मशुदा, मगर संघर्षशील आदमी की ऐसी आवाज़ सुनाई देगी जो क़ैदख़ानों की सलाख़ों से भी छन जाती है और फाँसी के फन्दों से भी गूँज उठती है।</p>
Hashiye Ka Haq
- Author Name:
Nilima Sharma +3
- Book Type:
- Description: Book
Samay Samete Sakshy
- Author Name:
Madan Mohan Samar
- Book Type:
- Description: Book
Bhuri-Bhuri Khak-Dool
- Author Name:
Gajanan Madhav Muktibodh
- Book Type:
-
Description:
“मुक्तिबोध एक ऐसे कवि हैं जो अपने समय में अपने पूरे दिल और दिमाग़ के साथ, अपनी पूरी मनुष्यता के साथ रहते हैं। वे अपनी एक ऐसी निजी प्रतीक-व्यवस्था विकसित करते हैं कि जिसके माध्यम से सार्वजनिक घटनाओं की दुनिया और कवि की निजी दुनिया एक सार्थक और अटूट संयोग में प्रकट हो सके। एक सच्चे कवि की तरह वे सरलीकरणों से इनकार करते हैं। वे विचार या अनुभव से आतंकित नहीं होते। वे यथार्थ को जैसा पाते हैं वैसा उसे समझने और उसका विश्लेषण करने की कोशिश करते हैं और उनकी कविता का एक बड़ा हिस्सा अनुभव की अनथक व्याख्या और पड़ताल का उत्तेजक साक्ष्य है। मुक्तिबोध मनुष्य के विरुद्ध हो रहे विराट षड्यंत्र के शिकार के रूप में ही नहीं लिखते, बल्कि वे उस षड्यंत्र में अपनी हिस्सेदारी की भी खोज करते और उसे बेझिझक ज़ाहिर करते हैं। इसीलिए उनकी कविता निरा तटस्थ बखान नहीं, बल्कि निजी प्रामाणिकता और ‘इन्वॉल्वमेंट’ की कविता है। उनकी आवाज़ एक दोस्ताना आवाज़ है और उनके शब्द मित्रता में भीगे और करुणा-भरे शब्द हैं। ब्रेख़्त की तरह उन्हें मालूम है कि ‘जो हँसता है, उसे भयानक ख़बर बताई नहीं गई है। वे भयानक ख़बर के कवि हैं—हिन्दी में शायद अकेले। उन्होंने हमारे समय में आदमी की हालत की पूरी परिभाषा अलभ्य साहस और शक्ति से करने की अद्वितीय कोशिश की है।’
‘भूरी-भूरी ख़ाक धूल’ में मुक्तिबोध की कविता की इन सभी ख़ूबियों का एक नया स्तर खुलता है। ‘चाँद का मुँह टेढ़ा है’ के बाद, प्रकाशन-क्रम के लिहाज़ से, यह उनकी कविताओं का दूसरा संग्रह है। इसमें उनकी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित कविताएँ हैं, साथ ही अधिकांशतः ऐसी कविताएँ भी हैं जो अब तक बिलकुल अप्रकाशित रही हैं। इन कविताओं में आज के उत्पीड़न-भरे समाज को बदलने का आकुल आग्रह तथा ‘जनसंघर्षों की निर्णायक स्थिति’ में अमानवीय व्यवस्था के ‘कालान्त द्वार’ तोड़ डालने का दृढ़ संकल्प विस्मयकारी शक्ति के साथ अभिव्यक्त हुआ है। अपनी प्रचंड सर्जनात्मक ऊर्जा के कारण ये कविताएँ मन को झकझोरती भी हैं और समृद्ध भी करती हैं। यह आकस्मिक नहीं है कि मृत्यु के वर्षों बाद आज भी मुक्तिबोध हिन्दी के सर्वाधिक चर्चित कवि हैं।
Momin
- Author Name:
Momin
- Book Type:
- Description: तुम मिरे पास होते हो गोया जब कोई दूसरा नहीं होता थी वस्ल में भी फ़िक्र-ए-जुदाई तमाम शब वो आए तो भी नींद न आई तमाम शब रोया करेंगे आप भी पहरों इसी तरह अटका कहीं जो आप का दिल भी मिरी तरह शब जो मस्जिद में जा फँसे 'मोमिन' रात काटी ख़ुदा ख़ुदा कर के किस पे मरते हो आप पूछते हैं मुझ को फ़िक्र-ए-जवाब ने मारा
Is Samay Tak
- Author Name:
Dharmpal Mahendra Jain
- Book Type:
- Description: Book
Sath Chalte Hue (Rowing Together)
- Author Name:
Sukrita Paul Kumar
- Book Type:
-
Description:
सहज प्रवाह में कई बार तो हवाओं के विरुद्ध भी, आगे बढ़ते, हम दोनों याद करते हैं कि इस संकलन की कविताओं को आकार देते हुए हमारा साथ कैसा रहा। लेकिन इस स्थिति से पहले हम अनुभव और भाषा की निजी धाराओं से भी गुज़रे। एक-दूसरे की कविताओं के अनुवाद की प्रक्रिया हमारे लिए जितनी प्रीतिकर श्रम थी, उतनी ही नैसर्गिक भी। किसी के मन में यह जिज्ञासा हो सकती है कि हमने अपने रचनात्मक लेखन के बजाय अनुवाद करने की बात क्यों सोची ? उसका उत्तर तनिक भी मुश्किल नहीं है। भाषा की सरहदें गलने-पिघलने लगती हैं जब कविता का अनुभव आसानी से एक-दूसरे तक पहुँच रहा हो। हमारी कविताओं ने यह भी तय किया कि वे एक-दूसरे की हो लें और एक अन्य भाषा में ख़ुद को कहें। हमने सिर्फ़ उनकी एक कामना को सुना, शायद यह देखने-जानने के लिए भी, कि किस तरह अनूदित कविताएँ एक बार फिर ‘मौलिक’ हो जाती हैं, कुछ खोकर या शायद कुछ हासिल करके भिन्नता पाती हुईं।
—सुकृता
Varsha Ki Subaha
- Author Name:
Sitakant Mahapatra
- Book Type:
-
Description:
गहरे उद्वेगों, सूक्ष्म संवेदनों, और शब्दों के माधुर्य तथा संगीत से फूटती हैं सीताकांत महापात्र की कविताएँ। दिन-प्रतिदिन के कार्य-व्यापार, प्रकृति की अपार लीलाएँ, दिक्काल का अनन्त विस्तार—हम इनमें एक गहरे मानवीय राग के साथ देख-सुन सकते हैं। इनमें वर्तमान में खड़े रहकर बहुत पीछे लौटना भी है तथा बहुत आगे देखना भी। समुद्र, आकाश, धरती, सूरज-चद्रमा, दूब, पेड़-पौधे, फल-फूल, पशु-पक्षी, ऋतुचक्र—हमें जिस जीवन-बोध से इन कविताओं में जोड़ते हैं, वह अपूर्व है। मृत्यु इस जीवन-बोध पर अपनी छाया डालती ज़रूर है, पर वह इस जीवन-बोध को न तो परास्त कर पाती है, न ही भयभीत। और इस संग्रह की कविताओं में तो ‘मृत्यु मानो लम्बी छुट्टी पर’ भी
है।सीताकांत महापात्र की कविताओं में आख्यानों के प्रसंग भी इस जीवन-बोध को और गहरा करने के लिए ही हैं। इन कविताओं में मानवीय सम्बन्धों का भी एक विशिष्ट आकलन है जो जीवन-संग्राम के ऐन बीच, हमें गहरे मानवीय भरोसे, विश्वास और सम्बल की ही प्रतीति कराता है। कवि-संवेदना की व्याप्ति निकट से निकट और दूर से दूर की चीज़ों पर कुछ इस तरह से है कि हम एक ‘यात्रा’ पर होने का अनुभव करते हैं—ऐसी यात्रा, जो आदि-अन्तहीन लगती है, पर जिसके कविता-पड़ाव ‘शून्यता को (भी) शब्दों की सस्नेह श्रद्धांजलि’ बन जाते हैं। और बन जाते हैं एक ऐसा उपक्रम जहाँ, ‘हमारा काम है केवल जोड़ते चले जाना सान्त्वना भरे सरल शब्द’। हम सब जानते हैं कि सान्त्वना भरे सरल शब्दों को जोड़ना आसान नहीं होता। उसके लिए चाहिए धीरज, साहस, गहरा प्रेम, आश्वस्ति और भाषा के प्रति एक अकुंठित तीखी तृष्णा। यह सब सीताकांत महापात्र की कविता में हैं, और इनकी मात्रा में लगातार बढ़ोतरी होती गई है। प्रमाण हैं इस संग्रह की कविताएँ जो उनके ओड़िया में कुछ अरसा पहले प्रकाशित ‘वर्षा सकाल’ संग्रह का हिन्दी अनुवाद हैं।
ओड़िया से हिन्दी में प्रकाशित सीताकांत महापात्र का यह एक महत्त्वपूर्ण संग्रह है।
इसका अनुवाद, सीताकांत महापात्र की कविता और ओड़िया साहित्य के जाने-पहचाने अनुवादक राजेन्द्रप्रसाद मिश्र ने कवि के साथ मिल-बैठकर किया है। ज़ाहिर है कि इससे इनकी प्रामाणिकता और बढ़ गई है।
Beautiful Poem (Series-4)
- Author Name:
Dr.Sanjay Rout
- Book Type:
- Description: A beautiful collection of poetry by renowned author Dr.Sanjay Rout. This book is written in simple language, which is easy to understand. The content is supreme and very useful for the people who want to improve their thoughts and understand various things
Apna Sa Koi Naam
- Author Name:
Vinod Kumar Chaudhary
- Book Type:
-
Description:
साम्प्रदायिक सद्भाव, अध्यात्म, प्रकृति, धर्म, दर्शन के विभिन्न रूपों-रंगों को बिखेरती ये कविताएँ एक इन्द्रधनुष बनाती हैं।
सामान्य-सी दिखनेवाली ये कविताएँ गहन, गूढ़ अर्थ रखती हैं और पाठक को संवेदना, चिन्तन का दोहरा आस्वाद देती हैं।
कवि विनोद कुमार चौधरी ने इन कविताओं को लोकभाषा का सौन्दर्य प्रदान कर उस गौरवशाली परम्परा और काव्य-शैली को प्रतिष्ठापित किया है। जिसमें हर शब्द के बहुआयामी अर्थ होते हैं और जो लोगों के साथ वस्तुओं और वनस्पतियों को भी गरिमा, गौरव और सम्मान प्रदान करती है।
कवि नदी की ‘आत्मा’ के प्रति समर्पण भावना प्रदर्शित करते हुए प्रार्थना कर उसका अभिवादन करता है। उसकी श्रेष्ठता हमारे मानस में जगाता है और जन्म-भूमि की स्मृतियों को आभा-दीप्त करते हुए बताता है कि स्मृतियाँ हमारी धरोहर हैं, जो मन-आत्मा को सन्तोष प्रदान कर जीवन को प्रवहमान बनाती हैं।
अतीत और वर्तमान के बीच गहन रिश्ता बनाती ये कविताएँ हर वर्ग, हर आयु के पाठकों का ध्यान आकर्षित करने में सक्षम हैं।
Mokshadhara
- Author Name:
Sudhir Ranjan Singh
- Book Type:
-
Description:
सुधीर रंजन सिंह के पहले संग्रह और 'मोक्षधरा' के बीच लम्बा अन्तराल है। कारण सम्भवत: ऐतिहासिक है। ’90 के बाद की घटनाओं ने कुछ समय के लिए उन कवियों के कवि-कर्म को बाधित किया जो कविता में भविष्य को फलित करने की चेष्टा कर रहे थे। पुरानी काव्य-भंगिमाएँ बेअसर हो गई थीं।
यह आकस्मिक नहीं कि सुधीर रंजन सिंह ने पिछले काव्य-अभ्यास को पकड़े रहने के बजाय भर्तृहरि के काव्य-श्लोकों की अनुरचना का मार्ग पकड़ा। भर्तृहरि की नैतिक दृष्टि और विकल अन्त:ऊर्जा ने नई काव्य-स्फूर्ति पैदा कर दी। एक बिलकुल नई ज़मीन मिल गई। विकल अन्त:ऊर्जा ‘अनन्त प्रकृति’ में प्रवेश का द्वार है, जिससे गुज़रते हुए सन्तुलन बनाना आसान नहीं होता। सुधीर रंजन सिंह कवि के साथ-साथ आलोचक भी हैं। सन्तुलन बनाने में उनका आलोचनात्मक विवेक सहयोग करता है। आधुनिक कविता के काव्यशास्त्र में आलोचना का पक्ष काफी वजनदार है। सुधीर रंजन सिंह की आलोचनात्मक भंगिमा और कुछ नहीं विकल्प की चेतना है। यह ‘निद्रा अनुभव’ से बाहर निकालती है। मनुष्य और समाज को समझने की दृष्टि देती है।
सुधीर रंजन सिंह संकट के अनुभवों से बिना अलग हुए उल्लास और मुक्ति के उस संसार को रचने की चेष्टा करते हैं, जिसमें जीवन का अर्थ स्पन्दित होता है। उस अर्थ की लालसा, जो किसी अन्य पीड़ाहारक दिलासा से अधिक ज़रूरी है, उनकी कविता को गढ़ने का काम करती है। इस काम में ‘स्मृति की क्रीड़ा’ भूमिका निभाती है। स्मृति की क्रीड़ा यानी अनुभवों का प्रवाह। ‘मोक्षधरा’ ऐतिहासिक अनुभवों को आत्मचेतना के स्तर पर रचने और 'उत्कर्ष लोक' तैयार करने का सफल प्रयास है।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Logout to Rachnaye

Offers
Best Deal
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat.
Enter OTP
OTP sent on
OTP expires in 02:00 Resend OTP
Awesome.
You are ready to proceed
Hello,
Complete Your Profile on The App For a Seamless Journey.