Maya Rag
Author:
Maya GovindPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 476
₹
595
Available
हिन्दी गीत-काव्य की एक प्रशस्त परम्परा है। छन्दमुक्त कविता के तमाम आन्दोलनों एवं आग्रहों के बावजूद गीत नए-नए सन्दर्भों में प्रस्फुटित हो रहे हैं। सुप्रसिद्ध कवयित्री माया गोविन्द का प्रस्तुत गीत-संग्रह ‘माया राग’ हिन्दी गीतों की संवेदना को संवर्धित करता है। संग्रह में भावनाओं की प्रचुरता है। कहा जा सकता है कि बौद्धिकता पर हार्दिकता का काव्यात्मक प्रकाश फैला हुआ है।</p>
<p>माया गोविन्द हिन्दी काव्य मंचों की श्रीवृद्धि करती रही हैं। उन्होंने हिन्दी सिनेमा में अपने स्तरीय गीतों से गीतात्मकता की गुणवृद्धि की है। यही कारण है कि उनके गीतों में लय की अद्भुत छटाएँ मिलती हैं। ऐसा लगता है कि गीत गाए जाने के बाद लिखे गए हैं। इनमें जीवन की विभिन्न स्थितियाँ हैं। फिर भी, यह कहना अधिक उचित होगा कि माया गोविन्द ने एक स्त्री की दृष्टि से इस सृष्टि को देखा है। इसीलिए ये गीत स्त्री की पीड़ा को सशक्त ढंग से अभिव्यक्त करते हैं। आसक्ति और अनासक्ति के बीच व्याकुल मन की थाह माया गोविन्द ने भली-भाँति लगाई है। सावन और होली आदि के बहाने जीवन के उत्सव की विविध छटाएँ व्यंजित हुई हैं। कहीं-कहीं अद्भुत कथन उभरे हैं—‘प्यास की रुक्मिणी का करो तुम हरण’ या ‘अधरों पर अधर जैसे, इन्द्रधनुष की लकीर’।</p>
<p>भाषा, भाव और शैली की दृष्टि से ‘माया राग’ के गीत निश्चित रूप से पाठकों के हृदय को आन्दोलित करेंगे।
ISBN: 9788183615532
Pages: 131
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Mukarrar Irshad
- Author Name:
Irshad Khan Sikandar
- Book Type:

- Description: Book
Kaafila-E-Nau-Bahaar
- Author Name:
Vikas Sharma Raj
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Kavitayen : Vol. 1
- Author Name:
Sarveshwardayal Saxena
- Book Type:

- Description: ‘कविताएँ–1’ में कवि सर्वेश्वर के दो संग्रहों की रचनाएँ एक साथ प्रस्तुत की गई हैं—‘काठ की घंटियाँ’ और ‘बाँस का पुल’। इन कविताओं में वह एक ओर अपनी आत्म–चेतना के प्रति अत्यधिक सजग प्रतीत होते हैं, तो दूसरी ओर व्यापक समष्टि–चेतना के प्रति उनका गहरा लगाव मन को आकर्षित करता है। इनमें रोमानी भाव–बोध जितना सत्य है, उतना ही सत्य है समसामयिक परिवेश से जुड़े रहना। इन कविताओं ने छायावाद के बाद नई कविता की पहचान बनाने में ऐतिहासिक भूमिका अदा की है और कहा गया है कि ‘हिन्दी की कविता का जहाँ भी उल्लेख होगा, सर्वेश्वर की चर्चा के बिना अधूरा ही रहेगा’। ‘सर्वेश्वर ने नई कविता नहीं लिखी वरन् स्वयं नई कविता के विशिष्ट लक्षण किसी हद तक सर्वेश्वर के काव्य के माध्यम से ही प्रस्फुटित हुए हैं।’ इन कविताओं ने दरअसल यह भी सिद्ध किया है कि साहित्यिकता और लोकप्रियता में कोई वैर नहीं होता।
Bakhtiyarpur
- Author Name:
Vinay Saurabh
- Book Type:

-
Description:
कुछ चीज़ें होती हैं जो हम से छूट जाती हैं, कभी हमारे हाथ से फिसल जाती हैं, कभी उन्हें हमसे छीन लिया जाता है; कुछ चीज़ें होती हैं जो हमारे पास रह जाती हैं और छूटी हुई, जा चुकी चीज़ों, लोगों, जगहों की याद हमें दिलाती रहती हैं। कुछ सपने होते हैं हमारे, कुछ इच्छाएँ होती हैं, कुछ नहीं किए जा सके काम होते हैं, जो हमें अकसर बुलाते रहते हैं। प्रेम होता है, जिसके दोनों तरफ़ पीड़ा होती है—पा लेने की अपनी, न पाने की अपनी।
ऐसी ही चीज़ों से हम बनते हैं, हमारी दुनिया बनती है। विनय सौरभ का कवि जैसे इस दुनिया की हर खुली-अधखुली खिड़की में झाँकता-देखता फिरता रहता है। हर किसी के अनुभवों का उदास-सा विस्तार मालूम होतीं इस संग्रह की कविताएँ जीवन के अधूरेपन की तरफ़ इतने अनायास ढंग से इशारा करती हैं कि हम अपनी तथाकथित पूर्णताओं को लेकर सन्देह से भर उठते हैं।
स्मृतियों, विडम्बनाओं और मध्यवर्गीय जीवन की साँवली उदासियों में अपनी कविता को आकार देनेवाले विनय सौरभ के इस संग्रह में वे कविताएँ भी हैं जो राजनीति, सत्ता और बाजार की आक्रामकताओं की आलोचना करती हैं; और उनके जादू को समझने, उनके तिलिस्म को तोड़ने की कोशिश भी करती हैं।
कविता-प्रेमी पाठक को इस किताब में ऐसे अनेक स्थल मिलते हैं जहाँ वह ठहरकर अपने आप और अपनी दुनिया को दुबारा से देखना चाहता है।
Pahad Mein Phool
- Author Name:
Karan Singh
- Book Type:

- Description: 1945 में जापान के आधिपत्य से मुक्ति के बाद आधुनिक कोरियाई समाज देश विभाजन तथा सैनिक सत्ता द्वारा जनतांत्रिक अधिकारों के हनन से उत्पन्न संकटों से लगातार जूझता रहा है। इसलिए आज की कोरियाई कविता मूलत: प्रतिरोध की कविता है लेकिन अपनी संस्कृति और जड़ों से गहरे लगाव के चलते इसने प्रतिरोध को अपनी परम्परा के बीच अनोखे ढंग से विकसित किया है। हिन्दी में प्रकाशित समकालीन कोरियाई कविता का यह पहला ऐसा संकलन है, जिससे गुज़रते हुए पाठक न केवल एशियाई कविता के एक विशिष्ट स्वरूप से परिचित होते हैं, बल्कि एक महान राष्ट्र की जातीय, सामाजिक तथा सांस्कृतिक अस्मिता की झलक भी पाते हैं।
Akeli Auraton Ke Ghar
- Author Name:
Madhu B. Joshi
- Book Type:

- Description: समकालीन हिन्दी कविता में अपनी विनम्र और सार्थक उपस्थिति दर्ज करती कवयित्री मधु बी. जोशी अपने पहले काव्य-संग्रह ‘अकेली औरतों के घर’ में अपनी सम्पूर्ण प्रतिभा और प्रखरता के साथ उपस्थित हैं। सरल-सहज भाषा में लिखी ये कविताएँ स्त्रियों के जटिल जीवन-स्थितियों, विडम्बनाओं और उनके जय-पराजय की पड़ताल करती हैं। हालाँकि संग्रह की अधिकांश कविताएँ स्त्रियों पर केन्द्रित हैं लेकिन इनमें आम लोगों की जिन्दगी के भी विभिन्न रंग बिखरे हैं, इन्हें मात्र स्त्रीवादी कविता कहना कवयित्री के काव्य-परिवेश को संकुचित करने जैसा अन्यायपूर्ण कार्य होगा। ये कविताएँ अराजक देह-समय में लहूलुहान स्त्रियों की शोक-गीतिका हैं जो अपनी विरल लय में पाठकों को एक रचनात्मक आस्वाद प्रदान करने के साथ समय, समाज, राजनीति के नए प्रभुओं की विन्द्रूपताओं तथा बाज़ार की जगर-मगर दुनिया के छल-छद्मों से साक्षात्कार कराती हैं। लेकिन यह पराजित अथवा एकाकीपन के बियाबान में भटकती स्त्री की हताशा की कविताएँ नहीं हैं, बल्कि ये एक उम्मीद रचती हैं क्योंकि ‘अभी/हवा में नमी बाक़ी है/धूप हमेशा ही हिंसक नहीं रहती/धरती अब भी बहुत उर्वरा है।’ इस संग्रह की सबसे बड़ी विशेषता है इसकी सम्प्रेषणीयता जो सीधे पाठकों के हृदयस्थल को छू लेती है। कम शब्दों में बड़ी बात कह जाना कवयित्री की अपनी विशिष्ट उपलब्धि है।
Braj Ritusanhar
- Author Name:
Prabhudyal Meetal
- Book Type:

- Description: “हिन्दी की परम्परा और सर्जनात्मक वैभव का बहुत बड़ा हिस्सा ब्रज काव्य है। ब्रज काव्य में भक्ति, शृंगार और प्रकृति पर केन्द्रित कविताएँ अपनी विपुलता, विविधता और काव्य-कौशल के लिए विख्यात रही हैं। उनमें सौन्दर्य को भाषिक सौन्दर्य में रूपान्तरित करने की अद्भुत क्षमता दीख पड़ती है। लगभग सात दशकों पहले मथुरा के एक विद्वान–रसिक श्री प्रभुदयाल मीतल ने ‘ब्रजभाषा साहित्य का ऋतु-सौन्दर्य’ नाम से प्रकृति-काव्य का एक संचयन प्रकाशित किया था जिसकी प्रस्तावना महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने लिखी थी। अपनी परम्परा के स्मृति-लोप के इस अभागे समय में इसे ‘ब्रज ऋतुसंहार’ शीर्षक से पुनर्प्रकाशित कर रहे हैं। रज़ा पुस्तक माला के अन्तर्गत ऐसे गौरवग्रन्थों को फिर से पाठकों के सामने लाने का यह एक उपक्रम है। स्मृति के पुनर्वास की एक चेष्टा।” —अशोक वाजपेयी
Threads of Trust
- Author Name:
Ankit Mishra
- Rating:
- Book Type:

- Description: Threads of Trust is a manifestation of an ordinary person’s life to discover love, sensuality, separation, and itself. Each poem lingers in the duality of life between the erotic and exotic, the lost and the aware, the breaking and the healing, and the life and the death itself. These poems will take readers on a subconscious journey where longing often defeats the logic, a paradoxical reality of all living well. These poems will leave the readers with the task of weaving the broken threads of trust. Perhaps this is what poetry is—a perpetually broken thread.
Uttar Paigamber
- Author Name:
Arun Dev
- Book Type:

- Description: v data-content-type="html" data-appearance="default" data-element="main">कौतुकपूर्ण सृजन का अतिरेक आपको उन्मत्त कर सकता है, लेकिन सामूहिक चेतना में जो कुछ भी छिपा रहता है, उसे केवल अनछुए सच का इलाक़ा ही बाहर निकालता है। यह केवल सृजन का विवेक ही है जो इस अनछुए को चमकाता है। सुप्रसिद्ध अवधी कवि मलिक मुहम्मद जायसी पर लिखी अरुण देव की कविता इसी तरह आपको बाँध लेती है। अवधी कविता के इस महाचितेरे कवि जायसी की स्मृतियों को कवि नाना अर्थ छवियों से टहोकता चलता है और जायसी की काव्यात्मक शख़्सियत से जुड़े अनुत्तरित सवालों की तरफ़ हमारा ध्यान खींचता है। अपनी कविताओं—‘चाहत’, ‘रफ़ी के लिए’ और ‘विज्ञापन और औरत’—में अरुण देव समकालीन जीवन के तमाम घुमाव-पेचोख़म को एक साथ पकड़ने की कोशिश करते हैं। नरेटर चिर-परिचित यथार्थ से जूझते हुए उससे परे जाना चाहता है जिसे रोज़ बदलते सामाजिक मूल्यों ने जकड़ रखा है। अरुण देव उबाऊ क़िस्म के लम्बे विवरणों से बचते हैं और उस संवेदनशीलता का ध्रुवीकरण करते चलते हैं जो दमघोंटू नहीं है। कविताओं में कवि विषयासक्ति की चकाचौंध और निरी भावुकता से बचता चलता है। वह हाज़िर जवाब है। स्थिर उबाऊ टेकों के लिए उसके यहाँ कोई जगह नहीं। उसकी कविताएँ चाक्षुष बोध की कविताएँ हैं। विश्लेषी बोध की नहीं। ये कविताएँ हमें यथार्थ से रूबरू कराती चलती हैं और इनमें किसी भी तरह की भावोत्तेजना का घोल नहीं। उनकी तीखी व्यंजनाएँ आत्म-दया में तिरोहित नहीं होतीं और उनकी बहुत–सी कविताएँ प्रेम-बोध की कविताएँ हैं जिनमें शनै:-शनै: प्रेम का स्वर धीमा होता जाता है और मूलभाव उभरकर सामने आता है। अरुण देव की कविताएँ मानव मन की थाह लेती हैं और अपनी व्यंजनाओं में जीवन की विषमताओं को पचाती चलती हैं। उनके लिए कविता ही एकमात्र साधन है जो हमें मुक्त करता है। —शफी किदवई, द हिन्दू
Spandan
- Author Name:
Ashutosh Agnihotri
- Book Type:

-
Description:
सबसे अच्छी कविता वह है जो कविता की शर्तों से बाहर है। विज्ञ समाज ने जिसे नकार दिया है। सबसे अच्छी कविता उस जीवन की खोज में निकलती है, जिसे देखा नहीं गया और वह समकालीन कविता की तमाम जकड़बंदी और घेरेबंदी से बाहर हो जाती है। आशुतोष अग्निहोत्री समकालीन हिन्दी कविता के ऐसे ही विलक्षण कवि हैं। इनकी कविता हर वक्त साथ रहनेवाली प्रतिच्छवि की तरह है। कभी यह विचारों के सहारे खड़ी होती है तो कभी भावों के और कभी यह विभिन्न दृश्यों या चित्र-छवियों में रमती हुई नज़र आती है। ठीक एक आदमी की तरह ही उसका जीवित और गतिशील अस्तित्व है। जीवन की तरह ही उसका विस्तार है, और जीवन से भी कहीं बढ़कर उसकी दूरगामी छाया या प्रभाव है।
आशुतोष अग्निहोत्री का एक स्वतंत्र कवि-व्यक्तित्व है। इनकी दृष्टि कविता-पगी है। इनकी कविताएँ हमारी दृष्टि को व्यापक बनाती हैं। इनका देखना कुछ राग लिए होता है। कल्पना का उन्मेष भी अनुपम है।
आशुतोष अग्निहोत्री की कविताएँ धरती के हर कुछ से एक रिश्ता क़ायम करती हैं। इनके अनुभव से हमारे अन्तरमन का तार सहजता से जुड़ जाता है। इनमें जातीय परम्परा का बोध भी है। अनेक रंग और सौन्दर्य-बोध से नि:सृत इनकी कविताएँ जीने का अपना एक छंद विकसित करती हैं। इस नए किन्तु परिपक्व कवि का मैं अभिनन्दन करता हूँ।
—भारत यायावर
Apna Vajood
- Author Name:
Shyampalat Pandey
- Book Type:

-
Description:
श्यामपलट पांडेय वर्तमान समय और उससे जन्मे प्रत्यक्ष आवेग के कवि हैं। हमारा सामाजिक परिवेश जीवन-मूल्यों की टूटन और त्रासद स्थितियों के तनाव से भरा हुआ है। एक संवेदनशील कवि के लिए हमारे इस वर्तमान की कोई भी शक्ल अनिवार्यतः एक विडम्बना-बोध से ही जन्म लेती है। इन कविताओं में रोज़मर्रा के जीवन के सन्दर्भ हैं, छोटे-बड़े प्रसंग और परिस्थितियाँ हैं। पांडेय जीवन के विद्रूप से सीधे मुठभेड़ करते हैं। कहीं इन कविताओं में एक विकलता है तो कहीं एक प्रश्नाकुलता। कहीं अपने रचना-कर्म के प्रति ही एक बुनियादी संशय का भाव भी। दरअसल यही हमारे समय के अनुभव के विभिन्न शेड्स हैं। विसंगतियों के चित्रों के साथ इन कविताओं में परिवर्तन की एक बुनियादी कामना भी है।
तिक्त अनुभवों के बीच से उठी ये कविताएँ जीवन के किसी बेशक़ीमती तत्त्व को बचाए रखने की विकलता की कविताएँ हैं। महत्त्वपूर्ण यह भी है कि श्यामपलट पांडेय का कवि-मन अपने जातीय अनुभव-बोध की ज़मीन से गहरा जुड़ा हुआ है। विडम्बनाओं के चक्रव्यूह में फँसे हुए रचनाकार की अपनी जड़ों की ओर लौटने की एक बेचैनी इन कविताओं में दिखाई पड़ती है। इसीलिए आस-पास की दुनिया और घर-परिवार की अन्तरंगता के अनेक चित्र इन कविताओं में मौजूद हैं। कहना न होगा कि कुटुम्ब से जुड़ी संवेदना हमारे समय में अमानवीय ताक़तों के बरक्स एक नया अर्थ ग्रहण करती है। उसके नए सामाजिक-मनोवैज्ञानिक आशय बनते हैं। अपने पास-पड़ोस से यह लगाव इस दौर में या शायद किसी भी दौर में कविता को हमेशा आत्मीय और प्रामाणिक बनाता रहा है। पांडेय की ये कविताएँ वादों और मुहावरों के शोरगुल से दूर अपनी नैसर्गिक ऊर्जा, जीवन-राग और सहज अनुभूति के बल पर ‘अपने वजूद’ का एहसास कराती हैं।
—विजय कुमार
Jyamiti
- Author Name:
Shanti Nair
- Book Type:

- Description: भारतीय स्त्री-कविता को बहुत दिनों से तलाश थी एक ऐसे स्त्री-स्वर की जिसके लेखन में निराला की नायिका पूरे ठस्से के साथ हँसती दिखाई दे, सबको दाँव देती हुई-सी हँसी। शान्ति नायर के कविता-संग्रह ‘ज्यामिति’ की कविताओं में सबको दाँव देती उसी हँसी का ताना-बाना मुझे विस्मय-विमुग्ध कर गया। उनमें बृहत्तर जगत के सरोकार अधिक मुखर और स्पष्ट रूप से सामने आते हैं, पर कविता की व्यंजना शक्ति की तिलांजलि दिये बग़ैर। संग्रह की ‘मैच द फ़ॉलोइंग’, ‘संजीवनी’, ‘दूध फटना’, ‘अनुष्ठान’ जैसी कविताओं में हमारे राजनीतिक-सामाजिक जीवन की समस्त विडम्बनाएँ जिस सजग बाँकपन के साथ व्यक्त हैं, वह किसी को भी एक झटके में उठाकर बैठा सकती हैं। ‘ट्रैफ़िक जाम’ कविता भास्वर प्रमाण है इस बात का कि पढ़ी-लिखी मध्यवर्गीय स्त्रियों पर अब कोई यह अभियोग लगा नहीं सकता कि दमित वर्गों-वर्णों की स्त्रियों का दुख उनके निजी दुखों में शामिल नहीं। चौके-चूल्हे, पास-पड़ोस, हाट-बाज़ार, दैनन्दिन जीवन के अन्य जीवंत प्रसंगों से धारोष्ण बिम्ब उठाकर जैसे भक्त-कवयित्रियाँ ध्वनि और रस-बोध से उच्छल कविताएँ सहज ही रच देती थीं, शान्ति नायर भी घरेलू बिम्बों को अद्भुत दार्शनिक उठान दे लेती हैं—‘अनिद्रा’ कविता में उदासीनता में ख़मीर का उठकर रात की सीमा के पार फूल जाना एक ऐसा बिम्ब है जो स्त्री ही साध सकती है। इसी तरह ‘पुट्टू’ कविता में तैयार पुट्टू को साँचे के बाहर कर देने की ख़ातिर जो धक्का दिया जाता है, उसका मर्म स्त्री, एक समधीत स्त्री ही समझ सकती है जो घर के काम ही नहीं करती, सब कामों से समय चुराकर पढ़ती भी है, जिसमें यह समझने की भी विलक्षण प्रज्ञा है कि जीवन की असल चुनौती है ज्ञान का संज्ञान में बदलना। दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना—कैसे—यह आपको शान्ति नायर की कविताएँ बख़ूबी समझा देती हैं। स्त्री की पसलियों का ‘लाड़ला दर्द’, ‘कर्तव्य के बिछावन’ पर यहाँ कुनमुनाकर सोता है पर नींद में मुस्कुराता हुआ।
Anterlok : Adhyatm Sambandhi Kavitayen
- Author Name:
Nandkishore Acharya
- Book Type:

- Description: कविता बल्कि कला मात्र अपने आपमें एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है—चाहे उसकी विषय–वस्तु कुछ भी हो। स्पष्ट है कि इलियट के लिए धर्म किसी ‘आधि–प्राकृतिक सत्ता में विश्वास’ करना है जबकि आर्नाल्ड के लिए वह मानवमात्र को जोड़ने और जीवन को अर्थ प्रदान करनेवाली चीज़ है; बल्कि कह सकते हैं कि मानवमात्र के जुड़ाव का, संलग्नता का या अद्वैत का यह अनुभव ही जीवन को अर्थ देनेवाली चीज़ है। ‘आलोक के अनन्त का उद्घाटन’—किसी भी धार्मिक–आध्यात्मिक अनुभव की केन्द्रीय अन्तर्वस्तु यही है। उस उद्घाटन का आलम्बन कोई वैयक्तिक ईश्वर है या कोई निर्वैयक्तिक सत्ता अथवा सम्पूर्णत: भौतिक जगत के अन्तर्भूत एकत्व का बोध, इससे अनुभूति की गहराई में कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता, यदि वह कवि–कलाकार की अनुभूति है। धार्मिक या आध्यात्मिक अनुभव का अर्थ अपने अस्तित्व के अर्थ की तलाश है। इसके लिए ईश्वर जैसी किसी आधि–प्राकृतिक सत्ता पर विश्वास की अनिवार्यता नहीं है। जिस प्रकार विरह–काव्य अथवा वियोग–शृंगार भी प्रेमकाव्य ही हैं, उसी प्रकार जीवन का अर्थ खो देने की पीड़ा और उसे पाने की विकलता भी प्रकारान्तर से धार्मिक–आध्यात्मिक अनुभव ही है। पॉल टिलिच के शब्दों में, ‘‘जो यह अनुभव करता है कि वह अर्थ के चरम स्रोत से विलग हो गया है, वह अपनी इस प्रतीति द्वारा यह प्रगट करता है कि वह केवल विलग ही नहीं है, वह फिर से संयुक्त हो चुका है।’’ लेकिन यह संयुक्ति किसी सरल और रूढ़िबद्ध धार्मिक विश्वास से नहीं होती, वह उस वेदना में से उपजती है जिसे कार्ल जैस्पर्स ‘ईश्वर के लिए ईश्वर से भावोद्वेगपूर्ण संघर्ष’ कहता है । इसलिए आधुनिक कविता या कला जो सवाल पूछती है, उसका कोई निश्चित समाधान उसके पास नहीं होता; बल्कि उसकी वेदना ही उसका समाधान हो जाती है। इस संकलन में हिन्दी में सक्रिय सभी पीढ़ियों का प्रतिनिधित्व कमोबेश हो सका है जिससे आध्यात्मिक संवेदन के बदलते काव्य–रूपों से हमारा परिचय हो सके।
Pratinidhi Kavitayen : Shamsher Bahadur Singh
- Author Name:
Shamsher Bahadur Singh
- Book Type:

-
Description:
निराला को अपना आदर्श माननेवाले शमशेर बहादुर सिंह हिन्दी में ‘कवियों के कवि' शमशेर सिंह के रूप में विख्यात हैं। इस कृति में उनकी चुनिन्दा कविताओं को संकलित किया गया है।
शमशेर एक ख़ास सोच और तेवरवाले कवि हैं। उनकी कविता शब्दों तक सीमित नहीं होती, बल्कि ऐसे तमाम शब्द हैं—जिन्हें वे बहुत चुनकर, सोच-समझकर अपनी बात के लिए इस्तेमाल करते हैं— काव्यानुभवों की एक व्यापक और जरा जटिल दुनिया भी रचते हैं। अपनी काव्य-वस्तु के चयन और उसके शिल्प-संगठन में वे बेहद सजग हैं। इसके लिए उन्हें विचार से मार्क्सवादी और शिल्प में रूपवादी-जैसे आरोप भी सहने पड़े हैं, जबकि उनकी स्पष्ट राय है कि कला के संघर्ष को सामाजिक संघर्ष से काटकर नहीं देखा जा सकता। वास्तव में उनकी कविता सीधे-सरल तरीक़े से सामाजिक संघर्ष की कविता नहीं है, बल्कि उसे उनकी कविता-भाषा की बहुस्तरीयता को बेधकर ही समझा जा सकता है; और यह संकल्प उनकी कविताओं की तमाम रचनात्मक विशेषताओं को पूरी विविधता के साथ हमारे सामने रखता है।
Ghadi Do Ghadi
- Author Name:
Basant Tripathi
- Book Type:

-
Description:
बसंत त्रिपाठी संभावनाओं की कविता लिखते हैं—वह अपनी समकालीनता के अनुवादक नहीं, उसके मर्माहत निर्वचक हैं। उनकी कविता अपने को खोजने की कविता है। इस खोज में क्या वह अपने को पा लेते हैं? दरअस्ल, अपने को खोने और पाने का यह असमंजस उनकी कविता का केन्द्रीय स्वर है। और, अपने को पाना अन्तस के किसी अमूर्तन को नहीं एक ज़िम्मेदार नागरिक नैतिकता को आयत्त करना है। अपने को खोजने वाली इस कविता में गहनता और मार्मिकता ऐसी है कि कविता अतिक्रमण और अतिलंघन से बची रहती है। बसन्त त्रिपाठी कविता की एक लम्बी यात्रा पूरी कर चुके हैं। इसके बावजूद उनकी कविता में महत्त्वाकांक्षा की अतिशयता और अतिरिक्तता नहीं है। महत्त्वाकांक्षा नहीं, यह आकांक्षा से भरी कविता है। एषणा, प्रेम और फूलों, बादलों, शामों और उसके तमाम तरह के रंगों, हवाओं, पक्षियों, उनके कलरवों, जल और उसकी तरह-तरह की आवाज़ों से बनी उनकी कई कविताओं में प्रकृति मनुष्य के अनन्य और अपरिहार्य कॉमरेड की तरह मौजूद है। मानवीय हताशा से ये कविताएँ बचती नहीं हैं लेकिन हैं ये कविताएँ मानवीय जिजीविषा के अन्यतम वृत्तान्त, जो अपनी मृदुलता और बाज़ दफ़ा गीतमयता में उपस्थित हैं, जिसकी अन्तर्लय है तो सूक्ष्म लेकिन बेहद आलोड़नकारी। कहना पड़ेगा कि बसंत त्रिपाठी उस उद्देश्य को जानना चाहते हैं जिसकी वजह से मनुष्य का अस्तित्व अर्थवान हो सकता है। अराजनीतिक होने का संभ्रम पैदा करने वाली ये कविताएँ अपने विन्यास, मंतव्य और विधान में एक उन्नायक मानवीयता को पाने की कविताएँ हैं। किसी चिन्तित अकेलेपन से निकलती ये कविताएँ जनक्षेत्र और समूह के दुख और जिजीविषा की आदिमता और आधुनिकता को एक साथ अनुभूत और अभिव्यक्त करती हैं।
—देवी प्रसाद मिश्र
Subah Ab Hoti Hai
- Author Name:
Neeraj Goswami
- Book Type:

- Description: Book
Ye Ishq Nahi Aasan
- Author Name:
Jigar Moradabadi
- Book Type:

- Description: ये किताब बीसवीं सदी के बेहद लोकप्रिय शायर जिगर मुरादाबादी की ग़ज़लों का संग्रह है। उनकी शायरी ग़ज़ल कहने की पुरानी परम्परा और बीसवीं सदी के मध्य और अन्त की रंगीन-निगारी का ख़ूबसूरत सम्मिश्रण है। वो शायरी में नैतिकता की शिक्षा नहीं देते लेकिन उनकी शायरी का नैतिक स्तर बहुत बुलन्द है। वो ग़ज़ल कहने के पर्दे में इंसानी ख़ामियों पर वार करते गुज़र जाते हैं। उनका कलाम बनावट से रहित और आमद से भरा हुआ है, सरमस्ती और दिल-फ़िगारी, प्रभाव और सम्पूर्णता उनके कलाम की विशिष्टताएँ है। इस किताब में उनके बेहतरीन कलाम को इकठ्ठा किया गया है जो उर्दू ग़ज़ल के हुस्न को ब-ख़ूबी बयान करती हैं।
Thartharahat
- Author Name:
Aasteek Vajpeyi
- Book Type:

-
Description:
‘कविता वह समय है जिसे इतिहास देख भले ले पर दुहरा नहीं सकता’—
ये कुछ शब्द नए कवि आस्तीक वाजपेयी की कविता के हैं जो तुमुल कोलाहल-कलह के बीच कवि की आवाज़ में बचे रह गए उस समय की याद दिलाते हैं जिसमें पुराण और पुरखों की स्मृति बसी हुई है। इस कविता को पढ़ते हुए उस अग्रज समय का अहसास होता है जो जल्दी नहीं बीतता, स्मृति बनकर साथ-साथ चलता है और थर-थर काँपते वर्तमान में उस कवि-धीरज की तरह स्थिर बना रहता है जिसके सहारे कवि आस्तीक अपने काव्यारम्भ की देहरी पर यह पहचान लेते हैं कि मैं उसी से बना हूँ जो ढह जाता है। आस्तीक की कविता हमें फिर याद दिला रही है कि—‘जीत नहीं हार बचा लेती है अस्तित्व के छोर पर’। यह प्रश्नाकुल कविता है जो हमसे फिर पूछ रही है कि—‘इस दुनिया के राज़ कौन जानता है और यह दुनिया है किसकी?’ यह कविता इस प्रश्न से फिर सामना कर रही है कि—‘हमें क्यों इच्छाएँ इतनी अधिक मिलीं और कौशल इतना कम।’
इस नई कवि-व्यथा में डूबा साधते हुए संसार का सामना इस तरह होता है कि जैसे—बारिश के आँसू सूख चुके हैं, वे धरती को गीला नहीं करते। जैसे—गुस्सा, अहंकार और हठ ताल पर चन्द्रमा की प्रतिमा की तरह जगमगा रहे हैं। जैसे—यत्न, हिम्मत और सादगी की हवा आसमान में खो गई है—कवि आस्तीक अपनी कविता के समय के आईने में नए बाज़ार से घिरते जाते संसार का चेहरा दिखाते हुए हमसे कह रहे हैं कि जैसे—दूसरों की कल्पना के बाग़ीचे में उनकी इच्छाओं की दूब उखाड़कर अपनी इच्छाओं के पेड़ लगाए जा रहे हों। कवि आस्तीक दूसरों से कुछ कहना चाहते हैं पर इस समझ के साथ कि ये दूसरे कौन हैं। यह नया कवि हमें एक बार फिर सचेत कर रहा है कि ख़ुद की पैरवी करते हुए हम थक गए हैं और सब अकेले घूम रहे हैं भाषा की भीड़ में, अर्थ भाग गए हैं, शब्द ही हैं जो नए बन सकते हैं।
आस्तीक की कविता में बिना पाए खोने का दु:ख बार-बार करवट लेता है। इन कविताओं को पढ़ते हुए यह अनुभव होता है कि यह नया कवि दु:ख के भार से शब्दों पर पड़ गई सलवटों को अपनी अनुभूतियों के ताप से इस तरह सँवार लेता है कि शब्द नए लगने लगते हैं। आस्तीक अपनी एक कविता में कहते हैं कि मृत्यु ही पिछली शताब्दी की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि है। ये कविताएँ पढ़ते हुए पाठकगण अनुभव करेंगे कि शब्दों को नया करके ही मृत्यु को टाला जा सकता है।
—ध्रुव शुक्ल
Nyoonatam Main
- Author Name:
Geet Chaturvedi
- Book Type:

-
Description:
भारत के दस सर्वश्रेष्ठ युवा लेखकों में से एक।
—इंडियन एक्सप्रेस
21वीं सदी के पहले दशक के मेरे प्रिय कवि व कथाकार हैं गीत चतुर्वेदी।
—नामवर सिंह
गीत चतुर्वेदी ने अपने गल्प व कविताओं में अवां-गार्द भाव दिखाया है। उनका अध्ययन बेहद विस्तृत है जो कि उनकी पीढ़ी के लिए एक दुर्लभ बात है। यह पढ़ाई उनकी रचनाओं में अनायास और सहज रूप से गुँथी दिखती है। उनकी भाषा व शैली अभिनव है। उनके पास सुलझी हुई दृष्टि है, जिसमें क्लीशे नहीं और जो कि वर्तमान विचारधारात्मक खेमों के शिकंजे में भी फँसी हुई नहीं है।
—अशोक वाजपेयी
गीत चतुर्वेदी की काव्य-निर्मिति और शिल्प की एक सिफ़त यह भी है कि वे ‘यथार्थ’ और ‘कल्पित’, ठोस और अमूर्त, संगत से विसंगत, रोज़मर्रा से उदात्त की बहुआयामी यात्रा एक ही कविता में उपलब्ध कर लेते हैं।
—विष्णु खरे
Aurat Ki Janib
- Author Name:
Dhirendra Kumar Patel
- Book Type:

- Description: इस संग्रह की कविताओं में ‘स्त्री’ को मानवीय पक्ष में उजागर करने के लिए उनके जीवन का चित्रण यथार्थ रूप में गहरे भावबोध से हुआ है। आज स्त्री विमर्श ने स्त्रियों के मौन को तोड़ा है। वे मुखर हुई हैं। उनका दबा क्रोध, आवेश पीड़ा स्वानुभूति के धरातल पर अभिव्यक्त हो रहा है, साथ ही स्त्री जीवन के लिए निर्धारित मानक और मूल्य भी बदलाव की सहज माँग करने लगे हैं। सबसे बड़ी बात ‘पैदा हुई औरत’ और ‘बनायी गयी औरत’ का भेद स्पष्ट होने लगा। इस स्पष्टता ने औरतों की एक नयी समझ विकसित की है। वे स्त्रीजनित तमाम समस्याओं, कुण्ठाओं और हिंसा को मनोवैज्ञानिक एवं सामाजिक स्तर पर समझने लगीं। वे समझने लगीं कि औरत के प्रेम की ताकत को वैसे शरीर के दायरे में सीमित कर दिया गया है। आख़िर पुरुष वर्ग ने शुरू से नारी के गुणों को लेकर उसकी इतनी सराहना कर दी है कि नारी उसी को अपना सर्वस्व मानने लगी। उसी के आधार पर जीवन जीती चली आ रही है। प्रस्तुत संग्रह की कविताएँ स्त्री के पक्ष में समाज से संवाद है।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...