Life Trials
Author:
Ramesh Pokhriyal 'Nishank'Publisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
EnglishCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 320
₹
400
Available
Shri Ramesh Pokhriyal "Nishank", like all romantic poets, is generally a poet who is strong-willed and intelligent and possesses an unusually subtle mind. While going through his poetry and nature poetry, we see nature sympathetically with unusual unreputable emotional responses. Moreover, it stands in sharp contrast to rationalistic moods.
Nishank is fond of personifying nature and is desirous of associating with the beauteous forms of the world that coexist with the laws and order of the universe.
When Nishank fuses scientific and religious notions, he proposes a metaphysical idea adapted to the cosmos' natural design. Hence, through this choicest collection of his poems, Nishank agrees with the universal phenomenon that nature provides an influence which spontaneously refines and purifies the soul of the human generation.
A "must-read" collection of representative poems of Shri Nishank.
ISBN: 9789390366170
Pages: 168
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: -
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भारतीय कविता के शीर्षस्थ प्रतिनिधि सितांशु यशश्चन्द्र की मूल गुजराती कविताओं को हिन्दी अनुवाद में पढ़ते हुए लगता है कि हमारी कविता वास्तव में विश्व कविता को एक नया आयाम एवं स्वर दे रही है जो अतिआधुनिक भाव-संवेदन का संवहन करती हुई भी ठेठ भारतीय मिथकों और पौराणिक भूमि में मूलबद्ध है। सितांशु यशश्चन्द्र आज के मनुष्य और जीवन का संधान करते हुए सुदूर अतीत में जाते हैं और उन सर्वनिष्ठ तत्त्वों का उत्खनन करते हैं जो जटायु से लेकर इब्राहीम रुगोवा तक व्याप्त है। और ये तत्त्व हैं जिजीविषा, जीने की लालसा और संघर्ष का अपार ताब और सतत प्रतिरोध जिसके दो उज्ज्वल प्रतिनिधि हैं पौराणिक जटायु और समकालीन रुगोवा और इनके मध्य अनेकानेक स्त्री-पुरुष, नदी-पहाड़ और समस्त ब्रह्मांड—‘मगरमच्छों को मरने न देना नदी/तुम्हारे जल को जीवित रखने का अब कोई और उपाय बचा नहीं है’ तथा 'पूस की रात को बिना चुनौती दिये यूँ जीतने नहीं देना है'।
यह एक भयानक लोक है जहाँ ‘नदी के पास पानी भी नहीं जिसे कहा जा सके सचमुच पानी’ और जहाँ बड़वानल के उजियारे में दिखता है पानी, जहाँ ‘हवा को जलाने वाली बिजली गिरती है’। सितांशु जी ने हमारे समय की त्रासदी और विद्रूप को अत्यन्त तीव्र एवं अप्रत्याशित बिम्बों में पुंजीभूत किया है—‘वहाँ उस तरफ पानी में से उठाई गई बगुले की चोंच में/तड़पती मछलियाँ/कुछ ही पलों में बगुलों के पंखों की सफेदी में बदल जाएँगी’। स्थिति की भयावहता का हिला देने वाला बिम्ब है—‘हरे पेड़ को देखकर लगता है/कि यह सूख गया होता तो कुछ ईंधन मिलता/ऐसा समय है यह’। और इस समय की शिनाख्त के लिए कवि पास की मलिन बस्ती से लेकर चे गेवारा, हो ची मिन्ह और यूसुफ मेहरअली तक जाता है। वह एक ऐसा कवि है जो ‘बिना ढक्कन की कलम’ लिए पूरी पृथ्वी पर चलता जा रहा है ताकि तत्काल हर हरकत, हर जुंबिश को दर्ज किया जा सके। यहाँ पूर्वज भी हैं, परदादा, परदादी, पत्नी, बेटा, बेटी विपाशा, गाय, जीव-जन्तु और ‘सारा का सारा ब्रह्मांड एकदम सटा हुआ सा’—‘तारा-पगडंडियाँ’ और ‘ऐसी रोशनी जो अँधेरे की चमड़ी छीलकर रख देती है’। सितांशु यशश्चन्द्र ब्रह्मांड-बोध के कवि हैं जिसकी चरम अभिव्यक्ति ‘महाभोज’, ‘तारे’ और ‘लगभग सटकर’ सरीखी कविताओं में होती है जब लगता है कि ‘इस स्वर लीला में धीरे-धीरे मैं अपनी मानव भाषा भूलता जा रहा हूँ’। इस खगोलीय प्रसार के बावजूद, स्मृति के अर्णव-प्रसार के बावजूद यहाँ हर वस्तु की निजता और विलक्षणता स्थापित और समादृत है जिसका एक उदाहरण ‘हर चीज दो, दो’ है। यह बेहद नाजुक और मसृण संवेदों की कविता है। सितांशु जी सूक्ष्म और विराट दोनों को एक साथ देख सकते हैं यहाँ छोटा से छोटा कम्पन भी समस्त ब्रह्मांड की अभिव्यक्ति है और हर घटना का प्रभाव-प्रसार आकाश-गंगा तक।
यह न तो निचाट वक्तव्यों की कविता है न अवरयथार्थवादी मुद्राओं की। भारतीय काव्य की परम्परा में यह उपमाओं, रूपकों और बिम्बों के माध्यम से हर आम और खास को सम्बोधित है। क्योंकि गांधी जी का आग्रह था कि खेतों में काम करने वाले, कुएँ से पानी खींचने वाले कोशिया मजदूर भी समझ सकें ऐसी कविता लिखनी चाहिए; यह कवि के सौन्दर्यशास्त्र का एक मूल संकल्प है। इसीलिए यह गहरे राजनैतिक आशयों की भी कविता है। पूरे संग्रह में अनवरत बेचैनी और छटपटाहट है और स्वाधीनता के लिए संघर्ष। ये कविताएँ अनुभवों को केवल प्रकाशित ही नहीं करतीं, बल्कि विश्लेषित करते हुए एक तार्किक उपसंहार तक ले जाने का उद्यम करती हैं। सम्भवत: यही कारण है कि इस कविता की गति सर्पिल और कई बार तो वलयाकार है, भावों-विचारों का ऐसा गुम्फन जो पाठक को भी अपने भँवर में खींच लेता है—
मेरी कविता जैसी दूसरी कोई जगह
मेरे पास कहीं बची नहीं रह गई
जहाँ मतभेद या मनमेल को लेकर
खुलकर बात हो सके
सितांशु यशश्चन्द्र की कविता ऐसी ही सार्वजनिक जगह है—उदार, प्रशस्त और निर्बन्ध। और साथ ही नितान्त निजी और एकान्त। शायद इसीलिए ‘मुझे इसके घर में घर जैसा लगता है’।
—अरुण कमल
Patthar par Buvai
- Author Name:
Vijay Singh Chauhan
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- Description: विजय सिंह चौहान द्वारा लिखित एक आकर्षक हिंदी कविता संग्रह 'पत्थर पर बुकाई' के गहन छंदों में डूब जाएँ। यह विचारपूर्ण संकलन हिंदी छंदों के माध्यम से गहरी भावनाओं और दार्शनिक चिंतन की खोज करता है। पुस्तक के कवर पर काई से ढके पत्थर की संरचना का एक कलात्मक जल रंग चित्रण है, जो प्रतीकात्मक रूप से कच्चे, प्राकृतिक तत्वों का प्रतिनिधित्व करता है जो अक्सर काव्यात्मक अभिव्यक्ति को प्रेरित करते हैं। कविता के शौकीनों और हिंदी साहित्य के प्रेमियों के लिए बिल्कुल सही, यह संग्रह समकालीन हिंदी कविता के लेंस के माध्यम से जीवन की जटिलताओं पर एक अनूठा दृष्टिकोण प्रदान करता है। सुरुचिपूर्ण प्रस्तुति इसे किसी भी साहित्यिक संग्रह के लिए एक उत्कृष्ट जोड़ या हिंदी छंद की गहराई और सुंदरता की सराहना करने वालों के लिए एक सार्थक उपहार बनाती है।
Dark Night of My Soul
- Author Name:
Joe King
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- Book Type:


- Description: When your soul is feeling dark, And you’ve lost your inner spark, Then this book might be for you, Since I’ve felt this feeling, too. When your heart is all but broken, And it’s too hard to be open, Open this, and take a look, Here’s my soul inside a book. Dark – Night – Of – My – Soul Even the most beautiful of skies has to let go of the sunshine each night to experience the darkness, but without that darkness, we cannot appreciate the moon and the stars. Every human being is no exception. Just like the sky, we all go through our dark stages, but without that darkness, we would not appreciate the light in our lives as much. To those of you who are experiencing that darkness from within you right now, I hope my book of rhyming poetry can reach out to you and relate to how you are feeling and bring some light back into your life. Remember, the most amazing of fireworks cannot be appreciated without the darkness, so don’t you ever let go of your inner spark.
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